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Economy

कैश से डिजिटल तक: समावेशी पूंजी की ओर भारत की छलांग

Posted On: 15 AUG 2025 16:27 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 अगस्त, 2025 को स्वतंत्रता दिवस समारोह पर उद्धबोधन:

  • दुनिया को हमने दिखा दिया है, यूपीआई का हमारा अपना प्लेटफार्म आज दुनिया को अजूबा कर रहा है। हमारे में सामर्थ्य है रियल टाइम ट्रांजैक्शन में 50% अकेला भारत यूपीआई के माध्यम से कर रहा है
  • आज सरकार आपके दरवाजे पर आती है, सैचुरेशन की अप्रोच को लेकर के आती है, करोड़ों लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी काम हुआ है।
  • पिछले 11 साल में एंटरप्रेन्योरशिप उद्यमशीलता को बहुत बड़ी ताकत मिली। आज लाखों स्टार्टअप टीयर-2, टीयर-3 सिटी में देश की अर्थशक्ति को, देश के इनोवेशन को, ताकत दे रहे हैं।
  • उसी प्रकार से मुद्रा योजना से हमारे देश के करोड़ों नौजवान उसमें भी हमारी बेटियां करोड़ों-करोड़ों लोग मुद्रा से लोन लेकर के अपना खुद का कारोबार कर रहे हैं। खुद तो अपने पैरों पर खड़े हुए हैं, लेकिन औरों को भी पैरों पर खड़े रहने की ताकत देते हैं। ये भी एक प्रकार से हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने का अवसर दे रही है।
  • 10 वर्ष में 25 करोड़ से ज्यादा गरीब ग़रीबी को परास्त कर करके गरीबी से बाहर निकले है और एक नियो मिडिल क्लास तैयार हुआ है।
  • हम नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स लेकर के आ रहे हैं, ये दिवाली के अंदर आपके लिए तोहफा बन जाएंगे, सामान्य मानवीय की जरूरत के टैक्स भारी मात्रा में काम कर दिए जाएंगे, बहुत बड़ी सुविधा बढ़ेंगी।

 

 

परिचय

 

केवल एक दशक में, भारत ने अपने नागरिकों के धन के साथ संबंधों में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। अब वित्त तक पहुंच केवल विशेषाधिकार नहीं रह गई है। देश में वित्तीय समावेशन की पहलों के परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों की संकरी गलियों में भी आर्थिक सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। जन-धन योजना, यूपीआई और आधार-सक्षम भुगतान जैसी दूरदर्शी पहलों के जरिए, देश ने प्रत्येक नागरिक के लिए बचत, क्रेडिट और बीमा के दरवाजे खोलकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। वित्तीय समावेशन केवल बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करता है, बल्कि सभी को सशक्त और अवसर भी प्रदान करता है, और इसकी पुष्टि आरबीआई की ओर से जारी आंकड़ों से होती है।

 

वित्तीय समावेशन की ओर इशारा करते संकेतक

 

भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए वित्तीय समावेशन सूचकांक (एफआई-सूचकांक) जारी किया है, जो 67.0 है और 2021 से 24.3 प्रतिशत बढ़ा है।

 

संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की ओर से अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 एजेंडा के 17 लक्ष्यों में से 7 को प्राप्त करने के लिए वित्तीय समावेशन प्रमुख कारकों में से एक है।

विश्व बैंक की ओर से प्रकाशित ग्लोबल फिनडेक्स 2025 इस बात पर प्रकाश डालता है कि 2011 से भारत में खाता स्वामित्व 89 प्रतिशत तक पहुंच गया है और देश ने सक्रिय खातों वाले वयस्कों की हिस्सेदारी बढ़ाने में प्रगति की है।

 

परिवर्तन की दिशा में: वित्तीय समावेशन को सशक्त बनाने वाली प्रमुख पहल

 

भारत की वित्तीय समावेशन यात्रा नीतिगत नवाचार, डिजिटल क्रांति और सामुदायिक पहुंच के एक शक्तिशाली मिश्रण से प्रेरित है। शून्य-शेष खातों से लेकर घर-घर बैंकिंग तक, लक्षित पहल यह सुनिश्चित कर रही हैं कि प्रत्येक नागरिक को आवश्यक वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो।

 

प्रधानमंत्री जनधन योजना

 

लाभार्थी (14.08.2025 तक)

लाभार्थी खातों में शेष राशि

महिला लाभार्थी

56.04 करोड़

₹2.64 लाख करोड़

लगभग 55%

 

 

इस योजना के अंतर्गत नागरिकों को बुनियादी बचत और जमा खातों, रिमिटेंस, क्रेडिट, बीमा, पेंशन तक किफायती तरीके से पहुंच मिलती है।

 

पीएमजेडीवाई के अंतर्गत प्रदान किए जाने वाले लाभ हैं:

 

  • एक बुनियादी बचत बैंक खाता
  • न्यूनतम शेष राशि की कोई आवश्यकता नहीं,
  • रुपे डेबिट कार्ड
  • 1 लाख का दुर्घटना बीमा कवर
  • पात्र खाताधारकों को ₹10,000 की ओवरड्राफ्ट सुविधा

 

अब तक 56.04 करोड़ लाभार्थियों ने बैंकिंग सेवाएं पाई हैं, जिनमें से 55 प्रतिशत से अधिक खाते महिलाओं के हैं।

 

प्रत्यक्ष लाभ ट्रांसफर (डीबीटी) और जेएएम ट्रिनिटी

जेएएम (जन धन, आधार और मोबाइल) ट्रिनिटी भारत के परिवर्तित और सुविकसित डिजिटल परिदृश्य का प्रमुख प्रवर्तक है।

 

डीबीटी इस जेएएम नेटवर्क का उपयोग सरकारी लाभ, सब्सिडी और भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजने के लिए करता है।

 

  • जन धन खातों के माध्यम से धनराशि प्राप्त होती है।
  • आधार यह सुनिश्चित करता है कि सही व्यक्ति को धनराशि मिले।
  • मोबाइल सूचना देता है और धनराशि तक आसान पहुंच सुनिश्चित करता है।

 

14 अगस्त, 2025 तक 45.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे लाभार्थियों को हस्तांतरित की जा चुकी है।

 

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना

 

कुल नामांकन (16.04.2025 तक)

महिला लाभार्थी

ग्रामीण लाभार्थी

50.99 करोड़

46.72%

66.31%

 

  • विशेष रूप से गरीब और वंचित लोगों के लिए आकस्मिक मृत्यु और विकलांगता कवरेज प्रदान करता है, जिसका वार्षिक नवीनीकरण किया जाता है।
  • प्रीमियम का भुगतान ₹20/- वार्षिक है।
  • मृत्यु होने पर, नामांकित व्यक्ति को ₹2 लाख मिलते हैं।

 

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना

 

कुल नामांकन (16.04.2025 तक)

महिला लाभार्थी

ग्रामीण लाभार्थी

23.59 करोड़

45.06%

61.17%

 

  • किसी भी कारण से मृत्यु होने पर जीवन बीमा कवर प्रदान करता है।
  • गरीब और ग्रामीण आबादी सहित व्यापक आबादी के लिए किफायती बीमा।
  • प्रति ग्राहक ₹436/- वार्षिक प्रीमियम के साथ,
  • यह योजना ₹2 लाख का जीवन कवर प्रदान करती है।

 

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई)

 

आवंटित लोन ( 4 अगस्त, 2025 तक)

आवंटित राशि

53.85 करोड़

₹35.13 लाख करोड़

 

 

 

 

  • विनिर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्रों में लगे आय-उत्पादक लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को ₹20 लाख तक के लोन की सुविधा प्रदान करता है, जिसमें कृषि से संबंधित गतिविधियों जैसे मुर्गीपालन, डेयरी, मधुमक्खी पालन आदि शामिल हैं।
  • इसे "अनफंडेड को फंडिंग" के लिए समर्पित योजना के रूप में बताया गया है।

 

अटल पेंशन योजना

 

ग्राहक (अप्रैल, 2025 तक)

कुल कोष

महिला लाभार्थी

7.65 करोड़

₹45,974.67 करोड़

लगभग 48%

 

  • 60 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके लोगों को मासिक पेंशन प्रदान की जाती है।
  • असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए।
  • ग्राहकों की ओर से किए गए अंशदान के आधार पर न्यूनतम पेंशन ₹1,000/- या 2,000/- या 3,000/- या 4,000/- या 5,000/- प्रति माह की गारंटीकृत है।

 

स्टैंड अप इंडिया योजना

 

कुल स्वीकृत खाते (31.03.2025 तक)

कुल स्वीकृत राशि

महिला लाभार्थी (स्वीकृत राशि)

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति लाभार्थी (स्वीकृत राशि)

273,607

₹62,410.04 करोड़

76.44%

23.56%

 

 

  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देना
  • उन्हें विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबंधित गतिविधियों में ग्रीनफील्ड एंटरप्राइज शुरू करने में मदद करना

 

यूपीआई (एकीकृत भुगतान प्रणाली)

यूपीआई ने कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन में एकीकृत करके देश के पेमेंट इकोसिस्टम में क्रांति ला दी है।

 

यह प्रणाली निर्बाध धन प्रेषण, व्यापारी भुगतान और पीयर-टू-पीयर लेन-देन को योग्य बनाती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को निर्धारित भुगतान अनुरोधों के माध्यम से लचीलापन मिलता है।

 

यह 684 बैंकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ता है, जिससे लोग बिना इस चिंता के आसानी से भुगतान कर सकते हैं कि वे किस बैंक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

 

11 अगस्त, 2025 तक, यूपीआई लेन-देन वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 114% के सीएजीआर के साथ 18,587 करोड़ हो गए हैं। इसी अवधि के दौरान, लेन-देन का मूल्य 1.10 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

 

जुलाई 2025 में, यूपीआई ने एक और उपलब्धि हासिल की, जिसमें पहली बार एक ही महीने में 1,946.79 करोड़ से अधिक लेन-देन दर्ज किए गए।

 

वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान

जुलाई-सितंबर 2025 तक ग्राम पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में वित्तीय समावेशन योजनाओं के पूर्णीकरण के लिए 3 महीने का अभियान

 

इस अभियान में बकाया बचत खातों का पुनः केवाईसी, नए बैंक खाते खोलना और विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत नामांकन शामिल हैं।

 

जुलाई 2025 में 99,753 शिविर आयोजित किए गए, जहाँ प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के अंतर्गत लगभग 6.65 लाख खाते खोले गए और 10 लाख से अधिक केवाईसी का पुनर्सत्यापन किया गया।

 

छोटी एसआईपी

छोटी टिकट वाली व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) सेबी की एक पहल है जिसमें ₹250 से एसआईपी शुरू किया जा सकता है।

 

यह पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों के लिए वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहन देती है।

 

इस पहल का उद्देश्य म्यूचुअल फंड निवेश को और अधिक सुलभ बनाना और व्यक्तियों को न्यूनतम वित्तीय प्रतिबद्धता के साथ अपनी निवेश यात्रा शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

 

निष्कर्ष

 

भारत की वित्तीय समावेशन यात्रा केवल संख्याओं से कहीं आगे की है। यह लोगों को अपने भविष्य को आकार देने के लिए साधन प्राप्त करने के बारे में है। प्रत्यक्ष हस्तांतरण से लेकर कम लागत वाले निवेश तक, हर कदम बैंकिंग, क्रेडिट और बचत को प्रत्येक नागरिक के करीब ला रहा है। ये बदलाव लाखों लोगों को अपने वित्त पर नियंत्रण रखने और एक सुरक्षित कल बनाने में मदद कर रहे हैं।

 

संदर्भ:

पीआईबी बैकग्राउंडर

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154980&ModuleId=3

 

विश्व बैंक

https://www.worldbank.org/en/publication/globalfindex

 

पीएमजेडीवाई

https://www.pmjdy.gov.in/

 

प्रत्यक्ष लाभ ट्रांसफर

https://dbtbharat.gov.in/

 

एनपीसीआई

https://www.npci.org.in/what-we-do/upi/product-statistics

 

वित्त मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2155050

 

सेबी

https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jan-2025/consultation-paper-on-promoting-financial-inclusion-through-sachetisation-of-investment-in-mutual-fund-schemes_91106.html

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