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Farmer's Welfare

स्टार्टअप्स की कहानियाँ, विस्तार की ताकत

वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की भूमिका को कर रहा है नए सिरे से परिभाषित

Posted On: 03 OCT 2025 9:59AM

A person holding two jars of foodAI-generated content may be incorrect.देविंदर सिंह ने 2024 में दिल्ली के विकासपुरी के एक छोटे से कोने में जब दिल्ली क्रीमरी की शुरुआत की थी, तो उनका मकसद सरल लेकिन बहुत हद तक निजी था। उनका मकसद था,  पनीर और डेयरी मिठाइयों की उसी पंजाबी महक और लजीज़ स्वाद को लोगों की ज़ुबान पर वापस लाना, जिसके अहसास के साथ उनका बचपन बीता था। रोज़ाना केवल 20 लीटर दूध और हाथ से बने पनीर के साथ, सिंह ने शुद्धता और परंपरा पर फोकस करके अपना काम स्थापित किया। एफएसएसएआई के साथ पंजीकरण और छोटे खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए बनी योजनाओं की मदद से उन्होंने धीरे-धीरे अपने उत्पादन का विस्तार किया। दिल्ली क्रीमरी अब हर दिन 300-350 लीटर दूध, 20-25 किलोग्राम पनीर और 40-50 किलोग्राम मिठाइयाँ और डेयरी उत्पाद बनाती है। उनके लिए, वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 सिर्फ एक प्रदर्शनी से कहीं अधिक मायने रखता है। यह वह मंच हैं, जहां उनका घरेलू ब्रांड वैश्विक नामों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है और अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए दुनिया भर के खरीदारों को आकर्षित कर रहा है। पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मंडप में स्थित, ताजे दूध की खुशबू से सजे उनके स्टॉल ने उत्सुक अंतर्राष्ट्रीय खुदरा विक्रेताओं को आकर्षित किया, जिन्होंने दिल्ली क्रीमरी में परंपरा और अवसरों के तालमेल की कहानी देखी।

25 से 28 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड फ़ूड इंडिया के इस वर्ष के संस्करण में स्टार्टअप्स और छोटे खाद्य उद्यमों को वैश्विक स्तर पर विस्तार देने के लिए सशक्त बनाने पर ज़ोर दिया गया। वर्ल्ड फ़ूड इंडिया ने न केवल दूध, प्याज और दालों के दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में, बल्कि 2024-25 में 49.4 अरब डॉलर मूल्य के प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात में एक उभरते हुए देश के रूप में भारत की ताकत का प्रदर्शन करके, छोटे उद्यमों के लिए अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने के अवसर पैदा किए। न्यूज़ीलैंड, सऊदी अरब, जर्मनी, जापान और रूस सहित पार्टनर और फ़ोकस कंट्री पैवेलियन ने स्टार्टअप्स को लक्षित बी2बी चर्चा के अवसर प्रदान किए।

Two men standing next to a counterAI-generated content may be incorrect.दरभंगा-मिथिला क्षेत्र के खेतों से, जहां मखाना पीढ़ियों से लोकप्रिय और प्रसिद्ध रहा है, एक और यादगार सफर शुरू हुआ। दिसंबर 2019 में, इंजीनियर से उद्यमी बने श्रवण के रॉय ने अपने दृढ़ संकल्प और भरोसे के साथ दरभंगा में एक छोटी प्रसंस्करण और पैकेजिंग इकाई स्थापित की। उस वक्त, वे प्रति माह केवल 100-150 किलोग्राम मखाना का व्यापार कर सकते थे, जिसे वे ज्यादातर स्थानीय बाजारों में बेचते थे। संसाधन कम थे, जागरूकता कम थी, और हर कदम संघर्ष जैसा लगता था, लेकिन रॉय का मानना ​​​​था कि उनकी मातृभूमि की पहचान मखाना को वैश्विक सुपरफूड के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए। स्टार्टअप इंडिया, स्टार्टअप बिहार और बी-हब इनक्यूबेशन से मिले समर्थन ने उन्हें मार्गदर्शन दिया, और उसके साथ एमएसएमई सब्सिडी ने मशीनरी की लागत कम की और एपीडा की निर्यात योजनाओं ने विदेशों में दरवाजे खोल दिए। जीएसटी सुधारों ने उनके ब्रांड को बिहार के बाहर दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे महानगरों में फैलाने में मदद की। हर योजना ने उनके ख्वाब को राष्ट्रीय स्तर पर हकीकत में तब्दील करने में योगदान दिया। आज उनका उद्यम, एफटी-एमबीए मखाना वाला, हर महीने 4-6 टन मखाना प्रोसेस करता है और भुने हुए, सुगंधित और उच्च-गुणवत्ता वाले मखाना का निर्यात प्रदान करता है। एक जी.आई. (भौगोलिक संकेतक) अधिकृत उपयोगकर्ता के रूप में, यह ब्रांड गर्व से मिथिला की विरासत को दुनिया तक पहुँचाता है। वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में, रॉय न केवल एक उद्यमी के रूप में, बल्कि अपने क्षेत्र के हज़ारों किसानों के प्रतिनिधि के रूप में, वैश्विक खरीदारों के सामने मौजूद थे, जहां उनका ब्रांड इस क्षेत्र की विरासत, स्वास्थ्य और उम्मीदों के प्रतीक के रुप में लोगों के समक्ष पेश किया गया।

डब्ल्यूएफआई में एक जर्मन प्रदर्शक, नाडी फूड, ने इस आयोजन में अपने बेहद सकारात्मक अनुभव साझा किए। उनके विक्रेता के अनुसार, कंपनी डब्ल्यूएफआई के उद्घाटन सत्र से ही इसमें आगंतुक के रूप में शामिल होती रही है, और इस वर्ष कंपनी के मालिक ने एक प्रदर्शक के रूप में शामिल होने का फैसला लिया। उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर इस आयोजन के कुशल आयोजन और बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करने के लिए भारत सरकार की तारीफ की। प्रतिनिधि ने बताया कि भारतीय व्यवसायों की गहरी रुचि ने उन्हें देश में अवसरों की तलाश करने और परिचालन शुरू करने की योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

28 सितंबर को समापन के साथ ही, वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2025 ने साफ तौर पर अपना मकसद पूरा कर दिखाया। यह महज़ एक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि एक ऐसा मंच था, जिसने स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा दिया, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नेटवर्क को मजबूत किया और भारतीय खाद्य उद्यमों को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के अवसर प्रदान किए। 4 दिनों के दौरान, 26 प्रमुख घरेलू और वैश्विक कंपनियों ने 1,02,046.89 करोड़ रुपए मूल्य के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए, जो भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सबसे बड़ी निवेश घोषणाओं में से एक है, जिससे 64,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने और 10 लाख से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होने की उम्मीद है। रिलायंस, कोका-कोला, अमूल, नेस्ले और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स जैसे प्रमुख नामों से जुड़े ये समझौते, डेयरी, पेय पदार्थ, पैकेज्ड खाद्य पदार्थ और रेडी-टू-ईट उत्पादों सहित विविध क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिनका निवेश 18 राज्यों में फैला हुआ है। इन्वेस्ट इंडिया ने भारत को खाद्य प्रसंस्करण के लिए वैश्विक हब बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर की सुविधा प्रदान की।

10,500 से ज़्यादा बी2बी बैठकें, 261 सरकार-से-सरकार सत्र और 18,000 रिवर्स क्रेता-विक्रेता बैठकों ने युवा और उभरते व्यवसायों को साझेदारी, निर्यात के अवसर और संयुक्त उद्यमों की तलाश के लिए एक बेहतर माहौल दिया। इस आयोजन के चुनिंदा क्षेत्रों, जैसे ग्रेट इंडियन फ़ूड स्ट्रीट और इनोवेशन कॉर्नर, ने स्टार्टअप्स को क्षेत्रीय उत्पादों, नए स्वादों और पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज और खाद्य संरक्षण के लिए तकनीक-संचालित समाधानों का प्रदर्शन करने में सक्षम बनाया, जिससे उन्हें निवेशकों और वैश्विक सहयोगियों को आकर्षित करने में मदद मिली।

 

संदर्भ

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=155267&ModuleId=3

https://www.pib.gov.in/FeaturesDeatils.aspx?NoteId=155319&ModuleId=2

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2172417

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