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आत्मनिर्भर भारत का निर्माण

Posted On: 15 AUG 2025 15:19 PM

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भरता का एक दशक

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 अगस्त, 2025 को स्वतंत्रता दिवस समारोह पर उद्धबोधन:

  • आज 140 करोड़ देशवासियों का एक ही मंत्र होना चाहिए समृद्ध भारत।
  • भारत हम सब का है, हम मिलकर के वोकल फॉर लोकल, उस मंत्र को हर नागरिक के जीवन का मंत्र बनाएं।
  • भारत में बनी हुई, भारत के नागरिकों के पसीने से बनी हुई वो चीजें, जिसमें भारत की मिट्टी की महक हो और जो भारत की आत्मनिर्भरता के संकल्प को ताकत देता हो, हम उसी को खरीदेंगे, हम उसी का उपयोग करेंगे, हम उस दिशा में आगे आए, यह हमारा सामूहिक संकल्प हो, देखते ही देखते हम दुनिया बदल देंगे दोस्तों।
  • इसी वर्ष के अंत तक मेड इन इंडिया भारत की बनी हुई, भारत में बनी हुई, भारत के लोगों द्वारा बनी हुई मेड इन इंडिया चिप्स, बाजार में आ जाएगी।
  • आज नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन पर बहुत तेजी से कम हो रहा है। हमारे MSMEs उसका लोहा दुनिया मानती है, जो दुनिया में बड़ी-बड़ी चीजें बनती है ना, कुछ ना कुछ तो औजार हमारे देश के MSMEs के द्वारा जाते हैं।
  • हम सभी जो उत्पादन के क्षेत्र में लगे हैं, उन सबका मंत्र होना चाहिए, दाम कम लेकिन दम ज्यादा। हमारी हर प्रोडक्ट का दम ज्यादा हो, लेकिन दाम कम हो, इस भाव को लेकर के हमें आगे बढ़ना है।

 

प्रस्तावना

आज जब राष्ट्र अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, भारत का विनिर्माण क्षेत्र मौजूदा वक्त में आत्मनिर्भरता और प्रगति का प्रतीक बन चुका है। पिछले एक दशक में, मेक इन इंडिया पहल के तहत किए गए साहसिक सुधारों और दूरदर्शी नीतियों ने देश को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदल दिया है। रक्षा से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स से लेकर उन्नत चिकित्सा उपकरणों तक, भारतीय कारखाने घरेलू ज़रूरतों और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों, दोनों के लिए विश्वस्तरीय उत्पाद बना रहे हैं। इस रफ्तार को और तेज़ करने के लिए, सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 में 100 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन (एएमएम) शुरू किया है, जिसका मकसद प्रमुख क्षेत्रों में नवाचार, प्रतिस्पर्धात्मकता और क्षमता को बढ़ावा देना है।

यह वृद्धि आयात पर निर्भरता कम करने, ज्यादा रोज़गार सृजन करने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति मज़बूत करने के देश के संकल्प को दर्शाती है। ये यात्रा नवाचार, निवेश और उद्यमशीलता की भावना से प्रेरित होकर, आत्मनिर्भर भारत की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रही है।

 

विनिर्माण के क्षेत्र में भारत के पदचिह्न

विनिर्माण क्षेत्र, भारत की आर्थिक वृद्धि का एक मज़बूत स्तंभ बना हुआ है। पिछले एक दशक में, इस क्षेत्र का निरंतर विस्तार हुआ है, जिसने देश के उत्पादन में और अधिक योगदान दिया है और लगातार रोज़गार के अवसर प्रदान किए हैं। विनिर्माण द्वारा सृजित मूल्य में खासी वृद्धि देखी गई है, जो उच्च उत्पादकता और क्षमता में अधिक निवेश को दर्शाता है।

संकेतक

2013–14

2023–24

कुल जीवीए में विनिर्माण का हिस्सा (%)

17.2

17.5

स्थिर मूल्यों पर विनिर्माण जीवीए (लाख करोड़ रुपए)

15.60

28.25

 

उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना

1.97 लाख करोड़ रुपए (26 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक) के परिव्यय वाली उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी हार्डवेयर, फार्मास्यूटिकल्स, थोक औषधियाँ, चिकित्सा उपकरण, दूरसंचार उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, व्हाइट गुड्स, ऑटोमोबाइल, विशेष इस्पात, वस्त्र, ड्रोन आदि सहित 14 रणनीतिक क्षेत्रों को कवर करती है। इसे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की स्थिति को मज़बूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मुख्य तथ्य:

• मार्च 2025 तक 1.76 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।

• 16.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का उत्पादन और बिक्री हुई।

• प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से 12 लाख से अधिक रोज़गार सृजित हुए।

• कार्यान्वयन वाले 12 क्षेत्रों में कुल 21,534 करोड़ रुपए के प्रोत्साहन वितरित किए गए हैं।

 

रक्षा विनिर्माण - आयातक से निर्यातक तक

भारत के रक्षा उद्योग में पिछले एक दशक में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। केंद्रित नीतियों, लक्षित निवेशों और आत्मनिर्भरता के लिए मज़बूत प्रयासों ने देश को रक्षा उपकरणों का एक महत्वपूर्ण उत्पादक और निर्यातक बना दिया है। आयात पर निर्भरता से हटते हुए, देश में ही महत्वपूर्ण तकनीकों के निर्माण की ओर बदलाव, आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम को दर्शाता है।

A graph showing the rise and export of indian productionDescription automatically generated

 

मुख्य तथ्य:

• वित्त वर्ष 2024-25 में स्वदेशी रक्षा उत्पादन का मूल्य रिकॉर्ड 1,50,590 करोड़ रुपये तक पहुँच गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 1.27 लाख करोड़ रुपये से 18% की वृद्धि और 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से 224% की वृद्धि दर्शाता है।

• रक्षा निर्यात 2013-14 के 686 करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपए हो गया, जो 34 गुना वृद्धि दर्शाता है।

• पाँच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ जारी की गई हैं, जिनमें 5,500 से अधिक वस्तुएँ शामिल हैं, जिनमें से 3,000 का फरवरी 2025 तक स्वदेशीकरण कर दिया गया है।

• स्वदेशी प्रणालियों में एलसीए तेजस, अर्जुन एमबीटी, आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफलें, कोरवेट, सोनार सिस्टम, परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, रडार, बख्तरबंद प्लेटफॉर्म, रॉकेट और बम शामिल हैं।

• निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर डीओ-228 विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज़ इंटरसेप्टर बोट और हल्के टॉरपीडो शामिल हैं।

• भारत अब 100 से ज़्यादा देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिसमें 2023-24 में अमेरिका, फ़्रांस और आर्मेनिया प्रमुख खरीदार रहे।

 

इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल विनिर्माण

भारत बहुत तेज़ रफ्तार से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के विज़न से प्रेरित होकर, देश ने उत्पादन और निर्यात दोनों में असाधारण वृद्धि हासिल की है। ख़ास तौर पर मोबाइल विनिर्माण में ज़बरदस्त बदलाव आया है, जिससे भारत दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन गया है।

A graph showing the cost of electronicsDescription automatically generated with medium confidence

 

संकेतक

2014–15

2024–25

वृद्धि

इलोक्ट्रॉनिक सामान का उत्पादन

1.9 लाख करोड़ रुपए

11.3 लाख करोड़ रुपए

~6 गुना

इलोक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात

38,000 करोड़ रुपए

3.27 लाख करोड़ रुपए

8 गुना

मोबाइल विनिर्माण इकाइयां

2

300

150 गुना

मोबाइल फोन उत्पादन

18,000 करोड़ रुपए

5.45 लाख करोड़ रुपए

28 गुना

मोबाइल फोन निर्यात

1,500 करोड़ रुपए

2 लाख करोड़ रुपए

127 गुना

 

फार्मा और चिकित्सा विनिर्माण

वैश्विक दवा उद्योग में भारत का आकार, मात्रा के लिहाज़ से तीसरा और मूल्य के हिसाब से चौदहवाँ स्थान है। यह विश्व की 20% जेनेरिक दवाओं और टीकों के एक बड़े हिस्से की आपूर्ति करते हुए, दुनिया भर में किफायती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है। उत्पादन, निर्यात और घरेलू नवाचार में लगातार वृद्धि ने एक विश्वसनीय वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की स्थिति को और मज़बूत किया है।

मुख्य तथ्य:

• इस क्षेत्र का कारोबार 2023-24 में 4,17,345 करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जिसमें पिछले पाँच वर्षों में 10% से अधिक की वार्षिक वृद्धि हुई है।

• पीएलआई योजना के पहले तीन सालों में, संचयी बिक्री 2.66 लाख करोड़ रुपए रही, जिसमें 1.70 लाख करोड़ रुपए का निर्यात शामिल है।

• वित्त वर्ष 2021-22 में भारत थोक दवाओं के शुद्ध आयातक (1,930 करोड़ रुपए का घाटा) से 2,280 करोड़ रुपए का शुद्ध निर्यातक बन गया।

• चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत, 21 परियोजनाओं ने एमआरआई मशीन, सीटी स्कैनर, हृदय वाल्व, स्टेंट और डायलिसिस मशीन सहित 54 विशिष्ट उपकरणों का उत्पादन शुरू कर दिया है।

 

विनिर्माण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 

भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरा है। पिछले एक दशक में, निरंतर सुधारों, सरल नियमों और एक स्थिर नीतिगत माहौल ने विनिर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश को प्रोत्साहित किया है। व्यापार करने में आसानी और क्षेत्र-विशिष्ट प्रोत्साहनों पर ध्यान केंद्रित करने की वजह से एक प्रतिस्पर्धी विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत हुई है।

 

मुख्य तथ्य:

• अप्रैल 2014 और मार्च 2025 के बीच, विनिर्माण क्षेत्र को 184.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ।

• पिछले 11 वर्षों (2014-25) में भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 748.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2003-14 के दौरान प्राप्त 308.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 143% अधिक है।

• 2014-25 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का करीब 70% हिस्सा प्राप्त हुआ, यानी पिछले 25 सालों में 1,072.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए।

• वार्षिक अंतर्वाह वित्त वर्ष 2013-14 के 36.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 81.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अनंतिम) हो गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 71.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 14% अधिक है।

• सरकार का लक्ष्य वार्षिक एफडीआई अंतर्वाह को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है, जो वर्तमान पाँच-वर्षीय औसत 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

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