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Farmer's Welfare

कृषि क्षेत्र में जीएसटी बदलाव किसान-अनुकूल, ग्रामीण कल्याण व स्थिरता की दिशा में उठाए गए कदम

Posted On: 08 SEP 2025 15:37 PM

परिचय

 

कृषि क्षेत्र में जीएसटी में किए गए बदलाव, किसानों के कल्याण और ग्रामीण विकास की दिशा में सरकार की प्रतिवद्धता को दर्शाते हैं। इन सुधारों से किसानों की लागत में कटौती होगी और सहकारी समितियों तथा किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को भी लाभ मिलेगा। इससे सस्ते उर्वरक और कृषि उपकरण उत्पादकता बढ़ेगी। कोल्ड स्टोरेज और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उठाए गए कदमों से बर्बादी पर रोक लगेगी और साथ ही किसानों को बेहतर रिटर्न मिलेगा। इससे डेयरी, शहद और अन्य संबद्ध गतिविधियां भी अधिक लाभदायक हो जाएंगी। ये कदम आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप भारतीय कृषि को मजबूत और अधिक आत्मनिर्भर बनाएंगे।

 

सरकार का जोर उन उद्योगों की मदद करने पर रहा है जो कृषि से संबंधित हैं, कृषि आधारित हैं, आम आदमी को प्रभावित करते हैं और श्रम-केंद्रित हैं ऐसा क्यों? क्योंकि आम आदमी पर कराधान के कारण माल की ऊंची लागत का बोझ नहीं पड़ना चाहिए। - वित्तीय विश्लेषक और अर्थशास्त्री राजीव साहू

कृषि यंत्रीकरण

ट्रैक्टरों (<1800 सीसी) पर जीएसटी घटकर 5 प्रतिशत हो जाएगा

    • कम जीएसटी, ट्रैक्टरों की खरीद मूल्य को नीचे लाएगा जिससे वे उन छोटे और मध्यम किसानों के लिए अधिक किफायती हो जाएंगे जो भारत में अधिकांश ट्रैक्टर खरीदार हैं।
    • कम कीमतें कृषि में मशीनीकरण को प्रोत्साहित करेंगी जिससे किसानों को समय बचाने में मदद मिलेगी, शारीरिक श्रम लागत कम होगी और फसल उत्पादकता में सुधार होगा।
    • सस्ते ट्रैक्टरों के साथ, सीमांत किसान भी सहकारी समितियों और एफपीओ में स्वामित्व या साझा उपयोग के माध्यम से आधुनिक मशीनरी का उपयोग कर सकेंगे।
    • ट्रैक्टर से जुड़ा सामान (18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत): ट्रैक्टर टायर और ट्यूब, ट्रैक्टरों के लिए हाइड्रोलिक पंप और कई अन्य सामान भी सस्ते हो जाएंगे।
    • इन कटौतियों से आधुनिक कृषि उपकरणों की लागत कम हो जाएगी जिससे छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशीनीकरण सस्ता हो जाएगा।
    • ट्रैक्टर फाइनेंस और उपकरण लीजिंग/रेंटल मॉडल की मांग पैदा करेगा जिससे ग्रामीण एनबीएफसी और सहकारी समितियों को लाभ होगा।


"भारत मूल रूप से उपभोग संचालित देश है और अभी भी 60 प्रतिशत लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। इसलिए, इस जीएसटी में अच्छी खबरें हैं - ट्रैक्टर, ट्रैक्टर टायर, उर्वरक, सभी दरों को नीचे लाया गया है। - अर्थशास्त्री प्रबीर कुमार सरकार

 

स्प्रिंकलर, ड्रिप सिंचाई, हार्वेस्टिंग मशीनरी

    • 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत: फिक्स्ड स्पीड डीजल इंजन जो 15एचपी से अधिक हो, कटाई या थ्रेशिंग मशीनरी, कंपोस्टिंग मशीन आदि।
    • इन कटौतियों से आमतौर पर छोटे और सीमांत किसानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कृषि उपकरणों की लागत कम हो जाएगी जिससे वे अधिक किफायती हो जाएंगे।
    • स्थायी कृषि को बल देते हुए पानी की बचत करने वाली सिंचाई प्रणाली (ड्रिप, स्प्रिंकलर) को अपनाने को प्रोत्साहित करता है।
    • बुवाई, सिंचाई और कटाई में उत्पादकता और दक्षता को बढ़ाता है।
    • कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा

उर्वरक इनपुट

अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड (18 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत जीएसटी)

    • उर्वरक उत्पादन के लिए प्रमुख कच्चा माल; दर में कटौती से उल्टे शुल्क ढांचे (आईडीएस) में सुधार होगा।
    • किफायती उर्वरकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करना, बुवाई के मौसम के दौरान किसानों को सीधे सहायता करना।
    • उत्पादन लागत में कमी से कंपनियां किसानों पर कीमतों का बोझ डाले बिना उर्वरकों की कीमतें स्थिर रख सकती हैं जिससे किसानों के लिए उनकी मांग बनी रहती है।

जैव-कीटनाशक और सूक्ष्म पोषक तत्व

12 जैव-कीटनाशक और कई सूक्ष्म पोषक तत्व (12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत)

    • जैव-आधारित आदानों को अधिक किफायती बनाकर, यह पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ कृषि नियमों को बढ़ावा देगा
    • किसानों को रासायनिक कीटनाशकों से जैव-कीटनाशकों में बदलाव के लिए प्रोत्साहित करेगा, मृदा स्वास्थ्य और फसल की गुणवत्ता में सुधार लाएगा।
    • सरकार के प्राकृतिक खेती मिशन के अनुरूप छोटे जैविक किसानों और एफपीओ को प्रत्यक्ष लाभ
    • उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 के क्रम 1 (जी), अनुसूची 1, भाग () के तहत सूक्ष्म पोषक तत्वों को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत जीएसटी में लाया जाएगा।

"जैव-कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों पर जीएसटी कम कर दिया गया है, जिससे किसानों को फायदा होगा। साथ ही, रासायनिक उर्वरकों से जैव-उर्वरकों के प्रति किसानों का झुकाव निश्चित रूप से बढ़ेगा। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान

फल, सब्जियां और खाद्य प्रसंस्करण

तैयार/संरक्षित सब्जियां, फल, मेवे (12 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत जीएसटी)

    • कोल्ड स्टोरेज, खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन में निवेश को प्रोत्साहित करेगा।
    • जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की बर्बादी पर रोक लगेगी जिससे किसानों को उपज के बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
    • प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना, कृषि-निर्यात केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करना।
    • कर के बोझ को कम करके किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और छोटे प्रोसेसर को मजबूत करता है।

डेयरी क्षेत्र

दूध और पनीर पर कोई जीएसटी नहीं

    • मक्खन, घी आदि (12 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत जीएसटी)
    • डेयरी किसानों को उनके उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाकर प्रत्यक्ष बढ़ावा देना।
    • कई किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए मवेशी रखते हैं, इसलिए, जीएसटी में कमी से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
    • महिलाओं के नेतृत्व वाले ग्रामीण उद्यमों को मदद मिलेगी क्योंकि डेयरी और डेयरी प्रसंस्करण स्वयं-सहायता समूहों में महिलाओं के लिए आय के प्रमुख स्रोत हैं।
    • आवश्यक प्रोटीन और वसा स्रोतों को अधिक किफायती बनाकर पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देगा।
    • दूध के डिब्बे (लोहा, स्टील या एल्यूमीनियम से बने डिब्बे) पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।

"यह उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए समान रूप से अच्छी खबर है, क्योंकि कम करों से खपत को बढ़ावा मिलेगा और हमारे उत्पादकों को एक बड़े, निरंतर बाजार तक पहुंच प्रदान की जाएगी... जयन मेहता, गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन

एक्वाकल्चर

'तैयार या संरक्षित मछली' (12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत) पर कर की दर में कमी से देश भर में जलीय कृषि और विशेष रूप से मछली पालन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

शहद पर जीएसटी

  • प्राकृतिक शहद पर जीएसटी कम होगा। यह प्राकृतिक शहद के प्रमुख उत्पादक यानी मधुमक्खी पालकों, आदिवासी समुदायों और ग्रामीण एसएचजी को लाभान्वित करेगा।
  • कृत्रिम शहद पर जीएसटी, चाहे प्राकृतिक शहद के साथ मिलाया गया हो या नहीं, 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया।

सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत हो जाएगा

सस्ते सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों से सिंचाई लागत कम होगी जिससे किसानों को मदद मिलेगी।

केंदू के पत्ते (18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत)

  • केंदू के पत्ते लघु वनोत्पाद हैं जो ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसानों और आदिवासियों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत हैं। इन राज्यों की आजीविका आंशिक रूप से इन पत्तियों की कीमतों पर निर्भर करती है। जीएसटी की दर में कमी से इन क्षेत्रों के आदिवासियों और किसानों को मदद मिलेगी।

केंदू पत्ते पर कर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से आदिवासी समुदायों को लाभ होगा। इससे सरकारी खरीद एजेंसियों के माध्यम से केंदु पत्तों की बिक्री बढ़ेगी और पत्ती संग्रह करने वाले श्रमिकों को नियंत्रणमुक्त क्षेत्रों में विक्रेताओं से अधिक कीमत प्राप्त करने में मदद मिलेगी- ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी

वाणिज्यिक माल वाहन

  • ट्रक, डिलीवरी-वैन आदि पर से जीएसटी 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो गया
  • ट्रक भारत की आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ हैं (ये माल यातायात का 65 प्रतिशत-70 प्रतिशत ढोते हैं)
  • जीएसटी कम करने से ट्रकों की अग्रिम पूंजी लागत कम हो जाएगी जिससे प्रति टन-किलोमीटर माल ढुलाई दरें कम हो जाएगी।
  • इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इससे कृषि वस्तुओं की ढुलाई सस्ती होगी।
  • सस्ते ट्रकों से लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी और निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।
  • माल परिवहन के थर्ड-पार्टी बीमा पर आईटीसी के साथ जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करना भी इन प्रयासों का पूरक है।


"हमारे प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को जो वादा किया था, उसे मोदी सरकार ने पूरा किया है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जैसा कि आपने उल्लेख किया, मेरे विचार से यह आम आदमी और हमारे किसानों के लिए भी बड़ी राहत की बात है। इन सबसे ऊपर, यह वास्तव में आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण राहत लाता है। - मनीष सिंघल, एसोचैम महासचिव

निष्कर्ष

कृषि क्षेत्र में जीएसटी को तर्कसंगत बनाना एक परिवर्तनकारी व किसान-केंद्रित बदलाव है। उर्वरकों, मशीनरी, डेयरी, जलीय कृषि और लॉजिस्टिक में लागत कम करके, यह कदम न केवल कृषि आय को बढ़ाएगा, बल्कि इससे सहकारी समितियों को भी मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही इन उपायों से ग्रामीण उद्यमों और नियमों को भी बढ़ावा मिलेगा।   यह समग्र बदलाव, उत्पादकता बढ़ाएगा, बर्बादी को कम करेगा, आयात के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में सुधार लाएगा और खाद्य सुरक्षा के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।  

संदर्भ

वित्त मंत्रालय

विशेषज्ञ उद्धरण

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