आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति (सीसीईए)
मंत्रिमंडल ने बायोफार्मास्युटिकल्स के शुरुआती विकास के लिए खोज अनुसंधान- 'भारत में नवोन्मेष (13) बायोटेक उद्यमियों के सशक्तिरण एवं समावेशी नवाचार को गति' को बढ़ावा देने के लिए उद्योग एवं शिक्षण संस्थानों के बीच सहयोगात्मक मिशन को मंजूरी दी
प्रविष्टि तिथि:
17 MAY 2017 5:37PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भारत सरकार के वित्त पोषण पर बायोफार्मास्युटिकल्स के शुरुआती विकास के लिए खोज अनुसंधान- 'भारत में नवोन्मेष (13) बायोटेक उद्यमियों के सशक्तिरण एवं समावेशी नवाचार को गति' को बढ़ावा देने के लिए उद्योग एवं शिक्षण संस्थानों के बीच सहयोगात्मक मिशन को मंजूरी दी है। यह मिशन बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) के तहत सार्वजनिक उपक्रम- बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (बीआईआरएसी) द्वारा लागू किया जाएगा।
यह मिशन कार्यक्रम देशभर के लिए होगा। इस कार्यक्रम के तहत मुख्य तौर पर अगले 10 से 15 वर्षों में बायोफार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारत की तकनीकी एवं उत्पाद विकास क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए मदद करने और सस्ती दवाओं के विकास के जरिये भारतीय लोगों के स्वास्थ्य मानकों में बदलाव करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
भारत सरकार से वित्त पोषित कुल परियोजना लागत अगले 5 साल के लिए 1,500 करोड़ रुपये होगी। इस मिशन कार्यक्रम के लिए 50 प्रतिशत लागत की व्यवस्था विश्व बैंक से ऋण के जरिये की जाएगी।
इसके कार्यान्वयन के लिए बीआईआरएसी में एक प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की जाएगी जो परिचालन एवं कार्यकारी इकाई के रूप में काम करेगी और कार्यक्रम के कार्यान्वयन एवं प्रगति की देखरेख व निगरानी करेगी।
इस मिशन के तहत विशेष दवाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमें टीका, बायोथेरेप्यूटिक्स, चिकित्सा उपकरण एवं निदान शामिल हैं। इसके अलावा इसके तहत एक साझा बुनियादी ढांचा एवं सुविधाओं की स्थापना, डोमेन आधारित विशिष्ट ज्ञान एवं प्रबंधन कौशल का विकास और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण क्षमताओं में सुधार पर जोर दिया जाएगा।
यह मिशन दवाओं के विकास के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उत्पाद विकास की पूरी मूल्य श्रृंखला को मजबूती और समर्थन देने के लिए एक समग्र एवं एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करेगा। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए न केवल उत्पादों के तत्काल विकास में मदद मिलेगी बल्कि इससे एक ऐसा माहौल तैयार होगा जिसमें उत्पादों का लगातार विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
पृष्ठभूमि:
डीबीटी द्वारा घोषित नैशनल बायोटेक्नोलॉजी डेवलपमेंट स्ट्रैटेजी 2015-2020 के तहत 2025 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बायोटेक उद्योग तक पहुंचने के लिए चुनौतियों से निपटने में भारत को समर्थ बनाने पर जोर दिया गया है। इसके तहत सस्ती एवं सर्वसुलभ स्वास्थ्य सेवा के लिए बायोटेक दवा एवं प्रौद्योगिकी तैयार करने, नवोन्मेषी आरएंडडी को बढ़ावा देने, भारत को विश्वस्तरीय बायोमैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाने और आवश्यक कुशल कार्यबल तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसे हासिल करने और सस्ती दवाओं के विकास के लिए उद्योग एवं शिक्षण संस्थानाओं के बीच तालमेल बढ़ाने और स्टार्ट-अप्स एवं लघु एवं मझोले उद्यमों को परिवर्तनकारी नवोन्मेषी अनुसंधान दक्षता तैयार करने में समर्थ बनाना आवश्यक है।
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AKT/VBA/SH/SKC
(रिलीज़ आईडी: 1490213)
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