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भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 –

भारत का व्यापक समुद्री सुधार कानून

Posted On: 28 SEP 2025 10:33AM

प्रमुख बातें

  • भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 में भारतीय पत्तन विधेयक, 1908 के पुराने प्रावधानों को आधुनिक और समकालीन विनियमों के साथ प्रतिस्थापित किया गया है।
  • यह विधेयक केंद्र और तटीय राज्यों के बीच समन्वय के लिए एक वैधानिक सलाहकार निकाय के रूप में समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) की स्थापना करता है।
  • इस विधान में भारतीय पत्तनों के लिए ग्लोबल ग्रीन नार्मस, आपदा तैयारी का प्रावधान है।
  • यह व्यापार करने में आसानी (ईओडीबी) को बढ़ाने के लिए पत्तन प्रक्रियाओं को सरल बनाता है और परिचालन को डिजिटल बनाता है।

 

भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 का परिचय

बंदरगाहों ने लंबे समय से भारत की आर्थिक गति के मौन इंजन के रूप में कार्य किया है। जैसे-जैसे भारत का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे इसके समुद्री बुनियादी ढांचे की रणनीतिक प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक होती जा रही है। लॉजिस्टिक्स से आगे अब पत्तन औद्योगिक गलियारों, रोजगार सृजन और शहरी नवीकरण के लिए एक उत्प्रेरक हैं।

अगस्त, 2025 में संसद द्वारा पारित भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 भारत के समुद्री प्रशासन में एक परिवर्तनकारी उपलब्धि है जो एक आधुनिक अर्थव्यवस्था की मांगो के अनुरूप एक प्रगतिशील, एकीकृत ढांचे के साथ 1908 के भारतीय पत्तन विधेयक की जगह ले रहा है।यह कानून बंदरगाहों को न केवल ट्रांजिट बिंदु के रूप में बल्कि विकास, रोजगार और रणनीतिक संपर्क के इंजन के रूप में स्थापित करने के सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है। पत्तन कानूनों को मजबूत करके और राज्यों को सशक्त बनाकर, यह अधिनियम तटीय राज्यों में सहकारी संघवाद और संरचित विकास को बढ़ावा देता है। इसका उद्देश्य भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा का पूर्ण क्षमता से दोहन करना, पत्तन प्रशासन को सुव्यवस्थित करना और घरेलू प्रथाओं को वैश्विक समुद्री मानकों के अनुरूप लाना है। चूंकि भारत वैश्विक समुद्री क्षेत्र में अग्रणी बनने की दिशा में अग्रसर है, भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 पत्तन आधारित विकास के केंद्र में दक्षता, स्थिरता और समावेशी प्रगति को स्थापित करने वाला एक आधारभूत सुधार है।

 

पत्तन क्यों महत्वपूर्ण हैं: भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 के पीछे का दृष्टिकोण

व्यापार को सुविधाजनक बनाने, औद्योगिक विकास को समर्थन देने और क्षेत्रीय संपर्क को सक्षम बनाकर भारत के विकास में पत्तन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे आयात और निर्यात के लिए रणनीतिक गेटवे के रूप में काम करते हैं, जो राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। देश के पत्तन मात्रा के हिसाब से लगभग 95 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 70 प्रतिशत एक्जिम कार्गो का संचालन करते हैं। भारत के समुद्र तट पर 12 प्रमुख पत्तन और 200 से अधिक छोटे पत्तन हैं। प्रमुख बंदरगाह पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक दायरे में काम करते हैं, जबकि छोटे पत्तन संबंधित राज्य समुद्री बोर्डों या राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। सभी प्रमुख पत्तन पूरी तरह से परिचालन में हैं। छोटे बंदरगाहों में, लगभग 65 कार्गो का संचालन करते हैं, जबकि शेष पत्तन सीमा के रूप में कार्य करते हैं, जो मुख्य रूप से मछली पकड़ने के जहाजों और छोटी यात्री नौकाओं को खाड़ी और अंतर्देशीय जलमार्गों के पार सेवा प्रदान करते हैं।

पिछले दशक में, भारत का समुद्री क्षेत्र एक उल्लेखनीय परिवर्तन से गुजरा है, जो आर्थिक संपर्क और लॉजिस्टिक्स दक्षता के एक प्रमुख वाहक के रूप में उभर रहा है। प्रमुख बंदरगाहों ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपनी संचालन क्षमता और परिचालन प्रदर्शन में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इस गति ने घरेलू व्यापार मार्गों को मजबूत किया है और साथ ही भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी ऊंचा किया है। इस क्षेत्र का विकास भारत के भविष्य को एक समुद्री शक्ति के रूप में आकार देने में बंदरगाहों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है।

 

इन घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, हाल ही में अधिनियमित भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 उपनिवेशकालीन के कानून की जगह एक ऐसे आधुनिक ढांचे के साथ एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतीक है जो एकीकृत विकास को बढ़ावा देता है, केंद्र-राज्य समन्वय को मजबूत करता है, भारत के पत्तन शासन को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बनाता है और भारत की सामरिक समुद्री क्षमताओं को बढ़ावा देता है।

 

 

यह अधिनियम इस क्षेत्र में सुधार प्रदान करता है

 

भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 पूरे भारत के पत्तन इकोसिस्टम में शासन, पारदर्शिता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए एक आधुनिक विनियामक ढांचा प्रस्तुत करता है। यह वैधानिक निकायों को सशक्त बनाता है, विवाद समाधान को सुव्यवस्थित करता है, तथा वैश्विक समुद्री मानकों के अनुरूप टैरिफ विनियमन और पर्यावरण सुरक्षा को मजबूत करता है।

 

 

भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 के प्रमुख आधार

पत्तन अधिकारी

  • विधेयक में सरकार द्वारा नियुक्त संरक्षक को पत्तन अधिकारी के रूप में नामित किया गया है, तथा उसे अन्य अधिकारियों पर अधिक अधिकार दिए गए हैं।

वैधानिक निकाय

    • राज्य समुद्री बोर्ड: यह विधेयक तटीय राज्यों द्वारा स्थापित राज्य समुद्री बोर्डों को औपचारिक रूप से मान्यता देता है तथा उन्हें छोटे बंदरगाहों का प्रबंधन करने का अधिकार देता है। ये बोर्ड पत्तन योजना, बुनियादी ढाँचे के विकास, लाइसेंसिंग, शुल्क विनियमन और सुरक्षा, संरक्षा और पर्यावरण अनुपालन के प्रवर्तन की निगरानी करेंगे।
    • समुद्री राज्य विकास परिषद: यह विधेयक समुद्री राज्य विकास परिषद को वैधानिक दर्जा प्रदान करता है। परिषद बंदरगाहों में डेटा संग्रह और प्रसार और पारदर्शिता का मार्गदर्शन करेगी और राष्ट्रीय योजना, विधायी सुधारों, पत्तन दक्षता और कनेक्टिविटी पर केंद्र सरकार को सलाह देगी।

विवाद समाधान तंत्र

  • छोटे बंदरगाहों, रियायत प्राप्त करने वालों, उपयोगकर्ताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच विवादों को हल करने के लिए राज्य सरकारों को विवाद समाधान समितियों (डीआरसी) की स्थापना करनी चाहिए। यह अपील उच्च न्यायालय में होनी चाहिए न कि सिविल न्यायालयों में। बोर्ड मध्यस्थता या अन्य वैकल्पिक विवाद समाधान विधियों की भी अनुमति दे सकते हैं। इससे विवाद का तेजी से समाधान हो सकेगा।

टैरिफ विनियमन

  • प्रमुख बंदरगाहों पर टैरिफ का निर्धारण या तो प्रमुख पत्तन प्राधिकरण के बोर्ड द्वारा या यदि पत्तन एक पंजीकृत कंपनी के रूप में संचालित होता है तो निदेशक मंडल द्वारा किया जाएगा। छोटे पत्तन के लिए, टैरिफ निर्धारण का अधिकार राज्य समुद्री बोर्ड या उसके नामित रियायतकर्ता के पास होगा। इसके अलावा, भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 में पारदर्शिता के लिए टैरिफ और शुल्क इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रकाशित करने की आवश्यकता है।

सुरक्षा और स्थिरता

  • यह अधिनियम सुरक्षा उल्लंघनों जैसे कि नौकाओं को नुकसान पहुंचाने या जहाज पर ज्वलनशील पदार्थों को गलत तरीके से रखने के लिए दंड का प्रावधान करता है। यह वैश्विक सम्मेलनों (एमएआरपीओएल, बैलेस्ट वॉटर मैनेजमेंट) के अनुरूप और प्रदूषण नियंत्रण और आपदा प्रबंधन के लिए नई बाध्यकारीताओं को लागू करके पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करता है। केंद्र सरकार अपशिष्ट प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट आयोजित करेगी।

 

ये उपाय कानूनी ढांचे को सुव्यवस्थित करने, समन्वित पत्तन विकास को बढ़ावा देने और व्यापार दक्षता में वृद्धि करके भारत के समुद्री क्षेत्र में बदलाव करेंगे। इनके साथ संस्थागत सुधार राज्यों को सशक्त बनाएंगे और राज्य समुद्री बोर्ड और समुद्री राज्य विकास परिषद जैसे समर्पित निकायों के माध्यम से रणनीतिक योजना को बढ़ावा देंगे। पत्तन संचालन में सुधार लाने में डिजिटलीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके तहत समुद्री सिंगल विंडो और एडवांस्ड वेसल ट्रैफिक सिस्टम जैसी पहल की गई है, जिससे दक्षता को बढ़ाने, भीड़भाड़ और कम परिचालन लागत में मदद मिलेगी।

 

भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 के परिवर्तनकारी प्रभाव

भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 पत्तन कानूनों के आधुनिकीकरण, विकास को बढ़ावा देने और व्यापार को आसान बनाने की दिशा में एक समयबद्ध और परिवर्तनकारी कदम के रूप में उभरा है। यह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत शासन निकाय स्थापित करता है, बंदरगाहों पर सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करता है और भारत को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाता है। यह विवादों के कुशलतापूर्वक निपटान के लिए प्रणालियां भी शुरू करता है।

 

एकीकरण और विकास

  • यह पूरे भारत में पत्तन से संबंधित कानूनों को एकीकृत और अद्यतन करता है।
  • यह देश भर में बंदरगाहों के एकीकृत और रणनीतिक विकास को बढ़ावा देता है।
  • समुद्री क्षेत्र में कारोबार करने की आसानी को बढ़ाता है।
  • भारत की व्यापक तटरेखा का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करता है।

संस्थागत मजबूती

  • छोटे बंदरगाहों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए राज्य समुद्री बोर्डों को स्थापित और सशक्त बनाना।
  • राज्यों में संरचित विकास और समन्वय का मार्गदर्शन करने के लिए समुद्री राज्य विकास परिषद की स्थापना।

सुरक्षा, स्थिरता और अनुपालन

  • प्रबंधन के लिए रूपरेखा प्रदान करता है:

 

  • प्रदूषण नियंत्रण
  • आपदा प्रतिक्रिया और आपातकालीन तैयारी
  • पत्तन सुरक्षा और संरक्षा
  • नौवहन प्रणालियाँ और पत्तन-संबंधी डेटा

 

  • यह सुनिश्चित करता है कि भारत प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री समझौतों के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे।

पर्यावरण संरक्षण

  • पत्तन इकोसिस्टम और अवसंरचना के संरक्षण और सुरक्षा के लिए उपाय शुरू करना।

विवाद समाधान

  • पत्तन से संबंधित विवादों को कुशलतापूर्वक और पारदर्शी ढंग से हल करने के लिए सहायक तंत्र बनाता है।

 

निष्कर्ष

भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 का पारित होना भारत की समुद्री यात्रा में एक निर्णायक क्षण है जो भविष्य के लिए तैयार ढांचे की शुरुआत करता है जो उपनिवेशकालीन कानून को आधुनिक, पारदर्शी और विकास उन्मुख दृष्टिकोण के साथ प्रतिस्थापित करता है। यह अधिनियम एकीकृत पत्तन विकास, सहकारी संघवाद और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। यह सांस्थानिक क्षमता, सुव्यवस्थित गवर्नेंस और सामुद्रिक प्रचालनों के केंद्र में निरंतरता को मजबूत करता है।

भारत 2047 तक विकसित भारत की ओर अग्रसर है, यह कानून एक आधारभूत सुधार के रूप में सामने आया है - यह तटीय राज्यों को सशक्त बनाएगा, निवेश आकर्षित करेगा और व्यापार दक्षता को बढ़ाएगा। एक कानून को आधुनिकतम बनाने से अधिक, यह पत्तन को राष्ट्रीय प्रगति, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और समावेशी विकास के इंजन में बदलने की रूपरेखा है। डिजिटलीकरण, पर्यावरण संरक्षण और संरचित योजना पर बल देने के साथ, भारतीय पत्तन विधेयक भारत के समुद्री क्षेत्र को न केवल कार्गो मात्रा में बल्कि नवाचार, मजबूती प्रदान करने और वैश्विक नेतृत्व में भी अग्रणी बनाता है।

 संदर्भ

पीआईबी:

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2157621

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2155540

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2128329

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

https://shipmin.gov.in/division/ports-wing

भारतीय पत्तन विधेयक, 2025

https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/265616.pdf

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