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Economy

भारत की आर्थिक प्रगति

जीडीपी में 6.5% की बढ़ोतरी के साथ भारत सबसे तेजी से प्रगति करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना

Posted On: 06 JUL 2025 11:31AM

"इस वैश्विक परिवेश में, भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रगति का एक प्रमुख चालक बनी हुई है। मजबूत घरेलू विकास कारकों, बेहतर मैक्रोइकोनॉमिक मूलतत्त्व और सूझबूझ भरी नीतियों के चलते विकास की गति में उछाल रहा है।"

~संजय मल्होत्रा, आरबीआई गवर्नर

 

 

  • भारत की जीडीपी 2024-25 में 6.5% बढ़ी, जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है।
  • मुद्रास्फीति मई 2025 में 2.82% तक गिर गई, जो फरवरी 2019 के बाद का निम्नतम स्तर है।
  • कुल निर्यात 2024-25 में रिकॉर्ड 824.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

 

प्रस्तावना

भारत की अर्थव्यवस्था स्थिरता और आत्मविश्वास के साथ लगातार बढ़ रही है, जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरकर सामने आ रही है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अर्थव्यवस्था के आकार और स्वास्थ्य का एक पैमाना है। यह किसी देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है। 2024-25 में वास्तविक जीडीपी बढ़ोतरी का अनुमान 6.5 प्रतिशत था। भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि 2025-26 में भी यही दर जारी रहेगी। यह प्रदर्शन ऐसे समय में आया है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता का सामना कर रही है, जिससे भारत की स्थिर प्रगति और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

मजबूत घरेलू मांग, घटती मुद्रास्फीति, मजबूत पूंजी बाजार और बढ़ते निर्यात की मदद से देश की तस्वीर व्यापक आर्थिक लचीलेपन और संतुलन की है। रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार, प्रबंधनीय चालू खाता घाटा और बढ़ते विदेशी निवेश जैसे प्रमुख संकेतक, भारत की दीर्घकालिक संभावनाओं में बढ़ते वैश्विक भरोसे को दर्शाते हैं। साथ ही, ये रुझान एक ऐसी अर्थव्यवस्था को दर्शाते हैं जो न केवल फैल रही है बल्कि मजबूती के साथ सभी क्षेत्रों में ऐसा कर रही है।

 

मजबूत जीडीपी बढ़ोतरी

 

भारत की प्रगति की कहानी पर पूरे विश्व का ध्यान जा रहा है, जिसे मजबूत बुनियादी बातों और लगातार प्रदर्शन का सहयोग मिला है। रियल जीडीपी, जिसे मुद्रास्फीति के असर को हटाने के बाद अर्थव्यवस्था के उत्पादन को मापा जाता है, 2024-25 में 6.5 प्रतिशत तक बढ़ गई। भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि यह गति 2025-26 तक जारी रहेगी। अन्य अनुमान इस आशावाद को दोहराते हैं, संयुक्त राष्ट्र ने इस साल 6.3 प्रतिशत और अगले साला 6.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है, जबकि भारतीय उद्योग परिसंघ ने अपना अनुमान थोड़ा अधिक 6.40 से 6.70 प्रतिशत रखा है।

 

इस अनवरत प्रदर्शन का आधार मजबूत घरेलू मांग है। ग्रामीण खपत में तेजी आई है, शहरी खर्च बढ़ रहा है, और निजी निवेश में तेजी आ रही है। कारोबार फैल रहे हैं, जिनमें से कई अपने अधिकतम उत्पादन स्तर के करीब कार्यान्वयन कर रहे हैं। साथ ही, सार्वजनिक निवेश लगातार उच्च बना हुआ है, विशेष रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर में, जबकि उधारी की स्थिर परिस्थितियों ने फर्मों और उपभोक्ताओं को भविष्य के प्रति फैसले लेने में मदद की है।

इसके ठीक उलट, वैश्विक परिस्थितियां नाजुक बनी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र ने व्यापार तनाव, नीतिगत अनिश्चितताओं और सीमा पार निवेश में गिरावट का हवाला देते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था को "अनिश्चितता के दौर" में बताया है। इसके बावजूद, भारत एक उज्ज्वल स्थान के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है, वैश्विक संस्थाओं और उद्योग निकायों ने इसकी प्रगति की संभावनाओं पर भरोसा जताया है।

बीते दशक में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार तेजी से बढ़ा है। 2014-15 में मौजूदा कीमतों पर जीडीपी 106.57 लाख करोड़ रुपये थी। यह आंकड़ा 2024-25 में बढ़कर 331.03 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जो कि दस साल में लगभग तीन गुना उछाल है। बीते साल ही नॉमिनल जीडीपी में 9.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि वास्तविक जीडीपी में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जो अर्थव्यवस्था के अनवरत लचीलेपन और शक्ति को दर्शाता है।

 

नियंत्रण में मुद्रास्फीति

 

भारत में मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट आई है, जिससे घर और कारोबार, दोनों को राहत मिली है। मई 2025 में, सालाना आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति दर 2.82 प्रतिशत रही। यह फरवरी 2019 के बाद का निम्नतम स्तर है। यह पिछले महीने से 34 बेसिस प्वाइंट्स की गिरावट को भी दर्शाता है।

 

 

खाद्यान्नों की कीमतें, जो आमतौर पर कुल मुद्रास्फीति पर बड़ा असर डालती हैं, भी कम हुई हैं। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) ने मई 2025 में केवल 0.99 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर दर्ज की। यह अक्टूबर 2021 के बाद से देखी गई सबसे कम खाद्य मुद्रास्फीति है। ग्रामीण और शहरी खाद्य मुद्रास्फीति क्रमशः 0.95 प्रतिशत और 0.96 प्रतिशत पर लगभग समान थी। अप्रैल 2025 के मुकाबले, खाद्य मुद्रास्फीति में 79 बेसिस प्वाइंट्स की गिरावट आई, जो सब्जियों और अनाज जैसी जरूरी वस्तुओं में स्पष्ट गिरावट का रुझान दिखाती है।

 

 

जून 2025 में जारी की गई भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, मुद्रास्फीति का आउटलुक अनुकूल बना हुआ है। फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के चलते खाद्य कीमतों के स्थिर रहने की उम्मीद है। वैश्विक मोर्चे पर, आयातित मुद्रास्फीति का जोखिम फिलहाल कम दिखाई देता है। वैश्विक मांग में मंदी के कारण कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण रहने की संभावना है। हालांकि, मध्य पूर्व में हाल के तनावों ने इस तस्वीर में कुछ अनिश्चितता जोड़ दी है।

 

कुल मिलाकर, रिजर्व बैंक का मानना ​​है कि मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के अपने मध्यम अवधि के लक्ष्य के अनुरूप रहेगी। असल में, आने वाले महीनों में यह इस स्तर से थोड़ा नीचे भी गिर सकती है। सहजता का यह रुझान भरोसा दिलाता है कि कीमतों में मौजूदा स्थिरता अस्थायी नहीं है, बल्कि आर्थिक स्थिरता के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है।

 

बाजार का भरोसा उच्चतम स्तर पर

 

भारत के पूंजीगत बाजार तेजी से बढ़ रहे हैं और यह भरोसा साफ दिखाई दे रहा है। घरेलू बचत को निवेश में बदलकर वे आर्थिक प्रगति के लिए एक शक्तिशाली इंजन बन गए हैं। वैश्विक तनाव और घरेलू अनिश्चितताओं के बीच, शेयर बाजार ने दिसंबर 2024 तक मजबूत प्रदर्शन बनाए रखा। इसने कई अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया, जिससे पता चलता है कि स्थानीय और वैश्विक दोनों तरह के निवेशक भारत के विकास की कहानी पर कितना भरोसा करते हैं।

 

 

खुदरा भागीदारी में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। खुदरा निवेशकों की संख्या 2019 में 4.9 करोड़ से बढ़कर 2024 के अंत तक 13.2 करोड़ हो गई। यह बढ़ोतरी इक्विटी बाजारों में बढ़ती सार्वजनिक रुचि और देश की दीर्घकालिक क्षमता में विश्वास को दर्शाती है। अब अधिकतर लोग शेयर बाजार को केवल बड़ी कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी संपत्ति बनाने के एक जरिए के तौर पर देखते हैं।

 

प्राथमिक बाजार, जहां कंपनियां जनता को शेयर बेचकर धन जुटाती हैं, भी बहुत सक्रिय रहा है। अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच, भारत में 259 प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव या आईपीओ आए। यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले यह 32.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। इन आईपीओ के जरिए जुटाई गई कुल राशि लगभग तीन गुना बढ़ गई, जो ₹53,023 करोड़ से बढ़कर ₹1,53,987 करोड़ हो गई। वैश्विक आईपीओ लिस्टिंग में भारत की हिस्सेदारी 2023 में 17 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 30 प्रतिशत हो गई, जो दुनिया में सबसे अधिक है।

 

बाहरी क्षेत्र को मजबूत बनाना

 

भारत का बाहरी क्षेत्र अर्थव्यवस्था को एक मजबूत सहारा प्रदान करता रहता है। बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार, प्रबंधनीय चालू खाता बैलेंस और विदेशी निवेश के स्थिर इनफ्लो के साथ, भारत वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में है। ये संकेतक देश की आर्थिक नीतियों और दीर्घकालिक स्थिरता में बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय भरोसे को दर्शाते हैं।

 

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

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भारत वैश्विक निवेशकों के लिए शीर्ष विकल्प बना हुआ है। देश में निवेशक-अनुकूल एफडीआई नीति है, जो स्वचालित मार्ग के जरिए अधिकांश क्षेत्रों में 100 प्रतिशत विदेशी स्वामित्व की अनुमति देती है। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2024-25 में एफडीआई प्रवाह बढ़कर 81.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर (प्रोविजनल) हो गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 71.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्शाता है। यह वित्त वर्ष 2013-14 में मिले 36.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर के दोगुने से भी अधिक है, जो दीर्घकालिक प्रगति को दर्शाता है।

 

 

सेवा क्षेत्र ने इक्विटी निवेश के इनफ्लो का नेतृत्व किया, जिसने वित्त वर्ष 2024-25 में कुल एफडीआई का 19 प्रतिशत अपनी ओर आकर्षित किया। इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का स्थान रहा, जिसमें 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और 8 प्रतिशत पर लेन-देन हुआ। सेवा क्षेत्र में एफडीआई 40.77 प्रतिशत बढ़कर 9.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई, जबकि पिछले साल यह 6.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में, एफडीआई में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 16.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 19.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।

 

विदेशी मुद्रा भंडार

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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 20 जून 2025 तक 697.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। ये भंडार 11 महीने से अधिक के माल आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, जो वैश्विक झटकों के समय सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं। इसका मतलब यह है कि भले ही निर्यात धीमा हो जाए, लेकिन भारत के पास जरूरी आयातों के भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा है। साथ ही, बाहरी कर्ज मध्यम स्तर पर बना हुआ है, जो मार्च 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 19.1 प्रतिशत है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ भारत की वित्तीय स्थिति स्वस्थ और स्थिर है।

 

चालू खाता गतिकी

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भारत के चालू खाता बैलेंस में 2024-25 की चौथी तिमाही में 13.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) का सरप्लस दर्ज किया गया, जबकि बीते साल की इसी तिमाही में यह 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 0.5 प्रतिशत) था। यह सुधार भारत की निर्यात में आय की बढ़ती ताकत और विदेशी इनफ्लो की स्थिरता को दर्शाता है।

 

वित्त वर्ष 2024-25 में चालू खाता घाटा जीडीपी के केवल 0.6 प्रतिशत पर सीमित रहा। घाटे में यह कमी मुख्य रूप से मजबूत सेवा निर्यात और विदेशों में रहने वाले भारतीयों से लगातार आने वाले धन के कारण हुई।

 

विनिर्माण और निर्यात

 

भारत का निर्यात प्रदर्शन इसकी अर्थव्यवस्था की बढ़ती शक्ति को दर्शाता है, मुख्य रूप से सेवाओं और उच्च मूल्य वाले विनिर्माण में। बीते एक दशक में, देश ने वैश्विक व्यापार में अपनी मौजूदगी लगातार बढ़ाई है। यह बढ़ोतरी मजबूत औद्योगिक क्षमता, सेवाओं में अधिक प्रतिस्पर्धात्मकता और रक्षा उत्पादन व इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में उभार से प्रेरित है।

 

 

भारत का कुल निर्यात 2024-25 में 824.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के नए उच्चतम स्तर को छू गया, जो 2023-24 में 778.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 6.01 प्रतिशत अधिक है। यह 2013-14 में 466.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर से तेज बढ़ोतरी को दर्शाता है, जो एक दशक की निरंतर निर्यात गति को रेखांकित करता है।

 

सेवाओं का निर्यात एक प्रमुख योगदानकर्ता बना हुआ है। 2024-25 में, भारत ने 387.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की सेवाएं निर्यात कीं, जो बीते साल के 341.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 13.6 प्रतिशत अधिक है। एक दशक पहले, 2013-14 में, सेवाओं का निर्यात 152 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह मजबूत और निरंतर बढ़ोतरी वैश्विक ग्राहकों, मुख्य रूप से आईटी, कंसल्टिंग, वित्त और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में, को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं देने की भारत की क्षमता को रेखांकित करती है।

 

पेट्रोलियम उत्पादों को छोड़कर मर्चेंडाइज निर्यात ने भी रिकॉर्ड बनाया है। 2024-25 में ये निर्यात 374.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो बीते वर्ष के 352.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6.0 प्रतिशत अधिक है। यह अब तक का सर्वाधिक गैर-पेट्रोलियम मर्चेंडाइज निर्यात आंकड़ा है। यह 2013-14 में 314 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी शानदार सुधार दर्शाता है। इस बढ़ोतरी का अधिकतर हिस्सा मशीनरी, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरण जैसे क्षेत्रों से आया है, जो वैश्विक बाजारों में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

 

निर्यात में इस बढ़ोतरी के पीछे विनिर्माण में लगातार बढ़ोतरी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, स्थिर मूल्यों पर विनिर्माण का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2013-14 में ₹15.6 लाख करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹27.5 लाख करोड़ हो गया। अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 17.3 प्रतिशत पर स्थिर रही, लेकिन उत्पादन में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी इसके बढ़ते आधार को दर्शाती है।

 

निष्कर्ष

 

बीते एक साल में भारत का आर्थिक प्रदर्शन केवल प्रगति को ही नहीं दर्शाता, बल्कि स्थिरता और दिशा की गहरी समझ को भी दर्शाता है। वास्तविक जीडीपी में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी और मुद्रास्फीति के वर्षों के निम्नतम स्तर पर आने के साथ, देश ने दिखाया है कि वह मूल्य स्थिरता के साथ विस्तार को संतुलित कर सकता है। साथ ही, पूंजीगत बाजारों में मजबूत भागीदारी, निर्यात के उच्चम स्तर और स्वस्थ विदेशी मुद्रा भंडार घरेलू और विदेशी, दोनों ही स्तर पर बढ़ते भरोसे की ओर इशारा करते हैं।

 

विनिर्माण, सेवा और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्र, लगातार निवेश और नीतिगत फोकस की मदद से आगे बढ़ रहे हैं। बाहरी जोखिम बने हुए हैं, लेकिन भारत की आधारभूत बातें मजबूत हैं। चूंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना करना जारी रखती है, भारत का लगातार प्रदर्शन यह भरोसा देता है कि वह आगे बढ़कर नेतृत्व करने और एक सुदृढ़, अधिक समावेशी भविष्य का निर्माण करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

 

संदर्भ:

 

आरबीआई:

https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs//PublicationReport/Pdfs/0FSRJUNE20253006258AE798B4484642AD861CC35BC2CB3D8E.PDF

 

पीआईबी पृष्ठभूमिकर्ता:

  • https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154474&ModuleId=3
  • https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/jun/doc2025616570701.pdf

 

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय:

  • https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2131716

 

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय:

  • https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2135927

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