Social Welfare
नशा मुक्त भारत अभियान
नशा मुक्त भारत के लिए राष्ट्रीय आंदोलन
Posted On: 06 MAY 2025 1:34PM
सारांश
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से 15 अगस्त 2020 को शुरू किया गया नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) रोकथाम, उपचार और पुनर्वास के माध्यम से मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या से निपटने के लिए चलाया जा रहा राष्ट्रव्यापी अभियान है ।
आपूर्ति नियंत्रण , मांग में कमी और चिकित्सा उपचार की त्रि-आयामी रणनीति पर आधारित यह अभियान प्रमुख मंत्रालयों और स्थानीय प्रशासनों की ओर से चलाया जा रहा है।
इसके अंतर्गत जमीनी स्तर पर पहुंच के माध्यम से 5.20 करोड़ युवाओं और 3.30 करोड़ महिलाओं सहित 15.58 करोड़ से अधिक लोगों को जागरूक किया गया है।
इसके माध्यम से 27.76 लाख से अधिक व्यक्तियों का उपचार किया गया , 730 से अधिक निःशुल्क केंद्र स्थापित किए गए तथा नशामुक्ति प्रयासों में सहायता के लिए 10,000 से अधिक मास्टर स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया।
इस अभियान में तकनीकी उपकरणों, हेल्पलाइनों और संस्थागत साझेदारियों ने सम्मिलित रूप से नशा मुक्त समाज के लिए भारत की मुहिम को मजबूती प्रदान की है।
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नशीली दवाओं का व्यसन संपूर्ण भारत में बढ़ती हुई महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। यह व्यसन आम लोगों, उनके परिवारों और समाज के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करता है। नशीली दवाओं की लत विशेष रूप से युवा पीढ़ी को प्रभावित करती है, जिसके कारण गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इनमें अपराधों की दर में वृद्धि, तनावपूर्ण पारस्परिक संबंध, सीमित आर्थिक संभावनाएं और सामाजिक कल्याण पर व्यापक हानिकारक प्रभाव शामिल हैं। मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले विकार सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रमुख समस्या हैं जिनका संबंध मनोवैज्ञानिक संकट, पूर्वाग्रह, सामाजिक कलंक और सामुदायिक अस्थिरता से है। इसके अतिरिक्त, आनुवंशिक संवेदनशीलता, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी स्थिति और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार या उपेक्षा सहित बिगड़े हुए पारिवारिक वातावरण जैसे कारक लोगों में मादक द्रव्यों के सेवन की आदत में काफी हद तक वृद्धि करते हैं।
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पदार्थों के सेवन पर अंकुश लगाने का नैतिक दायित्व सरकार पर है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस संवैधानिक शासनादेश के अनुसार 2025 तक के लिए रोडमैप बनाकर नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए 2018 में एक राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की । नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय कार्य योजना का उद्देश्य इनके उपयोग को रोकने के लिए लोगों को शिक्षित करने, जागरूकता पैदा करने, परामर्श, उपचार और पुनर्वास पर केंद्रित व्यापक ढांचे के माध्यम से मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती चुनौती से निपटना है ।
चुनौती का आकलन: राष्ट्रीय सर्वेक्षण (2018) से प्रमुख निष्कर्ष
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने नई दिल्ली के एम्स में राष्ट्रीय नशा निर्भरता उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी) के साथ मिलकर 2018 में मादक द्रव्यों के सेवन पर देश का पहला व्यापक सर्वेक्षण किया ताकि इसका सटीक आकलन किया जा सके कि यह संकट किस हद तक बढ़ चुका है। 2019 में प्रकाशित इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने देश भर में नशीली दवाओं की निर्भरता की भयावह स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की:
शराब सबसे ज़्यादा सेवन किए जाने वाले ऐसे पदार्थ के रूप में उभरी है जो मस्तिष्क के कार्यों, विचारों, भाव और व्यवहार पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। लगभग 16 करोड़ लोग इसका सेवन करते हैं। इनमें से 5.7 करोड़ से ज़्यादा लोग इससे गंभीर रूप से प्रभावित हैं, जिन्हें शराब की आदत और उसके हानिकारक प्रभावों के कारण तत्काल उपचार और सहायता की आवश्यकता है।
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भांग उन पदार्थों में दूसरे स्थान पर है। लगभग 3.1 करोड़ लोग भांग से बने उत्पादों का सेवन करते हैं, जिनमें से लगभग 25 लाख लोग उसकी गंभीर लत से पीड़ित हैं।
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अफीम से बने नशीले पदार्थ भी उन सबसे हानिकारक पदार्थों में से हैं, जिनका उपयोग लगभग 2.26 करोड़ लोग करते हैं। उनमें से लगभग 77 लाख लोगों को तत्काल उनसे बचाने और सहायता की आवश्यकता होती है।
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एक अनुमान के अनुसार, 8.5 लाख लोग नसों में इंजेक्शन के माध्यम से नशीली दवाएं लेते हैं। उनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में पाये गये हैं ।
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बच्चों और किशोरों में सूंघ कर श्वास के जरिए यानी इनहेलेंट से नशीली दवाएं लेने का प्रयोग बहुत हो रहा है, जो चिंताजनक प्रवृत्ति है और वयस्कों की तुलना में काफी अधिक है।
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मादक द्रव्यों के सेवन से पुरुषों पर अलग-अलग रूप से बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है । अध्ययन किये गए सभी पदार्थों का सेवन करनेवालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या काफी अधिक है ।
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नशा मुक्त भारत अभियान

मादक द्रव्यों के सेवन से पैदा हुई गंभीर चुनौती को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने 15 अगस्त 2020 को नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया। यह नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत एक प्रमुख पहल है । इस अभियान को प्रारंभिक तौर पर 272 उच्च जोखिम वाले उन जिलों में लागू किया गया था जिनकी पहचान मादक द्रव्यों के सेवन पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से प्राप्त जानकारी के माध्यम से की गयी थी। तब से अब तक इस अभियान का विस्तार देश भर के सभी जिलों में हो गया है। राष्ट्र निर्माण के परिवर्तनकारी मिशन की परिकल्पना के रूप में नशा मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य युवाओं की ऐसी जनसंख्या को प्रोत्साहन देना है जो स्वस्थ, अनुशासित और नशा मुक्त हो , ताकि वह राष्ट्रीय विकास और सामाजिक कल्याण के व्यापक लक्ष्य की पूर्ति में योगदान दे सके।
नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) के तहत 4 मई 2025 तक मिले महत्वपूर्ण परिणाम

उद्देश्य
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नशीली दवाओं के उपयोग को रोकने के लिए शिक्षित करना, जागरूकता पैदा करना, मादक द्रव्यों पर निर्भरता वाले व्यक्तियों की पहचान, परामर्श, उपचार और पुनर्वास, सेवा प्रदाताओं का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
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व्यक्ति, परिवार, कार्यस्थल और समाज पर मादक द्रव्यों पर निर्भरता के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करना, शिक्षित करना तथा मादक द्रव्यों पर निर्भर समूहों और व्यक्तियों को समाज में हेय दृष्टि से देखे जाने और उनके प्रति भेदभाव को कम करना, ताकि उन्हें पुनः समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके ।
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समुदाय आधारित सेवाएं प्रदान करने के लिए मानव संसाधन का विकास और क्षमता निर्माण करना; व्यापक दिशानिर्देश, योजनाएं और कार्यक्रम तैयार करना तथा उन्हें लागू करना; नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के प्रयास करना; तथा अनुसंधान, प्रशिक्षण, अभिलेखीकरण और नवाचार को सुविधाजनक बनाना।
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हितधारक और लक्ष्य समूह

मुख्य घटक एवं रणनीतियां
नशा-मुक्त भारत अभियान में त्रि-आयामी रणनीति अपनायी गयी है:
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आपूर्ति नियंत्रण : नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो इसकी व्यवस्था करता है।
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मांग में कमी और जागरूकता लाना : सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से लोगों तक व्यापक पहुंच और जागरूकता संबंधी गतिविधियों के माध्यम से इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
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उपचार और पुनर्वास : स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इसके संबंध में सुविधाएं प्रदान की गयी हैं।
जिला समाहर्ताओं/दंडाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय नशा मुक्त समितियां निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थानीय कार्य योजनाएं विकसित और कार्यान्वित करती हैं:

मंत्रालय उन संगठनों को सहायता प्रदान करता है जो मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने के संबंध में शिक्षित करने, जागरूकता पैदा करने, क्षमता निर्माण, उपचार और पुनर्वास के लिए काम करते हैं। ये संगठन हैं:
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नशे की लत से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए एकीकृत पुनर्वास केंद्र (आईआरसीए): नशे की लत से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए एकीकृत पुनर्वास केंद्र (आईआरसीए) वे नशा मुक्ति केंद्र हैं, जहां नशीली दवाओं पर निर्भर व्यक्तियों के लिए परामर्श और उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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सहकर्मियों की ओर से समुदाय-आधारित हस्तक्षेप (सीपीएलआई): सहकर्मियों की ओर से सामुदायिक हस्तक्षेप (सीपीएलआई) के माध्यम से समुदाय में युवा स्वयंसेवकों के साथ मिलकर विशेष रूप से उन किशोरों और युवाओं को मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने के संबंध में प्रारंभिक रूप से शिक्षित करने का कार्य किया जाता है जिन्हें इसकी आदत पड़ चुकी हो ।
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आउटरीच और ड्रॉप-इन सेंटर (ओडीआईसी): आउटरीच और ड्रॉप-इन सेंटर (ओडीआईसी) नशीली दवाओं की आदत वाले लोगों के लिए उपचार और पुनर्वास सेवाओं के लिए रेफरल और उनसे जोड़ने की व्यवस्था प्रदान करने के साथ-साथ जांच, मूल्यांकन और परामर्श की सुविधाएं प्रदान करते हैं।
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भौगोलिक स्थिति: मंत्रालय के सहयोग से नशीली दवाओं की लत पर परामर्श, उपचार और पुनर्वास तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करने वाली संस्थाओं को जियो-टैग किया गया है ताकि उनकी सेवाओं को सुलभ बनाया जा सके और आसानी से उनका पता मिल सके।
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तकनीकी नवाचार
नशा-मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) की वेबसाइट: यह व्यापक रूप से संसाधनों तक पहुंच, वास्तविक समय वाले डैशबोर्ड, ई-प्रतिज्ञा विकल्प और विशेषज्ञों की अगुवाई में चर्चा का मंच प्रदान करती है

https://nmba.dosje.gov.in/
एनएमबीए मोबाइल ऐप: मास्टर स्वयंसेवकों के व्यापक उपयोग से जमीनी स्तर के आंकड़ों को एकत्र करता है और उनकी निगरानी करता है।
राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन (14446): प्राथमिक परामर्श और तत्काल रेफरल सेवाएं प्रदान करती है।
निष्कर्ष
नशा मुक्त भारत अभियान ऐसे शक्तिशाली राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में विकसित हुआ है, जो प्रभावशाली रूप से समुदायों को इस दिशा में आगे बढ़ा रहा है और मादक द्रव्यों के सेवन के खतरे से निपटने के लिए मिलकर किये जा रहे प्रयास में विभिन्न हितधारकों को शामिल कर रहा है। लक्षित हस्तक्षेप, व्यापक जागरूकता अभियानों, नवीन प्रकार के तकनीकी उपकरणों और जमीनी स्तर पर मजबूत भागीदारी के माध्यम से यह अभियान व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तनों को बढ़ावा देता है तथा व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाता है। अभियान का विस्तार निरंतर जिस तरह से हो रहा है और इसका प्रभाव प्रबल होता जा रहा है, वैसे-वैसे भारत अपने सभी नागरिकों के लिए स्वस्थ, सामर्थ्यवान और नशा मुक्त भविष्य के अपने सपने को साकार करने के करीब पहुंच रहा है।
संदर्भ
· https://nmba.dosje.gov.in/content/about-us
· नशा मुक्त भारत अभियान - मूल्यांकन रिपोर्ट
- 2021 https://namba.dosje.gov.in/public/uploads/pdf/57291721391011.pdf
· https://grants-msje.gov.in/display-drugs-action-plan
· https://nmba.dosje.gov.in/
· https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2023/may/doc2023517199801.pdf
· https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2117694
· सामाजिक क्षेत्र में सर्वोत्तम अभ्यास: एक संग्रह 2023 - https://niti.gov.in/sites/default/files/2023-05/Best-Practices.pdf#page=78
· https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2010097
नशा मुक्त भारत अभियान
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