प्रधानमंत्री कार्यालय
ICSI के स्वर्णिम जयंती वर्ष समारोह में प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ
प्रविष्टि तिथि:
04 OCT 2017 8:05PM by PIB Delhi
मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी कॉरपोरेट अफेयर्स राज्यमंत्री श्री पी पी चौधरी जी, Institute of Company Secretaries of India के अध्यक्ष, युवा अध्यक्ष श्याम अग्रवाल जी
इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभाव और technology के माध्यम से भिन्न-भिन्न स्थानों पर भी आप के institute में बैठे हुए सारे साथियो,
आज ICSI अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर मैं इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
करीब 49 वर्ष की यात्रा में भी जिन-जिन ने योगदान दिया है, उन सबका भी अभिनंदन करता हूं। आज मुझे खुशी है कि एक विशिष्ट प्रकार के विद्वानों के बीच में आया हूं, जो इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि देश में मौजूदा प्रत्येक कम्पनी कानून का पालन करे, अपने बहीखातों में गड़बड़ी न करे, पूरी पारदर्शिता रखे। आप अपनी जिम्मेदारी जिस तरह से निभाते हैं, उसी से देश का ‘Corporate Culture’ कैसा होगा, ये तय होता है।
आपकी संस्था का motto है- ‘’सत्यम वद्, धर्मं चर्’’- यानी सत्य बोलो और नियम-कानून का पालन करो। आपकी दी हुई सही या गलत सलाह देश के Corporate Governance को प्रभावित करके ही रहती है।
साथियो, कई बार ऐसा भी होता है जब शिक्षा एक दी गई हो, लेकिन उसे ग्रहण वाले लोगों का आचरण भिन्न-भिन्न रहता है। जैसे एक ही शिक्षा युधिष्ठर ने भी ली थी, दुर्योधन ने भी ले थी। लेकिन बर्ताव दोनों का बिल्कुल अलग रहा।
महाभारत में दुर्योधन ने कहा- आप कहते हैं सत्यम वद, धर्मं चर? दुर्योधन ने कहा-
जानामि धर्मं न च में प्रवृत्ति:।
जानामि धर्मं न च में निवृत्ति:।
यानी ऐसा नहीं है ‘’मैं धर्म और अधर्म के बारे में नहीं जानता, लेकिन धर्म के मार्ग पर चलना मेरी प्रवृत्ति नहीं बन पाई और अधर्म के मार्ग से मैं निवृत्त नहीं हो सका।‘’
ऐसे ही लोगों को आपकी संस्था का ‘सत्यम वद्, धर्मं चर्’ का पाठ सही रास्ते पर जाने की दिशा देता है, उसकी याद दिलाता है। देश में इमानदारी को, पारदर्शिता को institutionalize करने में आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। दोस्तो, आचार्य चाणक्य ने कहा है:
एकेन शुष्क वृक्षेण दह्यमानने वह्मिना ।
दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा।।
यानी जैसे पूरे वन में अगर एक ही सूखे वृक्ष में आग लग जाए तो पूरा वन जल जाता है, उसी प्रकार परिवार में कोई एक भी गलत काम करे तो पूरे परिवार की मान-मर्यादा, इज्जत, प्रतिष्ठा, सब धूल में मिल जाती है।
साथियो, ये बात संस्था के लिए भी लागू होती है, देश के लिए भी लागू होती है और शत-प्रतिशत लागू होती है। हमारे देश में भी मुट्ठीभर लोग ऐसे हैं जो देश की प्रतिष्ठा को, हमारी ईमानदार सामाजिक संरचना को कमजोर करने का काम करते रहते हैं। इन लोगों को सिस्टम और संस्थाओं से हटाने के लिए सरकार ने पहले ही दिन से ‘स्वच्छता अभियान’ शुरू किया हुआ है। और इस ‘स्वच्छता अभियान’ के तहत सरकार बनते ही Special Investigation Team - SIT बनाई गई, जो सुप्रीम कोर्ट ने कई वर्षों पहले कहा था। हमारी सरकार बनने के बाद पहली ही Cabinet में वो काम कर दिया है।
विदेश में जमा काले धन के लिए बहुत कठोर Black Money Act बनाया गया। कई नए देशों के साथ Tax Treaties की गईं और पुराने टैक्स समझौतों में बदलाव किया गया। उनके साथ बैठ करके नए तरीके ढूंढे। Insolvency और Bankruptcy code बनाया गया। 28 साल से अटका हुआ बेनामी संपत्ति कानून लागू किया गया। कई वर्षों से लटका हुआ Good & Simple Tax -GST लागू किया गया। Demonetization का फैसला लेने की हिम्मत भी इसी सरकार ने दिखाई।
भाइयो और बहनों, इस सरकार ने देश में संस्थागत ईमानदारी को मजबूत करने के लिए काम किया है। ये सरकार के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि आज देश की अर्थव्यवस्था कम cash के साथ चल रही है। Demonetization के बाद Cash to GDP ratio 9% आ गया है, नौ प्रतिशत आ गया है।
9 नवम्बर, इतिहास में भ्रष्टाचार मुक्ति के अभियान का प्रारम्भ दिवस माना जाएगा, 8 नवम्बर। 8 नवम्बर, 2016 से पहले ये ratio 12% था आज 9% है। अगर देश में, देश की अर्थव्यवस्था में ईमानदारी का नया दौर शुरू नहीं हुआ होता तो क्या ये संभव था? और आपसे अच्छा इसको कौन जानता है कि पहले जिस तरह आसानी से black money का लेन-देन होता था, अब वैसा करने में पहले लोगों को 50 बार सोचना पड़ता है; और मुझसे ज्यादा आप जानते हैं इस बात को।
साथियो, महाभारत में ही एक और किरदार थे; शल्य का नाम सुना होगा आपने? ये शल्य वैसे कर्ण के सारथी थे। उधर अर्जुन के साथ कृष्ण थे इधर कर्ण के सारथी शल्य थे। लेकिन ये शल्य जो भी युद्ध में था, उनको हतोत्साहित करने का ही काम करता। उससे क्या लड़ोगे, तुम्हारे पास तो कोई दम नहीं है, अरे, तुम्हारे घोड़े में दम नहीं है; तुम्हारे रथ में... ऐसे ही, बस ये ही काम। अब ये शल्य इंसान ही ऐसा नहीं है, शल्य वृत्ति है। और कोई महाभारत के युग में ही ऐसा नहीं, आज के युग में भी है। कुछ नहीं होगा, कैसे करोगे?
जब ये डोकलाम हुआ तो लोग... निराशा, ये तो कुछ नहीं कर सकता है, हमारा....। कुछ लोगों को निराशा फैलाने में बड़ा आनंद आता है, बहुत आनंद। उनको रात को बहुत अच्छी नींद आती है। और ऐसे लोगों के लिए आजकल एक quarter की growth कम होना, जैसे सबसे बड़ी खुराक मिल गया है। अब ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। ऐसे लोगों को जब data अनुकूल होता है, तो उन्हें वो institute भी अच्छे लगते हैं, वो process भी सही लगता है। लेकिन जैसे ही ये data उनकी कल्पना के प्रतिकूल होता है, तो ये कहते हैं संस्थान ठीक नहीं है, process ठीक नहीं है, करने वाले ठीक नहीं हैं, भांति-भांति के आरोप लगाते हैं। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले ऐसे लोगों को पहचानना बहुत जरूरी है। ये शल्य वृत्ति को जब तक हम नहीं जानेंगे, हम सत्य के रास्ते की जो सोच रहे हैं ना- सत्यम वद्।
साथियो क्या आपको लगता है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि देश में GDP की growth किसी तिमाही में 5.7 percent तक पहुंची है? क्या ये पहली बार हुआ है क्या? पिछली सरकार में 6 साल में 8 बार ऐसे मौके आए, जब विकास दर 5.7 प्रतिशत या उससे नीचे गिरी थी। देश की अर्थव्यवस्था ने ऐसे quarters भी देखे हैं, जब विकास दर, भूलिए मत पुरानी बातों को, जब विकास दर 0.2 प्रतिशत, 1.5 percent, यहां तक गिरी थी। ऐसी गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए और ज्यादा खतरनाक होती है क्योंकि उस कालखंड में... खतरनाक क्यों होती है मैं बताता हूं- क्योंकि इन वर्षों में जब ये growth rate इतनी नीचे गिरी थी, भारत Higher Inflation, Higher Current Account Deficits और Higher Fiscal Deficits से जूझ रहा था। ऐसी संकट की घड़ी में ये हाल हुआ था।
साथियो, अगर 2014 के पहले के दो वर्ष, यानी साल 2012-13 और और 13-14 देखें तो औसत वृद्धि 6 प्रतिशत के आसपास थी। अब कुछ लोग ये कह सकते हैं कि आपने दो ही साल क्यों लिए? क्योंकि आजकल शल्य वृत्ति कुछ भी काम कर सकती है।
दो साल का संदर्भ मैंने इसलिए लिया, क्योंकि इस सरकार के तीन साल और पिछली सरकार के आखिरी के दो सालों में GDP data तय करने का तरीका एक ही रहा है। Institution से, process से, और इसलिए तुलना करना स्वाभाविक, सरल होता है। जब Central Statistics Office, CSO ने इस सरकार के दौरान GDP में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि का data release किया था, तो यही लोगों ने इसे खारिज कर दिया था। और क्या कहा था कि ground reality में हमें ऐसा लग नहीं रहा है। हमारी यो शल्य वृत्ति है, उसमें ये फिट नहीं होता है।
वो ही Institution उस समय पंसद नहीं थी, पद्धति पसंद नहीं थी, लेकिन 5.6 हुआ; एक दम मजा आ गया। हां ये Institution अच्छी है। और ऐसे लोग कहते थे कि उन्हें feel नहीं हो रहा। अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है, ये हमारे गले नहीं उतरता है।
इसलिए इन चंद लोगों ने ये प्रचार शुरू कर दिया कि GDP तय करने के तरीके में कुछ गड़बड़ है। तब ये लोग डाटा के आधार पर नहीं, अपनी feeling पर बातें कर रहे थे। और इसलिए उन्हें अर्थव्यवस्था में विकास होता नहीं दिख रहा था।
साथियो, लेकिन जैसे ही पिछले दो quarter में विकास दर 6.1 और 5.7 प्रतिशत हुई, इन्हीं शल्य वृत्ति को ये data बहुत प्यारा लगने लगा, बहुत भाने लगा। Hashh.. कुछ हमारे मन का हो गया।
साथियो, मैं न कोई अर्थशास्त्री हूं और न ही कभी मैंने अर्थशास्त्री होने का claim किया है। लेकिन आज जब ये अर्थव्यवस्था पर इतनी चर्चा हो रही है, तो मैं आपको जरा flash back में भी लेकर जाना चाहता हूं। एक वो दौर था जब अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत को एक नए group का हिस्सा बनाया गया था। और ये नया ग्रुप यानी आपको लगता होगा- G7 होगा, G8 होगा, G20 होगा, इसमें कहीं रखा होगा, जी नहीं। इस ग्रुप का नाम था Fragile Five.
इसे ऐसा dangerous group माना गया था जिसकी खुद की अर्थव्यवस्था तो एक समस्या थी, लेकिन दुनिया को लग रहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की recovery में भी ये बाधा बन रहे हैं; और उसमें भारत का नाम था। यानी हमारा काम ठीक नहीं कर पाएंगे लेकिन हम औरों का भी बुरा करेंगे, ये इसलिए Fragile Five के group में ये भारत का नाम जोड़ दिया गया था।
मेरे जैसे अर्थशास्त्र के कम जानकार को अब भी ये समझ नहीं आ रहा है कि उस समय बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों के रहते ऐसा कैसे हो गया? आपको ये अवश्य याद होगा कि हमारे देश में उस समय GDP growth से ज्यादा Inflation में growth थी, इसी की चर्चा होती थी। Fiscal Deficit और Current Account Deficit में growth पर चर्चा प्रमुख रहती थी।
रुपए के मुकाबले डॉलर की कीमत में growth होने पर अखबरों में Headline खबरें बना करती थीं। यहां तक की Interest Rate में growth भी सभी की चर्चा में शामिल हुआ करता था। देश के विकास को विपरीत दिशा में ले जाने वाले ये सभी Parameters तब कुछ लोगो को पसंद आते थे।
अब जब वही Parameters सुधरे हैं, विकास को सही दिशा मिली है तो ऐसे कुछ लोगों ने आंखों पर पर्दा डाल लिया है। इस पर्दे के कारण उन्हें दीवार पर स्पष्ट लिखी चीजें भी नहीं दिखाई दे रहीं हैं। और मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। मैं वो slide भी आपको दिखा रहा हूं-
10 प्रतिशत से ज्यादा की Inflation कम होकर अब इस साल औसतन 2.5 प्रतिशत पर आ गई है। कहां 10 कहां अढाई? लगभग 4 प्रतिशत का Current Account Deficit, औसतन 1 प्रतिशत के आसपास आ गया है। आप देख सकते हैं।
इन सारे Parameters को सुधारते समय, केंद्र सरकार अपना Fiscal Deficit पिछली सरकार के 4.5% प्रतिशत से घटाकर 3.5% प्रतिशत पर ले आई है।
आज विदेशी Investors भारत में रिकॉर्ड निवेश कर रहे हैं। भारत का Foreign Exchange Reserve लगभग 30 हजार करोड़ डॉलर से बढ़कर 40 हजार करोड़ डॉलर के पार कर गया है। 25 प्रतिशत वृद्धि।
अर्थव्यवस्था में ये सुधार, ये विश्वास, ये सफलताएं शायद उनकी नजर में मायने नहीं रखतीं हैं। इसलिए देश के लिए अभी ये सोचने का समय है कि कुछ लोग देशहित साध रहे हैं या किसी और का हित साध रहे हैं।
साथियों, ये बात सही है कि पिछले तीन वर्षों में 7.5 प्रतिशत की औसत ग्रोथ हासिल करने के बाद इस वर्ष अप्रैल-जून की तिमाही में GDP ग्रोथ में कमी दर्ज की गई, हम इसका इंकार नहीं करते हैं। लेकिन ये बात भी उतनी ही सही है कि सरकार इस trend को reverse करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, क्षमतावान है और हम फैसले लेने के लिए तैयार हैं।
कई जानकारों ने इस बात पर सहमति जताई है कि देश की अर्थव्यवस्था के fundamentals strong हैं। हमने reform से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं और ये प्रक्रिया लगातार जारी है। देश की financial stability को भी maintain रखा जाएगा। निवेश बढ़ाने के और आर्थिक विकास को गति देने के लिए हम हर आवश्यक कदम उठाते रहेंगे।
मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार द्वारा लिए गए कदम, देश को आने वाले वर्षों में विकास की एक नई league में रखने वाले हैं। आज भी, आज भी रिजर्व बैंक ने कहा है कि next quarter के जो आने वाले हैं, आंकड़े की संभावना बताई है, उन्होंने बढ़ते-बढ़ते 7.7 तक ले जाएगा, ये आज रिजर्व बैंक ने भी अनुमानित किया है।
वर्तमान में अगर इन structural reform की वजह से किसी सेक्टर को तत्काल सहायता की आवश्यकता है, तो सरकार उसके प्रति सजग भी है और वो चाहे MSME हो, या Export सेक्टर हो या फिर हमारी Non-Formal Economy का हिस्सा। और आज इस मंच पर मैं अपनी एक बात फिर दोहराना चाहूंगा और आपके माध्यम से जल्दी पहुंचेगा, कि बदलती हुई देश की इस अर्थव्यवस्था में अब ईमानदारी को premium मिलेगा। ईमानदारों के हितों की सुरक्षा की जाएगी।
मैं ये जानता हूं कि जो लोग अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं, ऐसे कुछ व्यापारियों के मन में एक डर रहता है कि कहीं ये नए कारोबार को देख करके पुराने की कल्पना कर करके पुराने रिकॉर्ड तो नहीं खंगाले जाएंगे? मैं फिर एक बार विश्वास दिलाता हूं ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। क्योंकि पहले सरकार, सरकारों के नियम, लोगों का आचरण ऐसा था, ये सब शायद करना पड़ा होगा। और उस मात्र के उसके कारण अब आपको सही धारा में आने से रोकना, इससे बड़ा कोई पाप नहीं हो सकता है। और इसलिए हमारी सरकार का इरादा है कि जितने लोग ईमानदारी की मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनके लिए स्वागत है। और पुरानी चीजों को वहीं छोड़ करके आइए। आप चिंता मत कीजिए, आगे के लिए हम आपके साथ रहेंगे।
उसी प्रकार से मैं आज GST के संबंध में भी कहना चाहता हूं। तीन महीने हुए। तीन महीने के बाद क्या हो रहा है, क्या नहीं- हर चीज को हमने भली-भांति देखा है। बारीक से बारीक चीजों के feedback लिए हैं। और GST Council की मीटिंग के लिए मैंने उनसे कहा है कि अब तीन साल हो गए हैं, हम पूरी तरह उसका review करें, और जहां-जहां कठिनाइयां हैं, व्यापारी आलम को दिक्कत है, technology की दिक्कत है, form भरने की दिक्कत है, जो भी दिक्कत है- उसको एक बार review किया जाए और सभी political पार्टियां, सभी सरकारें, क्योंकि सभी राज्य सरकारों में कोई न कोई पॉलिटिकल पार्टी है- मिल करके क्या बदलाव करने की आवश्यकता होगी, उस पर करें और मैं देश के व्यापारी आलम को विश्वास दिलाना चाहता हूं हम लकीर के फकीर नहीं हैं। और हम कभी ये दावा नहीं करते हैं सब ज्ञान हमको ही है। लेकिन सही दिशा में जाने का प्रयास है। जहां कहीं रुकावटें हैं, तीन महीने में जो अनुभव आया है, उसके आधार पर आवश्यक जो भी बदलाव करना होगा, सुधार करना होगा, ये सरकार आपके साथ है।
साथियो, वर्तमान आर्थिक स्थिति की चर्चा करते हुए मैं कुछ जानकारियां आपके सामने रखना चाहता हूं। इन जानकारियों से क्या मतलब निकलता है, उसका निर्णय मैं आप लोगों पर छोड़ता हूं, मैं मेरे देशवासियों पर छोड़ रहा हूं।
साथियों, मुझे पक्का यकीन है कि जब आपने अपनी पहली गाड़ी खरीदी थी, मैं नहीं मानता हूं कि आपमें से किसी ने उसे मजबूरी में खरीदा होगा। गाड़ी खरीदने से पहले आपने रसोई का बजट देखा होगा, बच्चों की पढ़ाई का खर्च देखा होगा, बड़े-बुजुर्गों की दवाई का खर्च देखा होगा। और इसके बाद अगर पैसे बचते हैं, तब जाकर घर या गाड़ी के बारे में सोचा होगा। सीधी-सीधी बात है? ये हमारे समाज की बहुत basic सोच है कि ऐसे में अगर देश में जून महीने के बाद passenger कारों की बिक्री में लगभग 12 प्रतिशत वृद्धि हुई हो, तो आप उसको क्या कहेंगे भाई?
आप क्या कहेंगे जब आपको पता चलेगा कि जून के बाद commercial गाड़ियों की बिक्री में 23 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है? आप क्या कहेंगे जब देश में दो पहिया वाहनों की बिक्री में 14 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है। आप क्या कहेंगे जब Domestic Air Traffic, हवाई जहाज में जाने वाले यात्रा करने वालों की संख्या में पिछले दो महीने में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई है। आप क्या कहेंगे जब अंतरराष्ट्रीय Air freight ( फ्रेट) Traffic यानि हवाई जहाज के जरिए माल ढुलाई में लगभग 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है। आप क्या कहेंगे जब देश में Telephone Subscriber में 14 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है।
साथियो, ये वृद्धि संकेत दे रही हैं कि लोग गाड़ियां खरीद रहे हैं, phone connection ले रहे हैं, हवाई यात्राएं कर रहे हैं। ये Indicators शहरी क्षेत्रों में Demand की growth को दर्शाते हैं। अब अगर ग्रामीण Demand से जुड़े, Indicators को देखें तो हाल के महीनों में ट्रैक्टर की बिक्री में 34 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है।
FMCG के क्षेत्र में भी Demand-Growth का trend सितंबर महीने में बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। साथियों, ऐसा तब होता है जब देश के लोगों का विश्वास बढ़ता है। जब देश के लोगों को लगता है कि अर्थव्यवस्था मजबूत है। अभी रिलीज हुआ PMI का Manufacturing Index Expansion Mode ये दर्शा रहा है कि Future Output Index तो 60 का आंकड़ा पार कर चुका है। हाल में आए आंकड़ों को देखें तो कोयले, बिजली, Steel और natural gas से production में भी काफी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है।
साथियों, personal loan के disbursal में भी तेज वृद्धि देखी जा रही है। Housing Finance Companies और Non-Banking Finance Companies के द्वारा दिए गए लोन में भी काफी वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, capital market में अब mutual fund और Insurance में अधिक निवेश हो रहा है।
कंपनियों ने IPO’s के द्वारा इस साल पहले 6 महीने में ही 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि mobilize की है। पिछले साल पूरे वर्ष में ये राशि 29 हजार करोड़ तक ही पहुंची थी। Non-Financial Entities में कॉरपोरेट बॉन्ड और Private Placement के द्वारा सिर्फ चार महीने में ही 45 हजार करोड़ रुपयों का निवेश किया गया है।
ये सारे आंकड़े देश में Financing के broad base को दर्शाते हैं, यानि भारत में अब financing केवल बैंकों के लोनों तक ही सीमित नहीं रह गई है। इस सरकार ने समय और संसाधन, दोनों के द्वारा उसके सही इस्तेमाल पर लगातार जोर दिया है। पिछली सरकार के तीन साल के काम की रफ्तार और हमारी सरकार के तीन साल के काम की रफ्तार का फर्क आपको साफ-साफ आयेगा।
ये roads देख लीजिए, पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में गांवों में 80 हजार किलोमीटर सड़क बनी थी, तीन सालों में। हमारी सरकार के तीन साल में 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़क बनाई है। यानि 50 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ है। पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन साल में 15 हजार किलोमीटर National Highways बनाने के काम award किया था।
हमारी सरकार ने अपने तीन साल में 34 हजार किलोमीटर से ज्यादा National Highways बनाने का काम award किया है। कहां 15 हजार, कहां 34 हजार। अगर इसी सेक्टर में Investment की बात की जाए, तो पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन वर्षों में भूमि लेने और सड़कों के निर्माण पर 93000 करोड़ की राशि खर्च की थी। इस सरकार में ये राशि बढ़कर 1 लाख 83000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। यानि लगभग दोगुना investment इस सरकार ने करके दिखाया है।
आपको भी पता होगा कि Highways के निर्माण में सरकार को कितने प्रशासनिक और वित्तीय कदम उठाने पड़ते हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि कैसे सरकार ने Policy Paralysis से निकल करके Policy Maker और Policy Implementer का रोल अदा करके दिखाया है।
अगर इसी तरह रेलवे सेक्टर की बात करें तो पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ था। इस सरकार ने तीन वर्षों में 1100 से 2100 किलोमीटर से ज्यादा तक पहुंच गए हम। यानि हमने लगभग दोगुनी गति से नई रेलवे लाइन बिछाई है।
पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में 1300 किलोमीटर रेल लाइनों का दोहरीकरण हुआ, double line. जबकि इस सरकार के तीन साल में 2600 किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण हुआ है। यानि हमने दोगुनी रफ्तार में रेल लाइनों का दोहरीकरण करके दिखाया है।
साथियों, पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में लगभग 1 लाख 49 हजार करोड़ का capital expenditure किया गया था। इस सरकार के तीन वर्षों में लगभग 2 लाख 64 हजार करोड़ रुपए का capital expenditure किया गया है। यानि ये भी 75 प्रतिशत से ज्यादा है।
अगर अब मैं Renewable Energy की बात करूं- Solar Energy, Wind Energy, और उसके विकास की मैं चर्चा करूं- पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में कुल 12 हजार मेगावॉट की Renewable Energy की नई क्षमता जोड़ी गई थी, 12 हजार मेगावॉट। अगर इस सरकार के तीन सालों की बात करें, तो 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा Renewable Energy की नई क्षमता को ग्रिड पावर से जोड़ा गया है। यानि यहां भी सरकार का Performance लगभग दोगुना अच्छा है। पिछली सरकार ने अपने आखिरी के तीन सालों में Renewable Energy पर 4 हजार करोड़ रुपया खर्च किया था। हमारी सरकार ने अपने तीन साल में इस सेक्टर पर 10600 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए हैं।
पिछली सरकार की तुलना में shipping industry में विकास की बात करें तो जहां पहले जहां Cargo Handling की growth Negative थी, वहीं इस सरकार के तीन सालों में 11 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि हुई है।
साथियों, देश के Physical Infrastructure से जुड़े रेल-सड़क-बिजली जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों के साथ-साथ, सरकार Social Infrastructure को भी मजबूत करने पर पूरा ध्यान दे रही है।
हमने Affordable Housing के क्षेत्र में ऐसे-ऐसे नीतिगत निर्णय लिए हैं, वित्तीय सुधार किए हैं, जो इस क्षेत्र के लिए अभूतपूर्व हैं।
साथियो, पिछली सरकार ने अपने पहले के तीन वर्षों में सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपए के projects को मंजूरी दी थी, 15 हजार करोड़। इस सरकार ने अपने पहले के तीन वर्षों में 1 लाख 53 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। और ये वो project हैं जो गरीबों को, मध्यम वर्ग को घर देने के हमारे commitment को उस commitment की ताकत दिखाता है।
साथियो, देश में हो रहे इन चौतरफा विकास कार्यों के लिए अधिक पूंजी निवेश की भी आवश्यकता है। ज्यादा से ज्यादा विदेशी पूंजी कैसे भारत आए, इस पर भी सरकार बल दे रही है।
मुझे उम्मीद है कि आप में से कुछ को याद होगा कि जब देश में Insurance Sector के Reform की चर्चा हुई थी तो अखबारों की हेडलाइन बनती थी- मैं पिछली सरकार की बात करता हूं- हेडलाइन बनती थी कि ऐसा हो गया तो बहुत बड़ा आर्थिक Reform माना जाएगा। खैर पिछली सरकार नहीं कर पाई। वो सरकार चली गई, लेकिन Insurance Sector में Reform नहीं हुआ। बहुत अच्छे काम हैं वो हमारे लिए छोड़कर गए हैं।
ये Reform हमने किया, इस सरकार में हुआ। और पहले जो मानसिकता थी उससे काफी अच्छा किया और अधिक किया। लेकिन वो शल्य वृत्ति की समस्या है कि उनको ये Reform नजर ही नहीं आया। जो कभी headline हुआ करता था कि ऐसा होगा तो ऐसा होगा, होने के बाद शल्य वृत्ति रुकावट बन गई। क्योंकि ये पसंद इसलिए नहीं आता है ये Reform उस दौर में नहीं हुआ। लेकिन उनकी पसंद की सरकार ने नहीं किया, इसलिए उन्हें ये Reform अब Reform बड़ा लगता। और जो लोग Reform-Reform के गीत गाने वालों को भी मैं बताना चाहता हूं कि पिछले तीन वर्षों में 21 sectors में 87 छोटे-बड़े Reform करने का काम इस सरकार ने करके दिखाया है। चाहे Construction सेक्टर हो, चाहे Defence सेक्टर हो, चाहे Financial Services का सेक्टर हो, चाहे Food Processing का हो, जैसे कितने ही सेक्टरों में निवेश के नियमों में बड़े बदलाव हुए हैं।
देश के आर्थिक क्षेत्र को खोलने के बाद से लेकर अब तक जितना विदेशी निवेश भारत में हुआ है, उसकी तुलना अगर पिछले तीन वर्षों में हुए निवेश से करेंगे, तो आपको पता चलेगा कि हमारी सरकार जो Reform कर रही है, उसका नतीजा क्या मिल रहा है।
ये जो मैं आंकड़े बताने वाला हूं- आप इस क्षेत्र के हैं, आप इसी क्षेत्र में डूबे हुए लोग हैं। लेकिन अब मैं जो आंकड़े दे रहा हूं, मैं बिल्कुल बताता हूं, आप चौंक जाएंगे। 1992 के बाद liberalization का कालखंड शुरू हुआ। अगर मैं उसी को एक आधार मानूं तो क्या स्थिति है उसका हिसाब देखिए- liberalization से ले करके 2014 तक, 2014 से 2017 तक क्या हुआ है- Construction Sector में अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 75 percent सिर्फ इस तीन साल में आया है।
Air Transport Sector में भी अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 69 percent पिछले तीन वर्ष में आया है।
Mining Sector में अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 56 प्रतिशत, पिछले तीन साल में आया है।
Computer Software और Hardware में भी अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 53 प्रतिशत पिछले तीन वर्ष में आया है।
Electrical Equipments में भी अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 52 प्रतिशत, इसी सरकार ने तीन वर्षों में हासिल किया है।
Renewable Energy, इस सेक्टर में भी अभी तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 49 प्रतिशत, इसी सरकार के तीन साल में देश ने प्राप्त किया है।
Textile Sector में अब तक के कुल विदेशी पूंजी निवेश का 45 percent इन तीन साल में आया है।
और एक चौंकाने वाली बात बताता हूं। 1980 से हमारे यहां aurto-mobilzation में liberalization की चर्चा रही है, 80 से। automobile industry, जिसमें पहले से ही काफी विदेशी पूंजी निवेश हो चुका है, उस सेक्टर में भी, ये आपको हैरानी होगी सुन करके, उस सेक्टर में भी कुल विदेशी पूंजी निवेश का 44 percent इसी तीन साल में आया है।
भारत में FDI inflow का बढ़ना इस बात का सबूत है कि विदेशी निवेशक देश की अर्थव्यवस्था पर कितना भरोसा कर रहे हैं। एक सरकार ने विश्वास पैदा किया है। इसी का ये नतीजा है। नीतियों के कारण विश्वास पैदा हुआ है। नीति और रीति के कारण पैदा हुआ है। और उससे भी ऊपर हमारी नीयत के कारण पैदा हुआ है।
ये सारे निवेश देश के विकास की गति को तेज करने और Job Creation में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इतने road बढ़ना, इतने रेल बढ़ना, इतनी ये वृद्धि होना, क्या Job Create नहीं होते हैं क्या। ऐसे ही हो गया होगा क्या? लेकिन अब शल्य वृत्ति चल रही है।
साथियो, मेहनत से कमाए गए आपके एक-एक पैसे की कीमत ये सरकार भली-भांति समझती है। और मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं। और इसलिए सरकार की नीतियों और योजनाओं में इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि वो गरीबों और मध्यम वर्गोंकी जिंदगी तो आसान बनाएं हीं, उनके पैसों की बचत हो।
साथियों, ये सरकार की लगातार कोशिश का ही नतीजा है कि पिछली सरकार के समय, अब ये भेद देखिए कि same मध्यम वर्गीय परिवार, निम्न- वर्गीय परिवार का पैसा कितना बच रहा है। पिछली सरकार के समय जो LED बल्ब था उसकी कीमत 350 रुपए थी, अब इसकी कीमत सरकार ने ‘उजाला स्कीम’ का बड़ा अभियान चलाया, साढ़े तीन सौ का LED बल्ब 40-45 रुपये पर आ गया। अब मुझे बताइए जो LED बल्ब खरीदने वाला मध्यम वर्गीय, निम्न-मध्यम वर्गीय, उसकी जेब में पैसा बचा कि नहीं बचा? उसको मदद हुई कि नहीं हुई? और अब समझ में नहीं आता है उस समय 350 क्यों थे? अब वो खोज का विषय है।
साथियो, अब तक देश में 26 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे गए हैं। अगर एक बल्ब की कीमत में औसतन 250 रुपए की भी कमी मानें तो देश के मध्यम वर्ग को इससे लगभग साढ़े 6 हजार करोड़ रुपयों की बचत हुई है। ये छोटा आंकड़ा नहीं है।
इतना ही नहीं, ये बल्ब हर घर में बिजली की खपत कम कर रहे हैं, तो इसमें बिजली का consumption कम होता है और बिजली बिल कम कर रहे हैं। इससे भी देश के मध्यम वर्ग में सिर्फ एक साल में, ये LED बल्ब लगाने वाले परिवारों में एक साल में देश में करीब-करीब 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा अनुमानित राशि की बचत हुई है जी, Fourteen thousand crore. पहले मैंने बताया LED बल्ब खरीदी में 6 हजार, बिजली consumption में 14 हजार करोड़। 20 हजार करोड़ रुपये करीब-करीब बचना। ये अपने-आप में मध्यम वर्गीय परिवारों में कितनी ताकत देता है।
सरकार ने कोशिश की और उसकी वजह से जहां local bodies हैं, अपनी street light, local bodies की जो street light हैं, उसमें भी LED बल्ब लग रहे हैं। काफी शहरों ने लगाए हैं। उन नगरपालिका, महानगर पालिकाओं को भी आर्थिक फायदा हो रहा है। अगर हम Tier-II cities देखें, जिसका एक मोटा-मोटा मैं अंदाज करता हूं, तो करीब-करीब सालाना उनका बिजली बिल 10 से 15 करोड़ रुपये कम हुआ है। 10-15 करोड़ रुपये एक नगरपालिका में खर्चा कम होने का मतलब, उस नगर के अंदर सुविधाएं बढ़ाने के लिए उसके पास आर्थिक व्यवस्था पनपी है।
सरकार ने मध्यम वर्ग को घर बनाने के लिए पहली बार- हमारे देश में मध्यम वर्ग को घर बनाने में ब्याज दर कभी भी राहत नहीं दी गई। पहली बार ये सरकार है जिसने मध्यम वर्ग के लोगों को अपना घर बनाने के लिए ब्याज के अंदर मदद करने के लिए फैसला किया है। मध्यम वर्ग का बोझ कम करने, निम्न मध्यम वर्ग को अवसर प्रदान करने, और गरीबों का सशक्तिकरण करने के लिए ये सरकार लगातार ठोस कदम उठाती रहती है। नीतियां बनानी होती हैं, और उसे समयबद्ध तरीके से लागू भी करना होता है। और इस मकसद को पूरा करने के लिए हम हर कदम उठाते रहे हैं।
मैं जानता हूं, राजनीति का स्वभाव मैं भलीभांति जानता हूं, समझता भी हूं कि रेवड़ी बांटने के बजाय- चुनाव आए रेवड़ी बांटो। लेकिन क्या रेवड़ी बांटने के बजाय भी देश को मजबूत करने के लिए कोई और रास्ता नहीं हो सकता है? क्या सिर्फ सत्ता और वोट की ही चिंता करेंगे? हमने वो रास्ता चुना है, कठिन है; लेकिन वो रास्ता चुना और और उसमें हम empowerment of people, उसको हम कर रहे हैं।
और उसके कारण मेरी आलोचना भी होती है, क्योंकि रेवड़़ी बांटो तो जय-जयकार करने वाले बहुत लोग हो जाते हैं। मेरी आलोचना भी होती है। बहुत आलोचना होती है, हितधारक तत्वों को काफी तकलीफ होती है। अगर मैं Direct Benefit Transfer से पैसे भेजता हूं, तो कई जो भूतिया लोग, ghost लोग फायदा उठाते थे, अब उनके नाम कमी हो रहे हैं।
तब वो मोदी को पसंद कैसे करेगा जी? और इसलिए सामान्य मानवी को Empower करना, देश के सामान्य नागरिक को Empower करना, उस पर बल दे रहे हैं। और मैं एक बात देशवासियों के सामने नम्रतापूवर्क कहना चाहता हूं कि मैं अपने वर्तमान की चिंता में, मैं अपने वर्तमान की चिंता में देश के भविष्य को दांव पर नहीं लगा सकता हूं।
साथियों, इस सरकार ने Private Sector और Public Sector के साथ Personal Sector पर भी जोर दिया है। वरना हमारे देश में दो ही Private Sector, Public Sector इसी की चर्चा हो रही थी। एक और भी आयाम है Personal Sector, उसका भी उतना ही तवज्जो होना चाहिए। Personal Sector, जो लोगों की Personal aspiration से जुड़ा हुआ है। और इसलिए ये सरकार ऐसे नौजवानों को हर संभव मदद दे रही है, जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं, अपने सपने पूरे करना चाहते हैं।
‘मुद्रा योजना’ से, बिना बैंक गारंटी 9 करोड़ से ज्यादा खाता धारकों को पौने चार लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज दिया गया है। आप कल्पना कर सकते हैं without guarantee. 9 करोड़ लोगों को पौने चार करोड़ रुपया और इन 9 करोड़ में से 2 करोड़ 63 लाख नौजवान ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार बैंकों से कारोबार के लिए ‘मुद्रा योजना’ से ये धन पाया है, कर्ज लिया है।
सरकार, Skill India Mission, Standup India, Startup India जैसी योजनाओं के माध्यम से भी स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को Formal सेक्टर में लाने के लिए कंपनियों को आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।
साथियो, Formal सेक्टर में Employment के कुछ indicators को देखें, तो मार्च 2014 के अंत में ऐसे 3 करोड़ 26 लाख कर्मचारी थे, जो सक्रिय रूप से Employees Provident Fund Organization में हर महीने PF का पैसा जमा करा रहे थे। ये आंकड़ा याद रखना। पिछले तीन साल में ये संख्या बढ़ करके 4 करोड़ 80 लाख पहुंच गई है। कुछ लोग, शल्य- यह भी ये भूल जाते हैं कि बिना रोजगार बढ़े ये संख्या कभी बढ़ती नहीं है।
साथियों, हम सारी योजनाओं को उस दिशा की तरफ ले जा रहे हैं जो गरीब, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग की जिंदगी में Qualitative Change लाए।
जनधन योजना के तहत अब तक 30 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं, ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत 3 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है, लगभग 15 करोड़ गरीबों को सरकार की बीमा योजनाओं के दायरे में लाया गया है। कुछ दिन पहले ही हर गरीब को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने के लिए ‘सौभाग्य योजना’ की शुरुआत की गई है।
इस सरकार की सारी योजनाएं गरीबों को सशक्त कर रही हैं। लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी चीज से होता है, तो वो है भ्रष्टाचार, वो है कालाधन। भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने में आपके संस्थान और देश की कंपनी सेक्रेटरीज की बहुत बड़ी भूमिका है।
नोटबंदी के बाद जिन तीन लाख संदिग्ध कंपनियों के बारे में पता चला था, जिनके माध्यम से कालेधन का लेन-देन किए जाने की आशंका है, उनमें से 2 लाख 10 हजार कंपनियों का registration रद्द किया जा चुका है। हमारे देश में एक कम्पनी भी अगर बंद करो ना तो काले झंडों के जुलूस निकलते हैं। 2 लाख 10 हजार की हैं, कोई समाचार ही नहीं आ रहा है। न कोई मोदी का पुतला जला रहे हैं, यानी कितनी झूठी दुनिया चली होगी, आप कल्पना कर सकते हैं?
मुझे उम्मीद है कि Shell कंपनियों के खिलाफ इस सफाई अभियान के बाद डायरेक्टरों में भी जागरूकता बढ़ेगी और इसके असर से कंपनियों में पारदर्शिता भी आएगी और आप उस भूमिका को बहुत अच्छी तरह निभाएंगे।
साथियों, देश के इतिहास में ये कालखंड बहुत बड़े परिवर्तन का है, बहुत बड़े बदलाव का है। देश में ईमानदार और पारदर्शी शासन का महत्व समझा जाने लगा है। Corporate Governance Framework के निर्धारण के समय ICSI Recommendations की काफी सकारात्मक भूमिका रही थी। अब समय की मांग है कि आप एक नया Business Culture पैदा करने में भी सक्रिय भूमिका निभाएं।
जीएसटी लागू होने के बाद Indirect Tax के दायरे में 19 लाख नए नागरिक आए हैं। छोटा व्यापारी हो या बड़ा, जीएसटी में समाहित ईमानदार व्यवस्था को अपनाए, इसके लिए व्यापारी वर्ग को प्रेरित करते रहना, ये मेरी आप सबसे अपेक्षा है।
आपके संस्थान से लाखों छात्र जुड़े हुए हैं और सब कोई आखिरी तक पहुंचते नहीं हैं। तो उनके लिए भी तो काम ढूंढना चाहिए ना? जो बीच में लटक जाते हैं, उनके लिए मैं काम ले आया हूं। क्या आपका संस्थान ये बीड़ा उठा सकता है, भी मैंने बताया थोड़ी कौन सा? कम से कम एक लाख नौजवानों को GST से जुड़ी छोटी-छोटी जानकारियों की ट्रेनिंग देना।
हफ्ते-दस दिन की ट्रेनिंग के बाद ये छात्र अपने-अपने इलाकों में छोटे दुकानदारों को मदद कर सकते हैं, उन्हें GST नेटवर्क से जोड़ने में काम कर सकते हैं, रिटर्न फाइल करने में काम कर सकते हैं, मदद कर सकते हैं। उनका एक नया रोजगार का क्षेत्र खुल सकता है। और बहुत आसानी से उनकी कमाई अपने इलाके में शुरू हो जाएगी। और अगर organize way में आप इस काम को उठाते हैं, आप देखिए शायद एक लाख भी कम पड़ जाएंगे।
साथियों, 2022 में देश आजादी के 75 साल मनाएगा और हमारे दिल में एक सपना होना चाहिए कि जिन महापुरुषों ने देश की आजादी के लिए अपनी जवानी खपा दी, मौत को गले लगाया, जिंदगी जेलों में बिता दी, आजीवन संघर्ष करते रहे, मां भारती के लिए अनेक सपने देखे हुए थे। 2022 में उस आजादी के 75 साल हो रहे हैं।
हर हिन्दुस्तानी के लिए 2022 ऐसा ही सपना होना चाहिए कि 1942 में ‘Quit India Movement’ के समय देशवासियों के अंदर ज्वार आया था कि अब तो अंग्रेजों को निकाल कर रहेंगे। हम भी 2022, 75 साल के लिए ऐसे कुछ सपनों को ले करके चलें।
क्या आपका संस्थान, अगर मैं उनसे कुछ वादा चाहूं, मैं नहीं चाहता हूं आज ही मुझे हां कर दीजिए। लेकिन आप सोचिए, क्या आप 2022 तक कुछ संकल्प ले सकते हैं क्या? वो वादों में आपके संकल्प होंगे और उन संकल्पों को आप ही को सिद्ध करना होगा। क्या आप 2022 तक देश को एक High tax Compliant सोसाइटी बनाने का बीड़ा उठा सकते हैं?
क्या आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2022 तक देश में एक भी Shell कंपनी नहीं रहेगी?क्या आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि 2022 तक देश में हर कंपनी ईमानदारी से टैक्स भरेगी? तालियां कम हो गईं, वो कठिन कार्य था। क्या आप अपनी मदद का दायरा बढ़ाकर 2022 तक देश में एक ईमानदार Business Culture स्थापित कर सकते हैं?
मैं उम्मीद करता हूं कि 49 साल की यात्रा आपने पूरी की है। Golden Jublee वर्ष की शुरुआत है। ICSI इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अलग से कुछ दिशा-निर्देश तय करेगा और उन्हें अपनी कार्य संस्कृति में भी शामिल करेगा।
मैं आपको इस Golden JubileeYear के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। और मैं देशवासियों को भी विश्वास दिलाना चाहता हूं, पिछले कुछ दिनों में आर्थिक विषयों पर हमारी जो आलोचना हुई है, उन आलोचनाओं को हम बुरा नहीं मानते हैं। हम एक संवेदनशील सरकार हैं। हम कठोर से कठोर आलोचना को भी हृदय से स्वीकार करते हैं और उचित स्थान पर, संवेदनापूर्ण तरीके से उन आलोचनाओं पर भी गंभीरता से सोच करके और पूरी नम्रता के साथ देश की अर्थव्यवस्था को आज पूरा विश्व भारत की तरफ जो अपेक्षाएं कर रहा है, सवा सौ करोड़ देशवासी जो अपेक्षा कर रहे हैं उसी rhythm से, उसी तेज गति से, उसी व्याप से चला के रहेंगे। ये मैं हमारे आलोचकों को भी विश्वास दिलाना चाहता हूं। नम्रतापूर्वक विश्वास दिलाना चाहता हूं। आलोचकों की हर बात गलत होती है, ऐसा हम मानने वालों में से नहीं हैं। लेकिन देश में निराशा का माहौल पैदा करने से बचना चाहिए।
देश में जो एक पैरामीटर मैंने दिखाया, ऐसे कई पैरामीटर हैं जो भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती का सबूत देते हैं, सरकार की निर्णय शक्ति का सबूत देते हैं। सरकार की दिशा और गति का सबूत देते हैं। और देश और दुनिया में भारत के प्रति जो विश्वास बढ़ा है, उसकी भलीभांति उसमें ताकत नजर आती है।
इसको हम नजरअंदाज न करें और हम नए भारत के निर्माण के लिए नया उत्साह, नया विश्वास, नई उमंग, नई संस्कृति लेकर चल पडें। मैं भी आप लोगों को Golden Jubilee के लिए बहुत- बहुत बधाई देते हुए, आपके क्षेत्र के होने के कारण मेरा मन कर गया इन्हीं विषयों पर आज आपसे चर्चा करूं और इन बातों को आपके माध्यम से देशवासियों तक पहुंचेगीं।
इसी एक विश्वास के साथ फिर एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
धन्यवाद।
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अतुल तिवारी / अमित कुमार / निर्मल शर्मा
(रिलीज़ आईडी: 1506461)
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