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Infrastructure

डिजिटल बुनियादी ढांचे के जरिए शासन का सशक्तिकरण

Posted On: 15 AUG 2025 16:18 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 अगस्त, 2025 को स्वतंत्रता दिवस समारोह पर उद्धबोधन:

  • आज हमने उस बोझ से मुक्त होकर के मिशन मोड में सेमीकंडक्टर के काम के आगे बढ़ाया है।
  • 6 अलग-अलग सेमीकंडक्टर के यूनिट्स जमीन पर उतर रहे हैं, चार नए यूनिट्स को हमने ऑलरेडी हरी झंडी दिखा दी है, ग्रीन सिग्नल दे दिया है।
  • दुनिया को हमने दिखा दिया है, यूपीआई का हमारा अपना प्लेटफार्म आज दुनिया को अजूबा कर रहा है। हमारे में सामर्थ्य है रियल टाइम ट्रांजैक्शन में 50% अकेला भारत यूपीआई के माध्यम से कर रहा है।
  • आने वाले 10 साल में, 2035 तक राष्ट्र के सभी महत्वपूर्ण स्थलों, जिनमें सामरिक के साथ-साथ सिविलियन क्षेत्र भी शामिल हैं, जैसे अस्पताल हो, रेलवे हो, जो भी आस्था के केंद्र हो, उन्हें टेक्नोलॉजी के नए प्लेटफॉर्म द्वारा पूरी तरह सुरक्षा का कवच दिया जाएगा।
  • यह सुरक्षा का कवच लगातार विस्तार होता जाए, देश का हर नागरिक सुरक्षित महसूस करें, किसी भी प्रकार की टेक्नोलॉजी हम पर वार करने आ जाए, हमारी टेक्नोलॉजी उससे बेहतर सिद्ध हो और इसलिए आने वाले 10 साल, 2035 तक मैं यह राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का विस्तार करना चाहता हूं, मजबूती देना चाहता हूं, आधुनिक बनाना चाहता हूं
  • आने वाला युग ईवी का है। अब ईवी बैटरी क्या हम नहीं बनाएंगे, हम निर्भर रहेंगे। सोलर पैनल की बात हो, इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स के लिए जिन-जिन चीजों की आवश्यकताएं है, वो हमारी अपनी होनी चाहिए।

 

भूमिका

‘डिजिटल इंडिया’ नागरिकों और शासन के बीच की खाई को पाट रहा है, व्यवस्थाओं को आवश्यक सेवाओं के साथ जोड़ रहा है और चुनौतियों को उपायों में बदल रहा है। यह एक तकनीकी पहल से कहीं बढ़कर है। यह एक ऐसा राष्ट्रीय मिशन है, जो 21वीं सदी में आत्मविश्वास से भरे भारत की शक्ति, क्षमता और आत्मनिर्भरता को दर्शाने वाले ‘आत्मनिर्भर भारत’ का आधार है। वास्तविक  कागजी कार्रवाइयों की जगह डिजिटल प्रक्रियाओं को अपनाकर, इसने सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति  में पारदर्शिता के साथ-साथ उनकी सुलभता और दक्षता को बढ़ाया है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में राष्ट्रीय आय में 11.74 प्रतिशत का योगदान दिया और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस), क्लाउड कंप्यूटिंग एवं डिजिटल बुनियादी ढांचे में प्रगति के कारण 2024-25 तक यह योगदान बढ़कर 13.42 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। डिजिटलीकरण के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है और 2030 तक, डिजिटल अर्थव्यवस्था द्वारा कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग पांचवें हिस्से का योगदान दिए जाने का अनुमान है। राष्ट्र के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, ये उपलब्धियां समावेशी एवं तकनीक द्वारा संचालित विकास की दिशा में भारत की प्रगति को रेखांकित करती हैं।


डिजिटल परिदृश्य में भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाने वाली उपलब्धियां

 इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में वृद्धि

शुद्ध शून्य आयात (नेट जीरो इंपोर्ट) का लक्ष्य हासिल करने और घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग हेतु उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने पिछले एक दशक में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में असाधारण वृद्धि सुनिश्चित की है। लक्षित प्रोत्साहनों, बड़े पैमाने की लागत वाली अर्थव्यवस्थाओं, विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर ध्यान केन्द्रित करने और प्रतिभाओं के विकास के जरिए, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन और निर्यात के एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक केन्द्र के रूप में उभरा है।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का उत्पादन 2014-15 में 1.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 11.3 लाख करोड़ रुपये का हो गया, जोकि 6 गुना वृद्धि को दर्शाता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का निर्यात 38,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपये का हो गया, जोकि 8 गुना वृद्धि है।
     

मोबाइल फोन - विकास का एक प्रमुख वाहक

मुख्य फोकस दूरदराज एवं कम सुविधा वाले क्षेत्रों में मोबाइल कवरेज सुनिश्चित करने पर रहा है ताकि सभी नागरिक डिजिटल इकोसिस्टम से जुड़ सकें और आवश्यक सेवाओं का लाभ उठा सकें।

महत्वपूर्ण तथ्य:

मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों की संख्या 2014-15 में मात्र 2 से बढ़कर 2024-25 में 300 हो गईं, जोकि 150 गुना अधिक है।

मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में 18,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 5.45 लाख करोड़ रुपये का हो गया, जोकि 28 गुना वृद्धि है।

मोबाइल फोन का निर्यात 2014-15 में 1,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 2 लाख करोड़ रुपये का हो गया, जोकि 127 गुना वृद्धि है।

मोबाइल फोन का आयात 2014-15 में कुल मांग के 75 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में मात्र 0.02 प्रतिशत रह गया, जोकि लगभग पूर्ण आत्मनिर्भरता की स्थिति को दर्शाता है।

 

दूरसंचार का उन्नत बुनियादी ढांचा

‘डिजिटल इंडिया’ का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई-स्पीड नेटवर्क से जोड़ने पर विशेष ध्यान देते हुए उन्नत ऑनलाइन बुनियादी ढांचे और बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के जरिए नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं प्रदान करना है। इन प्रयासों से देशभर में दूरसंचार और ब्रॉडबैंड की सुलभता  का उल्लेखनीय रूप से विस्तार हुआ है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

टेलीफोन कनेक्शन 93.3 करोड़ (2014) से बढ़कर 120 करोड़  से अधिक (2025) हो गए

टेली-घनत्व 75.23 प्रतिशत (2014) से बढ़कर 84.49 प्रतिशत (2024) हो गया

शहरी कनेक्शन 555 मिलियन से बढ़कर 661 मिलियन हो गए; ग्रामीण कनेक्शन 377 मिलियन से बढ़कर 527 मिलियन हो गए

मोबाइल ग्राहकों की संख्या 116 करोड़ (2025) तक पहुंच गई।

वायरलेस डेटा की लागत 308 रुपये प्रति जीबी (2014) से घटकर 9.34 रुपये प्रति जीबी  (2022) हो गई, जिससे डिजिटल सेवाएं अपेक्षाकृत और अधिक किफायती हो गईं।

इंटरनेट और डिजिटल कनेक्टिविटी

‘डिजिटल इंडिया’ के तहत किए जाने वाले प्रयासों का ध्यान हाई-स्पीड इंटरनेट की सुलभता, ब्रॉडबैंड के विस्तार और ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी पर केन्द्रित है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

इंटरनेट कनेक्शन 25.15 करोड़ (2014) से बढ़कर 96.96 करोड़ (2024) हो गए, जोकि 286 प्रतिशत की वृद्धि है।

ब्रॉडबैंड कनेक्शन मार्च 2024 में 6.1 करोड़ से बढ़कर अगस्त 2024 में 94.92 करोड़ हो गए, जोकि 1,452 प्रतिशत की वृद्धि है।

मई 2025 तक, देश के 6,44,131 गांवों में से (भारत के महापंजीयक के आंकड़ों के अनुसार), 6,29,027 गांव यानी 97.65 प्रतिशत गांव मोबाइल कनेक्टिविटी से जुड़े हैं और इनमें से 6,23,512 गांवों यानी 96.80 प्रतिशत गांवों में 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध  है।

अक्टूबर 2022 में 5जी के शुभारंभ के बाद से, 4.74 लाख 5जी टावर लगाए जा चुके हैं, जो 99.6 प्रतिशत जिलों को कवर करते हैं।

जून 2025 तक, भारतनेट परियोजना के तहत 2,14,325 ग्राम पंचायतों (जीपी) को सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है। अब तक, भारतनेट के तहत 13,01,193 फाइबर-टू-द-होम (एफटीटीएच) कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं, जिनमें ग्रामीण स्कूलों के कनेक्शन भी शामिल हैं।

पीएम-वाणी के तहत, 3,33,300 सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट (जून 2025) स्थापित किए गए हैं, जिससे किसानों सहित आम नागरिकों के लिए इंटरनेट की सुलभता में तेजी आई है।

 

 

यूपीआई: बेदाग और निर्बाध लेनदेन को बढ़ावा

पिछले एक दशक के दौरान, तकनीक ने भारत में भुगतान के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। इससे देश नकद और कार्ड-आधारित लेन-देन से हटकर डिजिटल-प्रथम अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। इस बदलाव के केन्द्र में यूपीआई है, जिसने ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में लाखों लोगों तथा छोटे व्यवसायों को तेज, सुरक्षित एवं कम लागत वाले भुगतान करने में समर्थ बनाया है। इससे वित्तीय समावेशन को अभूतपूर्व गति मिली है।

मुख्य बातें

आईएमएफ ने भारत को तेज भुगतान के मामले में दुनिया में अग्रणी बताया है।

जून 2025 में 18.39 बिलियन यूपीआई लेनदेन के जरिए 24.03 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ जोकि जून 2024 के 13.88 बिलियन लेनदेन से 32 प्रतिशत अधिक है।

यूपीआई 491 मिलियन व्यक्तियों, 65 मिलियन व्यापारियों को सेवाएं प्रदान करता है और 675 बैंकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ता है।

यूपीआई भारत के 85 प्रतिशत डिजिटल भुगतान और वैश्विक स्तर पर वास्तविक समय में होने वाले डिजिटल भुगतान के लगभग 50 प्रतिशत हिस्से को संचालित करता है।

वीजा के 639 मिलियन लेनदेन से आगे जाकर, यह रोजाना 640 मिलियन से अधिक लेनदेन को संभव बनाता है।

7 देशों में उपलब्ध: संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशसफ्रांस, इसे अपने यहां प्रवेश देने वाला पहला यूरोपीय देश है।

डिजिटल कॉमर्स

ओएनडीसी

वर्ष 2022 में शुरू किया गया, यह 7.64 लाख से अधिक विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं के साथ 616 से अधिक शहरों में संचालित होता है। ओएनडीसी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), कारीगरों और महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों सहित विभिन्न  विक्रेताओं को कई प्लेटफार्मों पर खरीदारों द्वारा खोजे जाने में सक्षम बनाता है, जिससे डिजिटल बाजार तक पहुंच का विस्तार होता है।


टीम योजना के तहत 50 प्रतिशत लाभार्थी महिला-नेतृत्व वाले उद्यम हैं, जो ई-कॉमर्स में समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देते हैं।

ई-सारस प्लेटफॉर्म ओएनडीसी पर 800 से अधिक स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प उत्पादों के साथ लाइव हुआ, जिससे सामाजिक क्षेत्र के विक्रेताओं को सहायता मिली है।

ओएनडीसी ने 5 भाषाओं (जिसे 22 भाषाओं तक विस्तारित किया जाएगा) में “सहायक” व्हाट्सएप बॉट का शुभारंभ किया और छोटे व्यवसायों को डिजिटल कॉमर्स में सफल होने में मदद करने हेतु बहुभाषी पुस्तिका (हैंडबुक) और प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है।

 

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस 

 

 जीईएम ने 5 लाख करोड़ रुपये के सकल व्यापारिक मूल्य का आंकड़ा पार कर लिया है, जोकि 1.6 लाख से अधिक सरकारी खरीदारों द्वारा डिजिटल खरीद को तेजी से अपनाए जाने को दर्शाता है।
 एमएसएमई, स्टार्टअप और महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों सहित 22 लाख से अधिक विक्रेता और सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं, जो डिजिटल बाजार तक पहुंच और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहे हैं।
 स्वायत्‍त पहल ने 29,000 स्टार्टअप और 1.8 लाख महिला-नेतृत्व वाले व्यवसायों को शामिल किया है, जिससे उद्यमिता और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है।

 

 

  ई-गवर्नेंस सेवाएं; जी2सी संपर्क में क्रांतिकारी बदलाव

पिछले 11 वर्षों के दौरान, भारत में ई-गवर्नेंस ने सेवाओं को अपेक्षाकृत अधिक सुलभ, पारदर्शी एवं कुशल बनाकर नागरिकों और सरकार के बीच संवाद के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए, इसने नागरिकों व अधिकारियों, दोनों को ही सशक्त बनाया है तथा देशभर में शासन को और भी आसान बनाया है।

 जुलाई 2025 तक कर्मयोगी भारत पर 1.26 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता, 3000 पाठ्यक्रम और 3.8 करोड़ से अधिक प्रमाणपत्र जारी हो चुके हैं। इस पहल का उद्देश्य कुशल एवं नागरिक-केन्द्रित शासन प्रदान करने हेतु अधिकारियों को सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान (एएसके) से लैस करके भविष्य की जरूरतों के अनुरूप सिविल सेवा को तैयार करना है।
 डिजिलॉकर का उद्देश्य नागरिकों के डिजिटल दस्तावेज वॉलेट में प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेजों को सुलभ कराकर नागरिकों का ‘डिजिटल सशक्तिकरण’ करना है। जुलाई 2025 तक इसके 56.2 करोड़ उपयोगकर्ता हैं।
 उमंग ऐप 23 भाषाओं में 2,300 सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें 8.71 करोड़ पंजीकरण और 626.24 करोड़ लेनदेन शामिल हैं। उमंग सभी भारतीय नागरिकों को केन्द्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक, अखिल भारतीय ई-गवर्नेंस सेवाओं को सुलभ कराने हेतु एक एकल मंच प्रदान करता है।

 

 

 डिजिटल कौशल का निर्माण

भारत का डिजिटल बदलाव मात्र पहुंच संभव करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह इससे भी कहीं आगे जाता है। यह बदलाव लोगों और संस्थाओं को प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने, समावेशी विकास को बढ़ावा देने, डिजिटल शासन को मजबूत करने तथा देशभर में नागरिकों को सक्षम बनाने पर केन्द्रित है।

 पीएमजीदिशा डिजिटल साक्षरता: 2.52 लाख ग्राम पंचायतों में 5.34 लाख कॉमन सर्विस सेंटरों के जरिए कार्यान्वित, इस कार्यक्रम ने 31 मार्च 2024 तक 7.35 करोड़ उम्मीदवारों का नामांकन, 6.39 करोड़ उम्मीदवारों को प्रशिक्षण और 4.77 करोड़ उम्मीदवारों को प्रमाणन प्रदान किया, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल साक्षरता पहलों में से एक बन गई।

 
 नाइलिट डीम्ड विश्वविद्यालय का विस्तार: जुलाई 2024 में, नाइलिट रोपड़ और 11 इकाइयों को एक डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में अधिसूचित किया गया, जिसका लक्ष्य पांच वर्षों में 37 लाख उम्मीदवारों को कौशल से लैस करना है।

 
 फ्यूचरस्किल्स प्राइम और सरकारी क्षमता निर्माण: 22 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया, 5.3 लाख उम्मीदवारों ने पाठ्यक्रम पूरे किए और 11,519 सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया, जिससे कौशल विकास और एक आत्मनिर्भर डिजिटल श्रमशक्ति को बढ़ावा मिला।

 

 भाषा से जुड़ी बाधाओं को तोड़ना

भाषिणी (भारत के लिए भाषा इंटरफेस) राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनएलटीएम) के तहत एक अग्रणी पहल है, जिसका उद्देश्य तकनीक के जरिए भारत की भाषाई विविधता को पाटना है।

 भाषिणी 35 से अधिक भारतीय भाषाओं, 1,600 से  अधिक एआई मॉडलों और 18 भाषा सेवाओं का समर्थन करता है
 आईआरसीटीसी,  एनपीसीआई  भुगतान और पुलिस हेल्पलाइन के साथ समन्वित
 8.5 लाख से अधिक ऐप डाउनलोड

 

 उन्नत तकनीकी क्षमताओं की मजबूती

 एक विश्वस्तरीय एआई इकोसिस्टम के निर्माण हेतु कुल 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट के साथ मार्च 2024 में इंडियाएआई मिशन की शुरुआत की गई

 
 स्टार्टअप और  शिक्षा उद्योग जगत के लिए मई 2025 तक 34,000 से अधिक जीपीयू प्रदान करने हेतु नेशनल एआई कंप्यूट कैपेसिटी

 
 वैश्विक स्थिति - भारत को एआई कौशल के मामले में शीर्ष देशों में स्थान दिया गया है और यह जीआईटीहब पर एआई परियोजनाओं में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।

 

 

संदर्भ

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पीके/केसी/आर

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