पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा : पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय
Posted On:
20 DEC 2017 8:24PM by PIB Delhi
वर्ष 2017 के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की गतिविधियों के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं –
- एक अभूतपूर्व फैसले के तहत राष्ट्रपति ने नवंबर में भारतीय वन (संशोधन) विधेयक को लागू किया, जिसके तहत ‘वृक्ष’ की परिभाषा के दायरे से गैर वन क्षेत्रों में बांस को अलग कर दिया गया है। इस निर्णय से आर्थिक इस्तेमाल के लिए बांस को काटने संबंधी अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इस फैसले को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सम्पन्न होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई। इसे एक ऐतिहासिक निर्णय कहा गया क्योंकि पहले भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत बांस को वैधानिक रूप से ‘वृक्ष’ के रूप में परिभाषित किया गया था। इसके कारण गैर किसानों द्वारा गैर वन जमीन पर बांस की खेती में बाधा आती थी।
- अक्टूबर में सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल प्रबंधन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस वर्ष अगस्त में पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के हालात और राहत कार्यों का जायजा लेने के लिए गुवाहाटी गए थे। उनके दौरे की पृष्ठभूमि में इस समिति का गठन किया गया था। समिति पन बिजली, कृषि, जैव विविधता संरक्षण, बाढ़ से होने वाले मिट्टी के क्षरण में कमी लाने, अंतर्देशीय जल यातायात, वन, मछली पालन और ईको-पर्यटन के रूप में जल प्रंबधन के लाभों को बढ़ाने का काम करेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इसका समन्वय करेगा। समिति कार्य योजना सहित अपनी रिपोर्ट जून, 2018 तक सौंप देगी। इसके साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने चार पूर्वोत्तर राज्यों - असम, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम में बाढ़ के बाद पुनर्निर्माण के कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है। इस वर्ष क्षेत्र में अभूतपूर्व बाढ़ आई थी और बहुत अधिक वर्षा दर्ज की गई थी। यह पिछली अवधि के दौरान होने वाली वर्षा से 100 प्रतिशत अधिक थी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अगस्त में बाढ़ का जायजा लेने के लिए पूर्वोत्तर गए थे। उन्होंने 2000 करोड़ रुपये का बाढ़ राहत पैकेज घोषित किया था।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) को दोबारा कारगर बनाने के लिए उसका एक नया स्वरूप तैयार करना शुरू कर दिया है, ताकि उसे पूरे पूर्वोत्तर की उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा था कि इस संबंध में एक प्रस्ताव भेज दिया गया है, जिस पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। एनईसी की स्थापना 1970 के दशक की शुरूआत में की गई थी और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय विकास पर विशेष ध्यान देना था।
- 3 दिसंबर को डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ‘पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र विकास’ के लिए 90 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। इस योजना की शुरूआत पायलेट आधार पर 2 वर्ष की अवधि के लिए पहले चरण में तामंगलांग जिले से हुई। नई दिल्ली में द्वि-साप्ताहिक ‘पूर्वोत्तर हस्तशिल्प-सह-हथकरघा प्रदर्शनी-सह-बिक्री उत्सव’ का उद्घाटन करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा था कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने व्यय विभाग के साथ विस्तृत चर्चा की है। चर्चा में यह बात सामने आई थी कि जनकल्याण संबंधी समस्त लक्ष्यों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की पर्वतीय क्षेत्र विकास की मौजूदा योजनाओं में इस संबंध में प्रावधान किया जाना चाहिए।
- डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 5 जून, 2017 को इम्फाल (मणिपुर) में पूर्वोत्तर के लिए ‘पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ की घोषणा की थी। यह घोषणा पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड द्वारा आयोजित निवेशकों और उद्यमियों की बैठक के दौरान की गई थी। इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और मणिपुर सरकार ने भागीदारी की थी। इस योजना से मणिपुर, त्रिपुरा और असम के पर्वतीय क्षेत्रों को लाभ होगा।
- 16 नवंबर को नई दिल्ली में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ‘12वां पूर्वोत्तर व्यापार शिखर सम्मेलन’ का उद्घाटन किया था। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यापार अवसरों की संभावनाओं की पहचान करना था। इसके तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ संरचना और सम्पर्कता, कौशल विकास, वित्तीय समावेश, पर्यटन, सत्कार एवं खाद्य प्रसंस्करण संबंधी सेवा क्षेत्र विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना है।
- पूर्वोत्तर को भारत की पहली ‘एयर डिस्पेंसरी’ मिलना तय है। इसके तहत हेलीकॉप्टर के जरिये चिकित्सा सेवा प्रदान की जाएगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने इस पहल के लिए 25 करोड़ रुपये की आरंभिक धनराशि जारी कर दी है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय दूरदराज के इलाकों में हेलीकॉप्टर आधारित चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने संबंधी संभावनाएं देख रहा है। ये ऐसे इलाके हैं जहां कोई डॉक्टर या चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने प्रस्ताव भेज दिया है और इसे मंजूर भी कर लिया गया है। यह प्रस्ताव नागरिक विमानन मंत्रालय के पास मौजूद है और इसकी प्रक्रिया अंतिम चरणों में है।
- 16 अगस्त 2017 को घोषणा की गई कि दिल्ली में एक पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक एवं सूचना केन्द्र की स्थापना की जाएगी। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक एवं सूचना केन्द्र की स्थापना के उद्देश्य से पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) को लगभग 6 करोड़ रूपये की लागत से नई दिल्ली के द्वारका सैक्टर 13 में 5341.75 वर्ग मीटर (1.32 एकड) क्षेत्रफल भूमि आवंटित किया है। यह केन्द्र दिल्ली में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक सांस्कृतिक एवं सम्मेलन/सूचना हब के रूप में कार्य करेगा।
- 24 जुलाई 2017 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में बराक छात्रावास का शिलान्यास किया गया। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि जेएनयू में 8 हजार से अधिक छात्र हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र से बाहर किसी भी अन्य राज्य की तुलना में उत्तर-पूर्व के छात्रों की संख्या यहां सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बंगलूरू विश्वविद्यालय में भी विशिष्ट रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र की छात्राओं के लिए एक छात्रावास का शिलान्यास किया गया था।
- नई दिल्ली में 4 नवम्बर 2017 को विख्यात वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 के दौरान ‘पूर्वोत्तर भारत: जैविक उत्पादन हब; अवसर जिनका अब तक दोहन नहीं किया गया’ शीर्षक सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस की लगभग 50 प्रजातियां, केले की लगभग 14 किस्में और नींबू वर्गीय फलों की 17 किस्में पाई जाती हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में अनानास एवं संतरे जैसे फलों का भी प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है। असम, त्रिपुरा एवं मिजोरम राज्यों में तीन मेगा फूड पार्क हैं। सिक्किम राज्य को पहला जैविक राज्य घोषित किया गया है।
- 3 अगस्त, 2017 को नई दिल्ली में डोनर के लिए जापान-भारत समन्वय फोरम (जेआईसीएफ) की पहली बैठक आयोजित की गई। डोनर के सचिव श्री नवीन वर्मा ने भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व किया जबकि जापानी शिष्टमंडल का नेतृत्व भारत में जापान के राजदूत श्री केन्जी हीरामत्सू ने किया। भारतीय पक्ष द्वारा चिन्हित सहयोग के प्राथमिकता क्षेत्रों में राज्यों के बीच सड़कों तथा बड़ी जिला सड़कों सहित सम्पर्क एवं सड़क नेटवर्क विकास, आपदा प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण एवं पर्यटन शामिल थे।
- 19 जुलाई 2017 को पूर्वोत्तर क्षेत्र के छात्रों/उभरते उद्यमियों को एक मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘व्यवसाय विचार चुनौती का प्रवर्तन’ विषय पर आयोजित एक समारोह का सह-आयोजन डोनर मंत्रालय एवं पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड (एनईडीएफआई) द्वारा तेजपुर विश्वविद्यालय में किया गया। यह विश्वविद्यालय के सम्पर्क 2017 का एक हिस्सा है जिसका उद्देश्य उद्योगों एवं शिक्षाविदों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देना है। समारोह के दौरान व्यवसाय योजना पर आधारित प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया गया। प्राप्त की गई कुल 60 योजनाओं में से 15 योजनाओं का चयन किया गया और की गई प्रस्तुतियों के आधार पर 3 व्यवसाय योजनाऐं पुरस्कृत की गई।
- 3 मई, 2017 को नई दिल्ली में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मेघालय के शिलांग स्थित मुख्यालय में पूर्वोत्तर परिषद का एक ई-ऑफिस लांच किया गया। औपचारिक लांचिंग नई दिल्ली के डोनर मंत्री के कार्यालय में एनईसी, शिलांग से एक फाईल प्रस्तुत किये जाने के द्वारा की गई जिसे एनईसी की अगली पूर्ण बैठक के आयोजन के लिए समुचित रूप से अनुमोदित किया गया।
- 11वें उत्तर पूर्व व्यापार सम्मेलन का आयोजन 9, 10 मार्च 2017 को नई दिल्ली में किया गया। इस 2 दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य पूर्वोत्तर में निवेश को बढ़ाना, क्षेत्र की विशेषताओं को रेखांकित करना तथा व्यापार के अवसरों को बढ़ाना था। इस अवसर पर रेल मंत्री ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जल्द ही एक ई-वाणिज्य पोर्टल शुरू किया जाएगा जो पूर्वोत्तर के हथकरघा से बने वस्त्रों तथा हस्तशिल्प वस्तुओं को पूरी दुनिया में विक्रय करेगा। उन्होंने कहा कि दार्जलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद ने रेल लिंक को दार्जलिंग तक बढ़ाने का भरोसा दिया है। भविष्य में इसे सिक्किम तक बढ़ाया जाएगा।
- 2 दिवसीय ‘’नॉर्थ ईस्ट कॉलिंग’’ उत्सव का उद्घाटन 9 दिसम्बर 2017 को नई दिल्ली में हुआ। इस अवसर पर ‘’ नॉर्थ ईस्ट वेंचर फंड’’ को लॉंच किया गया। यह कोष डोनर मंत्रालय और उत्तर पूर्व वित्त विकास कॉर्पोरेशन का संयुक्त उद्यम है। इस कोष की स्थापना का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्यमिता और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना है। 100 करोड़ रूपये की प्रारंभिक पूंजी से इस कोष की स्थापना की गई है। उत्तर पूर्व भारत में सतत पोषणीय पर्यटन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से गठन किये गये उत्तर पूर्व पर्यटन विकास परिषद को भी मंत्री महोदय ने लॉंच किया।
- 3 दिसवीय ‘’डेस्टीनेशन नॉर्थ ईस्ट 2017’’ उत्सव का आयोजन 6 से 8 मार्च 2017 को चंडीगढ में किया गया। इस उत्सव का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में सटीक प्रौद्योगिकी का विकास करना था। इसका आयोजन डोनर मंत्रालय द्वारा किया गया था।
- राज्य मंत्री श्री जितेन्द्र सिंह ने जीएसटी के विभिन्न आयामों पर पूर्वोत्तर के संसद सदस्यों से विस्तृत चर्चा की। पूर्वोत्तर मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की एक बैठक 8 जून 2017 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। इस बैठक में क्षेत्र के संसद सदस्यों ने हथकरघा व हस्तशिल्प उत्पादों, झाडू की छडियों तथा बांस के उत्पादों पर कर प्रावधानों के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किये।
- राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह तथा असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनवाल ने 11 जनवरी को गुवाहाटी में आयोजित डीजी धन मेला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री सर्बानंद सोनवाल ने कैशलेस अर्थव्यवस्था की पहल के तहत ‘’टोका पैसा’’ ई वॉलेट का उद्घाटन किया। इस मेले का आयोजन असम सरकार ने आयकर विभाग और नीति आयोग के सहयोग से किया था।
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वीके/एएम/एकेपी/एसकेजे/जेके/सीएस/एल/एस-5893
(Release ID: 1513512)