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पूर्वोत्तर भारत की सतत विकास लक्ष्य प्रगति
पूर्वोत्तर क्षेत्र सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2023-24 से जिलावार जानकारी
Posted On: 13 JUL 2025 10:04AM
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- सूचकांक में पूर्वोत्तर के 131 जिलों में से 121 को शामिल किया गया
- 103 जिलों (85 प्रतिशत) को अब "अग्रणी" जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है
- ह्नाथियाल 81 ने (मिजोरम) का उच्चतम 43 अंक प्राप्त किए
- मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिले अग्रणी हैं
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परिचय

सतत विकास लक्ष्य एक बेहतर, अधिक न्यायसंगत और समावेशी विश्व के लिए एक साझा दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए, जहां भूगोल, विविधता और विकास की आवश्यकताएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं, ये लक्ष्य प्रगति को मापने और स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक पहल का मार्गदर्शन करने के लिए एक उपयोगी ढांचा प्रदान करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, नीति आयोग और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से, 7 जुलाई 2025 को पूर्वोत्तर क्षेत्र जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक का दूसरा संस्करण जारी किया है।
यह रिपोर्ट 26 अगस्त 2021 को जारी पहले संस्करण पर आधारित है और यह दर्शाती है कि आठ पूर्वोत्तर राज्यों के जिले 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 15 को प्राप्त करने में कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं। बेहतर डेटा सिस्टम, व्यापक जिला कवरेज और राज्यों की मज़बूत भागीदारी के साथ, 2023-24 का संस्करण क्षेत्र के विकास पथ का एक अधिक परिष्कृत और विश्वसनीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
मिज़ोरम, सिक्किम और त्रिपुरा के सभी ज़िले अग्रणी रहे हैं। मिज़ोरम का हनाहथियाल सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाला ज़िला रहा है, जबकि नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों ने मज़बूत और संतुलित प्रदर्शन किया है। ये निष्कर्ष प्रमुख राष्ट्रीय योजनाओं, राज्यों द्वारा केंद्रित स्थानीयकरण और आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से अधिकतम प्राप्त उपलब्धि की दिशा में किए गए प्रयासों के प्रभाव को दर्शाते हैं। यह रिपोर्ट केवल प्रदर्शन के आधार पर तुरंत तैयार की गई रिपोर्ट नहीं है, बल्कि सतत विकास की राह पर सहयोग, नीतिगत कार्रवाई और साझा प्रगति का एक साधन है।
सतत विकास लक्ष्य क्या हैं?
सतत विकास लक्ष्य या एसडीजी, संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में अपनाए गए वैश्विक लक्ष्यों का एक समूह है। इनका उद्देश्य 2030 तक जीवन में सुधार, गरीबी कम करना, प्रकृति की रक्षा करना और शांति को बढ़ावा देना है। इसमें कुल 17 लक्ष्य और 169 प्रयोजन हैं, जिन्हें सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के रूप में जाना जाता है। ये लक्ष्य इस विचार पर आधारित हैं कि विकास से सभी, विशेषकर गरीबों और कमजोर लोगों को लाभ होना चाहिए।
सतत विकास लक्ष्य केवल विकास के बारे में नहीं हैं। ये लक्ष्य इस बात पर केंद्रित हैं कि विश्व कैसे अधिक न्यायसंगत, सुरक्षित, स्वच्छ और एक समान बन सकता है। इसमें बेहतर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, रोज़गार, स्वच्छ जल और स्वस्थ पर्यावरण शामिल हैं। इसका दृष्टिकोण स्पष्ट है कि कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए।
भारत में, नीति आयोग सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर काम करने का नेतृत्व कर रहा है। यह सरकारी योजनाओं को वैश्विक लक्ष्यों से जोड़ता है और मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक विभाग अपनी भूमिका निभाए। भारत में संयुक्त राष्ट्र की टीम सहयोग प्रदान कर यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि लक्ष्य अच्छी तरह से संबद्ध हों, समावेशी हों और इनको उचित वित्तीय सहायता प्राप्त हो।
पूर्वोत्तर जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2023-24 के उद्देश्य
पूर्वोत्तर क्षेत्र के सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2.0 के उद्देश्य हैं:
- आठ पूर्वोत्तर राज्यों के जिलों को 15 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में उनके सापेक्ष प्रदर्शन के आधार पर श्रेणी में रखना। लक्ष्य 14 लागू नहीं है और लक्ष्य 17 की जिला स्तर पर सीमित प्रासंगिकता है।
- आवश्यक सुधारात्मक उपायों की योजना बनाने हेतु प्रदर्शन और उपलब्धियों में महत्वपूर्ण अंतरालों और चुनौतियों की पहचान करना।
- उपयुक्त समाधानों की रूपरेखा तैयार करने में सहायता के लिए आठ राज्यों में अंतर्राज्यीय और अंतर्राज्यीय असमानताओं का उल्लेख करना।
- राज्य-वार, ज़िला-वार और सतत विकास लक्ष्य-वार तुलनाओं को सक्षम बनाकर प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देना। यह रैंकिंग साथ-साथ सीखने और प्रदर्शन में सुधार के लिए एक साधन के रूप में भी कार्य करती है।
- सहयोग के लिए एक मंच तैयार करना और जिलों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम विधियों को साझा करने और अपनाने का अवसर प्रदान करना।
- राज्यों और क्षेत्रों की सांख्यिकीय प्रणालियों में उन डेटा अंतरालों की पहचान करना जहां बेहतर और अधिक लगातार डेटा संग्रह की आवश्यकता है।
एनईआर एसडीजी सूचकांक 2023-24 में कवरेज और वर्गीकरण
एनईआर जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक के दूसरे संस्करण में क्षेत्र के 131 में से 121 जिलों को शामिल किया गया है। यह पहले संस्करण की तुलना में एक बड़ा कदम है जिसमें 120 में से 103 जिलों के आंकड़े शामिल थे। यह विस्तार बेहतर रिपोर्टिंग और राज्यों की गहरी भागीदारी को दर्शाता है।
सूचकांक प्रगति मापने के लिए 84 संकेतकों का उपयोग किया गया है। इनमें से 41 केंद्र सरकार के स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित हैं, जबकि शेष 43 राज्य-स्तरीय प्रणालियों से आते हैं। जिलों द्वारा केंद्र को आंकड़े प्रस्तुत करने के तरीके में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इससे परिणाम अधिक विश्वसनीय और विकास कार्यों की योजना बनाने के लिए अधिक उपयोगी हो गए हैं।
यह सूचकांक 15 सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति को दर्शाता है जिन्हें नीचे दर्शाया गया है
एसडीजी संख्या
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लक्ष्य
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एसडीजी 1
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कोई गरीबी नहीं
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एसडीजी 2
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शून्य भूख स्तर
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एसडीजी 3
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अच्छा स्वास्थ्य और बेहतर जीवन
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एसडीजी 4
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
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एसडीजी 5
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लैंगिक समानता
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एसडीजी 6
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स्वच्छ जल और स्वच्छता
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एसडीजी 7
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किफायती और स्वच्छ ऊर्जा
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एसडीजी 8
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उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास
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एसडीजी 9
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उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा
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एसडीजी 10
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असमानताओं में कमी
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एसडीजी 11*
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सतत शहर और समुदाय
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एसडीजी 12
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जिम्मेदारी युक्त उपभोग और उत्पादन
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एसडीजी 13
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जलवायु कार्रवाई
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एसडीजी 15
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जीवन दशा
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एसडीजी 16
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शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं
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*नोट: एसडीजी 11 के अंक स्कोर केवल शहरी निकायों वाले 79 जिलों के लिए हैं और इनको समग्र अंकों से बाहर रखा गया है।
एसडीजी सूचकांक वर्गीकरण
सफल: 100 अंक
अग्रणी: 65 और 99.99 के बीच अंक
मध्यम स्तर : 50 और 64.99 के बीच अंक
आकांक्षी: 50 से कम अंक
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सतत विकास लक्ष्य में स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और शासन तक कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है। प्रत्येक लक्ष्य के कई प्रयोजन हैं और वे सभी आपस में निकटता से जुड़े हैं। इससे यह मापना मुश्किल हो जाता है कि कोई ज़िला सभी क्षेत्रों में कितना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
चीजों को सरल और समझने में आसान बनाने के लिए वर्गीकरण की एक स्पष्ट पद्धति का इस्तेमाल किया गया है। जिलों को चार श्रेणियों में बांटा गया है, यह इस आधारित है कि वे एसडीजी के तहत निर्धारित लक्ष्यों के कितने करीब हैं।
ये श्रेणियां इस प्रकार हैं:
- सफल: वे जिले जिन्होंने लक्ष्य पूरा कर लिया हैं
- अग्रणी: वे जिले जो लक्ष्य पूरा करने के करीब हैं
- मध्यम स्तर: मध्यम प्रगति दिखाने वाले जिले
- आकांक्षी: वे जिले जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता हैं
यह दृष्टिकोण प्रगति का सीधे तौर पर आंकलन करने में मदद करता है और यह बताता है कि सबसे अधिक प्रयासों की आवश्यकता कहां है
सभी संस्करणों में एसडीजी प्रदर्शन की तुलना
एनईआर जिला एसडीजी सूचकांक का दूसरा संस्करण, पहले संस्करण की तुलना में कई लक्ष्यों में स्पष्ट प्रगति दर्शाता है। इसमें अधिक जिले अग्रणी और सफल श्रेणियों में आए हैं जो ज़मीनी स्तर पर बेहतर प्रयासों को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, अग्रणी श्रेणी में जिलों का अनुपात 2021-22 के 62 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 85 प्रतिशत हो गया है। यह सुधार राष्ट्रीय प्रमुख योजनाओं, राज्यों द्वारा केंद्रित स्थानीय स्तर पर प्रयासों और आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसी पहलों के माध्यम से सेवाओं के अधिकतम स्तर को प्रदान करने पर ज़ोर दिए जाने के संयुक्त प्रभाव को दर्शाता है।
विभिन्न एसडीजी की प्रगति नीचे दी गई है:
अग्रणी श्रेणी के जिलों की संख्या 21 से बढ़कर 36 हो गई है। आकांक्षी जिलों की संख्या 20 से घटकर मात्र 3 रह गई है। इससे गरीबी उन्मूलन के लिए मजबूत पहुंच और सहायता प्रणालियों का संकेत मिलता है।
एसडीजी 2: शून्य भूख स्तर
इसमें उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अग्रणी जिलों की संख्या 49 से बढ़कर 83 हो गई जबकि आकांक्षी जिलों की संख्या 21 से घटकर केवल 1 रह गई है। पोषण सहायता योजनाएं अच्छा प्रभाव डाल रही हैं।
एसडीजी 3: अच्छा स्वास्थ्य और बेहतर जीवन
अग्रणी जिलों की संख्या 14 से बढ़कर 48 हो गई। आकांक्षी जिलों की संख्या 18 से घटकर 6 हो गई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच का पता चलता है।
एसडीजी 4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
अग्रणी श्रेणी में जिलों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है जो 36 से बढ़कर 80 हो गई है। आकांक्षी जिलों की संख्या घटकर अब 11 रह गई है।
इस लक्ष्य में व्यापक प्रगति हुई है, अब 112 जिले अग्रणी श्रेणी में हैं ये पहले 71 थे। आकांक्षी जिलों की संख्या घटकर मात्र 1 रह गई है।
एसडीजी 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता
अग्रणी जिलों की संख्या 81 से बढ़कर 114 हो गई है। जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रमों ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एसडीजी 7: किफायती और स्वच्छ ऊर्जा
सफल जिलों की संख्या 7 से दोगुनी होकर 14 हो गई है। यह लक्ष्य गांवों के विद्युतीकरण और स्वच्छ रसोई ईंधन के उपयोग में प्रगति को दर्शाता है।
एसडीजी 8: उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास
अग्रणी जिलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह 69 से बढ़कर 111 हो गई है। यह आर्थिक अवसरों और रोजगार तक बेहतर पहुंच का संकेत देता है।
एसडीजी 9: उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा
अग्रणी जिलों की संख्या 55 से बढ़कर 92 हो गई है जो बेहतर संपर्क और बुनियादी ढांचे की योजना को दर्शाता है।
एसडीजी 10: असमानताओं में कमी
पिछले सूचकांक में 59 की तुलना में इस बार अग्रणी जिलों की संख्या 43 है जबकि आकांक्षी जिलों की संख्या 12 की तुलना में इस बार 33 है। रिपोर्ट में प्रासंगिक संकेतकों पर ध्यान देने के लिए कहा गया है।
एसडीजी 12: जिम्मेदारी आधारित उपभोग और उत्पादन
अग्रणी जिलों की संख्या 67 से घटकर 51 हो गई है। आकांक्षी जिलों की संख्या 18 पर बनी हुई है जो जिम्मेदारी आधारित उपभोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाता है।
एसडीजी 13: जलवायु कार्रवाई
चार ज़िलों ने शत-प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। अग्रणी ज़िलों की संख्या 36 से बढ़कर 59 हो गई है लेकिन 49 ज़िले अभी भी आकांक्षी श्रेणी में बने हुए हैं जो मज़बूत जलवायु रणनीतियों की आवश्यकता को दर्शाता है।
सफल जिलों की संख्या 12 से बढ़कर 26 हो गई है। अग्रणी समूह में अब 87 जिले शामिल हैं जो वन और जैव विविधता संरक्षण पर अधिक ध्यान देने को दर्शाते हैं।
एसडीजी 16: शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं
इसमें लगातार सुधार हो रहा है। अग्रणी जिलों की संख्या 64 से बढ़कर 90 हो गई है। हालांकि, आकांक्षी जिलों की संख्या भी थोड़ी बढ़ी है जो 1 से बढ़कर 5 हो गई है।
राज्यवार रूपरेखा
पूर्वोत्तर क्षेत्र भौगोलिक और विकास, दोनों ही दृष्टि से समृद्ध विविधता से युक्त है। आठ राज्यों के ज़िलावार विश्लेषण से सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में स्थानीय शक्तियों, कमियों और प्रगति में विविधताओं का पता चलता है। जहां मिज़ोरम, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे कुछ राज्यों के सभी ज़िले अग्रणी श्रेणी में हैं, वहीं अन्य राज्यों में उच्च और मध्यम प्रदर्शन का मिश्रण देखने को मिलता है, वहीं कुछ ज़िलों में अभी भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
अरुणाचल प्रदेश के 25 ज़िलों का मूल्यांकन किया गया है। लगभग 59 प्रतिशत ज़िलों को अग्रणी और 33 प्रतिशत को उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले ज़िलों की श्रेणी में रखा गया है। राज्य में स्वच्छ जल एवं स्वच्छता (एसडीजी 6), लैंगिक समानता (एसडीजी 5), उपयुक्त कार्य एवं आर्थिक विकास (एसडीजी 8) और जीवन दशा (एसडीजी 15) में प्रगति हुई है। जलवायु कार्रवाई (एसडीजी 13) और उद्योग, नवाचार एवं बुनियादी ढांचे (एसडीजी 9) में चुनौतियां बनी हुई हैं। निचली दिबांग घाटी सर्वोच्च स्थान पर रही, जबकि लोंगडिंग सबसे निचले स्थान पर रहा।
असम के 33 ज़िले सूचकांक में शामिल हैं। इनमें से लगभग 89 प्रतिशत ज़िले अग्रणी रहे और इनमें लगातार सुधार हो रहा है। राज्य ने उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास (एसडीजी 8), उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा (एसडीजी 9), और लैंगिक समानता (एसडीजी 5) में अच्छा प्रदर्शन किया है। डिब्रूगढ़ सर्वोच्च स्थान पर रहा, जबकि दक्षिण सलमारा-मनकाचर सबसे निचले स्थान पर रहा।

मणिपुर के सभी 16 ज़िलों का आंकलन किया गया। लगभग 75 प्रतिशत ज़िले अग्रणी रहे। राज्य ने स्वच्छ जल और स्वच्छता (एसडीजी 6), किफायती और स्वच्छ ऊर्जा (एसडीजी 7), उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास (एसडीजी 8), सतत शहर और समुदाय (एसडीजी 11) और शांति, न्याय और मज़बूत संस्थाएं (एसडीजी 16) में अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, इसे अभी भी असमानताओं को कम करने (एसडीजी 10) के अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। इम्फाल पश्चिम शीर्ष ज़िला रहा और फ़ेरज़ावल सबसे निचले स्थान पर रहा।
मेघालय के 11 ज़िलों को शामिल किया गया। 84 प्रतिशत ज़िले अग्रणी रहे। राज्य में स्वच्छ जल और स्वच्छता (एसडीजी 6), उद्योग, नवाचार एवं बुनियादी ढांचा (एसडीजी 9) और जीवन दशा (एसडीजी 15) में प्रगति हुई है। हालांकि इसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (एसडीजी 4) में सुधार की आवश्यकता है। पूर्वी खासी हिल्स को सर्वोच्च और पूर्वी जयंतिया हिल्स को निम्नतम स्थान मिला।
मिज़ोरम के सभी 11 ज़िले अग्रणी श्रेणी में शामिल हैं। ह्नाहथियाल ने पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। राज्य ने लैंगिक समानता (एसडीजी 5), स्वच्छ जल और स्वच्छता (एसडीजी 6), किफायती और स्वच्छ ऊर्जा (एसडीजी 7), उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास (एसडीजी 8), उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा (एसडीजी 9), जीवन दशा (एसडीजी 15) और शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं (एसडीजी 16) में अच्छा प्रदर्शन किया।
सूचकांक में नागालैंड के 11 ज़िलों का आंकलन किया गया। 9 ज़िलों को अग्रणी श्रेणी में रखा गया। मोकोकचुंग इस क्षेत्र के शीर्ष ज़िलों में शामिल रहा जबकि ज़ुन्हेबोटो कम अंक पाने वाले ज़िलों में शामिल रहा। राज्य ने लैंगिक समानता (एसडीजी 5), स्वच्छ जल और स्वच्छता (एसडीजी 6), उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास (एसडीजी 8), सतत शहर और समुदाय (एसडीजी 11), शून्य स्तर भुखमरी (एसडीजी 2), जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई (एसडीजी 13), और जीवन दशा (एसडीजी 15) में अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, इसे असमानताओं को कम करने (एसडीजी 10) के मामले में और बेहतर करने की आवश्यकता है।
सिक्किम के सभी 6 ज़िलों को अग्रणी स्थान दिया गया। संतुलित विकास को दर्शाते हुए, राज्य के अंकों का अंतर सबसे कम रहा। गंगटोक शीर्ष प्रदर्शन करने वाला ज़िला रहा। सिक्किम ने शून्य स्तर भुखमरी (एसडीजी 2), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (एसडीजी 4), लैंगिक समानता (एसडीजी 5), स्वच्छ जल और स्वच्छता (एसडीजी 6), किफायती और स्वच्छ ऊर्जा (एसडीजी 7), उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास (एसडीजी 8), सतत शहर और समुदाय (एसडीजी 11), जीवन दशा (एसडीजी 15) और ज़िम्मेदारी आधारित उपभोग और उत्पादन (एसडीजी 12) में अच्छा प्रदर्शन किया।
त्रिपुरा के सभी 8 ज़िले सूचकांक में शामिल किए गए और प्रत्येक को अग्रणी श्रेणी में रखा गया। राज्य ने कई लक्ष्यों, जैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (एसडीजी 4), लैंगिक समानता (एसडीजी 5), उपयुक्त कार्य और आर्थिक विकास (एसडीजी 8) और उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा (एसडीजी 9) में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया। राज्य ने असमानताओं में कमी (एसडीजी 10), सतत शहर और समुदाय (एसडीजी 11), जिम्मेदारी आधारित उपभोग और उत्पादन (एसडीजी 12), जीवन दशा (एसडीजी 15) और शांति, न्याय और मजबूत संस्थाएं (एसडीजी 16) में भी अच्छा कार्य किया। गोमती शीर्ष ज़िला बनकर उभरा जबकि धलाई ने राज्य में सबसे कम अंक प्राप्त किए।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिले
पूर्वोत्तर क्षेत्र के जिला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2023-24 में शीर्ष 10 जिलों में मिज़ोरम के तीन जिले - हनाहथियाल, चम्फाई और कोलासिब शामिल थे। इस सूची में त्रिपुरा के भी तीन जिले - गोमती, पश्चिमी त्रिपुरा और दक्षिणी त्रिपुरा शामिल थे। नागालैंड के मोकोकचुंग, कोहिमा और दीमापुर शीर्ष दस जिलों में शामिल थे। सिक्किम का एक जिला, गंगटोक, शीर्ष दस जिलों में शामिल था। यह प्रगति सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में इन राज्यों के मजबूत और निरंतर प्रदर्शन को दर्शाती है।
विषयगत मुख्य जानकारी
- मिजोरम के हनाहथियाल के पूरे पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक (81.43) अंक है जबकि अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग के सबसे कम (58.71) अंक है।
- नागालैंड में सबसे अच्छे और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों के बीच सबसे बड़ा अंतर (15.07 अंकों का अंतर) है।
- सिक्किम में सबसे कम अंतर (केवल 5.5 अंक) है, इसलिए इसके सभी जिले लगभग समान रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
- त्रिपुरा में कुछ शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिले हैं और उनके बीच बहुत कम अंतर (केवल 6.5 अंक) है।
- मिजोरम और नागालैंड दोनों के जिले उच्च अंक प्राप्त करने वाले हैं, लेकिन उनके सर्वश्रेष्ठ और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों के बीच काफी अंतर (13.72 और 15.07 अंक) भी है।
- जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रमों ने जल और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार लाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
- स्थानीय स्तर पर योजना बनाने, नियमित निगरानी करने और बेहतर डेटा प्रणालियों ने जिलों को कई लक्ष्य प्राप्त करने में अधिक सुसंगत प्रदर्शन करने में सहायता की है।
- जबकि जिलों ने स्वास्थ्य, शिक्षा, जल और लैंगिक समानता जैसे लक्ष्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है, जलवायु परिवर्तन पर कार्य, असमानता और जिम्मेदारी आधारित उपभोग जैसे क्षेत्रों में चुनौतियां बनी हुई हैं।
- राज्यों से बेहतर रिपोर्टिंग ने सूचकांक को और अधिक विश्वसनीय बना दिया है। फिर भी, कुछ कमियां अभी भी बनी हुई हैं, विशेषकर नए बनाए गए या दूरदराज के जिलों में।
निष्कर्ष
पूर्वोत्तर ज़िला सतत विकास लक्ष्य सूचकांक 2023-24 से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की विकास यात्रा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। यह लक्षित योजनाओं, बेहतर शासन और स्थानीय स्तर पर बनाई गई योजनाओं के माध्यम से प्राप्त लाभों को दर्शाता है। इसके साथ ही उन क्षेत्रों के बारे में भी बताता है जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। अग्रणी ज़िलों की संख्या में वृद्धि और कई राज्यों में कम होता अंतर पूरे क्षेत्र में बढ़ती प्रतिबद्धता और क्षमता को दर्शाता है।
राज्यों के भीतर और उनके बीच असमानताएं, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, असमानता और निरंतर प्रयासों पर केंद्रित और लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। जैसे-जैसे राज्य और जिले इस गति को आगे बढ़ाते जा रहे हैं, यह सूचकांक न केवल प्रगति को दर्शाता है बल्कि आने वाले वर्षों में समावेशी और सतत विकास की योजनाएं बनाने के लिए एक मार्गदर्शक भी है।
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी):
नीति आयोग:
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