Economy
भारत का आर्थिक इंजन टॉप गियर में
Posted On: 15 AUG 2025 15:27 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 अगस्त, 2025 को स्वतंत्रता दिवस समारोह पर उद्धबोधन:
- आज इन्फ्लेशन कंट्रोल में है, फॉरेक्स एक्सचेंज रिजर्व हमारे बहुत मजबूत हैं, हमारे मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स बहुत मजबूत हैं, ग्लोबल रेटिंग एजेंसी भी लगातार भारत की सराहना करती है, भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा से ज्यादा विश्वास व्यक्त कर रही है।
- आज देश तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहा है।
- हम नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स लेकर के आ रहे हैं, ये दिवाली के अंदर आपके लिए तोहफा बन जाएंगे, सामान्य मानवीय की जरूरत के टैक्स भारी मात्रा में काम कर दिए जाएंगे, बहुत बड़ी सुविधा बढ़ेंगी।
- हमारे एमएसएमई, हमारे लघु उद्यमी, इनको बहुत बड़ा लाभ मिलेगा। रोजमर्रा की चीजें बहुत सस्ती हो जाएगी और उससे इकोनामी को भी एक नया बल मिलने वाला है।
मजबूत घरेलू मांग, घटती महंगाई, जीवंत पूंजी बाजार और बढ़ते निर्यात से प्रेरित, भारत की अर्थव्यवस्था लचीलेपन और संतुलन दोनों को दर्शाती है। रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार, स्थिर चालू खाता घाटा और बढ़ता विदेशी निवेश देश की दीर्घकालिक प्रगति में बढ़ते वैश्विक भरोसे को रेखांकित करते हैं। इसका परिणाम एक ऐसी विकास गाथा है, जो न केवल तेजी से बढ़ रही है, बल्कि हर क्षेत्र में मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) -
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के अनुसार, भारत की वास्तविक जीडीपी, जो महंगाई के असर को हटाकर अर्थव्यवस्था के उत्पादन का आकलन करता है, 2024-25 में 6.5% बढ़ा। भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि यह चाल 2025-26 तक जारी रहेगी।
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- भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूत विस्तार हुआ है, वित्त वर्ष 2025 के लिए वास्तविक जीडीपी 1,87,97,000 करोड़ रुपये (2.20 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2024 में 6.5% की वृद्धि दर के साथ 1,76,51,000 करोड़ रुपये (2.06 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) थी।
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- 2030 तक भारत 7.3 ट्रिलियन डॉलर की अनुमानित जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
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बढ़ता जीएसटी ग्राहक आधार-
- जुलाई 2025 में, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए आठ वर्ष पूरे हो जाएंगे। पारदर्शिता और दक्षता में सुधार लाकर, जीएसटी ने एक मजबूत और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में मदद की है।
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- 1.52 करोड़ से अधिक सक्रिय जीएसटी पंजीकरण हैं; शीर्ष 5 राज्यों से कुल सक्रिय जीएसटी करदाताओं का लगभग 50% हिस्सा है।
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पूंजीगत व्यय-
- पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) दीर्घकालिक परिसंपत्तियों का निर्माण करता है जो राष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहन देते हैं, दक्षता बढ़ाते हैं, रोजगार निर्माण करते हैं और उत्पादकता बढ़ाते हुए निरंतर राजस्व उत्पन्न करते हैं।
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- 2024-25 में, पूंजीगत व्यय ₹10.52 ट्रिलियन था, जो संशोधित अनुमानों से अधिक था।
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- राजस्व व्यय के मुकाबले पूंजीगत व्यय के अनुपात के रूप में आकलन किए गए खर्च की गुणवत्ता बीते तीन वर्ष से 0.27 से अधिक रही है, जो कोविड के पूर्व के औसत से लगभग दोगुनी है।
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उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) -
- भारत में महंगाई को दो संकेतकों, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर मापा जाता है। डब्ल्यूपीआई उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले वस्तुओं की कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है, जबकि सीपीआई उन वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापता है जिन्हें लोग दैनिक उपयोग के लिए खरीदते हैं।
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- जुलाई, 2025 के लिए जुलाई, 2024 की तुलना में सीपीआई पर आधारित सालाना आधार पर महंगाई दर 1.55% है। जून, 2025 की तुलना में जुलाई, 2025 की मुख्य महंगाई में 55 बेसिस प्वाइंट की गिरावट है। यह जून, 2017 के बाद सालाना आधार पर सबसे कम महंगाई दर है।
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- जुलाई 2025 में, खाद्य कीमतें जुलाई 2024 की तुलना में 1.76% कम थीं - इसे नकारात्मक महंगाई या खाद्य कीमतों में अपस्फीति कहा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 1.74% और शहरी क्षेत्रों में 1.90% की गिरावट देखी गई। जून 2025 की तुलना में, खाद्य महंगाई में 75 बेसिस प्वाइंट की गिरावट आई, जिसका अर्थ है कि जुलाई में कीमतों में तेज़ी से गिरावट आई।
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- यह -1.76% जनवरी 2019 के बाद से सबसे कम खाद्य महंगाई दर है, जो दर्शाता है कि खाद्य कीमतें पिछले छः वर्ष में इतनी कम नहीं रही हैं।
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थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) -
- खाद्य पदार्थों और पेट्रोल, डीजल तथा प्राकृतिक गैस जैसे ईंधनों की कीमतों में कमी के चलते, डब्ल्यूपीआई जुलाई 2025 में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में और गिरकर (-) 0.58 के दो वर्ष के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया।
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- डब्ल्यूपीआई महंगाई में गिरावट से खुदरा महंगाई में और कमी आने की भी उम्मीद है क्योंकि थोक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का असर खुदरा स्तर पर पड़ता है और ईंधन की कीमतों में गिरावट से परिवहन लागत में भी कमी आती है।
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रोजगार
- भारत में रोजगार में बढ़ोतरी हुई है और पिछले एक दशक में 17 करोड़ नौकरियां निर्मित हुई हैं।
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- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 2017-18 में 49.8% से बढ़कर 2023-24 में 60.1% हो गई है।
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- बेरोजगारी दर (यूआर) में बड़ी गिरावट आई है, जो 2017-18 में 6.0% से घटकर 2023-24 में 3.2% हो गई है।
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- पिछले एक दशक में कृषि क्षेत्र और सेवा क्षेत्र में रोजगार निर्माण क्रमशः 19% और 36% तक बढ़ गया है। विनिर्माण क्षेत्र में, 2004 और 2014 के बीच रोजगार निर्माण 6% रहा, जबकि पिछले दशक में यह बढ़कर 15% हो गया।
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घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई)
- व्यापार सौदों की संभावनाओं में सुधार के साथ, वित्तीय बाजार में अस्थिरता कम हुई है, जिससे प्रभावी बाजार संचालन के लिए नीतिगत अनिश्चितता को दूर करने के महत्व पर जोर दिया गया है।
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- इस वैश्विक पृष्ठभूमि में, भारत के वित्तीय बाज़ारों ने उल्लेखनीय लचीलापन प्रदर्शित किया है, जो मुख्य रूप से मज़बूत घरेलू निवेशकों की भागीदारी से प्रेरित है।
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घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई)
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विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई)
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डीआईआई बड़े कुल खरीदार बने रहे, जिन्होंने 16 जून, 2025 से 15 जुलाई, 2025 के बीच ₹44,269 करोड़ की इक्विटी खरीदी।
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एफआईआई ने 16 जून, 2025 से 15 जुलाई, 2025 के बीच ₹33,336.8 करोड़ की इक्विटी के बराबर कुल खरीदारी की।
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पेमेंट बैलेंस
- भारत ने सेवाओं और प्रेषणों से अधिक कमाई की, निर्यात की तुलना में आयात पर कम खर्च किया, और वर्ष का अंत अपने अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों में बेहतर संतुलन के साथ किया। सेवा निर्यात (जैसे आईटी, परामर्श और व्यावसायिक सेवाएं) अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। विदेशों में काम कर रहे भारतीयों की ओर से निजी प्रेषण भी बढ़ रहे हैं।
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- चालू खाता इस बात का माप है कि वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, विदेशों से आय और प्रेषण (विदेश में भारतीयों की ओर से घर भेजा गया धन) से भारत में कितना धन आ रहा है और कितना बाहर जा रहा है।
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- वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में, भारत का सरप्लस 13.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.3%) था - जिसका अर्थ है कि देश में जितना पैसा आया, उससे कहीं अधिक बाहर गया। यह पिछली तिमाही के 11.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के घाटे (जीडीपी का 1.1%) से एक बड़ा बदलाव है।
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- वित्त वर्ष 2025 के पूरे वर्ष के लिए, चालू खाता घाटा (सीएडी) घटकर जीडीपी का 0.6% (23.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रह गया, जो वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी का 0.7% (26.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर) था - जो बेहतर बाहरी व्यापार स्वास्थ्य का संकेत है।
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पूंजी का फ्लो
- वर्तमान वैश्विक अनिश्चितता के बीच, भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अधिक एनआरआई जमा (16.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और बाहरी वाणिज्यिक उधार (18.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के कारण 21.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का पूंजीगत और वित्तीय खाता अधिशेष हासिल किया।
निर्यात
- बदलते वैश्विक व्यापार पैटर्न के बीच, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत का व्यापार प्रदर्शन लचीला बना हुआ है और कुल निर्यात (वस्तुएं और सेवाएं) ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 5.9% (सालाना आधार पर) की वृद्धि दर दर्ज करते हुए 210.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
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- जून 2025 में निर्यात ऑर्डर में तेज बढ़ोतरी देखी गई, जो भारतीय उत्पादों की बेहतर बाहरी मांग का संकेत देता है, जो आसन्न उच्च अमेरिकी टैरिफ के मद्देनजर निर्यात में बढ़ोतरी का भी परिणाम है।
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भारत की विकास गति को मजबूत घरेलू विकास कारकों, सुदृढ़ वृहद आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर और विवेकपूर्ण नीतियों से बल मिल रहा है। स्थिर निवेश और नीतिगत समर्थन के बल पर विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र आगे बढ़ रहे हैं। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत के मज़बूत बुनियादी ढाँचे उसे एक मज़बूत और अधिक समावेशी भविष्य का नेतृत्व करने और उसका निर्माण करने की स्थिति में रखते हैं क्योंकि देश की आर्थिक गति सुधारों और नवाचारों से प्रेरित है।
संदर्भ
पीआईबी बैकग्राउंडर्स/ प्रेस विज्ञप्ति
https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154962&ModuleId=3
https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154840&ModuleId=3#:~:text=%E2%80%9CIn%20this%20global%20milieu%2C%20the,macroeconomic%20fundamentals%20and%20prudent%20policies.%E2%80%9D
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2156270#:~:text=WPI%20Food%20Index%20(Weight%2024.38,the%20revision%20policy%20of%20WPI.
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2155476
आर्थिक कार्य विभाग
https://dea.gov.in/sites/default/files/Monthly%20Economic%20Review%20June%202025_0.pdf
एसबीआई.को.इन
https://sbi.co.in/documents/13958/43951007/8%2Byears%2Bof%2BGST_SBI%2BResearch.pdf/266da3f2-1271-e0f2-ac66-22184bf9391e?t=1753163204146&utm_source=chatgpt.com
डीडी न्यूज
https://ddnews.gov.in/en/rbi-retains-indias-gdp-growth-forecast-at-6-5-for-fy-2025-26/
न्यूजऑनएयर.जीओवी.इन
https://www.newsonair.gov.in/over-11-lakh-aspirants-got-jobs-in-last-16-months-under-rozgar-mela-mansukh-mandaviya/
आईबीईएफ
https://www.ibef.org/economy/indian-economy-overview
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