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Economy

जीएसटी के आठ वर्ष

2024-25 के दौरानजीएसटी का रिकॉर्ड सकल संग्रह,सर्वेक्षण में उद्योग जगत से जुड़े85 प्रतिशतलोगों ने इस प्रणालीका समर्थन किया

Posted On: 30 JUN 2025 11:26AM

Text Box: मुख्य बातें•	वर्ष 2024-25 के दौरान जीएसटी का सकल संग्रह 22.08 लाखकरोड़ रुपयेतकजा पहुंचा, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 9.4 प्रतिशत अधिक है।•	डेलॉइट सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 85 प्रतिशत उत्तरदाताओं का जीएसटी संबंधी अनुभव सकारात्मक रहा।•	सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई।

 

 

भूमिका

1 जुलाई 2025 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के आठ वर्ष पूरे हो जाएंगे। आर्थिक एकीकरण की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में 2017 में शुरू किए गए, जीएसटी ने अप्रत्यक्ष करों के मकड़जाल को हटाकर उसकी जगह एक एकल वएकीकृत प्रणाली को स्थापित कर दिया। इससे कर अनुपालन आसान हो गया, कारोबारियोंकी लागत कम हो गईऔर माल को विभिन्न राज्यों में बिना रोक-टोक के ले जाने की अनुमति मिल गई। पारदर्शिता और दक्षता को बेहतर करके, जीएसटी ने एक सशक्त एवं अपेक्षाकृतअधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में मदद की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे “नए भारत का एक मार्गदर्शक कानून”बताया था। आठ वर्ष बाद, आंकड़े खुद ही इसकी गवाही देरहे हैं। वर्ष 2024-25 में, जीएसटी का सकल संग्रह 22.08 लाखकरोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तरपरपहुंचगया, जोकिवर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 9.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि अर्थव्यवस्था के बढ़ते औपचारिकीकरण और बेहतर कर अनुपालन को दर्शाती है।

हाल ही में आई डेलॉइट की ‘जीएसटी@8’ शीर्षक रिपोर्ट में जीएसटी की दृष्टि से पिछले वर्ष को बेहद ही सफलकरार दिया गया है। इस रिपोर्ट ने इस सफलता का श्रेय मुख्य रूप से सरकार द्वारा सही समय पर किए गए सुधारों, करदाताओं को दिए गए स्पष्ट मार्गदर्शन और जीएसटी पोर्टल पर लगातार किए गए अपग्रेड को दिया। इन उपायों से न केवल व्यवसाय करने में आसानी हुई, बल्कि कर का आधार भी मजबूत हुआ।

जीएसटी की यात्रा

 

जीएसटी प्रणाली की संरचना और प्रमुख विशेषताएं

भारत में जीएसटी की दरें जीएसटी परिषद द्वारा निर्धारित की जाती हैं। इस परिषद में केन्द्र और राज्य या केन्द्र-शासित प्रदेश की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। जीएसटी की वर्तमान संरचना में दरों के चार मुख्य स्तर (स्लैब) हैं: 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें देशभर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं।

मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी हैं: सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत। तंबाकू के उत्पादों, वातित पेय और मोटर वाहनों जैसे चुनिंदा सामानों पर अलग-अलग दरों पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर भी लगाया जाता है। इस उपकर का उपयोग राज्यों को जीएसटी प्रणाली को अपनाने के परिणामस्वरूप राजस्व में होने वालीकिसी भी हानि की भरपाई के लिए किया जाता है।

जीएसटी की मुख्य विशेषताएं हैं:

  • एक राष्ट्र, एक कर: जीएसटी ने विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को समेटकर एक कर दिया। इसने उत्पाद शुल्क, सेवा कर औरवैट जैसे करों की जगह ले ली। इससे करों के व्यापक प्रभाव को दूर करने में मदद मिली और देश भर में कर प्रणाली में एकरूपता आई।

 

  • दोहरी संरचना: जीएसटी प्रणाली को दोहरे मॉडल से लैस कर डिज़ाइन किया गया है। इसमें एक राज्य के भीतर होने वाले लेन-देन में केन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) शामिल होते हैं। राज्यों के बीच व्यापार के लिए, एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) लागू होता है।

 

  • गंतव्य-आधारित कर: जीएसटी मूल स्थान के बजाय उपभोग वाले बिंदु पर लगाया जाता है। यह आपूर्ति श्रृंखला में कर क्रेडिट के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करता है और अंतिम उपभोक्ता पर समग्र कर का बोझ कम करता है।

 

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी): व्यवसाय इनपुट पर चुकाए गए करों के लिए क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। इससे कर पर कर से बचावहोता है और उत्पादन एवं वितरण श्रृंखला में लागत कम होती है।

 

  • सीमा से छूट: एक निश्चित सीमा से कम टर्नओवर वाले छोटे व्यवसायों को जीएसटी से छूट दी गई है। इससे अनुपालन आसान हो जाता है और सूक्ष्म उद्यमों को अत्यधिक कागजी कार्रवाई से सुरक्षा मिलती है।

 

  • कंपोजिशन स्कीम: यह योजना उन छोटे करदाताओं के लिए है जिनका टर्नओवर एक निश्चित सीमा से कम है। यह उन्हें अपने टर्नओवर पर एक निश्चित दर से जीएसटी का भुगतान करने की अनुमति देता है। इस योजना में कम दस्तावेज और सरल रिटर्न शामिल हैं।

 

  • ऑनलाइन अनुपालन: पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करने और भुगतान सहित जीएसटी की सभी प्रक्रियाएं जीएसटीएन पोर्टल के जरिए की जाती हैं। यह डिजिटल दृष्टिकोण दक्षता और व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ाता है।

 

  • क्षेत्र-विशेष को छूट: स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों को या तो छूट दी जाती है या उन पर कम दरों पर कर लगाया जाता है। इससे आवश्यक सेवाएं सभी के लिए सुलभ रहती हैं।

 

  • खाता निपटान: जीएसटी केन्द्र और राज्यों के बीच राजस्व का सुचारू बंटवारा सुनिश्चित करता है। राजकोषीय संतुलन और सहयोग बनाए रखने हेतु ऋण अंतरण निर्बाध रूप से किया जाता है।

जीएसटी के लाभ

आठ वर्ष बाद भी, जीएसटी रोज़मर्रा के कारोबार को अपेक्षाकृत अधिक आसान और उचित बना रहा है। छोटी कंपनियों काजीना आसानबनाने में मदद करने से लेकर आम परिवारों के लिए किराने का सामान सस्ता करने तक, इस सुधार ने अपनी छाप छोड़ी है। इसने राजमार्गों को भी भीड़भाड़ से मुक्तकिया है और आपूर्ति श्रृंखलाओं को गति दी है। यहां जीएसटी द्वारासूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की मदद करने,उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने और देश भर में लॉजिस्टिक्स को नया आकार देने की बानगी प्रस्तुत है।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई)को समर्थन

जीएसटी ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को बड़ी राहत दी है। इससे पहले वैट और अन्य राज्य करों के तहत सीमा बहुत कम थी, जिससे छोटे कारोबारियों के लिए अनुपालन मुश्किल हो जाता था। जीएसटी ने छूट की उच्च सीमा निर्धारित करके इसे बदल दिया। शुरुआत में 20 लाख रुपयेतयकीगईसीमाकोबादमेंबढ़ाकर 40 लाखरुपये करदियागया, जिससे कई छोटे व्यापारियों और निर्माताओं को राहत मिली।

बोझ को और कम करने हेतु, जीएसटी ने एक कंपोजिशन स्कीम शुरू की। इससे छोटे कारोबारियों को अपने टर्नओवर पर एक निश्चित दर से कर का भुगतान करने की अनुमति मिलती है औरइसमें न्यूनतम कागजी कार्रवाई होती है। इस योजना में सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक के सामान और 50 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाली सेवाएं शामिल हैं।

जीएसटी ने ऋण को आसानी से सुलभबनाने के उपाय भी किए हैं। ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के व्यापार प्राप्तियों के वित्तपोषण/छूट प्रदान करने का एक मंच है। इन प्लेटफार्मों पर फैक्टरिंग इकाइयों (एफयू) के वित्तपोषण से एमएसएमई की वित्त तक पहुंच बेहतर करने में मदद मिलती है। सिडबी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार,मई, 2024 तक देश में टीआरईडीएस का संचालन करने के लिए चार डिजिटल प्लेटफॉर्म को अधिकृत किया गया है। कुल 5,000 से अधिक खरीदार और 53 से अधिक बैंक/13 एनबीएफसी वित्तपोषक के रूप में पंजीकृत हैं।

एमएसएमई के लिए अन्य उल्लेखनीय पहलों में शामिल हैं:

  • कुल 50 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाले सेवा प्रदाताओं के लिए एक कंपोजिशन स्कीम शुरू की गई है। वे 6 प्रतिशत की एक समान (फ्लैट) दर से कर का भुगतान कर सकते हैं और तिमाही कर भुगतान के साथ वार्षिक रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
  • कुल 5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले छोटे करदाता अब मासिक के बजाय हर तिमाही में रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। इससे अनुपालन आसान हो गया है और उन्हें अपने कारोबार पर ज़्यादा ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिली है।
  • करदाता अब एसएमएस के जरिए जीएसटीआर-3बी के लिए शून्य रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। यह सेवा जीएसटीआर-1 और सीएमपी-08 के लिए भी उपलब्ध है, जिससे रिटर्न दाखिल करना तेज़ और सरल हो गया है।

उपभोक्ताओं को लाभ

जीएसटी उपभोक्ताओं के हित में किया गया एक सुधार है। इस कर प्रणाली के केन्द्र में अंतिम उपयोगकर्ता को रखा गया है। विविध करों को हटाने और बेहतर अनुपालन के साथ, कर की औसत दरों में कमी आई है। पंजीकृत करदाताओं की संख्या 60 लाख से बढ़कर लगभग 1.51 करोड़ हो गई है। इससे कर के आधार का विस्तार हुआ है और सरकार को कई आवश्यक वस्तुओं पर कर की दरों को कम करने में मदद मिली है।

अनाज, खाद्य तेल,चीनी,स्नैक्स और मिठाई जैसी वस्तुओं पर अब कर की दरें कम हैं। वित्त मंत्रालय के एक अध्ययन में पाया गया कि जीएसटी ने आम परिवारों को कुल मासिक खर्चों में कम से कम चार प्रतिशत की बचत करने में मदद की है। उपभोक्ताओं अब रोजमर्रा की ज़रूरतों पर कम खर्च करना पड़ता है।

लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा

जीएसटी ने लॉजिस्टिक्स उद्योग का कायापलट कर दिया है। राज्य की सीमाओं पर ट्रकों की लंबी कतारें और भ्रष्टाचार-ग्रस्त जांच की चौकियां (चेकपॉइंट) अब पुरानी बात हो गई है। अब माल राज्य की सीमाओं के पार तेजी से और अधिक आसानी से जाता है।

विभिन्न अध्ययनों के अनुसार,परिवहन मेंलगनेवाले समय में 33 प्रतिशत से अधिक की बेहतरी हुई है। कंपनियों के ईंधन की लागत में कटौती हुई है, और प्रमुख राजमार्गों पर भीड़भाड़ कम हुई है। पहले, विभिन्न कर कानूनों के कारण फर्मों को हर राज्य में अलग-अलग गोदाम बनाए रखने पड़ते थे। जीएसटी के आने से, अब इसकी आवश्यकता नहीं है। इसने कारोबारियों को अधिक स्मार्ट और अपेक्षाकृत अधिक केन्द्रीकृत आपूर्ति श्रृंखला बनाने की अनुमति दी है।

जीएसटी के तहत उपलब्धियां

लागू होने के बाद से, वस्तु एवं सेवा कर ने राजस्व संग्रह और कर के आधार के विस्तार के मामले में ठोस वृद्धि दर्शायी है। इसने भारत की राजकोषीय स्थिति को लगातार मजबूत किया है और अप्रत्यक्ष कराधान को अधिक कुशल एवं पारदर्शी बनाया है।

वर्ष 2024-25 के दौरान, जीएसटी ने 22.08 लाखकरोड़ रुपयेकाअबतककासबसेअधिकसकलसंग्रहदर्जकिया, जोकिवर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 9.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। औसत मासिक संग्रह 1.84 लाखकरोड़ रुपये कारहा

वर्ष 2020-21 के दौरान,कुल संग्रह 11.37 लाखकरोड़रुपये का था, जिसमें मासिक औसत 95,000 करोड़ रुपये का था। अगले वर्ष,यह संग्रह बढ़कर 14.83 लाखकरोड़ रुपये काहोगया, और फिर 2022-23 में 18.08 लाखकरोड़रुपये का होगया।वर्ष 2023-24 के दौरान,जीएसटी संग्रह 20.18 लाखकरोड़रुपये तक जा पहुंचा, जोकि अनुपालन और आर्थिक गतिविधि में निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।

सक्रिय करदाताओं की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है। 30 अप्रैल 2025 तक, 1.51 करोड़ से अधिक सक्रिय जीएसटी पंजीकरण हैं।

 

जीएसटी परिषद

जीएसटी परिषद निर्णय लेने वाली एक ऐसी प्रमुख संस्था है, जो देश में वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन को आकार देने और उसका मार्गदर्शन करने के लिए जिम्मेदार है। संसद द्वारा 122वें संविधान संशोधन विधेयक के पारित किए जाने और 15 से अधिक राज्यों द्वारा इसके अनुसमर्थन के बाद संविधान के अनुच्छेद 279ए के अनुसार इसका गठन किया गया। उक्त संशोधन को 8 सितंबर 2016 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और उसके तुरंत बाद इस परिषद की औपचारिक रूप से स्थापना की गई।

जीएसटी परिषद में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं:

•  केन्द्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष)

• राजस्व या वित्त के प्रभारी केन्द्रीय राज्यमंत्री

• प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्रीया कोई अन्य मंत्री

• संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत आपातकाल की घोषणा होने पर राज्य के राज्यपाल द्वारा नामित कोई भी व्यक्ति

अपने गठन के बाद से,इस परिषद ने 55 बैठकें की हैं और जीएसटी व्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परिषद ने इस कर प्रणाली को सरल बनाने,अनुपालन को आसान बनाने और आर्थिक विकास को समर्थन देने के उद्देश्य से कई बड़े निर्णय लिए हैं।

कुछ उल्लेखनीय निर्णय इस प्रकार हैं:

  • ई-वे बिल की शुरुआतमाल की आवाजाही पर नज़र रखने और कर चोरी को कम करने के उद्देश्य से की गई। बाद में इन्हें ई-इनवॉयसिंग और रिटर्न फाइलिंग प्रणाली के साथ एकीकृत कर दिया गया।
  • रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए दर में राहत, जिसमें निर्माणाधीन किफायती आवास पर जीएसटी को 8 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करना शामिल है।
  • बी2बी लेनदेन के लिए ई-इनवॉयसिंग की स्वीकृति,अब 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक वार्षिक कारोबार वाली फर्मों के लिए अनिवार्य।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करके तथा बड़ी इलेक्ट्रिक बसों पर जीएसटी में छूट देकर हरित आवागमन को बढ़ावा
  • मासिक भुगतान के साथ तिमाही रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देकर छोटे कारोबारियों के लिए अनुपालन को आसान बनाने हेतुक्यूआरएमपी योजना का शुभारंभ
  • चिकित्सा संबंधी सामानों की आपूर्ति और आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी को तर्कसंगत बनाने सहित कोविड-19 से जुड़ी राहत के उपाय
  • सरलीकृत जीएसटी रिटर्न, स्वचालित रूप से भरे जाने वाले डेटा और आसान डिजिटल भुगतान के लिए सक्रिय क्यूआर कोड की शुरूआत।
  • दरों को उल्लेखनीय रूप से तर्कसंगत बनाया गया, जिससे उच्चतम कर स्लैब के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं की संख्या 227 से घटकर मात्र 35 रह गई।
  • व्यापारको सुविधाजनकबनाने केउपाय, जिसमें रिफंड के लिए फार्मूला में परिवर्तन और कर भुगतान के लिए अतिरिक्त तरीके शामिल हैं।
  • विवादों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने हेतुजीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरणों का गठन औरनई दिल्ली में प्रधान पीठ तथा राज्य में आवश्यकतानुसार पीठें।
  • अपील के लिए माफी योजना,जिससे करदाताओं को मांग संबंधी अनुदेशों के विरुद्ध विलंबित अपील दायर करने का अवसर मिलेगा।
  • बी2सी ई-इनवॉयसिंग का प्रयोगात्मक शुभारंभ और आवेदकों के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का चरणबद्ध क्रियान्वयन।
  • वाउचरों के लिए जीएसटी के संबंध में स्पष्टीकरण, जिसमें यह कहा गया कि वे न तो वस्तु हैं और न ही सेवाएं, तथा संबंधित प्रावधानों को सरल बनाया गया।
  • जीन थेरेपी पर जीएसटी में पूरी छूट और नई इनवॉयस प्रबंधन प्रणाली के लिए कानूनी ढांचे की सिफारिश।

 

डेलॉइट के जीएसटी@8 सर्वेक्षण से प्राप्तउद्योग जगत का दृष्टिकोण

डेलॉइट की जीएसटी@8 रिपोर्ट से इस बात की बहुमूल्य जानकारी मिलती है कि वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन के आठ वर्षों के बाद भारतीय कारोबार जगत इसे किस तरह देखता है। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष विभिन्न उद्योगों की शीर्ष हस्तियों के साथ किए गए व्यापक ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित हैं, जिनमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ), मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ), मुख्य सूचना अधिकारी (सीआईओ) तथा सी-सूट व सी-1 स्तर के अन्य अधिकारी शामिल हैं।

इस सर्वेक्षण में जीएसटी कार्यान्वयन और सुधार के विभिन्न पहलुओं से संबंधित 34 लक्षित प्रश्न शामिल थे। बहु चयन (मल्टीपल सेलेक्ट),एकल चयन (सिंगल सेलेक्ट) एवं रैंकिंग से जुड़े और कुछ खुले सवालोंके मिश्रण वाले इस सर्वेक्षण में आठ प्रमुख उद्योगों से 963 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं। दी गई प्रतिक्रियाओं (फीडबैक)में मात्रात्मक पहलुओ और गुणात्मक दृष्टिकोण, दोनों का ही समावेश था। इससे जीएसटी व्यवस्था के विकास के बारे में एक व्यापक दृष्टिकोण सामने आया।

प्रमुख बातें:

कुल 85 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने जीएसटी को लेकर सकारात्मक अनुभव की जानकारी दी। यह लगातार चौथा वर्ष है जब यह भावना और बेहतरहुई है। कारोबारियों ने इस कर प्रणाली और इसकी दीर्घकालिक स्थिरता में बढ़ते विश्वास को व्यक्त करना जारी रखा है।

उत्तरदाताओं ने अपने सकारात्मक दृष्टिकोण का श्रेय कई प्रमुख सुधारों को दिया:

सरलीकृत और अपेक्षाकृत अधिक पारदर्शी कर प्रक्रियाएं

इनपुट टैक्स क्रेडिट का निर्बाध प्रवाह, जिसने समग्र कर बोझ को कम करने में मदद की

विरासती करों और राज्य-स्तरीय चेक पोस्टों की समाप्ति

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और प्रौद्योगिकी-संचालित अनुपालन का व्यापक उपयोग

राज्यों में एक समान प्रक्रियाएं और तेज़ रिफंड

जीएसटी को व्यवसायकरने में आसानी,कर प्रशासन को सुव्यवस्थित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से व्यापक रूप से मान्यता दी गई। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के बीच इसके बारे में सकारात्मक भावना पिछले वर्ष के 78 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष 82 प्रतिशत हो गई, जो छोटी फर्मों के बीच इसकी व्यापक स्वीकृति को दर्शाता है।

उद्योग-वार धारणा:

 

क्षेत्र/उद्योग

सकारात्मक धारणा (%)

उपभोक्ता

89%

वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी)

90%

प्रौद्योगिकी, मीडिया और दूरसंचार (टीएमटी)

84%

ऊर्जा, संसाधन एवं  औद्योगिक

84%

बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं

85%

सरकार एवं सार्वजनिक सेवाएं

89%

जीवन विज्ञान (लाइफ साइंसेज)एवं स्वास्थ्य सेवा

82%

 

निष्कर्ष

अपनी शुरुआत के आठ वर्ष बाद, वस्तु एवं सेवा कर ने खुद को देश के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों में से एक के रूप में मजबूती से स्थापित कर लिया है। इसने अप्रत्यक्ष करों के जटिल जाल को हटाकरइसकी जगह एक ऐसी एकीकृत प्रणाली को ला दिया है जो सरल, उचित और अपेक्षाकृत अधिक कुशल है। जीएसटी ने एक साझा राष्ट्रीय बाजार बनाने, व्यापार करने की लागत को कम करने और कर प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता लाने में मदद की है।

राजस्व संग्रह में निरंतर वृद्धि और 1.5 करोड़ से अधिक सक्रिय करदाताओं का बढ़ता आधार इसकी सफलता को दर्शाता है। कारोबार जगत, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों को अब अनुपालन संबंधी कम बाधाओं का सामना करना पड़ता है। डेलॉइट जीएसटी@8 सर्वेक्षण इस सकारात्मक बदलाव की पुष्टि करता है। इस सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि उद्योग जगत से जुड़े 85 प्रतिशत उत्तरदाताओं का जीएसटी के साथ अनुभव अनुकूल था औरउन्होंनेसरलीकृत प्रक्रियाओं,बेहतर ऋण प्रवाह और मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे का हवाला दिया। अब जबकि जीएसटी अपने नौवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, यह कर प्रणाली व्यवसाय करने में आसानी, बेहतर अनुपालन और व्यापक आर्थिक भागीदारी पर ध्यान केन्द्रित करते हुए और आगे विकसित होने की दिशा में अग्रसर है।

संदर्भ:

वित्त मंत्रालय:

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय:

सूचना और प्रसारण मंत्रालय:

पीआईबी बैकग्राउंडर्स:

डेलोइट की रिपोर्ट:

पीडीएफ फाइल के लिए यहां क्लिक करें

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