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ऑनलाइन गेमिंग का संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025
मध्यम वर्ग और युवाओं की रक्षा करना; ई-स्पोर्ट्स, ऑनलाइन सोशल गेम्स को बढ़ावा देना
Posted On: 21 AUG 2025 5:23PM
प्रस्तावना
संसद द्वारा 21 अगस्त 2025 को पारित ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 का संवर्धन और विनियमन, अन्य प्रकार के ऑनलाइन गेम को बढ़ावा देने और विनियमित करते हुए नागरिकों को ऑनलाइन मनी गेम्स के खतरे से बचाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह कानून नुकसानदायक गेमिंग प्लेटफार्मों के कारण व्यसन, वित्तीय बर्बादी और सामाजिक संकट को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो त्वरित धन के भ्रामक वादों पर पनपते हैं। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित और रचनात्मक विकास की दिशा में मार्गदर्शित करते हुए परिवारों की सुरक्षा के सरकार के संकल्प को दर्शाता है।

पूरा विश्व इस मुद्दे को लेकर गंभीर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गेमिंग डिसऑर्डर को अपने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज में स्वास्थ्य की स्थिति के रूप में वर्गीकृत किया है और इसे अनियंत्रण, अन्य दैनिक गतिविधियों की उपेक्षा और हानिकारक परिणामों के बावजूद खेल के पैटर्न के रूप में जारी रखे जाने के रूप में वर्णित किया है। यह रेखांकित करता है कि भारत में भी निर्णायक कार्रवाई क्यों आवश्यक है।
ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है। परिवारों ने अपनी बचत खो दी है। युवाओं को नशे की लत लग गई है। कुछ दिल दहला देने वाले मामलों में, इन खेलों से जुड़े वित्तीय संकट ने आत्महत्याओं के लिए भी उकसाया है। सरकार ने इन खतरों को पहचाना है और मजबूत कानून के साथ इससे निपट रही है।
इसके साथ ही, विधेयक संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है। यह ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र को डिजिटल और रचनात्मक अर्थव्यवस्था के सबसे गतिशील क्षेत्रों में से एक के रूप में मान्यता देता है, इसमें नवोन्मेषण, संज्ञानात्मक विकास, रोजगार सृजन, प्रौद्योगिकीय उन्नति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के महत्वपूर्ण अवसर उपस्थित हैं। यह ई-स्पोर्ट्स को प्रोत्साहित करता है, जो प्रतिस्पर्धी वीडियो गेम आयोजित करते हैं, और सुरक्षित ऑनलाइन सामाजिक और शैक्षिक गेम को बढ़ावा देते हैं। यह स्पष्ट रूप से रचनात्मक डिजिटल मनोरंजन को सट्टेबाजी, जुआ और फंतासी मनी गेम्स से अलग करता है जो लाभ के झूठे वादों के साथ उपयोगकर्ताओं का शोषण करते हैं।
ऐसा करके, विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि भारत अपने लोगों को ऑनलाइन गेमिंग के अंधेरे पक्ष से बचाते हुए डिजिटल नवोन्मेषण के लाभों को अंगीकार करे।
ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को समझना
ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है और अब डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक बन चुका है । यह आम-तौर पर तीन अलग-अलग खंडों में विभाजित है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषताएं और समाज के लिए उसके निहितार्थ हैं।
- ई-स्पोर्ट्स: यह प्रतिस्पर्धी डिजिटल खेलों को संदर्भित करता है जहां टीमें या व्यक्ति संगठित टूर्नामेंट में भाग लेते हैं। ई-स्पोर्ट्स में सफलता के लिए रणनीति, समन्वयन और अग्रिम निर्णय लेने के कौशल की आवश्यकता होती है।
- ऑनलाइन सोशल गेम्स: ये आकस्मिक गेम्स हैं जो रोजमर्रा के मनोरंजन का हिस्सा बनते हैं। वे मुख्य रूप से कौशल-आधारित हैं और मनोरंजन, सीखने या सामाजिक संपर्क के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ऐसे खेलों को आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है और इसके नकारात्मक सामाजिक परिणाम नहीं होते।
- ऑनलाइन मनी गेम्स: इस सेगमेंट में ऐसे गेम शामिल हैं जहां वित्तीय दांव शामिल हैं, चाहे वह मौके, कौशल या दोनों के संयोजन पर आधारित हो। इन प्लेटफार्मों ने व्यसन, वित्तीय नुकसान, मनी लॉन्ड्रिंग और यहां तक कि भारी मौद्रिक नुकसान से जुड़े आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टों के कारण गंभीर चिंताएं जताई हैं।
क्यों पड़ी विधेयक की आवश्यकता
ऑनलाइन मनी गेम्स के तेजी से प्रसार ने व्यक्तियों, परिवारों और राष्ट्र के लिए गंभीर जोखिम पैदा किए हैं। जहां डिजिटल प्रौद्योगिकी ने कई लाभ लाए हैं, इन खेलों ने कानून में खामियों का लाभ उठाया है और भारी सामाजिक नुकसान का कारण बना है। राज्यसभा को सम्बोधित करते हुए, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम से नकारात्मक रूप से प्रभावित हैं और इसके कारण उन्हें 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का सामना करना पड़ा है। सरकार ने इन अंतरालों को बंद करने और नागरिकों की रक्षा करने के लिए कदम उठाए है।
इसी के साथ-साथ0, ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर डिजिटल और रचनात्मक अर्थव्यवस्था के सबसे गतिशील और तेजी से बढ़ते सेगमेंट में से एक है। भारत तेजी से विकसित हो रही क्षमताओं के साथ एक प्रमुख गेम मेकिंग हब के रूप में उभर रहा है। यह क्षेत्र नवोन्मेषण, रोजगार सृजन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए अपार अवसर प्रदान करता है। हालांकि, समन्वित और सक्षम कानूनी ढांचे की कमी है जो इस क्षेत्र के संरचित विकास को बढ़ावा दे सकता है और उत्तरदायी गेमिंग प्रथाओं को विकसित करने की अनुमति दे सकता है। इसलिए इस सेक्टर के लिए तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।
इसके अतिरिक्त, कई गेमिंग प्लेटफॉर्म अपतटीय न्यायालयों से प्रचालित होते हैं। इन प्लेटफार्मों को विनियमित करना अतिरिक्त-क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार और अंतर-राज्य विसंगतियों के संदर्भ में चुनौतियां प्रस्तुत करता है। इसलिए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए यह समीचीन था कि वह कार्य आवंटन नियमों के संदर्भ में इस सेक्टर पर कानून बनाए।

प्रमुख कारण हैं:
- लत और वित्तीय नुकसान: ऑनलाइन मनी गेम्स बाध्यकारी खेल को प्रोत्साहित करते हैं। कई खिलाड़ी त्वरित लाभ के भ्रम का पीछा करते हुए अपनी पूरी बचत खो देते हैं। इसकी वजह से परिवारों को कर्ज और संकट में धकेल दिया गया है।
- मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या: भारी वित्तीय नुकसान के तनाव ने अवसाद और यहां तक कि आत्महत्या के मामलों को जन्म दिया है। विधेयक इन शोषणकारी प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाकर ऐसी त्रासदियों को रोकने का प्रयास करता है।
- धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग; अवैध गतिविधियों के लिए कई प्लेटफार्मों का दुरुपयोग किया गया है। मनी लॉन्ड्रिंग, जिसका अर्थ है कि अपने स्रोत को छिपाने के लिए कानूनी चैनलों के माध्यम से अवैध कमाई को स्थानांतरित करना, एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा: जांच से पता चला है कि कुछ गेमिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल आतंकी वित्तपोषण और अवैध संदेश भेजने के लिये किया जा रहा था, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं।
- कानूनी खामियों को बंद करना: भारतीय कानूनों जैसे भारतीय न्याय संहिता, 2023 और विभिन्न राज्य कानूनों के तहत जुआ और सट्टेबाजी पहले से ही प्रतिबंधित हैं। लेकिन ऑनलाइन डोमेन बहुत हद तक अनियमित रहा। विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि भौतिक और डिजिटल दोनों स्थानों में समान मानक लागू हों।
- स्वस्थ विकल्पों को प्रोत्साहित करना: विधेयक सकारात्मक डिजिटल जुड़ाव को भी बढ़ावा देता है। ई-स्पोर्ट्स को एक वैध खेल के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जबकि कौशल और सांस्कृतिक मूल्यों का निर्माण करने वाले सामाजिक और शैक्षिक खेलों को सरकारी सहायता प्राप्त होगी।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
विधेयक ऑनलाइन मनी गेम्स से जुड़ी हानिकारक प्रथाओं को प्रतिबंधित करते हुए सुरक्षित डिजिटल मनोरंजन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार करता है। इसके मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
यह कानून पूरे भारत पर लागू होगा और भारत के क्षेत्र के भीतर दी जाने वाली या भारत के क्षेत्र के बाहर से संचालित ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवा पर भी लागू होगा।
ई-स्पोर्ट्स का प्रचार और मान्यता
ई-स्पोर्ट्स को भारत में एक वैध प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में मान्यता दी गई है। युवा मामले और खेल मंत्रालय टूर्नामेंट के लिए दिशानिर्देश और मानक तैयार करेगा। इस सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण अकादमियों, अनुसंधान केंद्रों और प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों की स्थापना की जाएगी। ई-स्पोर्ट्स को व्यापक खेल नीतियों में समेकित करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं और जागरूकता कार्यक्रम भी आरंभ किए जाएंगे।
सामाजिक और शैक्षिक खेलों को बढ़ावा देना
केंद्र सरकार को ऐसे सामाजिक खेलों को पहचानने और पंजीकृत करने की शक्तियां दी गई हैं जो सुरक्षित और आयु के हिसाब से उपयुक्त हैं। ये खेल शिक्षा, संस्कृति या कौशल पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। ऐसे कंटेंट को वितरित करने के लिए समर्पित प्लेटफॉर्म विकसित किए जाएंगे। जागरूकता अभियान डिजिटल साक्षरता के निर्माण और स्वस्थ मनोरंजन को प्रोत्साहित करने में इन खेलों की सकारात्मक भूमिका को रेखांकित करेंगे।
हानिकारक ऑनलाइन मनी गेम्स का निषेध
यह विधेयक ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। यह चांस के खेल, स्कील के खेल और दोनों को मिलाने वाले खेलों पर लागू होता है। ऐसे खेलों का विज्ञापन और प्रचार सख्त वर्जित है। इन प्लेटफार्मों से संबंधित वित्तीय लेनदेन बैंकों या भुगतान प्रणालियों द्वारा प्रोसेस नहीं किए जा सकते हैं। प्राधिकारियों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत गैरकानूनी प्लेटफार्मों तक पहुंच को अवरुद्ध करने का भी अधिकार होगा।
ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना
विधेयक के अंतर्गत एक राष्ट्रीय स्तर के नियामक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी, या एक मौजूदा प्राधिकरण को निरीक्षण के लिए नामित किया जा सकता है। इसके कार्यों में ऑनलाइन गेम को वर्गीकृत करना और पंजीकृत करना, कोई गेम पैसे के खेल के रूप में योग्य है या नहीं निर्धारित करना और सार्वजनिक शिकायतों का समाधान करना सम्मिलित होगा। प्राधिकरण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश, अभ्यास संहिता और निर्देश जारी करेगा।
विधेयक के अंतर्गत कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। ऑनलाइन मनी गेम्स की पेशकश या सुविधा देने पर तीन साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इन खेलों से संबंधित वित्तीय लेनदेन भी इसी तरह के दंड के साथ दंडनीय हैं। ऐसे खेलों का विज्ञापन करने पर दो साल तक की जेल और पचास लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
बार-बार अपराध करने वालो के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। जिसमें पांच साल तक की सजा और दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना सम्मिलित है। प्रमुख प्रावधानों के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे, जिसका अर्थ है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है और जमानत का अधिकार नहीं होगा।
कॉर्पोरेट और संस्थागत दायित्व
कंपनियों और उनके अधिकारियों को अपराधों के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। हालांकि, स्वतंत्र निदेशक और गैर-कार्यकारी निदेशक, जो दिन-प्रतिदिन के निर्णयों में शामिल नहीं होते हैं, उन्हें दंडित नहीं किया जाएगा यदि वे यह दिखा सकते हैं कि उन्होंने उचित तौर-तरिको के साथ कार्य किया है।
जांच और प्रवर्तन की शक्तियां
केंद्र सरकार अधिकारियों को अपराधों से जुड़ी डिजिटल और वास्तविक संपत्ति दोनों की जांच, तलाशी और जब्त करने के लिए अधिकृत कर सकती है। कुछ मामलों में, अधिकारियों के पास परिसर में प्रवेश करने और वारंट के बिना गिरफ्तारी करने की शक्ति होगी। जांच भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के प्रावधानों का पालन करेगी, जो भारत में आपराधिक प्रक्रिया को नियंत्रित करती है।
केंद्र सरकार के पास ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को प्रोत्साहन देने, ऑनलाइन गेम की मान्यता और पंजीकरण और ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण के कार्य के लिए नियम बनाने का अधिकार है। वह इस कानून के अंतर्गत आवश्यक किसी अन्य मामले पर नियम भी बना सकती है।
विधेयक से समाज को होने वाले लाभ
ऑनलाइन गेमिंग विधेयक, 2025 के संवर्धन और विनियमन से समाज और अर्थव्यवस्था को व्यापक लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके मुख्य सकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- रचनात्मक अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन: विधेयक डिजिटल रचनात्मकता के केंद्र के रूप में भारत की स्थिति का समर्थन करता है। ई-स्पोर्ट्स और सुरक्षित ऑनलाइन गेम को प्रोत्साहित करके, यह निर्यात के अवसरों का विस्तार करेगा, नई नौकरियां सृजित करेगा और गेमिंग क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहन देगा। इससे वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका सशक्त होगी।
- युवाओं को सशक्त बनाना: युवाओं को सुरक्षित और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने के नए अवसर प्राप्त होंगे। ई-स्पोर्ट्स और कौशल-आधारित डिजिटल गेम उन्हें आत्मविश्वास, अनुशासन और टीम वर्क बनाने में मदद करेंगे। यह प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए करियर के मार्ग भी प्रशस्त करेंगे।
- एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण: परिवारों को लालच देने वाले गेमों से बचाया जाएगा। ये प्लेटफॉर्म अक्सर उपयोगकर्ताओं को आसान वित्तीय लाभ के झूठे वादों के साथ लुभाते हैं, जिसकी लत पड़ सकती है और विपत्ति का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार के खतरों को दूर करके, विधेयक एक स्वस्थ और सुरक्षित डिजिटल स्पेस बनाता है।
- वैश्विक नेतृत्व को सुदृढ़ करना: भारत ज़िम्मेदार गेमिंग और डिजिटल नीति में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरेगा। विधेयक दर्शाता है कि कैसे एक राष्ट्र सामाजिक सुरक्षा के साथ नवाचार को संतुलित कर सकता है। यह भारत को अन्य देशों के लिए एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करता जो ऑनलाइन मनी गेम्स में समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
ऑनलाइन गेमिंग के जोखिमों का सामना करने के लिए अन्य उल्लेखनीय पहल
सरकार ने नागरिकों को ऑनलाइन गेमिंग के खतरों से बचाने के लिए कई उपाय पेश किए हैं। इनमें लत, वित्तीय धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर क्राइम शामिल हैं।

इस संबंध में प्रमुख कदम निम्नलिखित हैं:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और संबंधित नियम
- अप्रैल 2023 में संशोधित आईटी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के लिये मानदंड निर्धारित किए।
- ऑनलाइन गेमिंग मध्यवर्तियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके नेटवर्क पर गैरकानूनी या अवैध सामग्री साझा नहीं की जाती है।
- मनी गेम की पेशकश करने वाले मध्यवर्तियों को स्व-नियामक निकायों (एसआरबी) के साथ पंजीकरण करना आवश्यक है, जो यह सत्यापित करते हैं कि इस गेम को अनुमति प्राप्त है या नहीं।
- आईटी अधिनियम की धारा 69ए सरकार को अवैध वेबसाइटों या लिंक तक पहुंच को अवरुद्ध करने का अधिकार देती है।
- वर्ष 2022 और जून 2025 के बीच, 1,524 सट्टेबाजी और जुआ वेबसाइटों और मोबाइल ऐप को बंद किया गया।
भारतीय न्याय संहिता 2023
- धारा 111 के अंतर्गत गैरकानूनी आर्थिक गतिविधियों और साइबर अपराधों को दंडित करती है।
- धारा 112 के अंतर्गत अनधिकृत सट्टेबाजी और जुए के लिए सजा निर्धारित की गई है। अपराधियों को जुर्माने के साथ कम से कम एक साल की सजा होती है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है।
एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (आईजीएसटी अधिनियम)
- अवैध और अपतटीय गेमिंग प्लेटफार्मों को आईजीएसटी अधिनियम के अंतर्गत विनियमित किया जाता है।
- ऑनलाइन मनी गेमिंग आपूर्तिकर्ताओं को सरलीकृत पंजीकरण योजना के अंतर्गत पंजीकरण करना होगा।
- जीएसटी आसूचना महानिदेशालय मध्यवर्तियों को अपंजीकृत या गैर-अनुपालन गेमिंग प्लेटफार्मों तक पहुंच को अवरुद्ध करने के लिए निर्देशित करने के लिए अधिकृत है।
- यह सुनिश्चित करता है कि डिजिटल संस्थाएं वास्तविक व्यवसायों के समान कराधान नियमों का पालन करें।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
- भ्रामक और छद्म विज्ञापनों पर रोक लगाता है।
- केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के पास अपराधियों की जांच करने, दंडित करने और आपराधिक कार्रवाई करने की शक्तियाँ हैं।
- सीसीपीए ने विख्यात व्यक्तियों और इन्फ्लुएंसर को सट्टेबाजी प्लेटफार्मों का समर्थन करने से रोकने के लिए परामर्शी जारी की है।
मंत्रालयों द्वारा परामर्शी
- सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने वर्ष 2022, 2023 और 2024 में मीडिया प्लेटफॉर्म, विज्ञापनदाताओं और "इन्फ्लुएंसर" को परामर्शी जारी की।
- इन परामर्शी ने भ्रामक ऑनलाइन सट्टेबाजी विज्ञापनों को प्रकाशित करने या प्रोत्साहन देने के खिलाफ चेतावनी दी।
- शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों के लिए सुरक्षित गेमिंग आदतों पर माता-पिता और शिक्षकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग
- नागरिक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर साइबर अपराध की जानकारी दे सकते हैं।
- शिकायतों को राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भेज दिया जाता है।
- पोर्टल में वित्तीय धोखाधड़ी के लिए एक अलग खंड है।
- ऑनलाइन घोटालों और धोखाधड़ी की त्वरित रिपोर्टिंग के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन, 1930 उपलब्ध है।
निष्कर्ष
ऑनलाइन गेमिंग का संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025, भारत की डिजिटल यात्रा में एक निर्णायक कदम है। यह अनियमित मनी गेमिंग के खतरों की पहचान करता है और नागरिकों की सुरक्षा के लिए दृढ़ सुरक्षा उपाएं प्रस्तुत करता है। साथ ही, यह ई-स्पोर्ट्स और शैक्षिक खेलों को प्रोत्साहन देता है जो कौशल और रचनात्मकता का विकास करते हैं। उत्तरदायिता के साथ नवाचार को संतुलित करके, विधेयक एक सुरक्षित और स्वस्थ डिजिटल भविष्य का निर्माण करता है। यह वैश्विक डिजिटल नीति को स्वरुप देने वाले राष्ट्र के रुप में भारत के नेतृत्व को सशक्त करता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि विधेयक सुनिश्चित करता है कि प्रौद्योगिकी समाज को नुकसान पहुंचाने के बजाय उसकी सेवा करे।
संदर्भ
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय :
विश्व स्वास्थ्य संगठन :
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SK/SM
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