Security
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
Posted On: 15 AUG 2025 13:11 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 अगस्त, 2025 को स्वतंत्रता दिवस समारोह पर उद्धबोधन:
- अगले दशक में, 2035 तक, हम अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का विस्तार, सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- भगवान श्री कृष्ण के ज्ञान और पराक्रम से प्रेरित होकर, हमने सुदर्शन चक्र का मार्ग चुना है। इसी भावना के साथ, राष्ट्र शीघ्र ही सुदर्शन चक्र मिशन पर कार्य करेगा।
- ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान मेड इन इंडिया की शक्ति हमारे हाथ में थी, इसलिए बिना रुकावट हमारी सेना अपना पराक्रम करती रही।
- बीते दस वर्षों में लगातार डिफेन्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को हम मिशन की तरह लेकर चले हैं, उसके नतीजे आज नजर आ रहे हैं।
- हमने एक न्यू नॉर्मल प्रस्थापित किया है। आतंक एवं आतंकियों को ताकत देने वालों को अब हम अलग - अलग नहीं मानेंगे। भारत ने तय कर लिया है कि न्यूक्लियर की धमकी को अब हम सहने वाले नहीं हैं। खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे।
परिचय
पिछले 11 वर्षों में, भारत का रक्षा क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक से स्वदेशी उत्पादन के एक उभरते केंद्र में तब्दील हो गया है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एक मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है, जिसने स्थानीय डिजाइन, विकास और विनिर्माण को प्राथमिकता देने वाली नीतियों को प्रेरित किया है। सरकारी सुधारों, रणनीतिक निवेशों और उद्योग साझेदारियों ने नवाचार को बढ़ावा दिया है और घरेलू क्षमताओं को मजबूत किया है।
आत्मनिर्भरता में हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियां
रक्षा क्षेत्र की जड़ें मजबूत करना
- रक्षा बजट में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 2013-14 में ₹2.53 लाख करोड़ से बढ़कर 2025-26 में ₹6.81 लाख करोड़ हो गया है।
- 2024-25 में, भारत ने ₹1.50 लाख करोड़ का अपना अब तक का सर्वोच्च रक्षा उत्पादन हासिल किया, जो 2014-15 में दर्ज ₹46,429 करोड़ से तीन गुना अधिक है।
- भारत का रक्षा निर्यात 2013-14 में ₹686 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹23,622 करोड़ हो गया है, जो 34 गुना वृद्धि है जो आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग के लिए सरकार के प्रयास को रेखांकित करता है।
- सरकारी नीतिगत सुधारों, व्यापार सुगमता पहलों और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयासों से प्रेरित होकर, भारत अब 100 से अधिक देशों को निर्यात करता है।
- 2023-24 में भारत के रक्षा निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्य अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया थे।



रक्षा अधिग्रहण और स्वदेशीकरण सुधारों के माध्यम से आत्मनिर्भरता
- भारतीय-आईडीडीएम पर केंद्रित डीएपी 2020 - रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 को आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 के रूप में संशोधित किया गया। इसमें 'खरीदें (भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित)' श्रेणी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रमुख रक्षा खरीद स्थानीय डिजइन और विकास वाले भारतीय स्रोतों से की जाएं।
- सरलीकृत 'निर्माण' (मेक) प्रक्रिया - भारतीय उद्योग को रक्षा उत्पादों के डिज़ाइन, विकास और निर्माण के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होती है। मेक-I के तहत, सरकार विकास लागत का 70% तक वित्तपोषित करती है और कुछ परियोजनाओं को एमएसएमई के लिए आरक्षित करती है। मेक-II श्रेणी (उद्योग-वित्तपोषित) में पात्रता में ढील, न्यूनतम कागजी कार्रवाई और उद्योग या व्यक्तियों से प्रस्ताव स्वीकार किए जाते हैं। अब तक, सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए 62 परियोजनाओं को 'सैद्धांतिक स्वीकृति' मिल चुकी है।
- रक्षा क्षेत्र में उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) - नए रक्षा औद्योगिक लाइसेंसों के लिए स्वचालित मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 74% कर दी गई है, और उन्नत तकनीक तक पहुंच से जुड़े मामलों में सरकारी अनुमोदन द्वारा इसे 100% तक बढ़ाया गया है। इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विदेशी पूंजी और तकनीक को आकर्षित करना है।
- नवाचार को बढ़ावा देना - आईडीईएक्स और टीडीएफ
- रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स), जिसकी शुरुआत 2018 में हुई थी, स्टार्टअप्स,एमएसएमई, शिक्षाविदों और नवप्रवर्तकों को रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में तकनीक विकसित करने के लिए अनुदान और वित्त पोषण प्रदान करता है।
- प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) सार्वजनिक और निजी उद्योगों, विशेष रूप से एमएसएमई को उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी क्षमताओं के निर्माण हेतु अनुदान प्रदान करता है।
- स्वदेशीकरण पोर्टल -
- सृजन पोर्टल (2020 में शुरू) पहले आयातित रक्षा वस्तुओं को सूचीबद्ध करता है और उद्योग को उन्हें स्थानीय स्तर पर विकसित करने के लिए आमंत्रित करता है। अब तक, 46798 वस्तुओं को सूचीबद्ध किया जा चुका है।
सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां
डीपीएसयू (रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) की पहली सूची: 2851
डीपीएसयूएस की दूसरी सूची: 107
डीपीएसयूएस की तीसरी सूची: 780
डीपीएसयूएस की चौथी सूची: 928
डीपीएसयू की पांचवीं सूची: 346
कुल योग: 5012
- ऑफसेट पोर्टल (2019 में लॉन्च) ऑफसेट अनुबंधों में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, नीतिगत सुधारों के साथ जो ऐसे योगदानों के लिए उच्च गुणक (मल्टीप्लायर) प्रदान करके भारतीय विनिर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में निवेश को प्रोत्साहित करते हैं।
- रणनीतिक साझेदारी (एसपी) मॉडल - भारतीय कंपनियों और वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के बीच दीर्घकालिक साझेदारी बनाने के लिए 2017 में पेश किया गया। ये साझेदारियां प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और भारत में विनिर्माण बुनियादी ढांचे की स्थापना पर केंद्रित हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय रक्षा सहयोग - 2019 में, भारत ने रूस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए, ताकि भारत में रूसी मूल के रक्षा उपकरणों के लिए पुर्जों और घटकों का संयुक्त रूप से निर्माण किया जा सके, जिससे परिचालन उपलब्धता में सुधार होगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।
- रक्षा में व्यापार करने में आसानी - औद्योगिक लाइसेंस की आवश्यकता वाले रक्षा उत्पादों को युक्तिसंगत बनाया गया है, और अधिकांश भागों/घटकों को अब लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। औद्योगिक लाइसेंस की वैधता 3 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दी गई है, संभावित 3-वर्ष के विस्तार के साथ, निवेश योजना बनाना आसान हो गया है।
- रक्षा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने में सक्षम बनाने के लिए, रक्षा एआई परिषद (डीएआईसी) और रक्षा एआई परियोजना एजेंसी (डीएआईपीए) का गठन किया गया है। इसके अलावा, प्रत्येक रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू) के लिए एक एआई रोडमैप को भी अंतिम रूप दिया गया है।
- विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) द्वारा सरकारी संस्थानों सहित भारतीय उद्यमों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के माध्यम से ऑफसेट दायित्वों के निर्वहन को शामिल किया गया है।
- सरकार ने 'रणनीतिक साझेदारी (एसपी)' मॉडल को अधिसूचित किया है, जिसमें एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से भारतीय संस्थाओं के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने की परिकल्पना की गई है, जिसके तहत वे घरेलू विनिर्माण अवसंरचना और वैल्यू चेन स्थापित करने हेतु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ गठजोड़ करेंगे।
- देश में रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) को उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत के लिए खोल दिया गया है, जिसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने केंद्रित अनुसंधान के लिए नौ प्रमुख क्षेत्रों यानि प्लेटफॉर्म, हथियार प्रणाली, सामरिक प्रणालियां, सेंसर और संचार प्रणालियां, अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स, सामग्री और उपकरण तथा सैनिक सहायता की पहचान की है।
- प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना भी रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में रक्षा प्रौद्योगिकियों के नवाचार, अनुसंधान और विकास के लिए उद्योगों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप और एमएसएमई को 10 करोड़ रुपये तक की राशि प्रदान करती है।
आतंकवाद-निरोध और आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना
पिछले 11 वर्षों में आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद-निरोध के प्रति भारत का दृढ़ और स्पष्ट दृष्टिकोण।
- सर्जिकल स्ट्राइक (28-29 सितंबर 2016) - भारतीय सैनिकों पर उरी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर नियंत्रण रेखा के पार की गई कार्रवाई।
- बालाकोट हवाई हमले (26 फ़रवरी 2019) - पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद, पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर पूर्व-प्रतिरोधी हवाई हमला।
- ऑपरेशन सिंदूर (अप्रैल 2025) – अप्रैल 2025 में, पहलगाम में नागरिकों पर हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओजेके) में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के नौ ठिकानों पर ड्रोन और गोला-बारूद से सटीक हमले किए गए, प्रमुख कमांड सेंटरों को नष्ट किया गया और 100 से ज़्यादा आतंकवादियों को मार गिराया गया, जिनमें आईसी-814 अपहरण और पुलवामा विस्फोट से जुड़े आतंकवादी भी शामिल थे। 7-8 मई को पाकिस्तान के जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमलों को भारत की नेट-केंद्रित युद्धक क्षमता और काउंटर-यूएएस प्रणालियों ने तुरंत नाकाम कर दिया।
प्रधानमंत्री ने सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए पांच सूत्री रूपरेखा स्पष्ट की है।
- पहला, अगर भारत पर कोई आतंकवादी हमला होता है, तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
- दूसरा, भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में विकसित हो रहे आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक हमला करेगा।
- तीसरा, भारत आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकार और आतंकवाद के मास्टरमाइंड के बीच कोई अंतर नहीं करेगा। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।
- भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है... आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते... आतंक और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते... पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते।
- अगर पाकिस्तान से बातचीत होगी, तो वह सिर्फ़ आतंकवाद पर होगी; और अगर पाकिस्तान से बातचीत होगी, तो वह सिर्फ़ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर होगी।
- अनुच्छेद 370 का उन्मूलन: 5 अगस्त 2019 को, संसद ने अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने को मंजूरी दी, जो दशकों पुराने असंतुलन का ऐतिहासिक सुधार था। इसका प्रभाव स्पष्ट है: आतंकवादी घटनाएं 2018 में 228 से घटकर 2024 में केवल 28 रह गईं, जो एकीकरण और शांति के बीच एक मजबूत संबंध को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, पथराव की घटनाओं में 100% की गिरावट दर्ज की गई है, जो शांति के एक नए युग का प्रतीक है।
- 2024 में तीन चरणों में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों का सफल आयोजन, जिसमें 63% मतदान हुआ, इस क्षेत्र में लोकतांत्रिक भागीदारी और स्थिरता को अपनाने की प्रवृत्ति को और रेखांकित करता है, जो एकीकरण और शांति के बीच एक मजबूत संबंध को दर्शाता है।
भारत सरकार ने वामपंथी उग्रवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) का दृष्टिकोण अपनाया है।
- पिछले 10 वर्षों में, 8,000 से अधिक नक्सलवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है, जिसके परिणामस्वरूप, नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 20 से भी कम रह गई है।
- वामपंथी उग्रवाद द्वारा हिंसा की घटनाएं 2024 में घटकर 374 रह गई हैं, जो 2010 में अपने उच्चतम स्तर 1936 पर पहुंच गई थीं।
- इस अवधि के दौरान कुल मौतों (नागरिकों + सुरक्षा बलों) की संख्या भी 85% घटकर 2010 में 1005 से 2024 में 150 हो गई है।


संदर्भ
PIB Backgrounders
Ministry of Defence
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