कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2016- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां
Posted On:
02 JAN 2017 12:22PM by PIB Delhi
1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:
पिछले खरीफ सत्र 2015 में करीब 23 राज्यों के 309 लाख किसानों को फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाया गया था जिनमें से 294 लाख किसान ऋणी और 15 लाख किसान गैर- ऋणी थे। हालांकि खरीफ सत्र 2016 में कुल करीब 366.94 लाख किसानों को इस योजना के अंतर्गत लाया गया है जिनमें 264.04 लाख किसान ऋणी और 102.60 लाख किसान गैर- ऋणी हैं। खरीफ सत्र 2016 के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 21 राज्यों द्वारा लागू किया गया है।
2. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
मार्च 2017 तक 2.53 करोड़ मिट्टी के नमूने संग्रह के लक्ष्य के मुकाबले 27 दिसंबर 2016 तक 2.33 करोड़ करोड़ मिट्टी के नमूने संग्रहित किए गए हैं जिनमें से करीब 12.82 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए जा रहे हैं। इनमें से से 4.31 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड छप चुके हैं और 4.25 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित कर दिए गये है और बाकी बचे कार्डों की भी प्रक्रिया जारी है। वर्ष 2014-17 के दौरान 460 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई थी जबकि वर्ष 2013-14 में केवल 15 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को ही मंजूरी दी गई मंजूरी दी गई। 460 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के अलावा राज्यों के 4000 मिनी प्रयोगशालाओं को भी मंजूरी दी गई है।
3. परंपरागत कृषि विकास योजना:
इस योजना की शुरूआत 2014 में तीन वर्ष के लिए 597 करोड़ रूपये आवंटित कर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तथा दस हजार कलस्टरों (समूहों) की स्थापना के उद्देश्य से किया गया था। दिसंबर 2016 के अंत तक राज्य सरकारों ने 9186 कलस्टरों (समूहों) का निर्माण कराया है जबकि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 8000 कलस्टरों (समूहों) का ही निर्माण कराया गया था।
4. राष्ट्रीय कृषि बाजार (एनएएम):
इस योजना के तहत 10 राज्यों के 250 मंडियों को ई-नैम (एनएएम) के साथ समाकलित किया गया है। सैद्धांतिक रूप से 399 मंडियों को ई-नैम (एनएएम) के साथ समाकलित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है जिसके लिए 90 करोड़ रूपये की राशि भी जारी कर दी गई है। 27 दिसंबर 2016 तक ई-नैम (एनएएम) प्लेटफार्म के जरिए 35,04,371.13 टन कृषि उत्पादन जो 7131.21 करोड़ रूपये है का कारोबार किया गया है। 27 दिसंबर 2016 तक 949112 किसानों, 59742 व्यापारियों और 31317 कमीशन अभिकर्ताओं (आढ़तिया) को ई-नैम (एनएएम) प्लेटफार्म पर पंजीकृत किया गया है।
5. मधुमक्खी पालन का विकास:
2016 के दौरान शहद का उत्पादन बढ़कर 2,63,930 मीट्रिक टन हो गया है। वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) को 12 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृति की है।
6. नारियल विकास:
भारत जहां पिछले वर्षों में इन देशों मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका से नारियल तेल का आयात कर रहा था, इस वित्तीय वर्ष 2016-17 की शुरुआत से ही इन देशों को निर्यात भी शुरू कर दिया है। भारत नारियल उत्पादन और उत्पादकता के क्षेत्र में विश्व में पहला देश बन गया है। नारियल क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकता क्रमशः 1.97 मिलियन हेक्टेयर, 20.439 बिलियन नट्स और 10345 नट्स हो गया है।
7. नीम लेपित यूरिया:
एक वर्ष में मोदी सरकार ने देश में शत-प्रतिशत (100 प्रतिशत) नीम लेपित यूरिया उपलब्ध करा दिया है। इस कारण से रासायनिक कारखानों द्वारा यूरिया का अनधिकृत उपयोग रोक दिया गया है। अब किसानों को उचित मात्रा में यूरिया मिल रहा है। इसके अलावा नीम लेपित यूरिया के इस्तेमाल से उत्पादन की लागत 10 से 15 प्रतिशत तक कम हो गई है।
8. कृषि वानिकी:
पहली बार कृषि वानिकी पर उप-लक्ष्य शुरू किया गया है जिससे “मेढ पर पेड़” कार्यक्रम को गति मिलेगी। इसके अलावा, कृषि योग्य भूमि पर पट्टी और अन्तराल पर वृक्षारोपण कर पेड़ विकसित किया जा जाएगा, इसके साथ कृषि योग्य बंजर भूमि पर फसल/फसल प्रणाली और ब्लॉक वृक्षारोपण भी अपनाया जा सकेगा। इस योजना का कार्यान्वयन वैसे राज्यों में किया जायेगा जहां लकड़ी के परिवहन के लिए पारगमन नियमों को उदार बनाया है और आने वाले समय में कुछ और राज्यों द्वारा उदार बनाये जाने पर उनको भी शामिल किया जायेगा। अब तक, इस योजना को 8 राज्यों में लागू किया जा रहा है।
9. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)/दाल उत्पादन के लिए लिया गया कदम:
· वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत आवंटित 1700 करोड़ में से 1100 करोड़ रूपये (केन्द्रीय पुल का) दाल के लिए आवंटित कर दिया गया था जो कुल आवंटित राशि का 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
· नए प्रकार के बीज की खेती के विस्तार के लिए वित्तीय वर्ष 2016-17 में सरकार ने करीब 7.85 लाख मिनी किट राज्य सरकारों के माध्यम से किसानों को मुफ्त में वितरित किए हैं।
· वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों के 534 कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से करीब 31000 हेक्टेयर में दाल उत्पादन के नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके लिए 25.29 करोड़ रूपये आवंटित किए गए थे।
· नये तरह की बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) के माध्यम से बीज केन्द्र बनाया जा रहा है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2017-18 तक के लिए 150 बीज केन्द्रों की स्थापना हेतु सरकार ने 225.31 करोड़ रूपये आवंटित किए हैं जिनमें से 131.74 करोड़ रूपये वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए है। इन बीज केन्द्रों पर 1.50 लाख क्विंटल उन्नत बीज सुनिश्चित किया जाएगा।
· वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए सरकार ने दाल का उत्पादन लक्ष्य 20.75 मिलियन मीट्रिक टन रखा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए सरकार ने 7.25 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले 8.70 मिलियन टन खरीफ उत्पादन (पहला अग्रिम अनुमान के अनुसार) का अनुमान किया है।
10. राष्ट्रीय गोकुल मिशन:
स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और विकास का ध्यान रखते हुए गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास के राष्ट्रीय कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरूआत 500 करोड़ रूपये के आवंटन के साथ देश में पहली बार किया गया है। इस मिशन के तहत, 14 गोकुल ग्रामों की स्थापना की जा रही है, और अधिक धनराशि के निवेश के साथ 35 बैल (बुल) मदर फार्म को आधुनिक बनाया गया और 3629 बैलों को आनुवंशिक उन्नयन के लिए शामिल किया गया है। वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2013-14 तक स्वदेशी नसेलों के विकास पर सिर्फ 45 करोड़ रूपये खर्च किए गये हैं। जबकि वर्तमान सरकार ने दिसंबर 2015 तक डेढ़ वर्षों में ही 27 राज्यों में 35 परियोजनाओं को मंजूरी दी है और उसके लिए 582.09 करोड़ रूपये भी आवंटित कर दिए हैं। यह धनराशि पिछले दो वर्षों में 13 गुना बढ़ गई है। 50 करोड़ रूपये की आवंटन राशि के साथ देश में दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र- एक मध्य प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र में और दूसरा आंध्र प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्र में- स्थापित किए जा रहे हैं।
11. डेयरी क्षेत्र के लिए 4 नई योजनाएं:
अ) पशुधन संजीवनी:
· एक पशु कल्याण कार्यक्रम; दुधारू पशुओं के लिए यूआईडी पहचान और एक राष्ट्रीय डेटा बेस के साथ-साथ पशु स्वास्थ्य कार्ड ('नकुल स्वास्थ्य पत्र') के प्रावधान को शामिल किया गया है।
· इस योजना के तहत यूआईडी के जरिए 8.5 करोड़ दुधारू पशुओं की पहचान की गई है और उनका आंकड़ा आईएऩएपीएच के डाटा बेस में दर्ज किया जायेगा।
· यह पशुओं के रोगों के प्रसार के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही पशुओं और पशुधन उत्पादों के व्यापार में वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा।
ब) उन्नत प्रजनन प्रौद्योगिकी:
· सहायक प्रजनन तकनीक का उपयोग सेक्स सॉटेड वीर्य प्रौद्योगिकी के तहत रोग मुक्त महिला बोवीन की उपलब्धता में सुधार करने के लिए।
· इस योजना के तहत 50 भ्रूण स्थानांतरण तकनीक प्रयोगशालाओं और इन विट्रो निषेचन प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी।
· इससे दूध उत्पादन और पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
स) स्वदेशी नस्लों के लिए राष्ट्रीय गोजातीय जीनोमिक केंद्र (एनबीजीसी-आईबी):
· विकसित डेयरी देशों में दुग्ध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए जीनोमिक चयन का प्रयोग किया जाता है ताकि उसका तेजी से आनुवंशिक लाभ प्राप्त हो सके।
· स्वदेशी मवेशियों में दुग्ध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश में राष्ट्रीय गोजातीय जीनोमिक केंद्र की स्थापना की जाएगी।
· जीनोमिक चयन का उपयोग करके स्वदेशी नस्लों को कुछ पीढ़ियों के भीतर व्यवहार्य बनाया जा सकता है।
· यह केंद्र रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक योग्यता वाला बैलों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
द) ई-पशुधन हाट पोर्टल:
· वर्तमान में गोजातीय जर्मप्लाज्म हेतु वीर्य, भ्रूण, पुरुष और महिला बछड़ों के रूप में तथा बछिया और व्यस्क गोजातीय का कोई प्रामाणिक बाजार नहीं है।
· नस्ल के आधार पर गोजातीय जर्मप्लाज्म के उपलब्धता की जानकारी उपलब्ध नहीं है जो स्वदेशी गोजातीय नस्लों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
· गोजातीय उत्पादकता के राष्ट्रीय मिशन के तहत देश में पहली बार ई-पशुधन हॉट पोर्टल का विकास किया गया है। यह पोर्टल प्रजनकों और किसानों को स्वदेशी नस्लों के लिए जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
· इस पोर्टल के माध्यम से किसानों को स्वदेशी नस्लों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराकर जागरूक किया जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से किसान/प्रजनक स्वदेशी नस्लों के पशुओं की बिक्री भी कर सकते हैं। हर तरह की जानकारी इस पोर्टल पर अपलोड किया गया है। इस पोर्टल से किसान लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
· यह पोर्टल स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभायेगा।
12. मछली उत्पादन:
मछली का उत्पादन वर्ष 2015 में 150 लाख टन था जो 2016 में बढ़कर 209.59 लाख टन हो गया है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में मछली उत्पादन के क्षेत्र में 6.21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
13. अंडा उत्पादन:
वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान 82930 मिलियन अंडे का उत्पादन हुआ जबकि वित्तीय वर्ष 2014-15 में यह 78484 मिलियन था। अब अंडे का उत्पादन 5.66 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2012-14 से 2014-16 की तुलना करने पर पाया गया कि अंडे के उत्पादन का वृद्धि दर 10.99 प्रतिशत है। अंडे के उत्पादन का वार्षिक दर 10.99 प्रतिशत है। अंडे की प्रति वर्ष उपलब्धता 66 हो गई है।
14. पशु चिकित्सा शिक्षा:
पशु चिकित्सा शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए मौजूदा पशु चिकित्सा शिक्षा के स्नातक पाठ्यक्रम और मानकों में बदलाव की जरूरत है, इसी को ध्यान में रखकर पशु चिकित्सा शिक्षा विनियम, 2008 में व्यापक संशोधन किये गये हैं। इसके साथ ही, प्रशिक्षित पशु चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए पशु चिकित्सा (वेटनरी) महाविद्यालयों की संख्या 36 से बढ़ाकर 46 कर दी गई है। कई पशु चिकित्सा (वेटनरी) महाविद्यालयों में सीटों की संख्या 60 से बढ़ाकर 100 तक कर दी गई है, जिससे कुल संख्या 1332 से बढ़कर 1334 हो गई है। जिससे पशु चिकित्सा (वेटनरी) स्नातकों की संख्या डेढ़ गुना बढ़ गई है जबकि स्नातकोत्तरों की संख्या भी डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। पशु चिकित्सा (वेटनरी) महाविद्यालयों में सीटों की संख्या भी करीब डेढ़ गुना तक बढ़ गई है।
15. वैज्ञानिकों की भर्ती में वृद्धि:
वित्तीय वर्ष 2013-14 में भर्ती जो 66 प्रतिशत थी वह 2014-15 और 2015-16 में बढ़कर 81 प्रतिशत हो गई है। यह भर्ती प्रतियोगिता के माध्यमसे की गई है और महिला वैज्ञानिकों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।
16. अनुभवजन्य शिक्षण इकाइयों:
वित्तीय वर्षों 2007-13 तक कृषि महाविद्यालयों में अनुभवजन्य शिक्षण इकाइयों की संख्या 264 थी जो पिछले दो वर्षों (2014-16) के दौरान करीब 58 प्रतिशत बढ़कर 416 हो गई है। पिछले दो वर्षों (2014-15 और 2015-16) में शिक्षा बजट में भी 50 प्रतिशत से ज्या दा की बढ़ेतरी हुई है।
17. कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) का सुदृढ़ीकरण:
कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) को सुदृढ़ बनाने के प्रयास के तहत मौजूदा स्टॉफ संख्या को 16 से बढ़ाकर 22 किया गया है।
18. कृषि के प्रति छात्रों और युवाओं को आकर्षित कर वैज्ञानिकों की संख्या में सुधार-किसानों के अनुकूल:
· कृषि के प्रति युवाओं को आकर्षित करना और बरकरार रखना (आर्य) :
कृषि के प्रति युवाओं के रूझान को बढ़ाने और बरकरार रखने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आर्य परियोजना की शुरूआत की है। यह परियोजना 25 राज्यों के 25 जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) के माध्यम से चल रही है।
· किसान प्रथम :
किसानों को प्राथमिकता देते हुए किसान प्रथम परियोजना की शुरूआत की गई है जिसके अंतर्गत किसानों को कृषि वैज्ञानिकों से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है।इसके तहत आईसीएआर/विश्वविद्यालयों के करीब 100 से अधिक वैज्ञानिकों को एक लाख से ज्यादा किसानों के साथ कामकरनेका अवसर मिलेगा।
19. कृषि शिक्षा:
कृषि स्नातक पाठ्यक्रमों को आय उन्मुख बनाने के लिए सरकार ने 5 वीं डीन कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। डीन समिति की रिपोर्ट इसी शैक्षणिक सत्र 2016-17 से लागू हो जायेगी। इस नये पाठ्यक्रम के आने से कृषि स्नातक पाठ्यक्रम भी पेशेवर हो जायेंगे जो भविष्य में छात्रों को अपनी आजीविका कमाने के लिए अनुकूल हो जाएगा।
20. विशेष पहल:
· दो वर्षों में चार नये आईसीएआर पुरस्कार: आईसीएआर प्रशासनिक पुरस्कार, हलधर जैविक किसान पुरस्कार, पंडित दीनदयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार और पंडित दीनदयाल राष्ट्रीय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार।
· पंडित दीन दयाल उन्नत कृषि शिक्षा योजना--देश के 32 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) में जैविक खेती / प्राकृतिक खेती और गाय आधारित अर्थव्यवस्था पर 130 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से वर्ष 2016 में शुरू किया गया है।
· देश के पहले कृषि मंत्री डॉ राजेन्द्र प्रसाद की याद में 3 दिसंबर को राष्ट्रीय कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
· चौधरी चरण सिंह और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर पूरे देश में 23 से 29 दिसंबर के बीच जय किसान जय विज्ञान सप्ताह वर्ष 2015 से मनाया जा रहा है।
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मंजू मीणा/पीकेपी/एमएस/सीसी/एजे-95
(Release ID: 1480002)
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