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Economy

भारत-यूके सीईटीए

99 प्रतिशत टैरिफ खत्म, मजबूत द्विपक्षीय व्यापार, समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाला

Posted On: 27 JUL 2025 11:23AM

परिचय

भारत और यूनाइटेड किंगडम ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो एक द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता है और उनकी दीर्घकालिक साझेदारी में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस समझौते पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और यूके के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर बिजनेस एंड ट्रेड श्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और यूके के प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। यह 6 मई, 2025 को घोषित वार्ताओं के सफल समापन के बाद हुआ है और आर्थिक संबंधों को गहरा करने की दोनों प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की साझा महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। द्विपक्षीय व्यापार पहले ही 56 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है, जिसे 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य है।

 

  • भारत-यूके द्विपक्षीय वार्षिक व्यापार 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर
  • कुल वाणिज्यिक व्यापार 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर
  • कुल सेवा व्यापार 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर

सीईटीए, यूके को भारत के 99 प्रतिशत निर्यात को अभूतपूर्व शुल्क-मुक्त पहु प्रदान करता है, जो व्यापार मूल्य का लगभग 100% है। इसमें कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न एवं आभूषण और खिलौने जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र, साथ ही इंजीनियरिंग सामान, रसायन और ऑटो कंपोनेंट जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्र शामिल हैं। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा, कारीगरों, महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों और एमएसएमई को सशक्त बनाया जाएगा। इस समझौते में सूचना प्रौद्योगिकी/आईटी सक्षम सेवाओं, वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं, व्यावसायिक परामर्श, शिक्षा, दूरसंचार, वास्तुकला और इंजीनियरिंग को शामिल करते हुए एक व्यापक पैकेज शामिल है जो उच्च-मूल्य के अवसरों और रोजगार सृजन को खोलेगा।


यह समझौता वस्तुओं से आगे बढ़कर सेवाओं पर भी केंद्रित है, जो भारत की अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख ताकत है। भारत ने 2023 में यूके को 19.8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सेवाओं का निर्यात किया और सीईटीए ने इसे और बढ़ाने का वादा किया है। यूके द्वारा पहली बार, आईटी, स्वास्थ्य सेवा, वित्त और शिक्षा क्षेत्र के पेशेवरों के लिए आवागमन को आसान बनाया जा रहा है, जिसमें सीईटीए संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं, व्यावसायिक आगंतुकों, अंतर-कॉर्पोरेट स्थानांतरणकर्ताओं, स्वतंत्र पेशेवरों के लिए सुव्यवस्थित प्रवेश प्रदान करता है। एक और बड़ी सफलता दोहरी योगदान संधि (डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन) है, जो दोहरे सामाजिक सुरक्षा योगदान की आवश्यकता को समाप्त करके भारतीय फर्मों और श्रमिकों को 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत कराएगी।

गतिशीलता (मोबिलिटी), नवाचार और समावेशिता को बढ़ावा देने वाले उपायों के साथ, सीईटीए से रोजगार सृजन, निर्यात को बढ़ावा मिलने और भारत-यूके आर्थिक लचीलेपन के मजबूत होने की उम्मीद है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री, श्री पीयूष गोयल के शब्दों में - "यह एफटीए समावेशी विकास के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा, जिससे किसानों, कारीगरों, श्रमिकों, एमएसएमई, स्टार्टअप्स और नवप्रवर्तकों को लाभ होगा, साथ ही भारत के मूल हितों की रक्षा होगी और वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की हमारी यात्रा में तेजी आएगी।"


भारत ने अपनी 89.5% टैरिफ लाइनें खोल दी हैं, जो यूके के 91% निर्यात को कवर करती हैं, जिससे संवेदनशील क्षेत्रों और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है जहां घरेलू क्षमता का निर्माण किया जा रहा है। शुल्कों को समाप्त करने से आयातित उत्पादों की एक श्रृंखला उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती हो जाएगी, जिससे प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अधिक विविधता और गुणवत्ता हासिल होगी।

 

 

समझौते की मुख्य विशेषताएं

भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) भारत के प्रमुख आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए व्यापार और निवेश के नए रास्ते खोलने के लिए बनाया गया है। इसमें टैरिफ में कमी, व्यापार के लिए सरल नियम, सेवाओं के लिए मज़बूत प्रावधान और पेशेवर गतिशीलता को आसान बनाने वाले उपाय शामिल हैं।

व्यापक टैरिफ उन्मूलन

सीईटीए भारत के लगभग पूरे व्यापार क्षेत्र को कवर करते हुए लगभग 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर टैरिफ उन्मूलन सुनिश्चित करता है। इसका अर्थ है कि लगभग 100 प्रतिशत भारतीय वस्तुएं जैसे कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण, खिलौने, रसायन, इंजीनियरिंग उत्पाद, रसायन, कृषि उत्पाद शून्य शुल्क पर यूके के बाजार में प्रवेश करेंगे।

साथ ही, भारत ने अपनी 89.5 प्रतिशत टैरिफ लाइनें खोल दी हैं, जो यूके के 91 प्रतिशत निर्यात को कवर करती हैं। यूके के केवल 24.5 प्रतिशत निर्यात को तत्काल शुल्क मुक्त बाजार पहुंच हासिल होगी। भारत ने डेयरी, अनाज, बाजरा, दालें, कुछ आवश्यक तेल, सेब, कुछ सब्जियाँ, सोना, आभूषण, प्रयोगशाला में तैयार हीरे जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा की है। रणनीतिक बहिष्करण में महत्वपूर्ण ऊर्जा, ईंधन, समुद्री जहाज, कुछ पॉलिमर, पुराने कपड़े, स्मार्टफोन, ऑप्टिक फाइबर भी शामिल हैं। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्पादों के लिए, जहां घरेलू क्षमता का निर्माण किया जा रहा है, भारत 5, 7 या 10 वर्षों में क्रमिक टैरिफ में कमी प्रदान करेगा। उदाहरण के लिए, इसमें मेक इन इंडिया या पीएलआई के तहत आने उत्पाद शामिल हैं। भारत ने धीरे-धीरे और चुनिंदा तरीके से अपने बाज़ारों को मादक पेय पदार्थों के लिए खोल दिया है।

घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी अचानक आयात वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए द्विपक्षीय सुरक्षा उपाय किए गए हैं।

सरलीकृत रूल्स ऑफ ओरिजिन (मूल स्थान के नियम)

यह समझौता निर्यातकों को उत्पादों के मूल स्थान का स्व-प्रमाणन करने की अनुमति देकर अनुपालन को सरल बनाता है, जिससे समय और कागजी कार्रवाई कम होती है। यूके के आयातक प्रमाणन के लिए आयातकों के ज्ञान पर भी भरोसा कर सकते हैं, जिससे व्यापार और भी आसान हो जाता है। £1,000 से कम की छोटी खेपों के लिए, मूल स्थान संबंधी दस्तावेजों की कोई आवश्यकता नहीं है, जो ई-कॉमर्स और छोटे व्यवसायों के लिए सहायक है। उत्पाद-विशिष्ट मूल नियम (पीएसआर) कपड़ा, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए भारत की वर्तमान आपूर्ति श्रृंखलाओं के अनुरूप हैं।

सेवाओं और व्यावसायिक गतिशीलता को बढ़ावा

सेवाएं भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख ताकत हैं और यह समझौता आईटी, वित्तीय सेवाओं, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में गहन बाजार पहुंच प्रदान करता है। यह पेशेवरों के अस्थायी आवागमन के लिए एक संरचित ढांचा भी तैयार करता है। व्यावसायिक आगंतुक, संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ता और स्वतंत्र पेशेवर अब स्पष्ट और पूर्वानुमेय प्रवेश नियमों के तहत यूके में प्रवेश कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, इन प्रावधानों के तहत हर साल 1,800 तक भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक और शास्त्रीय संगीतकार यूके में काम कर सकते हैं।

दोहरी अंशदान संधि

इस समझौते में एक प्रमुख नवाचार दोहरी अंशदान संधि (डीसीसी) है। यह भारतीय श्रमिकों और उनके नियोक्ताओं को अस्थायी नियुक्ति के दौरान तीन वर्षों तक यूके में सामाजिक सुरक्षा अंशदान का भुगतान करने से छूट देता है। लगभग 75,000 श्रमिकों और 900 से अधिक कंपनियों को लाभ होने की उम्मीद है, जिससे 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी।

सीईटीए के तहत सेक्टर-वार फायदे

भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता विभिन्न उद्योगों में अभूतपूर्व अवसरों के द्वार खोलता है। लगभग 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर टैरिफ हटा दिए जाने के साथ, भारतीय निर्यातकों को अब कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, समुद्री उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में शुल्क-मुक्त पहुच प्राप्त हो रही है। इससे न केवल प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है, बल्कि अनुपालन लागत भी कम होती है और यूके के बाजार तक पहुंच में तेजी आती है।

कृषि एवं संबद्ध वस्तुएं

  • शून्य शुल्क बाजार पहुंच: कृषि क्षेत्र में 1,437 टैरिफ लाइनें हैं, जो सभी उत्पाद टैरिफ लाइनों का 14.8% है। यह व्यापार संरचना में कृषि की महत्वपूर्ण उपस्थिति को दर्शाता है, जो टैरिफ विनियमन में कृषि-आधारित वस्तुओं की विविधता और महत्व को दर्शाता है। खाद्य प्रसंस्करण में 985 टैरिफ लाइनें हैं और इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 10.1% है।
  • भारत से कृषि निर्यात 2022-23 में 45.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जो 2020-21 (एपिडा) के 41.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
  • कृषि के क्षेत्र में, भारत वैश्विक स्तर पर 36.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है, जबकि यूके 37.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात करता है, लेकिन भारत से केवल 811 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात करता है, जिससे उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों में वृद्धि की संभावना का पता चलता है।
  • यूके विशिष्ट भारतीय कृषि उत्पादों जैसे चाय, आम, अंगूर, मसाले, समुद्री उत्पाद आदि के लिए एक उच्च मूल्य वाला बाजार है।
  • भारत-यूके सीईटीए भारतीय किसानों को यूके के बाजार में इन उत्पादों के लिए प्रीमियम मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।
  • भारत वैश्विक स्तर पर 14.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है, जबकि यूके 50.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात करता है, लेकिन भारतीय उत्पादों का योगदान केवल 309.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • अगले 3 वर्षों में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में 50% से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद के साथ, भारत-यूके सीईटीए का भारतीय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
  • महत्वपूर्ण बाजार लाभ: भारत-यूके एफटीए एक बड़ा बदलाव लाएगा और भारतीय उत्पादों को यूरोपीय संघ, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, कनाडा, पेरू, वियतनाम जैसे प्रमुख कृषि निर्यातकों के बराबर लाएगा, जिन्हें वर्तमान में शून्य/रियायती शुल्क पहुंच प्राप्त है।
  • भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और तेज हुई। यह मुक्त व्यापार समझौता भारत को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रमुख वैश्विक खिलाड़ियों से आगे निकलने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार करेगा:

    • ताजा अंगूर: ब्राजील को पछाड़ते हुए मिस्र और दक्षिण अफ़्रीका जैसे शीर्ष निर्यातकों की बराबरी कर रहे हैं।
    • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: अमेरिका, चीन और थाईलैंड से आगे निकल रहे हैं।
    • बेकरी उत्पाद: अमेरिका, चीन, थाईलैंड और वियतनाम से ज़्यादा प्रतिस्पर्धी बन रहे हैं।
    • संरक्षित सब्जियां, फल और मेवे: तुर्की, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और चीन को पीछे छोड़ रहे हैं।
    • ताजा/ठंडी सब्जियां (एनईएस): अमेरिका, ब्राज़ील, थाईलैंड और चीन से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
    • सॉस और तैयार सॉस: अमेरिका, जापान, थाईलैंड, चीन और मलेशिया के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं।
    • महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज), गुजरात (मूंगफली, कपास), केरल (मसाले) और पूर्वोत्तर राज्य (बागवानी) जैसे राज्यों को लाभ होगा।
    • राज्य-विशिष्ट कृषि-निर्यात योजनाएं (एपीडा) पहले से ही एफटीए लक्ष्यों के अनुरूप हैं, जिससे यूके के बाजार में बेहतर पहुंच से समान क्षेत्रीय लाभ सुनिश्चित हो रहा है।

बागान क्षेत्र

  • कई गुनी वृद्धि की संभावना: यूके पहले से ही भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, जहां 1.7% कॉफी, 5.6% चाय और 2.9% मसाला निर्यात होता है - अब इन उत्पादों पर शुल्क मुक्त पहुंच के साथ यह कई गुनी वृद्धि के लिए तैयार है।
  • समान अवसर: इंस्टेंट कॉफी पर शुल्क-मुक्त पहुंच से भारतीय व्यवसायों को जर्मनी, स्पेन, नीदरलैंड जैसे इंस्टेंट/मूल्य वर्धित कॉफ़ी के अन्य यूरोपीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
  • मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए मजबूत अवसर: मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) मूल्य वर्धित कॉफी उत्पादों, विशेष रूप से भारतीय इंस्टेंट कॉफी, के यूके को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक शक्तिशाली मंच तैयार करेगा।

भारतीय तिलहन एवं उत्पाद निर्यात संवर्धन परिषद

  • बाजार विस्तार की संभावना: यूके बाजार भारतीय तिलहन निर्यातकों को व्यापक उपभोक्ता आधार तक पहुंचने और अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का एक नया अवसर प्रदान कर सकता है।
  • बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता: कम टैरिफ और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं के साथ, भारतीय तिलहन निर्यातक यूके बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं, जिससे संभावित रूप से निर्यात में वृद्धि हो सकती है।

समुद्री उत्पाद

  • भारत ने 2022-23 में 8.09 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के समुद्री उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें मछली, झींगा और कटलफिश प्रमुख श्रेणियों में शामिल हैं।
  • यूके, भारतीय फ्रोजन समुद्री भोजन, विशेष रूप से झींगा और सफेद मछली का एक उच्च-मूल्य वाला उपभोक्ता है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं और प्रसंस्कृत समुद्री भोजन की मांग भी है।
  • सीईटीए यूके के टैरिफ को समाप्त करता है, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए मूल्य प्राप्ति में सुधार होता है और उच्च खरीद दरों के माध्यम से तटीय मछुआरों को लाभ मिलता है।
  • एमपीईडीए के अनुसार, समुद्री भोजन प्रसंस्करण संयंत्रों में हजारों महिला कर्मचारी कार्यरत हैं, और यूके के बाजार तक पहुंच बढ़ाने से क्षमता उपयोग दोगुना हो सकता है।
  • केरल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे तटीय राज्यों को निर्यात-आधारित रोजगार सृजन से काफी लाभ होगा।
  • अप्रयुक्त निर्यात अवसर: यूके के 5.4 अरब अमेरिकी डॉलर के समुद्री आयात बाजार के बावजूद, भारत की हिस्सेदारी केवल 2.25% ही बनी हुई है, जो एक महत्वपूर्ण अप्रयुक्त निर्यात अवसर को रेखांकित करता है।
  • विकास उत्प्रेरक के रूप में एफटीए: भारतीय झींगा पर मौजूदा यूके टैरिफ 4.2 से 8.5% के बीच होने के कारण, एफटीए द्वारा टैरिफ उन्मूलन से विशेष रूप से झींगा, टूना, मछली के भोजन और चारे में तीव्र वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • मूल्यवर्धित निर्यात में गति: अध्याय 03 और 16 (मूल्यवर्धित समुद्री भोजन) के अंतर्गत निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 3.5% बढ़ा। एफटीए उच्च-मूल्य प्रसंस्करण और उत्पाद विविधीकरण को प्रोत्साहित करता है।

वस्त्र एवं परिधान

  • वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र के लिए शून्य शुल्क बाजार पहुंच, पहले के 12% शुल्क से कम है। इसमें 1,143 टैरिफ लाइनें शामिल हैं, जिनका योगदान 11.7% है।
  • शुल्क संबंधी नुकसान को समाप्त करता है: भारत को बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया की तुलना में शुल्क संबंधी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी यूके के बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच थी। मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) भारत से वस्त्र आयात पर शुल्क को समाप्त करता है, जिससे हमारी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है।
  • वस्त्र एवं परिधान के क्षेत्र में, भले ही यूके का कुल आयात (26.95 अरब अमेरिकी डॉलर) भारत के वैश्विक निर्यात (36.71 अरब अमेरिकी डॉलर) से कम है, लेकिन भारत अभी भी यूके को केवल 1.79 अरब अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति करता है। मुक्त व्यापार समझौते द्वारा शुल्क-मुक्त पहुँच और व्यापार बाधाओं को दूर करने के वादे के साथ, यह क्षेत्र भी अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए अच्छी स्थिति में है। कुल मिलाकर, आंकड़े निर्यात क्षमता के स्पष्ट अंतर को रेखांकित करते हैं जिसे मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पाटने में मदद कर सकता है, जिससे दुनिया के सबसे आकर्षक आयात बाजारों में से एक में भारत की उपस्थिति बढ़ेगी।
  • तेजी से विकास की ओर अग्रसर क्षेत्र: इसमें ग्रामीण वस्त्र, गृह वस्त्र, कालीन और हस्तशिल्प शामिल हैं, जहाँ शुल्कों को हटाने से तत्काल और पर्याप्त प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त होंगे।
  • रणनीतिक बाजार स्थिति: यूके के चौथे सबसे बड़े कपड़ा आपूर्तिकर्ता के रूप में, भारत, जिसकी वर्तमान में 6.1% बाज़ार हिस्सेदारी है, अब चीन और बांग्लादेश जैसे प्रमुख देशों के साथ अंतर को आक्रामक रूप से कम करने में सक्षम है।
  • तिरुपुर, सूरत, लुधियाना, भदोही और मुरादाबाद जैसे उत्पादन केंद्रों को बढ़ती मांग का लाभ मिलेगा, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

 

चमड़ा एवं फुटवियर उत्पाद

  • भारत से चमड़ा एवं फुटवियर का कुल निर्यात 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है। वर्तमान में भारत का यूके को निर्यात 440 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। भारत-यूके सीईटीए ने भारतीय निर्यातकों के लिए 8.5 अरब अमेरिकी डॉलर का चमड़ा एवं फुटवियर निर्यात बाजार खोल दिया है।
  • भारत से यूके को चमड़ा, चमड़ा एवं सिंथेटिक उत्पाद, फर एवं फर उत्पाद, तथा फुटवियर एवं फुटवियर घटकों के निर्यात पर 0% शुल्क लगाया गया है। इस श्रेणी के उत्पादों पर पहले 16% तक का शुल्क लगता था।
  • अतिरिक्त बाजार हिस्सेदारी: भारत को 1 से 2 वर्षों के भीतर यूके में कम से कम 5% अतिरिक्त बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की उम्मीद है।
  • प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन: एफटीए भारत को विशेष रूप से मूल्य-सचेत यूके के खुदरा एवं ब्रांड खंड में वियतनाम, इंडोनेशिया, कंबोडिया, तुर्की और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन करने की स्थिति में रखता है।
  • निर्यात में उछाल: रूढ़िवादी अनुमानों के अनुसार, भारत से यूके को चमड़े के सामान और जूतों का निर्यात 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकता है, जो एक महत्वपूर्ण छलांग है।
  • प्रभुत्व का विजन: दीर्घावधि में, भारत इन क्षेत्रों में यूके के शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ताओं में से एक बनने की अच्छी स्थिति में है।
  • उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और दिल्ली-एनसीआर जैसे कई राज्यों के निर्माताओं और निर्यातकों को काफी लाभ होगा।

 

इंजीनियरिंग सामान

  • शून्य शुल्क बाजार पहुंच: सूचीबद्ध क्षेत्रों में इंजीनियरिंग सामान क्षेत्र की हिस्सेदारी सबसे ज़्यादा है, जिसमें 1,659 टैरिफ लाइनें हैं, जो कुल टैरिफ़ का 17.0% है। यह दर्शाता है कि इंजीनियरिंग से संबंधित वस्तुओं—मशीनरी, पुर्जे और उपकरण—की एक विस्तृत विविधता टैरिफ़ कवरेज के अंतर्गत आती है, जो औद्योगिक और व्यापारिक गतिशीलता में इसके महत्व को रेखांकित करता है।

  • भारत के इंजीनियरिंग सामानों के लिए यूके का महत्व: यूके भारत का छठा सबसे बड़ा इंजीनियरिंग निर्यात बाजार है; जो 2024-25 में पिछले वर्ष की तुलना में 11.7% की वृद्धि के साथ मजबूत व्यापार गति है।
  • इंजीनियरिंग सामान सबसे बड़े अंतरों में से एक को दर्शाते हैं: भारत का वैश्विक निर्यात 77.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि यूके 193.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के ऐसे उत्पादों का आयात करता है, फिर भी भारत से केवल 4.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ही आयात होता है - जो विस्तार की प्रबल संभावना का संकेत देता है।
  • इंजीनियरिंग निर्यात में दोगुना वृद्धि: एफटीए के तहत टैरिफ उन्मूलन (18% तक) के साथ, यूके को इंजीनियरिंग निर्यात अगले पाँच वर्षों में लगभग दोगुना हो सकता है और 2029-30 तक 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुंच सकता है।
  • यह 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के इंजीनियरिंग निर्यात को प्राप्त करने के भारत के व्यापक लक्ष्य का प्रत्यक्ष समर्थन करता है, जिससे एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में यूके की स्थिति मजबूत होती है।
  • लौह एवं इस्पात क्षेत्र में एमएसएमई को समर्थन: शून्य टैरिफ से मूल्य प्रतिस्पर्धा में सुधार और विस्तार को सक्षम करके एमएसएमई निर्यात को बढ़ावा मिलता है।
  • मशीनरी के लिए शुल्क-मुक्त पहु: यह विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक स्वचालन जैसे क्षेत्रों में यूके की उन्नत विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं में एमएसएमई के गहन एकीकरण को सुगम बनाता है।
  • एयरोस्पेस और रक्षा को बढ़ावा: पूर्ण उदारीकरण निर्यात और "मेक इन इंडिया" पहल का समर्थन करता है।
  • स्वस्थ विकास अनुमान: इलेक्ट्रिक मशीनरी, ऑटो पार्ट्स, औद्योगिक उपकरण और निर्माण मशीनरी जैसे प्रमुख इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में 12-20% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की दर से वृद्धि का अनुमान है।
  • लक्ष्य प्राप्ति हेतु उत्प्रेरक: यह एफटीए 2030 तक इंजीनियरिंग निर्यात में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त करने के भारत के व्यापक लक्ष्य का समर्थन करता है, जिससे यूके की एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्थिति मजबूत होती है।

 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर

  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात नई ऊंचाइयों को छुएगा: शून्य-शुल्क पहुंच से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है, साथ ही इससे स्मार्टफोन, ऑप्टिकल फाइबर केबल और इनवर्टर यूके के बाजार में भारत की पकड़ मजबूत होगी।
  • मजबूत सॉफ्टवेयर सेवाओं में वृद्धि: सॉफ्टवेयर और आईटी-सक्षम सेवाओं के लिए यूके की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताएं नए बाजारों को खोल देंगी, रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगी और भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए निर्यात क्षमता को बढ़ाएंगी; 15-20% वार्षिक वृद्धि का अनुमान।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था का बढ़ता लक्ष्य: सॉफ़्टवेयर विकास और नेटवर्क अवसंरचना के लिए प्रतिस्पर्धी पहुँच से डिजिटल व्यापार में वृद्धि को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार निर्यात

 

  • भारत का चौथा सबसे बड़ा निर्यात बाजार; 2024-25 में पिछले वर्ष की तुलना में 25% की वृद्धि। कैलेंडर वर्ष 2024 में, भारत का वैश्विक निर्यात 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर (यूके 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) होगा। यूके का कुल आयात 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगा।
  • पहले दिन से ही यूके की शुल्क मुक्त पहुंच भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स, विशेष रूप से टीवी, मॉनिटर, दूरसंचार उपकरण, इन्वर्टर के लिए पर्याप्त निर्यात अवसर खोलती है। हमारे प्रमुख प्रतिस्पर्धी चीन और अमेरिका हैं।
  • इसमें भारतीय अनुरूपता मूल्यांकन निकायों को मान्यता देने के प्रावधान शामिल हैं, जिससे भारत में परीक्षण किए गए इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार उत्पादों को यूके में स्वीकार किया जा सकेगा।
  • निर्यात पांच वर्षों में दोगुना होकर 2030 तक 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
  • राज्यों को लाभ: तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आयात, भारत ने स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच और दूरसंचार उपकरणों जैसे उच्च-मात्रा वाले घरेलू उत्पादों को टैरिफ उन्मूलन से बाहर रखकर रणनीतिक रूप से संरक्षित किया है। भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को समर्थन देने के लिए बैटरी पार्ट्स जैसे प्रमुख मध्यवर्ती इनपुट को उदार बनाया गया है

 

फार्मास्यूटिकल्स

  • शून्य शुल्क बाजार पहुंच: फार्मा क्षेत्र में केवल 56 टैरिफ लाइनें हैं, जो कुल टैरिफ लाइनों का केवल 0.6% है। टैरिफ लाइनों के संदर्भ में अपेक्षाकृत कम प्रतिनिधित्व के बावजूद, फार्मास्यूटिकल क्षेत्र, विशेष रूप से वैश्विक व्यापार में, उच्च मूल्य और रणनीतिक महत्व रखता है।
  • फार्मास्यूटिकल्स एक और उच्च-संभावित क्षेत्र प्रस्तुत करता है: भारत वैश्विक स्तर पर 23.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है और यूके लगभग 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात करता है, लेकिन भारतीय फार्मा का योगदान 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम है, जो विकास की पर्याप्त संभावना दर्शाता है।
  • जेनेरिक दवाओं को फायदा होगा: एफटीए के तहत शून्य शुल्क प्रावधानों से यूके के बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जो यूरोप में भारत का सबसे बड़ा फार्मास्युटिकल निर्यात गंतव्य बना हुआ है।
  • शुल्क के बंधन से मुक्त चिकित्सा उपकरण: सर्जिकल उपकरण, डायग्नोस्टिक उपकरण, ईसीजी मशीन, एक्स-रे सिस्टम जैसे चिकित्सा उपकरणों के एक बड़े हिस्से पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। इससे भारतीय चिकित्सा-तकनीक कंपनियों की लागत कम होगी और उनके उत्पाद यूके के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
  • रणनीतिक बाजार स्थिति: ब्रेक्सिट और कोविड-19 के बाद यूके द्वारा चीनी आयात पर निर्भरता से हटने के मद्देनजर, भारतीय निर्माता विशेष रूप से चिकित्सा उपकरणों के लिए शून्य-शुल्क मूल्य निर्धारण के साथ एक पसंदीदा, लागत-प्रभावी विकल्प के रूप में उभरने के लिए तैयार हैं।

चिकित्सा उपकरण

  • चिकित्सा उपकरणों और उपकरणों का निर्यात यूके को वर्तमान 2% - 6% टैरिफ स्तर से शून्य टैरिफ पर किया जाएगा, जिससे भारतीय शल्य चिकित्सा और नैदानिक उपकरणों के निर्माताओं को मदद मिलेगी।
  • भारत का वैश्विक निर्यात 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। भारत का वर्तमान निर्यात यूके को 37 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • यूके भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माताओं के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। यूके के चिकित्सा उपकरणों के बाजार का आकार 2024 में 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और 7.19% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ 2035 तक 69 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
  • चीन, ब्राजील, वियतनाम आदि जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों, जो एमएफएन टैरिफ का सामना करते हैं, के सामने बाजार हिस्सेदारी का विस्तार करना और अधिक मूल्य प्रतिस्पर्धी बनना।
  • सीईटीए में एक पारस्परिक मान्यता समझौते का ढांचा शामिल है जिसके तहत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) या भारतीय चिकित्सा उपकरण प्रमाणन (आईसीएमईडी) द्वारा प्रमाणित चिकित्सा उपकरण यूके के बाजारों में अधिक स्वतंत्र रूप से पहुंच सकते हैं।

रसायन

  • शून्य शुल्क बाजार पहुंच: 1,206 टैरिफ लाइनों के साथ, रसायन और संबद्ध क्षेत्र कुल आयात में 12.4% का योगदान देता है। इसमें उर्वरक, औद्योगिक रसायन और पेट्रोकेमिकल जैसे उत्पाद शामिल हैं, जो व्यापार वर्गीकरण और नीति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
  • अवसर: शुल्क-मुक्त पहुंच भारतीय निर्यातकों के लिए यूके के 28.35 अरब अमेरिकी डॉलर के रसायन बाजार के द्वार खोलती है।
  • प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त: 2024 में, यूके के रासायनिक आयात के मुख्य स्रोत अमेरिका, चीन, जर्मनी और फ्रांस थे। पूर्ण और तत्काल टैरिफ उन्मूलन के साथ, सीईटीए भारत को एक प्रतिस्पर्धी, विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता और मौजूदा स्रोतों के लिए एक मज़बूत विकल्प के रूप में स्थापित करता है।
  • भारतीय निर्यातकों को बढ़ावा: अकार्बनिक रसायनों, कार्बनिक रसायनों, कृषि रसायनों आदि पर तत्काल और पूर्ण टैरिफ उन्मूलन से यूके के बाजार में इन भारतीय रासायनिक उत्पादों की मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी।
  • अनुमानित निर्यात वृद्धि: भारत-यूके सीईटीए से यूके को भारत के रासायनिक निर्यात में लगभग 30%-40% की वृद्धि होने का अनुमान है (वर्ष 2025-26 के लिए अनुमानित 650-750 मिलियन अमेरिकी डॉलर)।

 

प्लास्टिक

  • उल्लेखनीय निर्यात क्षमता: यूके में 13वें सबसे बड़े प्लास्टिक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की वर्तमान स्थिति के साथ, शुल्क मुक्त पहुंच, यूके में प्लास्टिक—फिल्म, शीट, पाइप, पैकेजिंग, टेबलवेयर और किचनवेयर—की मजबूत मांग को पूरा करने का अवसर प्रदान करती है- ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारत ने अपनी विनिर्माण क्षमता सिद्ध कर ली है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का यूके को निर्यात लगभग 0.509 अरब अमेरिकी डॉलर था, जिसमें लचीले मध्यवर्ती थोक कंटेनर (एफआईबीसी); ऑप्टिकल फाइबर, ऑप्टिकल फाइबर बंडल और केबल; बोरे और थैले; सजावटी लेमिनेट और प्लेट, शीट, फिल्म, फ़ॉइल और स्ट्रिप आदिप्रमुख उत्पाद शामिल थे।
  • सीईटीए के तहत बढ़ी हुई शुल्क मुक्त पहुंच के साथ निर्यात में और वृद्धि होने की उम्मीद है और अगले 3 वर्षों में इसके लगभग 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
  • प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त: शुल्क मुक्त पहुंच भारत को यूके के प्रमुख आयात स्रोतों जैसे जर्मनी, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्रांस के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाती है।
  • बढ़ी हुई व्यावसायिक अपील: कम पहुंच लागत से यूके के खुदरा और वितरण चैनलों में भारतीय वस्तुओं की व्यावसायिक अपील बढ़ने की उम्मीद है।

खेल सामान और खिलौने

  • निर्यात बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर: अनुमानित वृद्धि दर 15% है और कैलेंडर वर्ष 2030 के लिए अगले 5 वर्षों का लक्ष्य 186.97 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। सॉकर बॉल, क्रिकेट गियर, रग्बी बॉल और गैर-इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों का निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।
  • एफटीए से प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त: भारतीय खेल सामग्री और खिलौनों को यूके के आयात शुल्क समाप्त होने से लाभ होगा, जिससे वे चीन या वियतनाम जैसे देशों की तुलना में अधिक मूल्य-प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे, जिनके यूके के साथ ऐसे एफटीए नहीं हैं।
  • यूके के सुरक्षा मानकों के साथ बेहतर तालमेल: यूके और यूरोपीय संघ के मानकों के अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे खरीदारों का विश्वास और आपसी सहयोग बढ़ेगा।

इस्पात और लौह एवं इस्पात उत्पाद

  • लौह एवं इस्पात उत्पादों के लिए तत्काल और पूर्ण टैरिफ उन्मूलन (शून्य टैरिफ)- जहां पहले टैरिफ 10% तक था- से भारत का लौह क्षेत्र, विशेष रूप से इसका एमएसएमई का बड़ा आधार महत्वपूर्ण रूप से लाभान्वित होगा।
  • 2024 में यूके का इस्पात बाजार लगभग 32.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, और 2033 तक 42.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
  • टैरिफ उन्मूलन लाभ: यूके की पेशकश के तहत अब दोनों श्रेणियों पर 0% टैरिफ लागू है। इससे समान अवसर पैदा होते हैं और भारतीय निर्यातकों के लिए मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता का द्वार खुलता है।
  • निर्यात क्षमता बनाम यूके की मांग: इन श्रेणियों के लिए यूके की संयुक्त आयात मांग 18.46 बिलियन डॉलर है। भारत वर्तमान में केवल 887 मिलियन डॉलर की आपूर्ति करता है, जो यूके की कुल आयात मांग का लगभग 4.8% है। यूके के आयात हिस्से का 30-40% हिस्सा हासिल करने से भी निर्यात 7.5 अरब डॉलर के लक्ष्य के करीब पहुंच सकता है।
  • भारत की वैश्विक निर्यात क्षमता: भारत इन श्रेणियों में वैश्विक स्तर पर 22.36 अरब डॉलर का निर्यात करता है। वैश्विक निर्यात का केवल 33% यूके को पुनर्निर्देशित करने से यह लक्ष्य पूरा हो सकता है।

 

रत्न एवं आभूषण

  • शुल्क लगभग 4% से घटाकर 0% कर दिया गया
  • विशाल बाजार संभावनाओं का द्वार: भारत का यूके को कुल रत्न एवं आभूषण निर्यात 941 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें से 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर आभूषणों से आता है। एफटीए से एक विशाल बाजार का द्वार खुलता है क्योंकि यूके सालाना लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के आभूषणों का आयात करता है।
  • निर्यात को बढ़ावा: एफटीए के तहत शुल्क में छूट से अगले 2-3 वर्षों में यूके को भारत के रत्न एवं आभूषण निर्यात में दोगुना वृद्धि होने का अनुमान है।
  • आजीविका और शिल्प कौशल को बढ़ावा: व्यापार को बढ़ावा मिलने से भारत के डिजाइन, विनिर्माण और कारीगरी क्षेत्रों में रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा होंगे और पारंपरिक शिल्प कौशल को बल मिलेगा, जिससे समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

 

सेवा क्षेत्र में लाभ

सेवा क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जो सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) का 55 प्रतिशत है, जबकि यूके के सेवा क्षेत्र का योगदान 81 प्रतिशत है। भारत का व्यापार अधिशेष लगभग 6.6 अरब अमेरिकी डॉलर है, जिसमें यूके के साथ निर्यात 19.8 अरब अमेरिकी डॉलर और आयात 13.2 अरब अमेरिकी डॉलर है। यूके ने 137 उप-क्षेत्रों में व्यापक और गहन बाजार पहुंच प्रदान की है। सर्वश्रेष्ठ एफटीए प्लस: भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए), यूके द्वारा हस्ताक्षरित किसी भी एफटीए में सबसे महत्वाकांक्षी सेवा व्यापार पैकेजों में से एक है, जो व्यवसायों और पेशेवरों के लिए बड़े अवसर खोलता है।

व्यापक बाजार पहुंच

भारत ने यूके से व्यापक प्रतिबद्धताएं प्राप्त की हैं, जो सभी 12 प्रमुख सेवा क्षेत्रों और 137 उप-क्षेत्रों को कवर करती हैं, जो भारत के 99 प्रतिशत से अधिक निर्यात हितों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें आईटी और आईटी-सक्षम सेवाएं, वित्तीय सेवाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, व्यावसायिक सेवाएं (लेखा, इंजीनियरिंग और प्रबंधन परामर्श), दूरसंचार और विमानन सहायता सेवाएं जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।

डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली सेवाओं में यूके की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताएं निम्नलिखित को सक्षम करेंगी:-

आईटी और व्यावसायिक सेवाओं में निरंतर मजबूत वृद्धि के कारण यूके के आयात में हिस्सेदारी (14 अरब अमेरिकी डॉलर से) बढ़कर लगभग 200 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई।

भारतीय स्टार्ट-अप कम अनुपालन बाधाओं के साथ यूके के बाज़ार में प्रवेश करेंगे और व्यापक ग्राहक आधार को आकर्षित करेंगे।

यूके-मुख्यालय वाले व्यवसायों को सेवा प्रदान करने वाले जीसीसी के विस्तार का समर्थन करेंगे।

भारत की ओर से, 108 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताओं का विस्तार किया गया है, जिससे ब्रिटिश फर्मों को लेखांकन, लेखा परीक्षा, वित्तीय सेवाएँ (74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा के साथ), दूरसंचार (100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति), पर्यावरण सेवाएं और सहायक हवाई परिवहन सेवाओं जैसे क्षेत्रों में पहुंच प्राप्त होगी।

व्यावसायिक सेवाओं, व्यावसायिक सेवाओं, वित्तीय सेवाओं और पर्यावरण सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारत की बाजार पहुंच:-

भारत में निवेश को सुगम बनाना

प्रौद्योगिकी और प्रतिस्पर्धात्मकता लाना

वैश्विक बाजारों को सेवाएं देने की क्षमता

पारस्परिक मान्यता और व्यावसायिक गतिशीलता

दोनों देश नर्सिंग, लेखा और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों में व्यावसायिक योग्यताओं के लिए पारस्परिक मान्यता समझौतों (एमआरए) को लागू करने पर सहमत हुए हैं। इससे पेशेवरों के लिए बाधाएं कम होंगी और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान सुगम होगा।

भारतीय पेशेवरों के लिए, यूके ने व्यावसायिक आगंतुकों, इंट्रा-कॉर्पोरेट ट्रांसफरीज, संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं, स्वतंत्र पेशेवरों और निवेशकों जैसी श्रेणियों में अस्थायी प्रवेश और प्रवास के लिए एक सुनिश्चित व्यवस्था प्रदान की है। व्यावसायिक आगंतुकों के लिए अवधि 90 दिनों से लेकर इंट्रा-कॉर्पोरेट ट्रांसफरीज के लिए 3 वर्ष तक है, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है:

सभी क्षेत्रों के लिए व्यावसायिक आगंतुक (बीवी) - किसी भी 6 महीने की अवधि में 90 दिन;

• साझेदार और आश्रित सहित सभी क्षेत्रों के लिए इंट्रा-कॉर्पोरेट ट्रांसफरीज (आईसीटी) - 3 वर्ष; स्नातक प्रशिक्षुओं के लिए भी प्रावधान।

• निवेशक - 1 वर्ष;

• संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ता (सीएसएस) - किसी भी 24 महीनों में 12 महीने; 33 उप-क्षेत्र (आईटी/आईटीईएस, व्यवसाय, वित्त, आतिथ्य, परिवहन आदि)

• स्वतंत्र पेशेवर - किसी भी 24 महीनों में 12 महीने, 16 उप-क्षेत्र (आईटी/आईटीईएस, व्यवसाय, पेशेवर, दूरसंचार, वित्त आदि)

• संख्यात्मक प्रतिबंध या आर्थिक आवश्यकता परीक्षण की शर्तें न लगाने पर सहमति।

महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी आर्थिक आवश्यकता परीक्षण (ईएनटी) की आवश्यकता नहीं है, और काम के लिए यूके जाने वाले पेशेवरों पर कोई संख्यात्मक प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। ईएनटी से मिलने के कथित जोखिम ने अक्सर व्यवसायों को विदेशी प्रतिभाओं की तलाश करने से हतोत्साहित किया है, जिससे श्रम गतिशीलता प्रावधानों के संभावित लाभ सीमित हो गए हैं। सीईटीए के तहत यह आश्वासन अनिश्चितता को दूर करेगा और पेशेवरों की सुगम आवाजाही को प्रोत्साहित करेगा।

संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ता व्यवस्था के तहत भारतीय रसोइयों, योग प्रशिक्षकों और शास्त्रीय संगीतकारों के लिए प्रतिवर्ष 1,800 पदों का एक समर्पित कोटा आरक्षित किया जाता है, जो भारत की सांस्कृतिक विशेषज्ञता को मान्यता प्रदान करता है।

दोहरी अंशदान संधि

इस समझौते की एक महत्वपूर्ण विशेषता दोहरी अंशदान संधि (डीसीसी) है। इससे पहले, भारतीय कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं को अल्पकालिक नियुक्तियों के दौरान यूके की राष्ट्रीय बीमा प्रणाली में अपने वेतन का लगभग 20 प्रतिशत बिना किसी लाभ के देना पड़ता था। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, डीसीसी के तहत, 36 महीने तक के प्रवास के लिए इस तरह के दोहरे अंशदान को समाप्त कर दिया गया है, जिससे 75,000 से अधिक भारतीय पेशेवरों और 900 कंपनियों को लाभ होगा। उद्योग के अनुमान बताते हैं कि इससे 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की वार्षिक बचत होगी, जिससे यूके में कार्यरत भारतीय फर्मों की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

डिजिटल रूप से वितरित सेवाएं और निवेश के अवसर

यूके ने डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं (मोड 1) के लिए महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं प्रदान की हैं, जिनमें आईटी, पेशेवर परामर्श, शिक्षा और प्रशिक्षण, और दूरसंचार सेवाएँ शामिल हैं। यह भारत के आईटी/आईटीईएस क्षेत्र के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है, जो पहले से ही यूके के साथ व्यापार अधिशेष का आनंद ले रहा है। मोड 3 (व्यावसायिक उपस्थिति) के अंतर्गत प्रतिबद्धताएं भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए प्रबंधन परामर्श, शिक्षा और पर्यावरण सेवाओं जैसे क्षेत्रों में यूके में निवेश करने के अवसर भी पैदा करती हैं।

सीईटीए के तहत क्षेत्र-वार सेवा लाभ

आईटी और वित्तीय सेवाओं से लेकर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और स्टार्टअप तक, भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता बाजार तक पहुंच प्रदान करता है, बाधाओं को कम करता है और सहयोग को बढ़ावा देता है। ये प्रतिबद्धताएं व्यापार को मजबूत करने, नवाचार को बढ़ावा देने और रोज़गार सृजन के लिए डिजाइन की गई हैं, साथ ही यह सुनिश्चित करती हैं कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं अपनी मूल शक्तियों का लाभ उठाएं।

सूचना प्रौद्योगिकी और आईटी-सक्षम सेवाएँ

 

ब्रिटेन ने कंप्यूटर और संबंधित सेवाओं में पूरी प्रतिबद्धता जताई है, जिससे ब्रिटेन में निवेश करने की योजना बनाने वाले भारतीय व्यवसायों को निश्चितता मिली है। इससे भारतीय आईटी कंपनियों के लिए एक प्रमुख बाजार के रूप में ब्रिटेन की भूमिका मजबूत होगी और आगे विस्तार को प्रोत्साहन मिलेगा। अनुपालन लागत में कमी और प्रक्रियाओं को सरल बनाने से भारतीय फर्मों के लिए संचालन आसान हो जाएगा, जिससे उनकी दक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा।

यह समझौता भारतीय आईटी फर्मों और ब्रिटेन के लघु एवं मध्यम उद्यमों के बीच सहयोग को और गहरा कर सकता है। ब्रिटेन के व्यवसायों को डिजिटल परिवर्तन और क्लाउड सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भारत की विशेषज्ञता और लागत प्रभावी समाधानों से लाभ होगा।

मोबिलिटी से संबंधी प्रतिबद्धताओं का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए ब्रिटेन में काम करना आसान हो जाएगा। डबल कॉन्ट्रिब्यूशन कन्वेंशन (डीसीसी) के साथ ये परिवर्तन निर्बाध और लागत प्रभावी प्रतिभा संचालन को सरल बनाएंगे। इससे फिनटेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ने की उम्मीद है। बड़े आईटी कंपनियों को बड़े अनुबंधों से लाभ होगा, जबकि विशिष्ट फर्मों को नवाचार-केंद्रित साझेदारी से लाभ होगा।

वैश्विक क्षमता केंद्र

यह समझौता उच्च मूल्य वाली सेवाओं के लिए वैश्विक केंद्र बनने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।ब्रिटेन का अधिक निवेश और सहयोग भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और कौशल पहलों को बढ़ावा देगा। ब्रिटेन के लिए, यह समझौता दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते प्रौद्योगिकी बाजारों में से एक तक पहुंच प्रदान करता है।

यह समझौता ब्रिटेन की कंपनियों के भारत के प्रति दृष्टिकोण को कम लागत वाले बैक-ऑफिस गंतव्य से बदलकर अनुसंधान और विकास, विश्लेषण, साइबर सुरक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए एक रणनीतिक साझेदार के रूप में परिवर्तित कर सकता है। यह वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के विकास में भी सहायता करेगा जो ब्रिटेन स्थित व्यवसायों को सेवा प्रदान करते हैं या भारत से वैश्विक सेवाएं प्रदान करते हैं। भारत में पहले से ही 1,700 से अधिक जीसीसी हैं, जिनमें 1.9 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं जो प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा दे रहे हैं।

स्टार्ट-अप इकोसिस्टम

भारत का स्टार्ट-अप इकोसिस्टम, जिसमें 150,000 से अधिक कंपनियां हैं, ब्रिटेन के लिए आसान बाजार पहुंच से लाभान्वित होगा। यह समझौता अनुपालन बाधाओं को कम करता है, जिससे भारतीय स्टार्ट-अप को नए ग्राहकों, विशेष रूप से डिजिटल सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिलती है। ब्रिटेन में पहले से ही काम कर रहे भारतीय स्टार्ट-अप्स के लिए, डीसीसी वित्तीय और परिचालन संबंधी लाभ लेकर आता है, जिससे क्रॉस बॉर्डर विस्तार सरल और अधिक लागत प्रभावी हो जाता है।

स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँ

 

यह समझौता स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के नए अवसर खोलता है। निजी स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में ब्रिटेन की वचनबद्धता, इन क्षेत्रों में भारत के प्रस्तावों के साथ मिलकर, मजबूत साझीदारी के लिए स्थान सृजित करती है। भारतीय अस्पताल बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए ब्रिटेन के साझेदारों के साथ काम कर सकते हैं।

यह समझौता स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के नए अवसर खोलता है। निजी स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में ब्रिटेन की वचनबद्धता, इन क्षेत्रों में भारत के प्रस्तावों के साथ मिलकर, मजबूत साझीदारी के लिए स्थान सृजित करती है। भारतीय अस्पताल बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए ब्रिटेन के सहयोगियों के साथ काम कर सकते हैं।

ब्रिटेन के शैक्षणिक संस्थान भारत में अपने परिसर स्थापित कर सकेंगे, जबकि भारतीय संस्थान ब्रिटेन में अपने संचालन कर सकते हैं और एडटेक जैसे क्षेत्रों का विस्तार कर सकते हैं। इस समझौते से अत्यधिक कुशल भारतीय चिकित्सा पेशेवरों को भी लाभ होगा, जो पहले से ही ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पारस्परिक मान्यता समझौतों के प्रावधान ब्रिटेन के कार्यबल में उनके प्रवेश को और आसान बनाएंगे

वित्तीय सेवाएँ

यह समझौता भारत के तेजी से बढ़ते वित्तीय बाजार में ब्रिटेन के निवेश को प्रोत्साहित करता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखते हुए नवीन और प्रतिस्पर्धी सेवाएं पेश कर सकता है। भारतीय वित्तीय फर्मों को ब्रिटेन तक बेहतर पहुंच मिलेगी, जिससे वहां के भारतीय प्रवासियों और व्यवसायों को सेवा प्रदान करने की उनकी क्षमता में सुधार होगा।

गैर-भेदभावपूर्ण नियम भारतीय फर्मों के लिए उचित व्यवहार की गारंटी देते हैं, जबकि पारदर्शिता प्रतिबद्धताएं यह सुनिश्चित करती हैं कि यूके के नियम वस्तुनिष्ठ और स्पष्ट रहें। इस समझौते से इलेक्ट्रॉनिक भुगतान, फिनटेक और अन्य डिजिटल वित्तीय समाधानों के विकास में भी समर्थन मिलने की उम्मीद है, जिससे समग्र बाजार एकीकरण मजबूत होगा।

भारत महत्वपूर्ण बातों को अहमियत देता है

  • भारत ने अपने संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा की है डेयरी, अनाज और मिलेट्स, दालें और सब्जियां से लेकर सोना, आभूषण, प्रयोगशाला में विकसित हीरे और कुछ आवश्यक तेल, महत्वपूर्ण ऊर्जा ईंधन, समुद्री जहाज, पुराने कपड़े और महत्वपूर्ण पॉलिमर और उनके मोनोफिलामेंट्स, स्मार्ट फोन, ऑप्टिकल फाइबर जैसी उच्च मूल्य की वस्तुओं तक-किसानों, एमएसएमई और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत रुख।
  • भारत ने ब्रिटेन के 91 प्रतिशत निर्यात को कवर करते हुए अपनी टैरिफ लाइनों में से 89.5 प्रतिशत को खोल दिया है। ब्रिटेन के निर्यात मूल्य का 24.5 प्रतिशत तत्काल शुल्क-मुक्त बाजार पहुंच का लाभ उठाएगा।
  • रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्पादविशेष रूप से वे जहां घरेलू क्षमता का निर्माण मेक इन इंडिया जैसी प्रमुख पहलों के तहत किया जा रहा है और पीएलआई रियायतें 5, 7 या 10 वर्षों की अवधि में क्रमिक टैरिफ कटौती के साथ प्रदान की जा रही हैं।
  • भारत ने अल्कोहलिक पेय पदार्थों के लिए अपने बाजार को धीरे-धीरे खोल दिया है।

ऑटोमोबाइल के लिए भारत ने कैलिब्रेटेड, चरणबद्ध और विकास-उन्मुख कोटा आधारित उदारीकरण रणनीति दी है, जबकि साथ ही भारत के मोटर वाहन उद्योग के संवेदनशील वर्गों की रक्षा की है।

क्रॉस-सेक्टर प्रभाव: सशक्त होना

भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता टैरिफ रियायतों से कहीं आगे है। यह एक सक्षम ढांचा तैयार करता है जो आर्थिक सशक्तता को मजबूत करता है, नवाचार को बढ़ावा देता है और दोनों अर्थव्यवस्थाओं में समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।

आपूर्ति श्रृंखलाओं और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा

यह समझौता व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, अनावश्यक बाधाओं को दूर करता है और अनुपालन लागत को कम करता है।यह वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत होने के लिए भारतीय व्यवसायों की क्षमता को बढ़ाता है। वस्त्र, फुटवियर और प्रसंस्कृत खाद्य जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों के लिए शुल्क-मुक्त पहुंच से उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा, निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।

डिजिटल परिवर्तन और नवाचार

सीईटीए में एक मजबूत डिजिटल फोकस है। पेपरलेस व्यापार, इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणन और डिजिटल व्यापार सुविधा पर प्रावधान क्रॉस बॉर्डर व्यवसाय को आसान और अधिक कुशल बनाएगा। ये उपाय डिजिटल अर्थव्यवस्था में डेटा और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करते हुए स्टार्ट-अप और छोटे व्यवसायों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भाग लेने में मदद करेंगे।

हरित विकास और स्थिरता

पर्यावरण सहयोग इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सतत उत्पादन प्रथाओं, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों पर सहयोग और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देता है। दोनों देश जलवायु अनुकूल समाधानों पर मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं, जो व्यापार को हरित विकास उद्देश्यों के साथ जोड़ता है।

कौशल और कार्यबल विकास

यह समझौता पेशेवरों और श्रमिकों के लिए अपेक्षित गतिशीलता मार्ग सुनिश्चित करता है। यह ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से कौशल विकास और क्षमता निर्माण में मदद करता है। पेशेवर योग्यता को मान्यता देने की प्रतिबद्धता से भारतीय पेशेवर इंजीनियरिंग, वास्तुकला और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में वैश्विक अवसरों तक पहुंच बनाने में सक्षम होंगे।

सामाजिक और आर्थिक समावेश

सीईटीए को समावेशी बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं तक पहुंच बढ़ाकर और व्यापार में भागीदारी को सुविधाजनक बनाकर महिलाओं, युवाओं और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों को सशक्त बनाना है। लैंगिक समानता और नवाचार पर समर्पित सहयोग यह सुनिश्चित करता है कि व्यापार के लाभों को समुदायों में व्यापक रूप से साझा किया जाए।

पीपल्स डील : सभी के लिए अवसर

भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता वास्तव में जनता का समझौता है। समावेशी विकास देने और यह सुनिश्चित करने के लिए इसे तैयार किया गया है कि व्यापार का लाभ समाज के हर कोने तक पहुंचे। किसानों और मछुआरों से लेकर वनवासियों, श्रमिकों, महिलाओं, युवाओं, छोटे व्यवसायों और पेशेवरों तक, यह समझौता नए अवसरों और उज्जवल आर्थिक भविष्य के द्वार खोलता है।

किसान-स्थानीय बुवाई करें, विश्व में बेचे

भारतीय कृषक समुदाय को ब्रिटेन के बाजार तक आसान पहुंच से लाभ होगा और टैरिफ उन्मूलन के कारण अपनी उपज बेचने के अधिक अवसर मिलेंगे। अन्य बातों के अलावा, ब्रिटेन भारतीय मांस, डेयरी उत्पाद, चाय, कॉफी, मसाले, फल, सब्जियां, फलों के रस और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों के प्रवेश पर उदार नीति अपनाएगा। ब्रिटेन के 63 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कृषि बाजार तक बेहतर पहुंच प्रदान करके, व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) भारतीय किसानों को उच्च मूल्य वाले वैश्विक ग्राहक आधार तक सीधा मार्ग प्रदान करता है और अपने सामान के लिए बेहतर रिटर्न प्राप्त करने में मदद करता है।

  • यह समझौता संवेदनशील कृषि उत्पादों जैसे डेयरी उत्पादों, सब्जियों, सेब, खाद्य तेलों, ओट आदि के भारतीय उत्पादकों के हितों को पूरी तरह से ध्यान में रखता है और उन टैरिफ लाइनों को संवेदनशील सूची में रखता है।

 

भारतीय हितधारकों के लिए प्रमुख अपवर्जन/सुरक्षा सुनिश्चित की गई है

 

डेयरी क्षेत्र

अनाज

फल

सब्जियां

खाद्य तेल

तिलहन

 

दूध, पनीर, मक्खन, डेयरी स्प्रेड, घी जैसे उत्पाद

 

 

 

गेहूँ, मक्का, मिलेट्स

 

 

सेब, अनानास, संतरा, अनार

 

ताज़ा टमाटर, प्याज, लहसुन, फूलगोभी, पत्तागोभी, मूली, मटर, सेम, कद्दू, करेला, लौकी, भिंडी, आलू, सब्जियों का मिश्रण

 

 

सोयाबीन तेल, पाम आयल, सरसों का तेल, मूंगफली का तेल

 

 

 

 

सोयाबीन, मूंगफली, सरसों

 

  • भारतीय निर्यातों पर सुरक्षा शुल्क लागू नहीं होने से कृषि क्षेत्र को भी लाभ होता है।
  • किसानों को पारंपरिक ज्ञान को स्वीकार करने के लिए सीईटीए के तहत की गई प्रतिबद्धताओं से भी लाभ होगा, विशेष रूप से आनुवंशिक संसाधनों के लिए पेटेंट प्रक्रिया में।
  • इसके अतिरिक्त, सीईटीए कृषि क्षेत्र सहित विविध क्षेत्रों में समावेशी और तकनीक-रहित नवाचार को सुविधाजनक बनाएगा।
  • सामूहिक रूप से सीईटीए से भारतीय किसानों के लिए उच्चतर एवं अधिक स्थिर आय सुनिश्चित करने, ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने तथा दीर्घकालिक निर्यात अवसरों को सुरक्षित करने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक कृषि व्यापार में एक प्रमुख देश के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

मछुआरे - वैश्विक अवसरों के साथ भारत के मछुआरों का सशक्तिकरण

  • सीईटीए भारत के मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि करने के लिए तैयार है, जो वैश्विक मछली उत्पादन का 7.96 प्रतिशत है और लगभग 28 मिलियन लोगों की आजीविका का समर्थन करता है।टैरिफ को समाप्त करके और ब्रिटेन के 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मछली पालन बाजार तक बेहतर पहुंच प्रदान करके, सीईटीए सीधे तौर पर भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातकों को लाभान्वित करता है, विशेष रूप से उन निर्यातकों को जो झींगा और अन्य समुद्री खाद्य जैसे उच्च मांग वाले उत्पादों की आपूर्ति करते हैं।
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  • बढ़ी हुई बाजार पहुंच से निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा और महाराष्ट्र के भारतीय मछुआरों को सीधे लाभ होगा। कुल मिलाकर, सीईटीए न केवल भारत के मत्स्य निर्यात को मजबूत करेगा, बल्कि मछुआरों के कल्याण और आजीविका में भी योगदान देगा, तटवर्ती आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा और वैश्विक मंच पर भारतीय मछली पालन क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा। इस समझौते के माध्यम से भारत न केवल अपने समुद्री खाद्य निर्यात को मजबूत करेगा, बल्कि समावेशी और न्यायसंगत व्यापार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगा।

 

वनवासी - वनों का संरक्षण, जीवन सशक्तिकरण

  • सीईटीए वनवासियों और वन निर्भर समुदायों को आजीविका और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए वनों के महत्व को पहचानता है। ऐसे समुदायों को टिकाऊ वन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए पक्षों द्वारा किए गए सहयोगात्मक प्रयासों से लाभ होगा।

 

श्रमिक - बेहतर नौकरियाँ, उज्जवल भविष्य

  • रत्न एवं आभूषण, वस्त्र, चमड़ा एवं जूते तथा खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों से भारतीय उत्पादों पर शुल्क तत्काल हटाने से केवल रोजगार में वृद्धि होगी, बल्कि इन उद्योगों में भारतीय श्रमिकों को भी प्रत्यक्ष लाभ होगा।
  • सीईटीए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त श्रम अधिकारों का समर्थन करके श्रमिकों को अनेक प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है। श्रमिकों को श्रम कानूनों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ने से लाभ होगा तथा उन्हें निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायाधिकरणों तक पहुंच प्राप्त होगी तथा उनके अधिकारों को सुलभ और पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए कार्यवाही की सुविधा मिलेगी। विशेष रूप से महिला श्रमिकों को कार्यस्थल पर गैर-भेदभाव और लैंगिक समानता के प्रावधानों से लाभ होगा।
  • इसके अतिरिक्त, सीईटीए दोनों पक्षों के बीच सहयोगात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देगा जिससे श्रमिकों की क्षमता और कौशल विकास संभव होगा।
  • सीईटीए श्रमिकों के लिए बेहतर बाजार पहुंच भी प्रदान करता है, जिसमें रखरखाव और मरम्मत तथा पर्यटक गाइड के रूप में काम करने वाले भारतीय श्रमिकों के लिए यूके तक बेहतर आवागमन पहुंच शामिल है। सीईटीए और इसकी उन्नत बाजार पहुंच से विभिन्न क्षेत्रों में विविध प्रकार के श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

वैश्विक पहुँच के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण

  • सीईटीए दोनों देशों में महिलाओं और युवाओं के लिए अवसरों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें बाधाओं को दूर करने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, डिजिटल नवाचार और महिलाओं, युवाओं और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों के लिए सरकारी खरीद में अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रगतिशील प्रावधान शामिल हैं। जेंडर रिस्पोन्सिव मानकों पर सहयोग को बढ़ावा देने, वित्तीय सेवाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और डिजिटल समावेश में सुधार करने के द्वारा सीईटीए यह सुनिश्चित करता है कि महिला व्यवसाय मालिक, उद्यमी और युवा पेशेवर नए बाजारों तक पहुंच सकें, मूल्यवान जानकारी प्राप्त कर सकें और वैश्विक, क्षेत्रीय और घरेलू अर्थव्यवस्थाओं में समान रूप से भाग ले सकें।
  • सीईटीए के अंतर्गत समर्पित कार्य समूह उन गतिविधियों को बढ़ावा देंगे, जो भेदभावपूर्ण प्रथाओं का समाधान करेंगे, विविधता को बढ़ावा देंगे और लैंगिक समानता को बढ़ावा देंगे। यह महिलाओं और युवाओं को अवसरों और निष्पक्ष व्यवहार से लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सीईटीए के लाभ व्यापक रूप से साझा और समावेशी हों।

यंग माइंड - ग्लोबल फाइंड

  • भारत के 15 से 29 वर्ष के युवा, जो इसकी जनसंख्या का लगभग 27.3 प्रतिशत है, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का नेतृत्व कर रहे हैं। सीईटीए भारतीय युवाओं के लिए सेवा बाजार तक पहुँच को आसान बनाकर, व्यावसायिक योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता सुनिश्चित करके और आईटी, स्वास्थ्य सेवा, वित्त और रचनात्मक क्षेत्रों में प्रतिभाओं के लिए अल्पकालिक गतिशीलता की सुविधा प्रदान करके उच्च-गुणवत्ता वाले रोजगार मार्गों का विस्तार करने के लिए तैयार है। इनपुट और उन्नत विनिर्माण उपकरणों पर कम टैरिफ से एमएसएमई आपूर्ति-श्रृंखला एकीकरण को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे महानगरों से परे कुशल व्यावसायिक नौकरियां पैदा हो सकती हैं। कुल मिलाकर, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं तक पहुंच को बढ़ावा देकर और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाकर, सीईटीए भारतीय युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों और भविष्य के विकास में भाग लेने के लिए आवश्यक कौशल और मार्ग प्रदान करके सशक्त बनाएगा।

लघु एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) - स्थानीय हलचल, वैश्विक ताकत

  • एसएमई भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो 2022-23 में भारत के जीडीपी का 30.1 प्रतिशत और 2024-25 में भारत के कुल निर्यात में 45.8 प्रतिशत का योगदान करता है। एसएमई को सीईटीए के विभिन्न प्रावधानों से लाभ मिलता है, जिसमें डिजिटल प्रणालियों और कागज रहित व्यापार को मान्यता देने और सुविधाजनक बनाने के लिए सीमा शुल्क समझौतों पर तेजी से प्रसंस्करण के प्रावधान और एसएमई की सहायता के लिए एक समर्पित अध्याय शामिल हैं। एसएमई के लिए एक संपर्क बिन्दु सीईटीए के दायरे में स्थापित किया जाएगा, जिससे एसएमई को लाभ पहुंचाया जा सकेगा।
  • कम टैरिफ और बेहतर बाजार पहुंच के अलावा, एसएमई को व्यापार शिक्षा और वित्त, डिजिटल कौशल, व्यापार बुनियादी ढांचे और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के संबंध में सर्वोत्तम प्रथाओं पर भारत और यूके के बीच सहयोग से भी लाभ होगा, जिससे एसएमई के लिए व्यापार के अवसर बढ़ेंगे। सरकारी खरीद और नवाचार पर कार्य समूह एसएमई के मुद्दों को सुलझाने के लिए सहयोग को सक्षम बनाता है और सरकारी खरीद और नवाचार में भागीदारी को सुविधाजनक बनाता है।

व्यवसाय - स्थानीय रूटों से वैश्विक मार्गों पर

  • सीईटीए से भारतीय कारोबार को काफी लाभ होगा। भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए कम टैरिफ और बाजार पहुंच के अलावा, सीईटीए एक प्राधिकरण जैसे स्थापित प्रणालियों जैसे सरल और सुव्यवस्थित सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा प्रक्रियाओं के माध्यम से ब्रिटेन के साथ व्यापार करने में आसानी प्रदान करता है। जब बात वस्तुओं, सेवाओं और सरकारी खरीद की आती है तो भारतीय व्यवसायों और निर्यातकों के प्रति गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार से ब्रिटेन के बाजार में भारतीय व्यवसायों को लाभ मिलता है।
  • सीईटीए ब्रिटेन के भीतर काम करने वाले भारतीय उद्यमों के लिए एक रणनीतिक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है, जो ब्रिटेन के बाजार की उम्मीदों के अनुरूप प्रतिस्पर्धी बेंचमार्क सेवाएं प्रदान करने के लिए कुशल कर्मियों की तैनाती की सुविधा प्रदान करता है। सेवा क्षेत्र की संस्थाएं, विशेष रूप से ब्रिटेन में स्थापित उपस्थिति के साथ, भारतीय पेशेवरों के असाइनमेंट के लिए वीजा प्रावधानों के बारे में बढ़ी हुई नियामक निश्चितता से लाभान्वित होंगी। इस ढांचे से द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूती मिलने तथा ब्रिटेन को भारत के सेवा निर्यात में सतत वृद्धि को समर्थन मिलने की उम्मीद है।
  • व्यवसायों को सीईटीए के विभिन्न अध्यायों में निहित सहयोगात्मक प्रयासों से भी लाभ होगा, जैसे कि नवाचार कार्य समूह और डिजिटल पहचान और व्यापार पर सहयोग, जो कनेक्टिविटी, डिजिटल व्यापार विकास, सर्वोत्तम अभ्यास सिद्धांतों और नवीन अवसरों पर सहयोग और जिम्मेदार व्यवसाय संचालन और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी प्रथाओं को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

पेशेवर - विशेषज्ञता को सशक्त बनाना, मोबिलिटी को बढ़ाना

  • आर्किटेक्ट, इंजीनियर और चिकित्सा पेशेवर जैसे योग्य पेशेवर सीईटीए के तहत बढ़ी हुई बाजार पहुंच का लाभ उठा सकेंगे और यूके में सेवाएं प्रदान कर सकेंगे। इससे सेवा क्षेत्रों के विस्तार के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। यह पेशेवरों को ब्रिटेन तक बेहतर आवागमन सुविधा भी प्रदान करता है। अनुसंधान एवं विकास तथा कंप्यूटर सेवाएं प्रदान करने वाले स्वतंत्र पेशेवर इन प्रतिबद्धताओं का लाभ उठा सकेंगे तथा ब्रिटेन में अपनी सेवाएं प्रदान कर सकेंगे। इससे सीधे तौर पर रोजगार सृजन होगा और विभिन्न प्रकार के पेशेवरों के लिए बेहतर अवसर पैदा होंगे, जिससे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
  • सीईटीए का लाभ पारंपरिक सेवा प्रतिबद्धताओं से परे है। भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक और शास्त्रीय संगीतकार (कुल मिलाकर प्रतिवर्ष 1800 तक) अब अस्थायी रूप से अपनी सेवाएं देने के लिए ब्रिटेन जा सकेंगे।
  • इसके अतिरिक्त, लगभग 75,000 अलग-थलग श्रमिकों को डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन (डीसीसी) से लाभ मिलेगा जो सीईटीए के साथ ही लागू होगा। डीसीसी अस्थायी रूप से ब्रिटेन जाने वाले भारतीय कामगारों और उनके नियोक्ताओं को तीन वर्षों के लिए राष्ट्रीय बीमा अंशदान में योगदान करने से छूट देगी। इससे ब्रिटेन में अस्थायी रूप से काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर वित्तीय बोझ कम होगा और इससे बेहतर आय सृजन होगा।
  • यह व्यापार समझौता ब्रिटेन में बिना किसी फिजिकल उपस्थिति वाली कंपनियों में कार्यरत भारतीय पेशेवरों के लिए भी निश्चितता प्रदान करता है, जो अब परामर्श, आर्किटेक्चरल सेवाएं, तकनीक, आईटी/आईटीईएस, ट्रैवल एजेंसी आदि सेवाओं की प्रमुख श्रेणियों में सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। यह समझौता निवेशकों, संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं आदि जैसी कुछ श्रेणियों के लिए ब्रिटेन में ऐसे पेशेवरों के लिए वर्तमान वीजा मानदंडों के अनुरूप गारंटीकृत प्रवास का प्रावधान प्रदान करता है।

भारत-यूके सीईटीए से राज्यवार लाभ (निर्यात क्षमता के आधार पर)

  • भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते से भारतीय राज्यों में व्यापक अवसर पैदा होने की उम्मीद है। यूनाइटेड किंगडम में टैरिफ एलिमिनेशन और बेहतर बाजार पहुंच से प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निर्यात वृद्धि संभव होगी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और क्षेत्रीय स्तर पर रोजगार सृजन होगा।

समझौते के तहत प्रमुख भारतीय राज्यों के लिए अनुमानित आर्थिक लाभ की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

 

राज्य

प्रमुख लाभान्वित क्षेत्र

ब्रिटिश बाज़ार पहुँच से अपेक्षित लाभ की प्रकृति

 

महाराष्ट्र

इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्युटिकल्स, परिधान

पुणे, मुंबई और इचलकरंजी जैसे केंद्रों से ऑटो कंपोनेंट, जेनेरिक दवाओं और कपड़ों का उच्च निर्यात

गुजरात

फार्मास्युटिकल्स, रसायन, इंजीनियरिंग सामान, समुद्री उत्पाद

फार्मा निर्यात (अहमदाबाद), रसायन (सूरत और भरूच), इंजीनियरिंग (राजकोट), समुद्री खाद्य (वेरावल) को बढ़ावा; एमएसएमई को ब्रिटेन तक आसान पहुंच का लाभ मिलेगा

तमिलनाडु

वस्त्र, चमड़ा, इंजीनियरिंग सामान

परिधान (तिरुप्पुर), चमड़ा (वेल्लोर), ऑटो पार्ट्स (चेन्नई) में प्रमुख लाभ; यू.के. में बेहतर मूल्य प्रतिस्पर्धा।

कर्नाटक

इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा

बेंगलुरु स्थित मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यातकों को लाभ होगा; फार्मा इकाइयां निर्यात का विस्तार करेंगी

आंध्र प्रदेश

समुद्री उत्पाद, वस्त्र

विशाखापत्तनम और काकीनाडा से झींगा और समुद्री खाद्य निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि, गुंटूर क्षेत्र की कपड़ा इकाइयों को लाभ

ओडिशा

समुद्री उत्पाद, हस्तशिल्प

 

पारादीप और बालासोर से समुद्री भोजन तक बेहतर पहुँच,

ब्रिटेन के बाज़ारों में पारंपरिक शिल्प की संभावना

पंजाब

वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान

लुधियाना के कपड़ा निर्यातकों और ऑटो पार्ट्स निर्माताओं को ब्रिटेन के शुल्क उन्मूलन से लाभ होगा।

पश्चिम बंगाल

चमड़े का सामान, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, चाय

चमड़े की वस्तुओं (कोलकाता), दार्जिलिंग चाय और पैकेज्ड खाद्य वस्तुओं का निर्यात बढ़ेगा

केरल

समुद्री उत्पाद, मसाले

झींगा, टूना और काली मिर्च की ब्रिटेन में बढ़ी मांग; कोच्चि और अलपुझा के निर्यातकों को लाभ

राजस्थान

हस्तशिल्प, रत्न एवं आभूषण

टैरिफ में कमी के कारण जयपुर के आभूषणों और जोधपुर के फर्नीचर एवं शिल्प का निर्यात बढ़ेगा

दिल्ली

परिधान, इंजीनियरिंग, आभूषण

दिल्ली-एनसीआर के एमएसएमई को वस्त्र और आभूषण निर्यात से लाभ होगा

ब्रिटिश खुदरा विक्रेताओं तक बेहतर पहुँच

 

निष्कर्ष

भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता दो गतिशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच साझेदारी में एक नए अध्याय का प्रतीक है।यह वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और नवाचार में सहयोग के लिए एक ढांचा बनाने के लिए दरों को कम करने से कहीं आगे है। 99 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर शुल्क मुक्त पहुंच के साथ, यह समझौता व्यवसायों के लिए दरवाजे खोलता है, श्रमिकों और पेशेवरों के लिए अवसर पैदा करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि विकास समावेशी और सतत हो।

बाजार पहुंच में सुधार, डिजिटल व्यापार को बढ़ावा देने और मोबिलिटी को सुविधाजनक बनाने के द्वारा, सीईटीए मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं और अधिक आर्थिक मजबूती की नींव रखता है। इससे उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प और प्रतिस्पर्धी कीमतों के माध्यम से वास्तविक लाभ भी मिलता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आर्थिक एकीकरण को गहरा करने और विश्वास और साझा मूल्यों पर बने संबंधों की क्षमता को सामने लाने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता का संकेत देता है।

सीईटीए सिर्फ़ एक व्यापार समझौता नहीं है। यह भविष्य के लिए एक रणनीतिक साझेदारी है, जो दोनों देशों और उनके लोगों के लिए समृद्धि के रास्ते तैयार करती है।

संदर्भः

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय

भारत-यूके सीईटीए

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