पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा-2017 पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
Posted On:
28 DEC 2017 6:32PM by PIB Delhi
समुद्र विकास विभाग(डीओडी) का गठन जुलाई 1981 में प्रधानमंत्री के सीधे नियंत्रण वाले कैबिनेट सचिवालय के एक प्रभाग के रूप में किया गया, जो मार्च 1982 में एक पृथक विभाग के रूप में अस्तित्व में आया। पूर्ववर्ती समुद्र विकास विभाग ने देश में समुद्र विकास के कार्यक्रमों के आयोजन, संयोजन और प्रोत्साहन के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य किया। फरवरी 2006 में सरकार ने विभाग को समुद्र विकास मंत्रालय के रूप में अधिसूचित किया।
राष्ट्रपति कार्यालय की अधिसूचना दिनांक 12 जुलाई, 2006 के अन्तर्गत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का गठन हुआ। इस मंत्रालय के प्रशासन के अन्तर्गत भारतीय मौसम विज्ञान विभाग(आईएमडी), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान(आईआईटीएम) तथा राष्ट्रीय मध्यम क्षेत्र मौसम पूर्वानुमान केन्द्र(एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) लाये गए। अंतरिक्ष आयोग और परमाणु ऊर्जा आयोग के समान पृथ्वी आयोग का भी गठन किया गया।
अहमदाबाद में वायु गुणवत्ता और मौसम निगरानी स्टेशन
केन्द्रीय विज्ञान और तकनीकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 12 मई, 2017 को अहमदाबाद में वायु की गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान व अनुसंधान(एसएएफएआर-सफर) आधारित एकीकृत चेतावनी प्रणाली राष्ट्र को समर्पित किया। इसके साथ ही अहमदाबाद नगर निगम द्वारा लॉंच की गई अहमदाबाद एआईआर(वायु से संबंधित जानकारी तथा प्रतिक्रिया) कार्यक्रम को सफर के साथ जोड़ा गया।

- ओपन सी केज क्लचर:
केन्द्रीय विज्ञान व तकनीकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री श्री वाई एस चौधरी ने 8 अप्रैल, 2017 को नेल्लौर में समुद्री फिनफिश हेचरी और कठोर जल शोधन तकनीक के लिए परीक्षण केन्द्र की आधारशिला रखी। मंत्रालय की स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय समुद्र प्रोद्योगिकी संस्थान इन सुविधाओं को और विकसित करेगी।

- पुदुचेरी समुद्र तट की पुन:स्थापना:
पुदुचेरी और निकटवर्ती तमिलनाडु के समुद्र तट का प्राकृतिक आपदाओं तथा मानव की गतिविधियों के कारण अत्यधिक क्षरण हुआ है। पुदुचेरी सरकार ने समुद्री दीवार व खुले क्षेत्र जैसे अल्पावधि उपाय किए, परंतु यह समस्या उत्तर की ओर बढ़ कर अधिक तीव्र हो गई। सेटेलाइट के आंकड़ों के आधार पर समुद्र तट प्रबंधन योजना तैयार की गई। इसके अंतर्गत दो प्रमुख मौसमों(दक्षिण-पश्चिमी तथा उत्तर-पूर्वी मानसून) को आधार बनाया गया। इस योजना के अन्तर्गत पुदुचेरी सरकार ने 500 मीटर लम्बे समुद्र तट पर 50,000 घनमीटर रेत का इस्तेमाल किया। इससे पुदुचेरी लाइटहाउस के निकट 60 मीटर तटीय की क्षेत्र की प्राप्ति हुई।



लागू होने से पहले लागू होने के बाद
- मानसून मिशन योजना:
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 2012 में राष्ट्रीय मानसून मिशन(एनएमएम) लॉंच किया। इसका उद्देश्य विभिन्न समयावधियों में मानसून वर्षा की पूर्वानुमान प्रणाली को विकसित करना था। इसने अपना पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसके अन्तर्गत भविष्यवाणी प्रणाली को उच्च क्षमता से जोड़ा गया तथा मौसम पूर्वानुमान के लिए उच्च क्षमता वाले वायु मंडलीय मॉडल की स्थापना की गई।
पहली बार भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भारत में 2017 मॉनसून वर्षा के संचालन संबंधी मौसमी पूर्वानुमान के लिए मानसून मिशन मॉडल का उपयोग किया।
मंत्रालय ने तीन वर्षों के लिए(2017-2020) मॉनसून मिशन चरण-2 कार्यक्रम लॉंच किया है। इसके अंतर्गत सामान्य से कम/अधिक वाले पूर्वानुमानों पर जोर दिया जाएगा तथा अनुप्रयोगों आधारित मानसून पूर्वानुमान विकसित किये जाएंगे।
- महाराष्ट्र के कोयना अंतरप्लेट भूकम्पीय क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीके से गहरी ड्रिलिंग:
कोयना पॉयलट बोरहोल में तीन किलोमीटर अंदर तक वैज्ञानिक ड्रिलिंग की गई और भौगोलिक आंकड़े प्राप्त करने का कार्य पूरा किया गया। यह बोरहोल देश के चट्टानी संरचना के संदर्भ में सबसे गहरा है। 1.25 किमी से 1.75 किलोमीटर तक दक्कन बेसॉल्ट तथा ग्रेनाइट की चट्टानों के नमूने एकत्र किए गए। 5 मीटर के अंतराल पर बेसॉल्ट के टुकड़ों का संग्रहण किया गया, जबकि 3 मीटर के अंतराल पर आंतरिक चट्टान के टुकड़ों का संग्रहण किया गया। ड्रिलिंग स्थल पर 3 प्रयोगशालाएं कार्यरत थीं।
(1) भूवैज्ञानिक प्रयोगशाला, (2) गाद मिट्टी संग्रहण प्रयोगशाला, (3) गैस और द्रव्य नमूना प्रयोगशाला।

- कोच्चि में सीयूएसएटी तथा डोपलर मौसम राडार पर एसटी राडार का उद्घाटन:
डॉक्टर हर्षवर्धन ने 11 जुलाई, 2017 को कोचीन विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग(सीयूएसएटी) के वायुमंडलीय राडार अनुसंधान केन्द्र पर समतापमंडल-क्षोभमंडल राडार सुविधा राष्ट्र को समर्पित किया। समतापमंडल-क्षोभमंडल वायु प्रालेख के लिए 205 मीटर हर्ट्ज पर संचालित यह दुनिया का पहला राडार है। यह 20 किलोमीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर वायुमंडलीय वायु स्थितियों की निगरानी करेगा। इन अनुसंधान का अनुप्रयोग मौसम विज्ञान, बादल भौतिकी, आंधी, आकाशीय बिजली और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में किया जाएगा।
डॉक्टर हर्षवर्धन ने 12 जुलाई, 2017 को स्वदेशी तकनीक से निर्मित अत्याधुनिक डॉपलर मौसम राडार का उद्घाटन किया। यह कोच्चि शहर के 500 किलोमीटर की परिधि में चक्रवात की घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान करने में सक्षम होगा। डॉपलर एस बैंड इसरो और भारत इलेक्ट्रोनिक्स के सहयोग से निर्मित किया गया है।
- जल का अलवणीकरण:
मंत्रालय ने राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान(एनआईओटी) के सहयोग से एक स्वदेशी तकनीक विकसित किया है, जो समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाएगा। वर्तमान में अलवणीकरण के कवरती, अगत्ती और मिनीकॉय में 3 संयंत्र कार्यरत हैं। प्रत्येक संयंत्र प्रतिदिन एक लाख लीटर पेयजल का उत्पादन कर रहा है। इन संयंत्रों को स्थानीय द्वीप के निवासी संचालित करते हैं। एनआईओटी लक्षद्वीप समूहों में छह अन्य संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है। लक्षद्वीप प्रशासन की सहायता से संचालित होने वाले इन संयंत्रों में से प्रत्येक की क्षमता 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन होगी। दिसम्बर, 2018 तक दो संयंत्र चालू हो जाएंगे।


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वीके/जेके/आरएन–6126
(Release ID: 1514543)