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Technology

डिजिटल दशक

तकनीक-केंद्रित भविष्य की ओर भारत की यात्रा

Posted On: 12 JUN 2025 10:22AM

परिचय

पिछले 11 वर्षों में भारत ने डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। दूरदराज के गांवों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने से लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण में क्रांति लाने तक, देश ने शहरी-ग्रामीण विभाजन को पहले से कहीं अधिक पाट दिया है। डिजिटल अर्थव्यवस्था, जिसने 2022-23 में राष्ट्रीय आय में 11.74 प्रतिशत का योगदान दिया, 2024-25 तक 13.42 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में प्रगति से प्रेरित है।

कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा

एक मजबूत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। पिछले 11 वर्षों में भारत ने ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क का काफी विस्तार करके इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार किया है।

दूरसंचार और इंटरनेट का प्रसार

भारत में कुल टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 के दौरान 93.3 करोड़ से बढ़कर अप्रैल 2025 में 120+ करोड़ हो गए।

• भारत में कुल टेली-घनत्व जो मार्च 2014 में 75.23 प्रतिशत था, अक्टूबर 2024 में बढ़कर 84.49 प्रतिशत हो गया।

शहरी टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 के दौरान 555.23 मिलियन की तुलना में अक्टूबर 2024 में बढ़कर 661.36 मिलियन हो गए, जबकि ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 के दौरान 377.78 मिलियन से बढ़कर अक्टूबर 2024 में 527.34 मिलियन हो गए।

इंटरनेट और ब्रॉडबैंड का विस्तार

इंटरनेट कनेक्शन मार्च 2014 के दौरान 25.15 करोड़ से बढ़कर जून 2024 में 96.96 करोड़ हो गए, जो 285.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

ब्रॉडबैंड कनेक्शन मार्च, 2014 के दौरान 6.1 करोड़ से बढ़कर अगस्त, 2024 में 94.92 करोड़ हो गए, जो 1452 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

• दिसंबर 2024 तक देश के 6,44,131 गांवों में से 6,15,836 गांवों में 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी है।

 

5जी और कनेक्टिविटी

2016 से 4जी कवरेज के तेजी से विस्तार ने देश के हर कोने में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी ला दी है। इस गति को आगे बढ़ाते हुए, अक्टूबर 2022 में 5जी के लॉन्च ने भारत की डिजिटल यात्रा को और तेज कर दिया है, जिससे और भी तेज और स्मार्ट सेवाएं मिल सकेंगी। सिर्फ 22 महीनों में भारत ने 4.74 लाख 5जी बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) स्थापित किए। अब तक, 5जी सेवाएं देश के 99.6 प्रतिशत जिलों को कवर करती हैं, जिनमें से अकेले 2023-24 में 2.95 लाख बीटीएस स्थापित किए गए हैं। बुनियादी ढांचे में यह उछाल 2025 में 116 करोड़ के मोबाइल ग्राहक आधार का समर्थन करता है, जो भारत के व्यापक डिजिटल उछाल और पहुंच को उजागर करता है।

इस बेहतर मोबाइल इंफ्रास्ट्रक्चर ने इंटरनेट एक्सेस में भारी उछाल ला दिया है। भारत के इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार में पिछले 11 वर्षों में 285 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, वायरलेस डेटा की लागत में भारी गिरावट आई है, जो 2014 में 308 रुपए प्रति जीबी से घटकर 2022 में सिर्फ 9.34 रुपए रह गई है, जिससे डिजिटल सेवाएं कहीं अधिक किफायती हो गई हैं।

भारतनेट: गांवों को इंटरनेट से जोड़ना

डिजिटलीकरण की इस मुहिम का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण भारत को जोड़ना है। जनवरी 2025 तक भारतनेट परियोजना ने 2.18 लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचा दिया है। इस पहल के तहत लगभग 6.92 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है। जिन गांवों में कभी इंटरनेट की बुनियादी सुविधा नहीं थी, अब उनके द्वार पर डिजिटल उपकरण मौजूद हैं।

डिजिटल वित्त और समावेशन

पिछले 11 वर्षों में प्रौद्योगिकी ने विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं को लोगों के करीब ला दिया है।

यूपीआई: डिजिटल भुगतान में उछाल

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ने पूरे देश में डिजिटल लेन-देन को बदल दिया है। अप्रैल 2025 में, यूपीआई का उपयोग करके केवल एक महीने में 24.77 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 1,867.7 करोड़ से अधिक लेनदेन किए गए। अब लगभग 460 मिलियन व्यक्ति और 65 मिलियन व्यापारी (यूपीआई) प्रणाली का उपयोग करते हैं। एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 2023 में वैश्विक रीयल-टाइम लेन-देन में भारत की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत होगी, जो डिजिटल भुगतान नवाचार में वैश्विक अग्रणी के रूप में इसके स्थान की पुष्टि करता है।

यूपीआई अब यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस, मॉरीशस सहित सात से अधिक देशों में लाइव है, जो भारत को डिजिटल भुगतान में वैश्विक अग्रणी बनाता है। इसका बढ़ता अंतरराष्ट्रीय अपनाव प्रेषण बढ़ा रहा है, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहा है और वैश्विक फिनटेक परिदृश्य में भारत की स्थिति मजबूत कर रहा है।

 आधार: प्रौद्योगिकी के साथ विश्वास का निर्माण

आधार-आधारित ई-केवाईसी प्रणाली ने बैंकिंग और सार्वजनिक सेवाओं दोनों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने में मदद की है। इसने सत्यापन को तेज बनाया, कागजी कार्रवाई को कम किया और सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता लाई। अप्रैल 2025 तक, 141.88 करोड़ आधार आईडी तैयार किए जा चुके हैं। आधार अब भारत की डिजिटल रीढ़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जिससे लोगों को आसानी से सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिलती है।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: एक स्वच्छ कल्याण प्रणाली

आधार प्रमाणीकरण द्वारा समर्थित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) ने सब्सिडी और कल्याण संबंधी भुगतान के तरीके को बदल दिया है। इसने फर्जी लाभार्थियों को हटाने में मदद की और सरकार को 2015 से मार्च 2023 के बीच 3.48 लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत कराई। मई 2025 तक, डीबीटी के माध्यम से अंतरित कुल धनराशि 44 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई है। लोगों को सीधे तौर पर और समय पर अब उनका हक मिलता है।

इस प्रणाली ने लाभार्थियों के डेटाबेस को साफ करने में भी मदद की है। 5.87 करोड़ से अधिक अयोग्य राशन कार्ड धारकों को हटा दिया गया है और 4.23 करोड़ डुप्लिकेट या नकली एलपीजी कनेक्शन रद्द कर दिए गए हैं, जिससे कल्याण प्रणाली अधिक लक्षित और पारदर्शी हो गई है।

डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी)

2022 में लॉन्च किया गया, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य डिजिटल कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाना है। यह पूरे भारत में विक्रेताओं, खरीदारों और सेवा प्रदाताओं, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए एक समान अवसर बनाने की परिकल्पना करता है।

मुख्य उपलब्धियां:

जनवरी 2025 तक, विक्रेता और सेवा प्रदाता 616 से अधिक शहरों में फैले हुए हैं, जो ओएनडीसी नेटवर्क के भौगोलिक कवरेज का विस्तार करते हैं।

जनवरी 2025 तक, ओएनडीसी प्लेटफ़ॉर्म पर 7.64 लाख से अधिक विक्रेता/सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम)

2016 में लॉन्च किये गये गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) को पांच महीने के रिकॉर्ड समय में बनाया गया था। इसके माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों/सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा सामान्य उपयोग की आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा प्रदान की जाती है।

मुख्य उपलब्धियां:

जनवरी, 2025 तक, जीईएम ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के 10 महीनों के भीतर 4.09 लाख करोड़ रूपए का एजीएमवी दर्ज किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

जीईएम के पास 1.6 लाख से अधिक सरकारी खरीदारों और 22.5 लाख से अधिक विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं का नेटवर्क है।

 

 

ई-गवर्नेंस: नागरिकों को सशक्त बनाना, परिवर्तन को सक्षम बनाना

पिछले 11 वर्षों में भारत में ई-गवर्नेंस ने सेवाओं को अधिक सुलभ, पारदर्शी और कुशल बनाकर नागरिकों के सरकार के साथ बातचीत करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया है। मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से इसने नागरिकों और अधिकारियों दोनों को सशक्त बनाया है, जिससे पूरे देश में शासन की सुगमता बढ़ी है।

कर्मयोगी भारत+ आईजीओटी__________________________________

मिशन कर्मयोगी राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण (एनपीसीएससीबी) के तहत कर्मयोगी भारत, देश में सिविल सेवकों के शिक्षण के परिदृश्य को नया रूप दे रहा है। इस पहल का उद्देश्य कुशल और नागरिक-केंद्रित शासन चलाने के लिए अधिकारियों को सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान (एएसके) से युक्त करके भावी सिविल सेवक तैयार करना है। मई 2025 तक, 1.07 करोड़ से अधिक कर्मयोगियों को इस प्लेटफॉर्म पर शामिल किया गया है, जो विविध शासन क्षेत्र में 2,588 पाठ्यक्रम प्रदान करता है। 3.24 करोड़ से अधिक लर्निंग सर्टिफिकेट जारी करने के साथ, यह कर्मयोगी भारत प्लेटफॉर्म ऑनलाइन, आमने-सामने और मिश्रित प्रारूपों के माध्यम से सतत शिक्षण की सुविधा प्रदान करता है। यह विभिन्न मंचों, करियर पथ मार्गदर्शन और मजबूत मूल्यांकन के माध्यम से सहकर्मी के साथ शिक्षण का भी समर्थन करता है। यह नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप एक विश्वसनीय, चुस्त और सक्षम सार्वजनिक कार्यबल का निर्माण करता है।

डिजिलॉकर

वर्ष 2015 में लॉन्च किए गए डिजिलॉकर का उद्देश्य नागरिकों के डिजिटल दस्तावेज वॉलेट में प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान करके नागरिकों का 'डिजिटल सशक्तिकरण' करना है। डिजिलॉकर उपयोगकर्ताओं की संख्या अप्रैल 2025 तक 51.6 करोड़ हो गई है।

मुख्य उपलब्धियां:

जनवरी 2025 से 11 जून 2025 तक, कुल 9.42 करोड़ उपयोगकर्ताओं ने साइन अप किया, जिसमें अकेले जून महीने में 33.06 लाख साइन-अप शामिल हैं।

• 2015 में दर्ज 9.98 लाख साइन-अप की तुलना में 2024 में 2031.99 लाख वार्षिक उपयोगकर्ता साइन-अप दर्ज किए गए।

उमंग

उमंग (यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस) को 2017 में लॉन्च किया गया। इसे भारत में मोबाइल गवर्नेंस को आगे बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है। उमंग सभी भारतीय नागरिकों को केंद्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक की अखिल भारतीय ई-गवर्नेंस सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक एकल मंच प्रदान करता है।

मुख्य उपलब्धियां:

मई 2025 तक 8.21 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकरण और 597 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए।

मई 2025 तक 23 भारतीय भाषाओं में उमंग पोर्टल पर 2,300 सरकारी सेवाएं उपलब्ध हैं।

 

डिजिटल क्षमता निर्माण

भारत का डिजिटल परिवर्तन केवल पहुंच तक सीमित नहीं है; इसका उद्देश्य लोगों और संस्थानों को प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में सक्षम बनाना है। पिछले 11 वर्षों में, इस दृष्टिकोण ने समावेशी विकास को बढ़ावा दिया है, नागरिकों को सशक्त बनाया है और पूरे देश में डिजिटल शासन को मजबूत किया है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए- पीएमजीदिशा)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए फरवरी 2017 में प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) को मंजूरी दी थी। इस पहल का उद्देश्य कम से कम 6 करोड़ लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना है, ताकि वे आत्मविश्वास के साथ डिजिटल सेवाओं और सूचनाओं का उपयोग कर सकें।

सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित इस योजना ने 2.52 लाख ग्राम पंचायतों में फैले 5.34 लाख कॉमन सर्विस सेंटरों के विशाल जमीनी नेटवर्क का लाभ उठाया। 31 मार्च, 2024 को अपने औपचारिक समापन तक, पीएमजीदिशा योजना ने लगभग 7.35 करोड़ उम्मीदवारों को नामांकित किया था, जिसमें 6.39 करोड़ व्यक्ति सफलतापूर्वक प्रशिक्षित और 4.77 करोड़ प्रमाणित थे। यह इसे वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी डिजिटल साक्षरता पहलों में से एक बनाता है।

पीएमजीदिशा के अलावा, डिजिटल साक्षरता का विस्तार करने, तकनीकी कौशल बढ़ाने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य पहल शुरू की गई हैं:

  • एनआईईएलआईटी (राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान) डीम्ड विश्वविद्यालय: 15 जुलाई, 2024 को शिक्षा मंत्रालय ने एनआईईएलआईटी रोपड़ और इसकी 11 इकाइयों को एक विशिष्ट श्रेणी के तहत डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में अधिसूचित किया, जिसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 37 लाख उम्मीदवारों को कौशल से परिपूर्ण करना है।
  • ईएसडीएम (इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में कौशल विकास: दो ईएसडीएम कौशल विकास योजनाओं के तहत, अब तक कुल 4,93,928 उम्मीदवारों को पंजीकृत किया गया है। इनमें से 4,93,926 उम्मीदवारों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है, 3,74,456 को प्रमाणित किया गया है, और 1,37,762 उम्मीदवारों ने सफलतापूर्वक नौकरी प्राप्त की है।
  • फ्यूचरस्किल्स प्राइम (रोजगार के लिए आईटी मैनपावर के पुनः कौशल/अप-स्किलिंग का कार्यक्रम): इस कार्यक्रम के तहत 22 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने साइन-अप किया, 11 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन कराया, 5.3 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने अपने पाठ्यक्रम पूरे किए, और 11,519 सरकारी अधिकारियों ने प्रशिक्षण पूरा किया।
  • सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता (आईएसईए) परियोजना: 95,206 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया, 31 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
  • चिप्स टू स्टार्ट-अप (सी2एस) कार्यक्रम: चिप्स टू स्टार्ट-अप (सी2एस) कार्यक्रम के तहत 113 संगठनों को सहायता प्रदान की गई है, जिसमें 13 स्टार्ट-अप और एमएसएमई सहित 100 शैक्षणिक संस्थान और अनुसंधान एवं विकास संगठन शामिल हैं। इस पहल से 58,652 विशेषज्ञ पेशेवरों का विकास हुआ है और 26 पेटेंट दाखिल किए गए हैं, जिससे भारत के सेमीकंडक्टर और नवाचार को मजबूती मिली है।
  • विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना: इस योजना ने 1619 पूर्णकालिक और 420 अंशकालिक पीएचडी उम्मीदवारों को सहायता प्रदान की।

 

भाषिणी – भाषागत बाधाओं से मुक्ति

भाषिणी (भारत के लिए भाषा इंटरफेस) राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनएलटीएम) के तहत एक अग्रणी पहल हैइसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत की भाषायी विविधता को पाटना है। भाषिणी कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्राकृतिक भाषा प्रक्रिया की शक्ति का उपयोग करके कई भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाती है। इसका कार्यान्वयन इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत डिजिटल इंडिया भाषिणी प्रभाग करता है। यह प्लेटफॉर्म वास्तव में समावेशी डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद कर रहा है।

मई 2025 तक, भाषिणी 1,600 से ज़्यादा एआई मॉडल और 18 भाषा सेवाओं के साथ 35 से अधिक भाषाओं का समर्थन करता है। इसे आईआरसीटीसी, एनपीसीआई के आईवीआरएस प्रणाली और पुलिस डॉक्यूमेंटेशन जैसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले प्लैटफ़ॉर्म में एकीकृत किया गया है, जिससे ज़रूरी सेवाएं सभी के लिए ज़्यादा समावेशी और सुलभ हो गई हैं। 8.5 लाख से ज़्यादा मोबाइल ऐप डाउनलोड के साथ, भाषिणी नागरिकों को अपनी पसंद की भाषा में डिजिटल प्लैटफॉंर्म से जुड़ने योग्य बनाता है।

कार्यनीतिक प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ावा

भारत वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। एआई क्षमताओं को बढ़ावा देने, कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और एक आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम विकसित करने के लिए केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं।

इंडिया एआई मिशन

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 मार्च 2024 को इंडियाएआई मिशन को मंजूरी दी। यह भारत में एक व्यापक और समावेशी एआई परितंत्र बनाने की एक ऐतिहासिक पहल है। यह सात कार्यनीतिक स्तंभों - कंप्यूट क्षमता, नवाचार केंद्र, डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म, एप्लिकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव, फ्यूचरस्किल्स, स्टार्टअप फाइनेंसिंग और सुरक्षित तथा विश्वसनीय एआई पर केंद्रित है। पांच वर्षों में 10,371.92 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ, मिशन का उद्देश्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप जिम्मेदार एआई नवाचार को आगे बढ़ाना है।

30 मई 2025 तक, भारत की राष्ट्रीय कंप्यूट क्षमता 34,000 जीपीयू को पार कर गई है, जो एआई-आधारित अनुसंधान और विकास के लिए एक मजबूत नींव है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन भारत के डिजिटल परिवर्तन की कुंजी है, क्योंकि सेमीकंडक्टर सभी आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों को शक्ति प्रदान करते हैं। यह मिशन स्थानीय चिप निर्माण को बढ़ावा देकर एक आत्मनिर्भर, तेज़ और अधिक सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव रखता है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन देश में एक मजबूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण संबंधी इको-सिस्टम बनाने के लिए 76,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ सरकार द्वारा अनुमोदित एक कार्यनीतिक पहल है। यह कार्यक्रम सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर, सिलिकॉन फोटोनिक्स, सेंसर और एटीएमपी/ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिए समान आधार पर 50 प्रतिशत राजकोषीय सहायता प्रदान करता है। यह चिप डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए पात्र व्यय के 50 प्रतिशत तक का उत्पाद डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन और पांच वर्षों में शुद्ध बिक्री कारोबार का 6 से 4 प्रतिशत का परिनियोजन लिंक्ड प्रोत्साहन भी प्रदान करता है।

इस मिशन का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण में घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और भारत के इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ जोड़ना है। इस कार्यक्रम के तहत 14 मई, 2025 तक छह सेमीकंडक्टर विनिर्माण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, जिसमें 1.55 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश था। पहले से ही, पांच सेमीकंडक्टर इकाइयां निर्माण के उन्नत चरणों में हैं। 14 मई, 2025 को स्वीकृत नवीनतम परियोजना, उत्तर प्रदेश में जेवर हवाई अड्डे के पास एक डिस्प्ले ड्राइवर चिप विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए एचसीएल और फॉक्सकॉन के बीच एक संयुक्त उद्यम है।

सार

पिछले एक दशक में भारत की डिजिटल यात्रा ने न केवल सेवाओं और शासन को बदल दिया है, बल्कि मजबूत आर्थिक विकास के लिए आधार भी तैयार किया है। डिजिटल उद्योग पारंपरिक क्षेत्रों की तुलना में तेज गति से बढ़ रहे हैं, जो दर्शाता है कि कैसे प्रौद्योगिकी प्रगति का एक प्रमुख चालक बन रही है। 2030 तक, डिजिटल अर्थव्यवस्था के देश की कुल अर्थव्यवस्था का लगभग पांचवां हिस्सा बनने की उम्मीद है। यह बदलाव इस बात पर बल देता है कि कैसे डिजिटल उन्नति नए अवसर पैदा करने, नवाचार को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक डिजिटल परिदृश्य में अग्रणी बनाने में मदद कर रही है।

संदर्भः

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एमजी/केसी/एसकेएस/एके/एचबी/केएस

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