• Skip to Content
  • Sitemap
  • Advance Search
Energy & Environment

भारत का ऊर्जा परिदृश्‍य                    

टिकाऊ ऊर्जा के साथ विकास को बढ़ावा

Posted On: 22 JUN 2025 9:55AM

प्रमुख बिन्‍दु

  • जून 2025 तक भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 476 गीगावाट तक पहुँच गई।
  • बिजली की कमी 2013-14 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 0.1 प्रतिशत हो गई।
  • 2.8 करोड़ से ज़्यादा घरों में बिजली पहुँची, प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 45.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत अब कुल क्षमता में 235.7 गीगावाट (49 प्रतिशत) का योगदान देते हैं, जिसमें 226.9 गीगावाट नवीकरणीय और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है।
  • थर्मल पावर अभी भी प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है, जो 240 गीगावाट या स्थापित क्षमता का 50.52 प्रतिशत है।

भारत ने हाल के वर्षों में अपने ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। देश बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने और स्थिरता को बढ़ावा देने के दोहरे लक्ष्यों को सफलतापूर्वक संतुलित कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के अनुसार, अगले तीन वर्षों में वैश्विक बिजली की मांग में 85 प्रतिशत वृद्धि उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से आएगी। सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में, भारत वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में प्रमुख भूमिका निभाता है। निरंतर आर्थिक विकास द्वारा संचालित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में इसकी ऊर्जा मांग सबसे तेज दर से बढ़ने की उम्मीद है। नतीजतन, वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा खपत में भारत की हिस्सेदारी 2035 तक दोगुनी होने का अनुमान है।

पिछले दशक में, बढ़ती मांग, बुनियादी ढांचे के विकास और पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए मजबूत नीति समर्थन के कारण भारत के बिजली क्षेत्र में मजबूत विस्तार हुआ है। बिजली उत्पादन 2015-16 में 1,168 बिलियन यूनिट (बीयू) से बढ़कर 2024-25 में अनुमानित 1,824 बीयू हो गया है। इसी तरह, कुल स्थापित क्षमता 2015-16 में 305 गीगावाट (जीडब्ल्यू) से बढ़कर 2024-25 में अनुमानित 475 गीगावाट हो गई है।

 

पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती स्‍थापित बिजली              पिछले कुछ वर्षों में बिजली उत्पादन

   क्षमता (गीगावाट)                                    में वृद्धि (बिलियन यूनिट में) 

 

स्रोत : विद्युत  मंत्रालय                                       मई 2025 को      स्रोत: विद्युत मंत्रालय

भारत ने अप्रैल 2018 तक गांवों में शत-प्रतिशत (100प्रतिशत) विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है और तब से 2.8 करोड़ से अधिक घरों को ग्रिड से जोड़ दिया गया है।

इस अवधि के दौरान, विद्युत मंत्रालय ने पहुंच, दक्षता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए प्रमुख सुधारों को लागू किया। महत्वपूर्ण पहलों में एकीकृत राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड का निर्माण, ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) और सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण के उद्देश्य से सौभाग्य योजना शामिल है।

  • बिजली कटौती में कमी: ऊर्जा की कमी 4.2 प्रतिशत (2013-14) से घटकर 0.1 प्रतिशत (2024-25) हो गई।
  • खपत में वृद्धि: प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 2013-14 में 957 किलोवाट घंटे से 45.8 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 1,395 किलोवाट घंटे हो गई।

भारत का बिजली क्षेत्र दुनिया में सबसे विविधतापूर्ण है, जिसमें कोयला, गैस, हाइड्रो और परमाणु जैसे पारंपरिक स्रोतों के साथ-साथ सौर, पवन, बायोमास और छोटे हाइड्रो जैसे नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन होता है। बढ़ती बिजली की मांग के साथ, भारत आर्थिक विकास और स्थिरता लक्ष्यों में सहयोग करने के लिए अपनी ऊर्जा क्षमता का विस्तार करना जारी रखे हुए है।


भारत की स्‍थापित बिजली क्षमता मिश्रित

(गीगावाट में संख्‍या)

 

सौर ऊर्जा 110.9, जैव ऊर्जा 11.6, लघु हाइड्रो ऊर्जा 5.1, पवन ऊर्जा 51.3, परमाणु 8.8, हाइड्रो 48, ताप 240 (नीचे चार्ट में यथास्‍थान लगा दें)

 

           स्रोत: ऊर्जा मंत्रालय                                                           जून 2025 को

भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता जून 2025 तक, 476 गीगावाट होने के साथ उसने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है, जिसमें 240 गीगावाट तापीय, 110.9 गीगावाट सौर और 51.3 गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल है, जो नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा की ओर एक मजबूत बदलाव को दर्शाता है।

रिकॉर्ड गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता वृद्धि

स्वच्छ ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता

पिछले ग्यारह वर्षों में भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। सीओपी26 में की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट स्थापित बिजली क्षमता हासिल करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। जून 2025 तक, देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 235.7 गीगावाट हासिल कर लिया है, जिसमें 226.9 गीगावाट अक्षय ऊर्जा और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है, जो 476 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 49 प्रतिशत है। यह भारत के डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों और एक स्थायी भविष्य के लिए इसकी प्रतिज्ञा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत में गैर जीवाश्म ईंधन स्थापित क्षमता

(गीगावाट में संख्‍या)

हाइड्रो 48(20.35%), परमाणु 8.8(3.73%), पवन ऊर्जा 51.3 (21.78%), लघु हाइड्रो ऊर्जा 5.1(2.17%), जैव ऊर्जा 11.6 (4.92%), सौर ऊर्जा 110.9 (47.06%)  (नीचे चार्ट में यथास्‍थान लगा दें)

                स्रोत: ऊर्जा मंत्रालय                                                       जून 2025 को

प्रमुख उपलब्धियां (2014–2025)

  • वैश्विक नेतृत्व:

आईआरईएनए आरई सांख्यिकी 2025 के अनुसार, भारत अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता में वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर, पवन ऊर्जा में चौथे स्थान पर और सौर ऊर्जा क्षमता में तीसरे स्थान पर है।

  • अक्षय ऊर्जा क्षमता में विस्तार:

स्थापित आरई क्षमता मार्च 2014 में 76.37 गीगावाट से बढ़कर जून 2025 में 226.79 गीगावाट हो गई है, जो लगभग 3 गुना वृद्धि है।
 

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की वृद्धि

(गीगावाट में संख्‍या)

· उत्पादन में वृद्धि

नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 2014-15 में 190.96 बीयू से बढ़कर 2024-25 (अप्रैल 2024-फरवरी 2025) में 370.65 बीयू हो गया, और कुल बिजली उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 17.20 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 22.20 प्रतिशत हो गई।
 

स्थापित क्षमता के अतिरिक्त, 176.70 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं, जिनमें से 72.06 गीगावाट परियोजनाएं बोली के चरण में हैं।

सौर ऊर्जा

सौर क्षमता 39 गुना से अधिक बढ़ गई है, जो 2014 में 2.82 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 110.9 गीगावाट हो गई है, जिसमें अकेले 2024-25 में जोड़ा गया रिकॉर्ड 23.83 गीगावाट शामिल है।

भारत की सौर क्षमता वृद्धि

गीगावाट में संख्‍या

  • विनिर्माण में वृद्धि (2014 से मार्च 2025 तक):

o सौर पीवी मॉड्यूल क्षमता 2.3 गीगावाट से बढ़कर 88 गीगावाट हो गई, जो 38 गुना वृद्धि है।

o सौर पीवी सेल क्षमता 1.2 गीगावाट से बढ़कर 25 गीगावाट हो गई, जो 21 गुना वृद्धि है।

पवन ऊर्जा क्षेत्र

भारत पवन ऊर्जा, विशेष रूप से तटीय पवन ऊर्जा में वैश्विक लीडर के रूप में उभरा है। विकसित हो रहे विनिर्माण इकोसिस्‍टम, सहायक नीतियों और अपतटीय विकास में नई प्रगति के साथ, देश क्षमता वृद्धि और बुनियादी ढांचे दोनों में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। भारत वर्तमान में स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है।

भारत की पवन ऊर्जा उपलब्धियां (2014–2025)

 

  • स्थापित क्षमता 2014 में ~21 गीगावाट से बढ़कर जून 2025 तक 51.3 गीगावाट हो जाएगी, जो एक दशक में दोगुनी से भी अधिक होगी।
  • अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में 4.15 गीगावाट जोड़ा जाएगा।
  • अप्रैल 2024 और फरवरी 2025 के बीच पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन बढ़कर 78.21 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गया, जो कुल बिजली उत्पादन में 4.69 प्रतिशत का योगदान देगा।
  • 14 भारतीय कंपनियों द्वारा 31 प्रमाणित पवन टरबाइन मॉडलों के निर्माण तथा 18 गीगावाट वार्षिक विनिर्माण क्षमता के साथ घरेलू विनिर्माण को मजबूती मिली।

                                                                                                                           

राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के अनुसार, देश की अनुमानित पवन ऊर्जा क्षमता जमीनी स्तर से 150 मीटर ऊपर 1164 गीगावाट है।

अक्टूबर 2018 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की पहली सभा में भारत के प्रधानमंत्री ने एक सूर्य - एक विश्व - एक ग्रिड (ओएसओडब्‍ल्‍यूओजी) का आह्वान किया था। यह "सूर्य कभी अस्त नहीं होता" के विचार पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा ग्रिड बनाने की एक वैश्विक पहल है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) इसके कार्यान्वयन का नेतृत्व कर रहा है। अध्ययन का पहला चरण पूरा हो चुका है और स्वीकृत हो चुका है, और आगे का काम प्रगति पर है। दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप सहित क्षेत्रों के साथ ग्रिड इंटरकनेक्शन का पता लगाने के लिए 2021 में एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया था।

 

 

 

भारत और फ्रांस द्वारा 2015 में सीओपी21 में शुरू किया गया अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) भारत में मुख्यालय वाला पहला संधि-आधारित अंतर-सरकारी संगठन है। 2020 के संशोधन के साथ, सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश आईएसए में शामिल होने के पात्र हो गए। मार्च 2025 तक, 122 देशों ने आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, और 105 ने इसकी पुष्टि की है।

 

जलविद्युत विस्तार

वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2025 तक जलविद्युत क्षमता 35.8 गीगावाट से बढ़कर 48 गीगावाट हो गई। अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क माफी और पूर्वोत्तर परियोजनाओं के लिए इक्विटी सहायता द्वारा समर्थित वित्त वर्ष 2030 तक 55 गीगावाट का लक्ष्य

भारत की हाइड्रो क्षमता की प्रगति

(गीगावाट में संख्‍या)

जैव ऊर्जा

पिछले 11 वर्षों में जैव ऊर्जा उत्पादन क्षमता 8.1 गीगावाट से बढ़कर 11.6 गीगावाट हो गई है। कम्‍प्रैस्‍ड बायोगैस (सीबीजी) उत्पादन क्षमता 2014 में 8 टन प्रति दिन (टीपीडी) वाली एकल परियोजना से बढ़कर मार्च 2025 तक 150 परियोजनाओं तक पहुंच गई है, जिनकी संचयी क्षमता 1,211 टीपीडी है।

राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (2021–26)

31 मार्च 2025 तक:

• बायोमास बिजली और सह-उत्पादन क्षमता की संचयी स्थापित क्षमता: 9.82 गीगावाट (बगसे और आईपीपी) और 0.92 गीगावाट (गैर-बगसे)।

कचरे से ऊर्जा क्षमता की संचयी स्थापित क्षमता: 840.21 मेगावाट प्रति वर्ष (309.34 मेगावाट ग्रिड से जुड़ी, 530.87 मेगावाट प्रति वर्ष ऑफ-ग्रिड)।

• बायोमास कार्यक्रम के तहत, संचयी स्थापित क्षमता: 11.583 गीगावाट।

• स्थापित बायोगैस संयंत्र: 51.04 लाख छोटे और 361 मध्यम, संचयी 11.5 मेगावाट ऑफ-ग्रिड बिजली उत्पादन क्षमता के साथ।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 2 नवम्‍बर 2022 को राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम शुरू किया। इसमें 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि शामिल है। कुल बजट परिव्यय ₹1715 करोड़ है। संविदात्‍मक देनदारियों सहित ₹858 करोड़ के साथ चरण-1 को मंजूरी दी गई है।

 

कार्यक्रम में तीन भाग शामिल हैं:

कचरे से ऊर्जा कार्यक्रम – शहरी, औद्योगिक और कृषि कचरे का उपयोग करता है।

बायोमास कार्यक्रम – ब्रिकेट और पेलेट संयंत्रों और बायोमास-आधारित सह-उत्पादन में सहयोग करता है।

बायोगैस कार्यक्रम – छोटे (1-25 एम³/दिन) और मध्यम (25-2500 एम³/दिन) बायोगैस संयंत्रों में सहयोग करते हैं।

प्रमुख योजनाएं एवं कार्यक्रम

अप्रैल 2025 तक:

  • 50.03 लाख आवेदन प्राप्‍त
  • 11.88 लाख परिवारों को लाभ

1. पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना

फरवरी 2024 में शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली के माध्यम से 1 करोड़ परिवारों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है। ₹75,021 करोड़ के परिव्यय के साथ, इसका लक्ष्य आवासीय क्षेत्र में छत पर सौर ऊर्जा के माध्यम से सौर क्षमता में 30 गीगावाट की वृद्धि करना है, जिससे संभावित रूप से 25 वर्षों में 1 लाख करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और 720 एमएमटी कार्बनडाइक्‍साइड उत्सर्जन में कमी आएगी।

एक समर्पित राष्ट्रीय पोर्टल आसान पंजीकरण, विक्रेता सूचीकरण और सब्सिडी ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है।

2. पीएम-कुसुम योजना

उपलब्धियां ( 31.03.2025 तक):

  • घटक ए के तहत 563.48 मेगावाट क्षमता स्थापित की गई
  • घटक बी के तहत 7.70 लाख कृषि पंप स्थापित किए गए
  • घटक सी के तहत 3.39 लाख पंपों को सौर ऊर्जा से संचालित किया गया

मार्च 2019 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य ऊर्जा और जल सुरक्षा प्रदान करके तथा कृषि क्षेत्र को डी-डीज़लाइज़ करके किसानों की आय बढ़ाना है। यह योजना किसानों को स्‍वतंत्र रूप से सोलर पंप लगाने और मौजूदा ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को सोलराइज़ करने तथा उनकी बंजर/परती कृषि भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना का लक्ष्य देश भर में 34.8 गीगावॉट सौर क्षमता को जोड़ना है, जिसका कुल वित्तीय परिव्यय ₹34,422 करोड़ है।

तीन प्रमुख घटक:

    • : 10,000 मेगावाट विकेन्द्रीकृत ग्राउंड माउंटेड ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्र।
    • ख: 15 लाख स्‍वतंत्र रूप से सौर ऊर्जा संचालित कृषि पंपों की स्थापना।
    • : फीडर स्तर सौरीकरण सहित 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सौरीकरण।

अब आसान वित्तपोषण के लिए सभी घटकों को कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के अंतर्गत शामिल किया गया है।

  • लक्ष्‍य: मार्च 2026 तक 40 गीगावाट
  • मंजूर: 13 राज्‍यों में 39,958 मैगावाट क्षमता के 55 पार्क
  • चालू: 24 पार्कों में 12,804 मैगावाट

3. सौर पार्क योजना

यह योजना बड़े पैमाने पर ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं को आवश्यक बुनियादी ढांचे जैसे भूमि, बिजली निकासी सुविधाएं, सड़क संपर्क, जल सुविधा आदि के साथ-साथ सभी वैधानिक मंजूरियों की सुविधा प्रदान करती है।

4. उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजना

उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजना का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। यह आयात निर्भरता को भी कम करता है। इस योजना का परिव्यय ₹24,000 करोड़ है। इस योजना के तहत, 48,337 मेगावाट की पूर्ण/आंशिक रूप से एकीकृत सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए लेटर्स ऑफ अवार्ड जारी किए गए हैं।

पीएलआई योजना के तहत प्रदान की गई क्षमताओं से अधिक पीएलआई लाभार्थियों द्वारा स्थापित अतिरिक्त क्षमताओं सहित, 31.03.2025 तक, जिन क्षमताओं ने उत्पादन शुरू कर दिया है उनमें लगभग 17 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण, लगभग 6 गीगावाट सौर पीवी सेल विनिर्माण और लगभग 2 गीगावाट इंगोट-वेफर विनिर्माण शामिल हैं।

5. पीएम जनमन: सौर विद्युतीकरण के माध्यम से पीवीटीजी समुदायों को सशक्त बनाना

क. प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) को 9 मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों के माध्यम से विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शुरू किया गया था। इस मिशन और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीए जेजीयूए) के तहत एक प्रमुख पहल नई सौर ऊर्जा योजना है, जिसमें 515 करोड़ रुपये का परिव्यय है, जिसका उद्देश्य 18 राज्यों में जनजातीय और पीवीटीजी बस्तियों में एक लाख गैर-विद्युतीकृत घरों को बिजली देना है, जिससे दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में समावेशी विकास और स्थायी ऊर्जा पहुंच को बढ़ावा मिलेगा।

लक्ष्‍य:

  • 1 लाख घर
  • 1500 बहुउद्देश्यीय केंद्रों (एमपीसी) में ऑफ-ग्रिड सौर प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध कराना
  • 2000 सार्वजनिक संस्थानों का सौरीकरण

प्रगति:

 

  • 9961 घरों को मंजूरी
  • 2057 घरों में विद्युतीकरण (31.03.2025 तक)

 

 

भारत का विस्तारित परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम

पिछले दशक में भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय विस्तार और आधुनिकीकरण हुआ है। स्वच्छ ऊर्जा, स्वदेशी तकनीक और प्रदर्शन उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करके, देश ने अपनी परिचालन क्षमता और भविष्य की संभावनाओं को बढ़ाया है।

 परमाणु ऊर्जा में प्रमुख उपलब्धियां (2014-2025)

  • वार्षिक परमाणु बिजली उत्पादन में 60 प्रतिशत की वृद्धि:
  • 35,592 एमयू (2014-15) से 56,681 एमयू (2024-25)
  • स्थापित परमाणु क्षमता में 71% की वृद्धि:
  • न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) द्वारा संचालित 25 परमाणु रिएक्टरों में 2014 में लगभग 4,780 मैगावाट से बढ़कर 2025 में 8,780 मैगावाट हो जाएगी।

परमाणु क्षमता में वृद्धि

(मैगावाट में संख्‍या)

 

  • वित्तीय वर्ष 2024-25 में 87 प्रतिशत प्लांट लोड फैक्टर हासिल किया जाएगा।
  • पिछले पांच वर्षों में सभी संचालित रिएक्टरों के लिए क्षमता फैक्टर और उपलब्धता फैक्टर 80 प्रतिशत से अधिक होगा।

नये रिएक्टर चालू किये गये:

    • कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपीपी) यूनिट-1 (1000 मेगावाट) – दिसम्‍बर 2014
    • केकेएनपीपी यूनिट-2 (1000 मेगावाट) - मार्च 2017
    • काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना (केएपीपी) यूनिट-3 (700 मेगावाट) - जून 2023
    • काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन (केएपीएस) यूनिट-4 (700 मेगावाट) - मार्च 2024
    • राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना (आरएपीपी) यूनिट-7 (700 मेगावाट) - अप्रैल 2025

राष्‍ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

जनवरी 2023 में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम), जिसका वित्तीय परिव्यय 2029-30 तक ₹19,744 करोड़ है, भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करने की एक प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करना है।

2030 तक मिशन के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:

  1. भारत की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता लगभग 5 एमएमटी प्रति वर्ष तक पहुँच जाएगी, जिससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम होगी।
  2. मिशन के लक्ष्यों की प्राप्ति से 2030 तक कुल ₹1 लाख करोड़ मूल्य के जीवाश्म ईंधन आयात में कमी आने की उम्मीद है।
  3. इस मिशन से कुल ₹8 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश होने और देश में 6 लाख से अधिक हरित नौकरियाँ सृजित होने की संभावना है।
  4. मिशन के लक्ष्यों से 100 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता जुड़ेगी और इसके परिणामस्वरूप हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग के माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी कार्बनडाइक्‍साइड उत्सर्जन में कमी आएगी।

भारत का गैर-नवीकरणीय विद्युत उत्पादन

जून 2025 तक :

  • 219 गीगावाट की क्षमता के साथ कोयला प्रमुख योगदानकर्ता बना हुआ है।
  • गैस आधारित बिजली का योगदान 20 गीगावाट है।
  • डीजल आधारित बिजली से 589 मेगावाट अतिरिक्त बिजली प्राप्त होगी।

भारत का ऊर्जा क्षेत्र गैर-नवीकरणीय तापीय स्रोतों पर बहुत अधिक निर्भर है, जो देश की बिजली उत्पादन क्षमता का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। भारत की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता में ताप बिजली का अकेले योगदान 50.52 प्रतिशत है, जो देश की बिजली की मांग को पूरा करने में इसकी केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करता है।

इन स्रोतों से कुल ताप ऊर्जा की क्षमता 240 गीगावाट है। इनमें से अकेले कोयले से कुल ताप ऊर्जा का 91 प्रतिशत से अधिक योगदान मिलता है, जो देश को ऊर्जा प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

ताप बिजली क्षमता ओवर टाइम

(गीगावाट में संख्‍या)

भारत का कोयला क्षेत्र  

पिछले ग्यारह वर्षों में, कोयला मंत्रालय के अंतर्गत भारत के कोयला क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं। आत्मनिर्भरता, स्थिरता और दक्षता पर ध्यान केन्‍द्रित करने के साथ, प्रमुख सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास ने रिकॉर्ड उत्पादन, आयात में उल्लेखनीय कमी और स्वच्छ, अधिक पारदर्शी संचालन को सक्षम किया है।

प्रमुख उपलब्धियां (2014–2025)

कोयला उत्पादक राज्यों के साथ राजस्व साझा करना

कोयला उत्पादक राज्यों को दिए गए राजस्व से बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक विकास और नागरिकों के लिए 'जीवन की सुगमता' में सुधार हुआ। कोयला पीएसयू ने 2014-15 से कोयला उत्पादक राज्यों को कुल ₹ 1.8 लाख करोड़ का राजस्व वितरित किया।

कोयल उत्‍पादक राज्‍यों के साथ साझा राजस्‍व

(करोड़ में संख्‍या)

                    स्रोत : कोयला मंत्रालय

उत्पादन एवं आपूर्ति वृद्धि

  • कोयला उत्पादन 2014-15 में 609.18 मिलियन टन (एमटी) से बढ़कर 2024-25 में 1,047.68 मीट्रिक टन हो गया, जो 72 प्रतिशत की वृद्धि है।
  • कोयले की आपूर्ति 603.77 मीट्रिक टन से बढ़कर 1,025.25 मीट्रिक टन हो गई, जिससे बढ़ती घरेलू मांग, विशेष रूप से बिजली उत्पादन को पूरा किया जा सका।

पिछले 11 वर्षों में कोयला उत्‍पादन में वृद्धि          पिछले 11 वर्षों में कोयला उत्‍पादन में वृद्धि

      (संख्‍या मिलियन टन में)                          (संख्‍या मिलियन टन में)

     

आयात में कमी और बचत

  • 2014-15 से आयात निर्भरता में लगातार गिरावट आई है, जो 2023-24 में 26 प्रतिशत से घटकर लगभग 21 प्रतिशत हो गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में जनवरी 2025 तक आयात निर्भरता और घटकर 19.60 प्रतिशत हो गई है।
  • घरेलू बिजली संयंत्रों के लिए कोयले का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अप्रैल-जनवरी वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 34.24 प्रतिशत कम हुआ।
  • आयात मूल्य में गिरावट आई, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2024-25 (जनवरी तक) में 5.88 बिलियन अमरीकी डॉलर (₹45,301 करोड़) की पर्याप्त बचत हुई, जो आत्मनिर्भरता में सुधार को दर्शाता है।

वाणिज्यिक खनन क्रांति

  • वाणिज्यिक खनन नीति (जून 2020 में शुरू) के तहत 124 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए; 17 पहले से ही चालू हैं।
  • कैप्टिव/वाणिज्यिक खदानों से उत्पादन 52.7 मीट्रिक टन (2014-15) से बढ़कर 190.95 मीट्रिक टन (2024-25) हो गया, जो 262 प्रतिशत की वृद्धि है।

स्थिरता और पर्यावरण

एक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए, कोयला क्षेत्र सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर संतुलित ऊर्जा मिश्रण की ओर बढ़ रहा है, साथ ही कार्बन कैप्चर, पुनर्वनीकरण और स्वच्छ ऊर्जा पहलों के माध्यम से पिछले पर्यावरणीय प्रभावों की भरपाई भी कर रहा है।

  • 21,500 हेक्टेयर में 477.7 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए - 10.78 लाख टन कार्बनडाइक्‍साइड ईक्‍यू के कार्बन सिंक के बराबर।
  • वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, 17 इको-पार्क / खान पर्यटन स्थल / मनोरंजक पार्क स्थापित किए गए और 7 पार्कों को स्थानीय पर्यटन सर्किट से जोड़ा गया।

कोयला पीएसयू द्वारा निर्धारित शुद्ध शून्य लक्ष्य और अब तक की उपलब्धि इस प्रकार है

कोयला/लिग्‍नाइड

पीएसयू

शुद्ध शून्‍य उपलब्धि लक्ष्‍य

क्षमता के आधार पर शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की योजना

अब तक चालू नवीकरणीय

सौर

  पवन

सीआईएल

 2026

3000 मैगावाट

122.5 मैगावाट

 

एनएलसीआईएल

 हासिल

300 मैगावाट

1380 मैगावाट

51 मैगावाट

एससीसीएल

 2025

530 मैगावाट

245.5 मैगावाट

 
 

 कुल

 

1748 मैगावाट

51 मैगावाट

*स्रोत-कोयला मंत्रालय

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर)

  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा सीएसआर खर्च 2014-15 में ₹360.5 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹739.62 करोड़ हो गया (132 प्रतिशत वृद्धि)

सीएसआर खर्च पर 11 वर्षों की उपलब्धि

(करोड़ रुपयों में)

  • पिछले 11 वर्षों में कुल व्यय: ₹6,418 करोड़, जिससे 3.5 करोड़ नागरिकों को लाभ मिला।
  • स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास, आकांक्षी जिलों, खेल और दिव्यांगजन समावेशन में प्रमुख परियोजनाएँ।

रोजगार सृजन

  • सीआईएल और एनएलसीआईएल द्वारा मिशन मोड भर्ती (2014-2025) के तहत 16,209 नौकरियों की पेशकश की गई।
  • सीएसआर के माध्यम से, कौशल और आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से 62,000 से अधिक व्यक्तियों को सशक्त बनाया गया।
  • 1,263 स्कूलों में डिजिटल शिक्षा का बुनियादी ढांचा प्रदान किया गया।

डिजिटल खरीद नेतृत्व

  • वित्त वर्ष 2024-25: जीईएम के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की ₹2.11 लाख करोड़ की खरीद (वित्त वर्ष 24 में ₹1.01 लाख करोड़ से) – 108 प्रतिशत की वृद्धि।
  • कोयला मंत्रालय जीईएम खरीद में मंत्रालयों के बीच #1 स्थान पर है; सीआईएल सीपीएसई में #1 स्थान पर है।
  • 63 schools.

भारत में तेल और गैस क्षेत्र: महत्व और उपलब्धियां

तेल और गैस क्षेत्र भारत के आठ प्रमुख उद्योगों में से एक है और देश के आर्थिक इंजन को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दुनिया में तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है (2023 तक), जो इस क्षेत्र को देश की ऊर्जा सुरक्षा और भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। चूंकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2040 तक 8.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है, इसलिए ऊर्जा, विशेष रूप से तेल और प्राकृतिक गैस की मांग लगभग दोगुनी होकर 1,123 मिलियन टन तेल के बराबर होने वाली है, जिससे यह क्षेत्र घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेश दोनों के लिए तेजी से आकर्षक बन रहा है।

प्रमुख उपलब्धियां (2014–2025)

  • तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) क्रांति:
    • एलपीजी कनेक्शन 14.51 करोड़ (2014) से बढ़कर 32.97 करोड़ (2025) हो गए।

एलपीजी कनेक्‍शन

(करोड़ में)

स्रोत : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय

  • प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना (पीएमयूवाई)
  • 01 मार्च 2025 तक, पूरे भारत में 10.33 करोड़ पीएमयूवाई कनेक्शन हैं।
  • 01 अप्रैल 2022 तक जारी किए गए 8.99 करोड़ कनेक्शनों में से,

8.34 करोड़ लाभार्थियों ने अप्रैल 2022 - मार्च 2024 के दौरान कम से कम एक रिफिल का लाभ उठाया, जो निरंतर एलपीजी उपयोग का संकेत देता है।

मई 2016 में शुरू की गई पीएमयूवाई का उद्देश्य पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन जैसे जलाऊ लकड़ी और गाय के गोबर के उपलों के स्‍थान पर गरीब परिवारों की वयस्क महिलाओं को जमा राशि के बिना एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना, स्वास्थ्य, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना और महिला सशक्तिकरण करना था। उज्ज्वला 2.0 के तहत, प्रवासी परिवारों के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया था, जिससे उन्हें पते के प्रमाण और राशन कार्ड की आवश्यकता के बजाय स्व-घोषणा के माध्यम से एक नया एलपीजी कनेक्शन प्राप्त करने की अनुमति मिली।

पाइपलाइन वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) और कम्‍प्रैस्‍ड प्राकृतिक गैस (सीएनजी) का विस्तार

    • पीएनजी कनेक्शन लगभग 6 गुना बढ़े, 0.254 करोड़ (2014) से बढ़कर 1.47 करोड़ (2025) हो गए।
    • सीएनजी स्टेशन दस गुना से अधिक बढ़े, 738 (2014) से बढ़कर 7720 (2025) हो गए।
    • विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों के लिए सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) नेटवर्क 53 से बढ़कर 307 हो गया।
    • सीजीडी कवरेज 2025 तक जनसंख्या के हिसाब से 13.27% से बढ़कर लगभग 100% और क्षेत्र के हिसाब से 5.58% से बढ़कर ~100% हो गया।

 

पीएनजी स्‍टेशन                                            सीएनजी स्‍टेशन

(करोड़ में)                                                   (संख्‍या) 

स्रोत : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस                     स्रोत : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस    

  • प्राकृतिक गैस पाइपलाइन और एलएनजी अवसंरचना :
    • चालू प्राकृतिक गैस पाइपलाइनें 15,340 किमी (2014) से बढ़कर 25,124 किमी (2025) हो गईं।
    • एलएनजी टर्मिनलों की संख्या 4 से बढ़कर 8 हो गई और उनकी क्षमता 22 एमएमटीपीए से बढ़कर 52.7 एमएमटीपीए हो गई।
  • जैव ईंधन और इथेनॉल सम्मिश्रण प्रगति :
    • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति (2018, 2022 में संशोधित) ने 2025-26 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है।
    • इथेनॉल मिश्रण 1.53 प्रतिशत (2014) से बढ़कर 18.5 प्रतिशत (2025) हो गया।
    • इथेनॉल खरीद 2014 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2025 में 440.74 करोड़ लीटर हो गई।
    • बायोडीजल खरीद 1.19 करोड़ लीटर (2015-16) से बढ़कर 43.99 करोड़ लीटर (2024) हो गई।

निष्‍कर्ष

भारत न केवल अपनी ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है, बल्कि इसे नया आकार दे रहा है, जलवायु परिवर्तन से निपट रहा है, साथ ही ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है और सभी को आधुनिक ऊर्जा उपलब्ध करा रहा है। पिछले एक दशक में भारत की ऊर्जा यात्रा आत्मनिर्भरता, स्थिरता और नवाचार की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाती है। साहसिक सुधारों, बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विस्तार और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक मजबूत प्रयास के साथ, देश न केवल अपनी बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा कर रहा है, बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में भी सार्थक योगदान दे रहा है। ग्रीन हाइड्रोजन से लेकर सोलर रूफटॉप, ग्रामीण विद्युतीकरण से लेकर डिजिटल खरीद तक, हर पहल सभी के लिए समावेशी, सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा की भारत की दूरदर्शिता को दर्शाती है। जैसे-जैसे देश आगे बढ़ रहा है, इसकी संतुलित और दूरदर्शी ऊर्जा रणनीति आर्थिक विकास और एक टिकाऊ भविष्य को शक्ति प्रदान करती है।

संदर्भ

 

Click here to download PDF

*******

एमजी/केसी/केपी

विश्लेषक 21/ सरकार के 11 वर्षों पर सीरीज

(Backgrounder ID: 154718) Visitor Counter : 298
Read this release in: English
Link mygov.in
National Portal Of India
STQC Certificate