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Social Welfare

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025

स्‍वस्‍थ भविष्य के लिए भारतीय स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाना

Posted On: 06 APR 2025 6:43PM

विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर, हम उन सभी का आभार व्यक्त करते हैं, जो हमारे ग्रह को स्वस्थ बनाने के कार्य में संलग्‍न हैं। हमारी सरकार स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचे को संवर्धित करने और लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करना जारी रखेगी।

श्री नरेन्‍द्र मोदी, प्रधानमंत्री

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  • प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व स्वास्थ्य दिवस, वैश्विक स्वास्थ्य से संबंधित आवश्‍यक समस्‍याओं को रेखांकित करता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए संगठित कार्रवाई करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 1950 में शुरू किया गया यह दिवस प्रत्येक वर्ष महत्वपूर्ण स्वास्थ्य प्राथमिकताओं पर गौर करने के लिए सरकारों, संस्थानों और समुदायों को एकजुट करता है।
  • 2025 में, स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य थीम के तहत मातृ और नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर केंद्रित साल भर चलने वाले अभियान का सूत्रपात हो रहा है जिसमें देशों से रोकथाम योग्‍य मौतों को रोकने और महिलाओं के दीर्घकालिक कल्याण को प्राथमिकता देने का आग्रह किया जाएगा।
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार इस दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाते हुए न्यायसंगत, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करना जारी रखे हुए है। पिछले एक दशक में, आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी पहलों के माध्यम से भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र ने उल्लेखनीय प्रगति की है, जिनकी बदौलत मातृ और बाल स्वास्थ्य में सुधार आया है, डिजिटल स्वास्थ्य पहुँच का विस्तार हुआ है और बुनियादी ढाँचा और सेवाएं संवर्धित हुई हैं।
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने विभिन्न प्रमुख पहलों और कार्यक्रमों के माध्यम से भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस प्रगति में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने केंद्रीय भूमिका निभाई है। इन प्रयासों और उनके प्रभाव को रेखांकित करने के लिए, निम्नलिखित खंड उन प्रमुख राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहलों को प्रदर्शित करते हैं, जो भारत को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और सभी के लिए स्वास्थ्य समानता की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं।

 

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में भारत की प्रगति

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मातृ मृत्यु दर

  • भारत में एमएमआर (मातृ मृत्यु अनुपात) प्रति 1,00,000 जीवित बच्‍चों के जन्म पर 130 (2014-16) से घटकर 97 (2018-20) हो गया - 33 अंकों की गिरावट
  • पिछले 30 वर्षों (1990-2020) में, भारत में एमएमआर में 83 प्रतिशत की गिरावट आई है।

o वैश्विक तुलना: इसी अवधि में वैश्विक एमएमआर में 42 प्रतिशत की कमी आई।

शिशु एवं बाल मृत्यु दर

  • आईएमआर (शिशु मृत्यु दर) प्रति 1,000 जीवित बच्‍चों के जन्म पर 39 (2014) से घटकर 28 (2020) हो गई।

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  • एनएमआर (नवजात शिशु मृत्यु दर) प्रति 1,000 जीवित बच्‍चों के जन्म पर 26 (2014) से घटकर 20 (2020) हो गई।

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  • यू5एमआर (5 वर्ष से छोटी आयु के बच्चों की मृत्यु दर) प्रति 1,000 जीवित बच्‍चों के जन्म पर 45 (2014) से घटकर 32 (2020) हो गई।

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भारत बनाम वैश्विक प्रगति (1990-2020)

संकेतक

भारत में कमी (प्रतिशत में)

वैश्विक स्‍तर पर कमी (प्रतिशत में)

मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर)

83 प्रतिशत

42 प्रतिशत

नवजात शिशु मृत्यु दर (एनएमआर)

65 प्रतिशत

51 प्रतिशत

शिशु मृत्यु दर (आईएमआर)

69 प्रतिशत

55 प्रतिशत

5 वर्ष से छोटी आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर)

75 प्रतिशत

58 प्रतिशत

 

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मातृ स्वास्थ्य और गर्भवती महिलाओं के लिए अन्य हस्तक्षेप

  • मातृ मृत्यु निगरानी और प्रतिक्रिया (एमडीएसआर): मातृ मृत्यु के कारणों की पहचान करने और प्रसूति देखभाल में सुधार के लिए सुधारात्मक कदमों को लागू करने के लिए इसे सुविधा और सामुदायिक स्तर पर संचालित किया जाता है।
  • मातृ एवं शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड और सुरक्षित मातृत्व पुस्तिका: गर्भवती महिलाओं को पोषण, आराम, गर्भावस्था से संबंधित खतरे के संकेतों, सरकारी योजनाओं और संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में शिक्षित करने के लिए वितरित की जाती है।
  • प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल: गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को ट्रैक करने के लिए एक नाम-आधारित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, समय पर प्रसवपूर्व, प्रसव और प्रसवोत्तर देखभाल सुनिश्चित करता है।
  • एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी): पोषण अभियान के अंतर्गत; पोषण, जागरूकता और गैर-पोषण संबंधी कारणों पर गौर करके किशोरों और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के परीक्षण, उपचार और रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • जन्म प्रतीक्षा गृह (बीडब्ल्यूएच): संस्थागत प्रसव तक पहुँच में सुधार और उसे बढ़ावा देने के लिए दूरदराज और जनजातीय क्षेत्रों में स्थापित किए गए।
  • ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी): महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से मातृ एवं शिशु देखभाल सेवाओं के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों पर मासिक आउटरीच।
  • आउटरीच शिविर: मातृ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने, जागरूकता बढ़ाने, समुदायों को संगठित करने और अधिक जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की निगरानी करने के लिए जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में लगाए जाते हैं।

 

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक व्यापक पहुंच

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  • 5 अप्रैल 2025 तक, भारत में 1.76 लाख से अधिक सक्रिय आयुष्मान आरोग्य मंदिर (स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र) हैं, जो समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करते हैं।
  • पोर्टल के अनुसार, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एएएम) में उच्च रक्तचाप के लिए 107.10 करोड़ जाँच और मधुमेह के लिए 94.56 करोड़ जाँच की गई।
  • एएएम में योग, साइकिल चलाना और ध्यान जैसी कल्याण से संबंधित गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। 28 फरवरी 2025 तक, एएएम में योग सहित कुल 5.06 करोड़ कल्याण सत्र आयोजित किए गए।
  • 30 नवंबर 2024 तक, 17,000 से अधिक सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के तहत प्रमाणित हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में निरंतर सुधार और रोगी-केंद्रित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय का एक ढांचा है।

डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेप

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  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) अंतर-परिचालन योग्य डिजिटल बुनियादी ढांचे के माध्यम से रोगियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और प्रणालियों को सुरक्षित रूप से जोड़ने वाला एक एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्‍टम है। 5 अप्रैल, 2025 तक, एबीडीएम के तहत 76 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) बनाए गए हैं।
  • एबीडीएम योजना के तहत 3.86 लाख से अधिक सत्यापित स्वास्थ्य सुविधाओं सहित 5.95 लाख से अधिक सत्यापित स्वास्थ्य पेशेवर पंजीकृत हैं। एबीडीएम के तहत, 52 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड जुड़े हुए हैं।
  • यू-विन एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो गर्भवती महिलाओं और बच्चों (0-16 वर्ष) के लिए टीकाकरण को सुव्यवस्थित बनाता और ट्रैक करता है, जिससे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत लचीले, कभी भी-कहीं भी वैक्सीन की पहुँच संभव हो पाती है।
  • यू-विन पर 15 दिसंबर 2024 तक, 7.90 करोड़ लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया, 1.32 करोड़ टीकाकरण सत्र आयोजित किए गए, और वैक्सीन की 29.22 करोड़ खुराक दर्ज की गई।
  • भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी, निशुल्‍क, न्यायसंगत और दूरस्थ चिकित्सा परामर्श प्रदान करते हुए स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में अंतर को पाटती है। यह प्राथमिक देखभाल के लिए दुनिया के सबसे बड़े टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म के रूप में उभर रही है।
  • ई-संजीवनी ने 2020 में अपनी शुरुआत के बाद से 6 अप्रैल, 2025 तक, टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से 36 करोड़ से अधिक रोगियों की सेवा की है, अब तक 232,291 प्रदाताओं के साथ स्वास्थ्य सेवा को दूरस्थ रूप से सुलभ बनाया गया है। ई-संजीवनी के तहत 130 स्पेशल्टीज़ के साथ 131,793 स्पोक्स चालू हैं और 17,051 हब स्थापित किए गए हैं।

रोग उन्मूलन और नियंत्रण

  • डब्ल्यूएचओ वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट, 2024 में मलेरिया उन्मूलन में भारत द्वारा हासिल महत्‍वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला गया है, जहाँ 2017 और 2023 के बीच मामलों में 69 प्रतिशत गिरावट और मौतों में 68 प्रतिशत कमी आई है। 2023 में वैश्विक मामलों में केवल 0.8 प्रतिशत का योगदान करते हुए, भारत का 2024 में डब्ल्यूएचओ के उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (एचबीएचआई) समूह से बाहर निकलना सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
  • भारत सरकार ने 2024 में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रैकोमा को समाप्त कर दिया है, जिसे डब्ल्यूएचओ ने मान्यता दी है।
  • भारत सरकार के अग्रसक्रिय खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान, मजबूत निगरानी और जन जागरूकता संबंधी प्रयासों से सार्वजनिक स्वास्थ्य में काफी सुधार आया है। 6 मार्च, 2024 तक, 50 जिलों में खसरे का कोई मामला नहीं आया और 226 जिलों में पिछले वर्ष रूबेला का कोई मामला नहीं पाया गया।
  • डब्ल्यूएचओ की वैश्विक टीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने तपेदिक की रोकथाम में महत्‍वपूर्ण प्रगति की है। राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत, 2015 और 2023 के बीच टीबी के मामलों में 17.7प्रतिशत की गिरावट देखी गई और इनकी संख्‍या प्रति लाख जनसंख्या पर 237 से घटकर 195 रह गई । टीबी से संबंधित मौतें भी प्रति लाख में 28 से घटकर 22 रह गई हैं। उल्लेखनीय रूप से, टीबी के मिसिंग या पता न लग पाने वाले मामलों में 83प्रतिशत की गिरावट आई है, जो 2015 में 15 लाख से घटकर 2023 में 2.5 लाख हो गई है।
  • सितंबर 2022 में शुरू किए गए प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में 6 अप्रैल, 2025 तक 2.5 लाख से अधिक निक्षय मित्र स्वयंसेवक पंजीकृत हो चुके हैं, जो 15 लाख से अधिक टीबी रोगियों की सहायता कर रहे हैं। टीबी रोगियों के परिवार के सदस्यों को शामिल करने के लिए इस पहल का विस्तार किया गया है।
  • कालाजार उन्मूलन: 2023 के अंत तक 100प्रतिशत स्थानिक ब्लॉकों के प्रति 10,000 की आबादी पर एक से भी कम मामले के लक्ष्य तक पहुंचने के सा‍थ ही भारत ने अक्टूबर 2024 तक कालाजार उन्मूलन का लक्ष्‍य सफलतापूर्वक हासिल कर लिया।

सभी के लिए किफायती स्वास्थ्य कवरेज

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  • आयुष्मान भारत - पीएम जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के तहत:
  • 20 दिसंबर 2024 तक, भारत की आर्थिक रूप से कमजोर आबादी के निचले 40 प्रतिशत हिस्से के 55 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को प्रति परिवार 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्राप्‍त है।
  • 3 अप्रैल 2025 तक 40 करोड़ से ज़्यादा आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
  • पूरे देश में अस्पतालों में 8.50 करोड़ से ज़्यादा अधिकृत भर्ती हुए।
  • 3 अप्रैल 2025 तक कुल मिलाकर, 31,846 अस्पताल (17,434 सार्वजनिक और 14,412 निजी) आधिकारिक तौर पर इस योजना के तहत सूचीबद्ध किए गए हैं।
  • आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अब लाभार्थियों के रूप में शामिल हैं।
  • 9 दिसंबर, 2024 तक इस योजना के तहत आयुष्मान वय वंदना कार्ड के लिए 25 लाख से ज़्यादा नामांकन हुए हैं।

मानसिक आरोग्‍यता से संबंधित स्वास्थ्य हस्तक्षेप

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  • टेली-मानस (राष्ट्रीय टेली-मानस स्वास्थ्य कार्यक्रम) अब 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 53 प्रकोष्‍ठों का संचालन करता है, जो 20 भाषाओं में 24x7 मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करते हैं।
  • 5 अप्रैल 2025 तक, 20 लाख से अधिक कॉल को हैंडल किया गया, पिछले तीन वर्षों में एनटीएमएचपी को 230 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि आवंटित की गई ।
  • मनोआश्रय डैशबोर्ड के अनुसार, 5 अप्रैल 2025 तक देश में लगभग 440 पुनर्वास गृह (आरएच)/हाफवे होम (एचएच) हैं

स्वस्थ भविष्य की ओर

सार्वजनिक स्वास्थ्य, विशेष रूप से मातृ एवं शिशु देखभाल में भारत की प्रगति, न्यायसंगत और समावेशी स्वास्थ्य सेवा के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी परिवर्तनकारी पहलों और जेएसवाई, पीएमएसएमए, सुमन और लक्ष्य जैसे लक्षित मातृ कार्यक्रमों के माध्यम से, देश ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी की है और संस्थागत प्रसव की पहुँच में सुधार किया है। एबीडीएम और ईसंजीवनी जैसे डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेपों, रोग उन्मूलन अभियानों और टेली-मानस के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सहायता के पूरक के रूप में, भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

संदर्भ

· https://x.com/narendramodi/status/1644181270027722752

· https://www.who.int/campaigns/world-health-day/2025

· https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2112476

· https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2118786

· https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/jan/doc202513480101.pdf

· https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2113800

· https://pmsma.mohfw.gov.in/

· https://qps.nhsrcindia.org/laqshya

· https://nha.gov.in/NDHM

· https://dashboard.abdm.gov.in/abdm/

· https://uat.esanjeevani.in/#/about

· https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2012663

· https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2114549

· https://dashboards.nikshay.in/community_support/overview_dashboard

· https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2086513

· https://dashboard.pmjay.gov.in/pmj/#/

· https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2082304

· https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2118790&reg=3&lang=1

· https://halfwayhomes.disabilityaffairs.gov.in/

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025

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