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Rural Prosperity

बढ़ती ग्रामीण आय और उनका उत्साह

Posted On: 31 JUL 2025 13:43 PM

बीते एक वर्ष में 76.6% ग्राम निवासियों की खपत में बढ़ोतरी हुई

 

प्रमुख बातें

  • ग्रामीण समृद्धि में उछाल, बीते एक वर्ष में 76.6% निवासियों की खपत में बढ़ोतरी हुई और 39.6% की आय में उछाल आया- दोनों ही सर्वेक्षण दौरों में सबसे अधिक रहा।
  • वित्तीय स्थिति में सुधार नजर आया, 20.6% निवासियों की बचत में बढ़ोतरी हुई और 52.6% केवल औपचारिक संस्थाओं से ही लोन ले रहे हैं।
  • आशावाद में मजबूती, 74.7% ने अगले वर्ष होने वाली आय में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई और 56.2% को अल्प अवधि में बेहतर नौकरी की संभावनाओं की उम्मीद है।
  • सरकारी मदद और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हुआ- विशेषकर सड़कों, शिक्षा और पानी के क्षेत्र में- जिससे ग्रामीण तन्यकशीलता को बढ़ावा मिल रहा है।
  • महंगाई की चिंता कम हुई, 78.4% निवासियों का मानना है कि मौजूदा महंगाई 5% या उससे नीचे है, जो बेहतर मूल्य स्थिरता को दर्शाता है।

 

परिचय

 

ग्रामीण आर्थिक गति के स्पष्ट संकेत के तौर पर, नाबार्ड की ओर से हाल ही में ग्रामीण आर्थिक स्थिति एवं मत सर्वेक्षण (आरईसीएसएस) के जुलाई 2025 सर्वेक्षण में जानकारी मिली कि 76.6% ग्रामीण निवासियों ने अपने खपत में बढ़ोतरी दर्ज की, जो कि खपत-आधारित प्रगति की बेहतर दिशा को दर्शाता है। आरईसीएसएस एक बेहतर साधन है, जिससे विभिन्न सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को असल जीवन में असर को मापता है। सर्वेक्षण में निवास-स्तर पर आय, खपत, क्रेडिट और मत लेने वाले आंकड़ों से जरूरी अंतर्दृष्टि का पता चलता है कि ग्रामीण कल्याण पहलों का जमीनी स्तर पर कितना लाभकारी असर हो रहा है। ये निष्कर्ष ग्रामीण भारत में बढ़ती आय, बढ़ते वित्तीय समावेशन और बढ़ते घरेलू आशावाद की एक उत्साहजनक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।

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नाबार्ड के बारे में

नाबार्ड भारत का सर्वोच्च विकास बैंक है, जिसे संसद के अधिनियम से संपोषित एवं एकसमान कृषि ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1982 में स्थापित किया गया था। इस प्रमुख विकास वित्तीय संस्थान ने एग्री-फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, बैंकिंग तकनीकी, सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से माइक्रोफाइनेंस और ग्रामीण उद्यमिता का प्रचार कर भारतीय गांवों के जीवन में बदलाव लाया है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में सहभागी वित्तीय और गैर-वित्तीय हस्तक्षेपों, नवाचारों, तकनीक और संस्थागत विकास के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में निरंतर योगदान दे रहा है।

 

बढ़ती आय और खपत-आधारित प्रगति

 

आय में बढ़ोतरी

 

सर्वेक्षण में 39.6% निवासियों ने बीते साल के मुकाबले आय में बढ़ोतरी दर्ज की- जो कि अब तक के छः दौरों में सबसे ज्यादा है।

 

आय में बढ़ोतरी का ब्रैकेट (% में)

आय में बढ़ोतरी की जानकारी देने वाले परिवारों का प्रतिशत

0–5%

24.7%

5–10%

42.5%

10–15%

14.9%

15–20%

8.9%

20% से अधिक

9.1%

 

A graph showing the number of household expensesDescription automatically generated with medium confidence

 

खपत पर खर्च

  • 76.6% ने बीते साल के मुकाबले खपत में बढ़ोतरी दर्ज की। केवल 3.2% ने खपत में गिरावट दर्ज की, जो कि सर्वेक्षण शुरू होने के बाद से निम्नतम स्तर है।
  • यह बढ़ोतरी मासिक आय के खपत पर खर्च किए जाने वाले सबसे बड़े हिस्से से और अधिक मजबूत हुई है, जो 65.57% है, जो सितंबर 2024 में 60.87% से अधिक है।
  • यह ग्रामीण परिवारों में खरीदने की बेहतर होती सामर्थ्य और मजबूत वित्तीय विश्वास को प्रदर्शित करता है।

 

सरकारी मदद महत्त्वपूर्ण बनी हुई है

 

केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से वस्तु और नकद, दोनों स्तर पर, कई राजकोषीय हस्तांतरण योजनाओं द्वारा आय और खर्च के स्तर को मजबूती से सहयोग दिया जा रहा है। इनमें खाद्य, बिजली, रसोई गैस, उर्वरकों पर सब्सिडी, और स्कूली जरूरतों, परिवहन, भोजन, पेंशन और ब्याज सब्सिडी के लिए मदद शामिल है। औसतन, ये एक परिवार की मासिक आय का लगभग 10% होते हैं। ये बदलाव परिवारों की सहनशीलता को काफी बढ़ाते हैं और वित्तीय दबाव को, खासकर कमजोर आबादी के लिए, कम करते हैं।

 

बढ़ती बचत के जरिए सुधरता वित्तीय स्वास्थ्य

 

  • 20.6% निवासियों ने अपनी वित्तीय बचत में सुधार दर्ज किया, जो कि बढ़ती आय के साथ बचत करने की क्षमता में सुधार दिखाता है।
  • आय में बचत का हिस्सा 13.18% दर्ज किया गया, वहीं घर खर्च में लोन चुकाने का हिस्सा 11.85% रहा।
  • इन्हें मिलाकर देखें, तो ये आंकड़े खपत में बढ़ोतरी के साथ-साथ बचत और कर्ज प्रबंधन की मजबूत होती स्थिति दर्शाते हैं।

 

आय और रोजगार के आउटलुक पर मजबूत रुझान

 

अल्प-अवधि के लिए रुझान (अगली तिमाही के लिए)

 

  • 56.4% ग्रामीण निवासियों को अगली तिमाही तक सुधार का अनुमान है, जो कि सर्वेक्षण के सभी दौरों के मुकाबले सबसे ज्यादा है।
  • 56.2% ग्रामीण निवासियों को अगली तिमाही में बेहतर रोजगार अवसरों की आशा है, जो कि आय-सृजन के क्षेत्र में बढ़ते आशावाद को प्रतिबिंबित करता है।
  • ये आंकड़े ग्रामीण भारत में अल्प-अवधि में इकोनॉमिक आउटलुक के प्रति आशावाद दिखाते हैं।

 

लंबी-अवधि के लिए रुझान (अगले एक साल के लिए)

 

  • 74.7% ग्राम निवासियों को अगले 12 महीने में अपनी आय में बढ़ोतरी होने का अनुमान है, जो कि अपने उच्चतम स्तर पर है।
  • यह विश्वास और दूरदर्शी सकारात्मकता की मजबूत भावना को प्रदर्शित करता है, जिसकी एक वजह अनुकूल मॉनसून और सुधरता इंफ्रास्ट्रक्चर है।

जुलाई के सर्वेक्षण में इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में भी बेहतर धारणाएं सामने आईं, जिसमें केवल 2.6% परिवारों ने ही गिरावट की सूचना दी, जो सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी सेवाओं के प्रति बढ़ती संतुष्टि को दर्शाता है।

 

बढ़ता वित्तीय समावेशन और पुराने क्रेडिट का इस्तेमाल

 

औपचारिक क्रेडिट चैनलों की ओर रुझान

 

  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए निरंतर नीतिगत प्रयासों से प्रेरित होकर, ग्रामीण परिवार क्रेडिट के लिए ज्यादा से ज्यादा औपचारिक संस्थागत स्रोतों पर निर्भर हो रहे हैं। रिकॉर्ड 52.6% परिवारों ने बताया कि वे केवल औपचारिक वित्तीय संस्थानों, बैंक, सहकारी समितियां, एनबीएफसी, एमएफआई आदि से क्रेडिट लेते हैं।
  • बाकी 26.9% परिवारों ने औपचारिक और अनौपचारिक दोनों स्रोतों से क्रेडिट लिया।
  • यह अनियमित लेंडर्स से दूर जाने का एक मजबूत संकेत है, जिससे उधारकर्ताओं की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होती है और क्रेडिट की लागत कम होती है।

 

अनौपचारिक ब्याज के दबाव में कमी

 

  • अनौपचारिक लोन की माध्य ब्याज दर घटकर 17.53% पर आ गई, जो कि पिछले दौरे के मुकाबले 30 बेसिस अंकों की गिरावट है।
  • औपचारिक प्रणाली से बाहर होने के बाद भी, 30% ग्रामीण परिवारों ने ऐसे लोन पर कोई ब्याज नहीं दिया, खास तौर पर दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेने के कारण, जो समुदाय-आधारित वित्तीय मदद को दर्शाता है।

 

ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की उम्मीद

 

  • 76.1% निवासियों के आकलन के मुताबिक बीते एक साल में ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है।
  • यह सड़क, बिजली सप्लाई, पीने का पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा संस्थान के क्षेत्र में निरंतर सुधार को प्रतिबिंबित करता है।

 

ग्रामीण विकास प्राथमिकताएं: सड़क, शिक्षा, पानी

 

निवासियों को बीते कुछ सालों में विभिन्न क्षेत्रों में किए गए सुधार को रैंक करने को कहा गया। टॉप-रैंक वाले क्षेत्र रहे:

 

रैंक

विकास का क्षेत्र

इसे प्रथम स्थान देने वाले परिवारों का %

1

ग्रामीण सड़कें

46.3%

2

शिक्षा सुविधाएं

11.2%

3

पीने के पानी की सप्लाई

10.0%

4

बिजली

8.6%

5

स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर

7.5%

 

ये रैंकिंग बताती हैं कि कनेक्टिविटी, शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं तक पहुंच ग्रामीण विकास में किए गए प्रयासों में सबसे ऊपर है और इसमें प्रगति दिख रही है।

घटती महंगाई अनुभूति और अपेक्षाएं

 

सीपीआई-ग्रामीण महंगाई मार्च में 3.25% से घटकर अप्रैल में 2.92% तक आ गई और मई में इससे भी घटकर 2.59% पर पहुंच गई। खाद्य महंगाई भी मई में घटकर 1.36% पर पहुंच गई। जुलाई सर्वेक्षण में, ग्रामीण निवासियों ने औसतन (औसत मान) 4.28% महंगाई दर्ज की। अधिकतर परिवारों (78.4%) को महंगाई 5% या इससे नीचे महसूस की, जबकि अगली तिमाही के लिए अनुमान माध्य मान 4.29% के निचले स्तर तक पहुंच गया है। अगले वर्ष के लिए माध्य अनुमान मान 5.51% पर स्थिर है।

 

स्थिर खाद्य व्यय पैटर्न

 

  • ग्रामीण खाद्य महंगाई में नरमी के बावजूद, कुल मासिक खपत खर्च में खाद्यान्न का हिस्सा 50% के औसत मूल्य पर स्थिर रहा।
  • यह दर्शाता है कि बढ़ती आय का उपयोग खाद्य बजट पर दबाव बढ़ाए बिना, खर्च में विविधता लाने के लिए किया जा रहा है।

 

चरण 1 के प्रमुख पैमानों की तुलना (सितंबर 2024)

 

पैमाना

सितंबर-24

जुलाई-25

इसका क्या आशय है

बढ़ती आय (निवासियों का %)

37.6

39.6

अधिक परिवार बेहतर कमा रहे हैं - आय में बढ़ोतरी हो रही है।

बढ़ती खपत (निवासियों का %)

80.1

76.6

मामूली गिरावट, लेकिन अभी भी अधिक—लोग अधिक खर्च कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था चल रही है।

अगली तिमाही के लिए रोजगार आउटलुक (बढ़ोतरी दर्ज कराने वाले निवासियों का %)

52.6

56.2

आशावाद में बढ़ोतरी—अधिक परिवार को जल्दी ही नौकरी के अवसरों में सुधार का अनुमान है।

आय आउटलुक – 1 साल (बढ़ोतरी दर्ज कराने वाले निवासियों का %)

70.2

74.7

विश्वास में बड़ा उछाल—लोगों को भरोसा है कि अगले 12 महीने में उनकी आय बढ़ेगी।

 

निष्कर्ष

 

जुलाई 2025 का आरईसीएसएस सर्वेक्षण ग्रामीण भारत में मजबूत प्रगति और आशावाद को रेखांकित करता है। आय और खपत में बढ़ोतरी हो रही है, बचत में सुधार हुआ है और अधिकतर निवासी अपने पुराने क्रेडिट का इस्तेमाल कर पा रहे हैं। भविष्य की आय और रोजगार को लेकर माहौल अपने उच्चतम स्तर पर है। सरकार का सहयोग बना हुआ है, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हो रहा है, और महंगाई की धारणाएं निचले स्तर पर हैं। कुल मिलाकर, ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मविश्वास के साथ उन्नति के रास्ते पर है।

 

संदर्भ

नाबार्ड

आरईसीएसएस जुलाई 2025:  

https://www.nabard.org/auth/writereaddata/WhatsNew/1107255607RECSS%20Report%20of%206th%20Round%2009%20July%202025%20%20(1).pdf

आरईसीएसएस सितंबर 2024: https://www.nabard.org/auth/writereaddata/tender/pub_0910240202031157.pdf

https://www.nabard.org/content.aspx?id=2

औसत मान और कुल मान में अंतर: -

औसत मान और कुल मान में अंतर

  • औसत मान: सर्वेक्षण में सभी लोगों की प्रतिक्रिया का औसत।
  • कुल मान: प्रतिक्रिया देने वालों में बढ़ोतरी और कमी की प्रतिक्रिया देने वालों के प्रतिशत का अंतर।
  • माध्य मान: प्रतिक्रिया को क्रमबद्ध करने के बाद आया मध्य, जिसमें आधे लोगों की प्रतिक्रिया ऊपर और आधे लोगों की प्रतिक्रिया नीचे है।

बढ़ती ग्रामीण आय और उनका उत्साह

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पीके/एके/केसी/एमएम

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