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आईएफएफआई 2017 में “डिजिटल स्पेस: द फ्यूचर अहेड” विषय पर शेखर कपूर, समीर नायर, सुधीर मिश्रा और नचिकेत पंतवैद्य के विचारों ने सभी को किया प्रभावित

आईएफएफआई 2017 के 6ठे दिन की शुभारंभ फिल्ममेकर भरत बाला की “डिजिटल स्पेस: द फ्यूचर अहेड” विषय पर बहुत ही दिलचस्प और जानकारीपूर्ण पैनल चर्चा के साथ हुआ। इस पैनल चर्चा में शेखर कपूर, सुधीर मिश्रा, विजय सुब्रमन्यम (अमेजन प्राइम वीडियो भारत के कंटेट निर्देशक), नचिकेत पंतवैद्य (एएलटी डिजिटल के सीईओ), समीर नायर (एपलाउज इंटरटेनमेंट के सीईओ) और करण अंशुमान (फिल्ममेकर और निर्माता) ने भाग लिया। 

पैनल चर्चा डिजिटल स्पेस-क्या यह सिनेमा के लिए एक खतरा है या फिर एक अवसर और फिर ऑनलाइन माध्यम का उपयोग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध एक अनोखे अवसर-पर था।  

शेखर कपूर कहते हैं, “कोई मुझे ऑडिटोरियम के बाहर मिला और मुझसे पूछा कि फिल्ममेकर कैसे बनते हैं। तो मैंने उससे पूछा कि क्या तुम अपनी फिल्म को मोबाइल से शूट कर सकते हो, अपने कंप्यूटर पर संपदित कर सकते हो और यूट्यूब पर अपलोड कर सकते हो तो उसका जवाब था हां। सवाल यह है कि क्या आप एक प्रतिष्ठित फिल्ममेकर बनना चाहते हैं या सिर्फ एक फिल्ममेकर। अगर आप एक समय के बाद प्रतिष्ठित फिल्ममेकर बन जाते हैं तो आपको गेटकीपर के विषय में सोचना होगा और अमेजन एवं नेटफ्लिक्स आज के गेटकीपर हैं। तो आप निर्णय करें लेकिन इसके पहले स्टूडियो, प्रोडक्शन हाउस इत्यादि से भी परिचित हो लें। एक बहुत बड़ा प्रौद्योगिकी का परिवर्तन हुआ है। अमेजन एवं नेटफ्लिक्स भले ही एक-दूसरे के प्रतिद्वंवी हैं लेकिन साथ में आज इस प्रौद्योगिकी के वाहक भी हैं। गेटकीपर हमेशा प्रौद्योगिकी का लाभ लेते हैं।”  

शेखर कपूर कहते हैं, “इंटरनेट सेवा उपभोक्ताओं के लिए एक तरह से बिलकुल मुफ्त ही है। जिसके कारण यह स्पेस बहुत बड़ा है। अब तक करीब 1 मिलियन करोड़ इस पर खर्च किया जा चुका है और अभी इसमें व्यय तथा कंटेट के बीट गहरा अंतर है। जैसे हम कह सकते हैं कि इंटरनेट पर जो कंटेट उपलब्ध है उसमें वही अंतर है जो घर के बने खाने एवं मुगलई या फिर अन्य लजीज खानों में है। डिजिटल वह माध्यम है जिसके जरिए हम सिनेमा को घर-घर तक पहुंचा सकते हैं। आप घर बैठे फिल्मों का आनंद एक अलग ही वातावरण में ले सकते हैं।” 

सुधीर मिश्रा कहते हैं, “आज के दौर में ज्यादातर डिजिटल कंटेट स्मार्टफोन पर ही देखा जा रहा है। डिजिटल स्पेस बहुत ही बेहतरीन माध्यम है जहां आप स्वतंत्र रूप से बिना किसी रोक-टोक के मनपसंद का अनुभव ले सकते हैं और आराम से काम भी कर सकते हैं।”  

समीर नायर करहते हैं. “हमेशा से दर्शकों द्वारा ही फिल्मों का भाग्य निर्धारित होता है और उनका कहना है कि सराहना के बिना मनोरंजन संभव नहीं है। गेटकीपर तो हमेशा राजस्व और अर्थशास्त्र से प्रेरित होते हैं, इसलिए यह हमेशा ऐसा होता रहा है कि दर्शक ही आखिरी फैसला करेंगे। डिजिटल आज के दौर में एक अच्छा स्पेस दे रहा है। आज हम थियेटर स्क्रीन की बजाय मोबाइल स्क्रीन के बारे में बात कर रहे हैं।”  

48वें आईएफएफआई का आयोजन 20 से 28 नवंबर 2017 के दौरान गोवा में किया जा रहा है।

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गोवा के पणजी में 2५ नवंबर 2017 के दौरान 48वें आईएफएफआई में पैनल चर्चा में शेखर कपूर, सुधीर मिश्रा, करण अंशुमान, विजय सुब्रमन्यम, समीर नायर और भरतबाला गणपति

वीके/एसएस


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