Social Welfare
खेलो भारत नीति 2025
खेल भविष्य की नई परिभाषा : नया आत्मविश्वास, गौरव के नए कीर्तिमान
Posted On: 10 JUL 2025 3:15PM
मुख्य बातें:
• खेलो भारत नीति 2025: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ एकीकरण, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और प्रवासी भारतीयों से जुड़ना।
• ओलंपिक 2036: 2036 में ओलंपिक की मेजबानी के लक्ष्य के साथ भारत को वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य।
• बजट आवंटन: वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए, युवा कार्य और खेल मंत्रालय को 3,794 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं - जो वित्त वर्ष 2014-15 से 130.9% अधिक है।
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तीन दशक पहले तक, बच्चों के लिए खेलकूद एक आनंददायक विश्राम था, जो स्कूल और होमवर्क के बीच सिमटा हुआ था। धूल भरे आस-पड़ोस के मैदानों पर क्रिकेट या फुटबॉल खेलना, नायकों के अनुकरण का सपना देखना, लेकिन खेलों को कभी भी एक व्यावहारिक करियर नहीं मानना, एक आम सोच थी। उस समय, सीमित खेल अवसंरचना और एथलेटिक्स की तुलना में शिक्षा को प्राथमिकता देने वाले समाज के कारण, खेलों को केवल एक शौक के रूप में देखा जाता था।
शुरुआत में, भारत में खेलों के प्रति संस्थागत ध्यान का अभाव था, सरकारी समर्थन न्यूनतम था और समाज एथलेटिक्स की तुलना में शिक्षा पर अधिक ज़ोर देता था। सीमित करियर संभावनाओं के कारण, खेल और शारीरिक शिक्षा को अक्सर पाठ्येतर गतिविधि माना जाता था। हालाँकि, समय के साथ, सहायक सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से, जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण, छात्रवृत्ति और अवसंरचना प्रदान करके, इस स्थिति में बदलाव आया, जिससे खेल एक संगठित क्षेत्र बन गया। इन प्रयासों का परिणाम ऐतिहासिक खेलो भारत नीति 2025 के रूप में सामने आया। खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रम महत्वपूर्ण रहे हैं, जो युवा एथलीटों को राष्ट्रीय युवा लीग, उन्नत प्रशिक्षण सुविधाएँ और छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं। इन प्रयासों से धारणाओं में बदलाव आया है, प्रोत्साहन की संस्कृति को बढ़ावा मिला है तथा अवसंरचना, कोचिंग और करियर के अवसर सामने आये हैं, जिससे असंख्य उत्साही लोग गर्व और महत्वाकांक्षा के साथ पेशेवर रूप से खेलों को अपना रहे हैं।
खेलो भारत नीति - 2025 एक ऐतिहासिक पहल है जिसका उद्देश्य देश के खेल परिदृश्य को नया स्वरुप देना और खेलों के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाना है। यह नीति जमीनी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक खेल कार्यक्रमों को मज़बूत करने पर केंद्रित है, जिसमें शुरुआती दौर में प्रतिभाओं की पहचान और मार्गदर्शन, प्रतिस्पर्धी लीग और प्रतियोगिताओं को बढ़ावा और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अवसंरचना विकास शामिल हैं। इसका उद्देश्य एनएसएफ की क्षमता और संचालन को बढ़ाते हुए, प्रशिक्षण, कोचिंग और समग्र एथलीट सहायता के लिए विश्व स्तरीय प्रणालियों का निर्माण करना है।
इस नीति का उद्देश्य मौजूदा खेल प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन लाना है।
• इस नीति का उद्देश्य विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप राष्ट्र निर्माण, आर्थिक विकास और सामाजिक समावेश के लिए खेलों का उपयोग करना है।
• 2036 ओलंपिक में उत्कृष्टता का लक्ष्य निर्धारित करने और संभवतः इसकी मेजबानी के लिए एक रणनीतिक योजना के साथ भारत को एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है।
• यह नीति शुरुआती दौर में प्रतिभाओं की पहचान, व्यापक एथलीट सहायता और खेल विज्ञान, चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी के एकीकरण को बढ़ावा देती है, जो अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक हैं।
• यह नीति खेल पर्यटन को बढ़ावा देकर, अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों को आकर्षित करके और खेल स्टार्टअप्स को समर्थन देकर; खेलों को एक प्रमुख आर्थिक संचालक के रूप में रेखांकित करती है।
• यह नीति सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी), कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) और रचनात्मक वित्तपोषण दृष्टिकोणों के माध्यम से निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करती है, एक स्थायी खेल उद्योग इकोसिस्टम की आधारशिला रखती है।
• यह नीति महिलाओं, वंचित समूहों, जनजातीय समुदायों और दिव्यांगजनों की भागीदारी को बढ़ावा देती और उन्हें खेलों के माध्यम से सशक्त बनाती है।
• यह नीति शिक्षा एकीकरण और स्वयंसेवा के माध्यम से खेलों को एक व्यावहारिक करियर मार्ग के रूप में स्थापित करती है।
• इस नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय अभियानों, संस्थानों में फिटनेस सूचकांकों और सामुदायिक स्तर पर पहुँच के माध्यम से खेलों को एक जन आंदोलन में बदलना है, जिससे एक स्वस्थ आबादी का समर्थन किया जा सके।
• यह नीति खेलों के माध्यम से प्रवासी भारतीयों से जुड़ती है।
• राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार स्कूली पाठ्यक्रम में खेलों को शामिल करती है, साथ ही शारीरिक शिक्षा का प्रशिक्षण और प्रोत्साहन देती है और आजीवन फिटनेस की आदतें डालती है।

भारत, जिसकी 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है, दुनिया का सबसे बड़ा युवा जनसांख्यिकी वाला देश है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए, सरकार ने युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय को रिकॉर्ड 3,794 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं - जो वित्त वर्ष 2014-15 की तुलना में 130.9% की वृद्धि है। इसमें से 2,191 करोड़ रुपये केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए निर्धारित हैं, जबकि 1,000 करोड़ रुपये खेलो इंडिया कार्यक्रम के लिए आवंटित किए गए हैं, जो भारत के खेल भविष्य के निर्माण पर सरकार के विशेष ध्यान को रेखांकित करता है।

पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।

भारत की उल्लेखनीय खेल उपलब्धियाँ युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय की सशक्त पहलों का प्रत्यक्ष परिणाम हैं, जिनमें खेलो इंडिया, राष्ट्रीय खेल विकास कोष और लक्षित पुरस्कार जैसी योजनाएँ शामिल हैं, जो एथलीटों के विकास और अवसंरचना विकास को बढ़ावा देती हैं।
उदाहरण के लिए, खेलो इंडिया, युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं में से एक है, जिसका वित्त वर्ष 2025-2026 के लिए बजट आवंटन 1,000 करोड़ रुपये है।
2016-17 में शुरू किया गया खेलो इंडिया कार्यक्रम, पूरे भारत में जन भागीदारी और खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है, जिसका 2021 में 3,790.50 करोड़ रुपये के बजट के साथ विस्तार किया गया है। प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:
• 3,124.12 करोड़ रुपये लागत की 326 खेल अवसंरचना परियोजनाओं को मंजूरी।
• 306 मान्यता प्राप्त अकादमियों के साथ 1,045 खेलो इंडिया केंद्रों (केआईसी) और 34 खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्रों (केआईएससीई) की स्थापना।
• प्रशिक्षण, उपकरण, चिकित्सा देखभाल और भत्ते के साथ 2,845 खेलो इंडिया एथलीटों (केआईए) का समर्थन करना।
इस कार्यक्रम में खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईवाईजी, 2018 में शुरू हुआ, 2025 तक 27 खेलों तक विस्तारित), खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी), खेलो इंडिया पैरा गेम्स और खेलो इंडिया विंटर गेम्स (केआईडब्ल्यूजी) जैसे वार्षिक आयोजन शामिल हैं, जिनके 17 आयोजनों में 50,000 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया है। 2018 में शुरू हुए खेलो इंडिया स्कूल गेम्स, भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के सहयोग से 2019 में केआईवाईजी के रूप में विकसित हुआ। 2023 और 2025 के पैरा गेम्स में 1,300 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया।

खेलो इंडिया उभरती प्रतिभा पहचान (कीर्ति) कार्यक्रम 9-18 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्षित करता है, जिसमें योग्यता-आधारित प्रतिभा खोज के लिए 174 प्रतिभा मूल्यांकन केंद्रों (टीएसी) का उपयोग किया जाता है। कीर्ति का लक्ष्य एथलीटों की एक श्रृंखला तैयार करना है ताकि भारत को 2036 तक शीर्ष 10 खेल राष्ट्रों में और 2047 तक शीर्ष 5 में स्थान मिल सके।
2018 में नई दिल्ली में खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के साथ इसकी शुरुआत हुई और बाद में 2019 में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के साथ साझेदारी के बाद इसका नाम बदलकर खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईवाईजी) कर दिया गया। यह चार प्रमुख राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के रूप में विकसित हुआ है:
• खेलो इंडिया यूथ गेम्स (केआईवाईजी)
• खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी)
• खेलो इंडिया पैरा गेम्स
• खेलो इंडिया विंटर गेम्स
इसके अतिरिक्त, पहला खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल 21-23 अगस्त, 2025 को श्रीनगर की डल झील में आयोजित किया जाएगा, जिसमें पाँच खेल और भारत भर से 400 से अधिक एथलीट भाग लेंगे। 2025 के पांचवें खेलो इंडिया आयोजन के रूप में, इसका उद्देश्य खेल भागीदारी को व्यापक बनाना, उभरती प्रतिभाओं का मार्गदर्शन व समर्थन करना और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को ध्यान में रखते हुए एथलीटों को तैयार करने के लिए उन्नत जल खेल सुविधाओं का लाभ उठाना है।
भारत में खेलों के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के साथ, सरकार ने एक मजबूत खेल इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए खेल शिक्षा को प्राथमिकता दी है, जिससे एथलेटिक्स मात्र एक मनोरंजन गतिविधि से एक पेशेवर करियर में बदल गया है। 2018 में मणिपुर के इम्फाल में स्थापित राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और कोचिंग में खेल शिक्षा के लिए एक समर्पित संस्थान है, जो कैनबरा और विक्टोरिया जैसे विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों के माध्यम से वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर चुनिंदा विषयों के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी कार्य करता है। यह संस्थान वैश्विक प्रतिभाओं को मार्गदर्शन व समर्थन देने के राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए, शारीरिक शिक्षा, खेल विज्ञान और उत्कृष्ट प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है। अपने आदर्श वाक्य, "शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण के माध्यम से खेल उत्कृष्टता" के अनुरूप, विश्वविद्यालय का लक्ष्य खेल शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण में विश्व स्तर पर अग्रणी बनना और विश्व स्तरीय एथलीटों को बढ़ावा देना है।
इसके अलावा, कई प्रमुख योजनाएँ और पुरस्कार भी हैं जो प्रतिभाओं की पहचान और मार्गदर्शन व समर्थन के लिए निरंतर सरकारी सहायता सुनिश्चित करते हैं:


सफ़र, विजय रेखा के परे
खेल योजनाओं और पहलों ने किस तरह जीवन को प्रभावित किया है, इसकी कुछ मनमोहक सफलता की कहानियाँ प्रेरणा देती हैं, ये दर्शाती हैं कि कैसे खेलों, और विशेष रूप से सरकारी योजनाओं और सहायता ने प्रतिभाओं को मार्गदर्शन व समर्थन प्रदान किया है और व्यक्तियों को भारत का नाम रोशन करने में सक्षम बनाया है:
हाल ही में, पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के साथ एक टेलीफोन-साक्षात्कार में, नई दिल्ली के पैरा-एथलीट रोहित कुमार ने पदक विजेता खिलाड़ियों, चाहे वे शारीरिक रूप से सक्षम एथलीट हों या पैरा-एथलीट हों, को समान मौद्रिक पुरस्कार प्रदान करने के लिए भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

कुमार ने यह भी उल्लेख किया कि खेलो भारत नीति 2025 जैसी योजना अधिक एथलीटों को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रगति तभी संभव है, जब सरकार और समाज का समर्थन मिले। पैरा-एथलीट, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के अफ्रीकी अध्ययन विभाग में पीएचडी शोधार्थी भी हैं, ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह योजना एक मील का पत्थर है क्योंकि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ एकीकृत है, जो इस बात को मान्यता देती है कि शिक्षा और खेल विकास के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। एक पैरा-एथलीट और पीएचडी शोधार्थी के रूप में, उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में उनके जैसे और भी लोग उभरेंगे, जो रूढ़िवादिता को खत्म करेंगे तथा युवाओं को शिक्षा और खेल दोनों को एक साथ अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। अंत में, उन्होंने इस योजना को लागू करने के लिए भारत सरकार को फिर से धन्यवाद दिया और कहा कि यह भारत की खेल संस्कृति में एक क्रांतिकारी बदलाव लायेगी, जिससे राष्ट्र को अधिक पदक, अधिक गौरव और बढ़ी हुई भागीदारी के साथ वैश्विक मंच पर उभरने में मदद मिलेगी।
भारतीय खेलों के क्षेत्र में एक और उल्लेखनीय योगदानकर्ता सिद्दी समुदाय है, जो पूर्वी अफ्रीका के बंटू लोगों के वंशज हैं और सदियों से भारत में रह रहे हैं। उनकी प्रतिभा की पहचान करने और मार्गदर्शन व समर्थन प्रदान करने के प्रति भारत सरकार के अपार समर्थन से, उन्होंने खेलों, विशेष रूप से एथलेटिक्स, मुक्केबाजी और जूडो में विशिष्ट योगदान दिया है।
भारत के ऐतिहासिक अफ्रीकी प्रवासियों के वंशज जातीय समुदाय से ताल्लुक रखने वाली सिद्दी एथलीट सामंथा सेवर सिद्दी ने पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के साथ एक टेलीफोन-साक्षात्कार में कहा कि खेलो भारत नीति 2025 निस्संदेह भारतीय खेल परिदृश्य में एक मील का पत्थर है और उन्हें पूरा विश्वास है कि इसके शानदार परिणाम सामने आयेंगे। अपने नियमित कार्यक्रम का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि वे बेंगलुरु स्थित जय प्रकाश नारायण स्पोर्ट्स अकादमी में सुबह और शाम में अभ्यास करती हैं और साथ ही, कला विषयों में स्नातक की पढ़ाई भी कर रही हैं और भविष्य में भारत के लिए पदक जीतना चाहती हैं।

इसलिए, खेलो भारत नीति 2025 एक आशा की किरण बनकर उभरी है, जो प्रतिभाओं को मार्गदर्शन व समर्थन देकर और सभी स्तरों पर समावेशिता को बढ़ावा देकर, भारत के खेल परिदृश्य में क्रांति ला रही है। मज़बूत सरकारी समर्थन और खेलो इंडिया जैसे नवोन्मेषी कार्यक्रमों के माध्यम से, इसने अनगिनत एथलीटों के लिए वैश्विक पहचान हासिल करने और राष्ट्र का गौरव बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह नीति न केवल अवसंरचना और अवसरों को मज़बूत करती है, बल्कि खेलों को शिक्षा के साथ एकीकृत करती है, जिससे एक स्वस्थ और अधिक महत्वाकांक्षी युवा को प्रोत्साहन मिलता है। जैसे-जैसे भारत 2036 के ओलंपिक की ओर आगे बढ़ रहा है, यह पहल एक खेल महाशक्ति के रूप में देश की विरासत को और मज़बूत करने का वादा करती है।
संदर्भ
युवा कार्य और खेल मंत्रालय
https://yas.gov.in/sports/schemes
https://yas.gov.in/sites/default/files/Khelo-Bharat-Niti-2025_0.pdf
https://yas.gov.in/
https://yas.gov.in/sports
भारतीय ओलंपिक संघ
https://olympic.ind.in/news-details/105
पीआईबी विश्लेषण
https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154601&ModuleId=3
पीआईबी प्रेस विज्ञप्तियाँ
https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=151806
पीआईबी तथ्य पत्र
https://www.pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?Id=149107
https://www.pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?Id=148571
https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2079836
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