विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

ग्रामीण क्षेत्रों में कम कठोर स्थितियों में भंडारण के लिए उपयुक्त किफायती कोविड-19 डिटेक्शन किट के लिए अध्ययन की पहल की गई


अनुसंधानकर्ता सार्स-को-वी2 संक्रमण का पता लगाने के लिए एक एप्टामर आधारित डायग्नोस्टिक किट का विकास कर रहे हैं

यह कम लागत में कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के अतिरिक्त, सटीक एवं दक्ष तरीके से कई प्रकार के संक्रमणों का पता लगा सकता है

Posted On: 21 AUG 2020 12:29PM by PIB Delhi

      कोविड-19 महामारी ने सुदूर क्षेत्रों में, जहां पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है, त्वरित नैदानिकी सुविधाओं के निर्माण की नई चुनौती पैदा कर दी है। इसके लिए ऐसे किफायती उपकरणों की आवश्यकता है जिन्हें बहुत सख्त भंडारण सुविधाएं अपेक्षित न हों। वैज्ञानिकों ने इस त्वरित आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक अनुसंधान योजना तैयार की है।

      विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक सांविधिक निकाय साईंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) के सहयोग से रांची स्थित मेसरा के बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान ने बायोइंफार्मेटिक्स टूल, जिसके विरुद्ध डायग्नोस्टिक किट का विकास किया जाना है, का उपयोग करते हुए टार्गेट प्रोटीन का पता लगाने के साथ एक अनुसंधान की शुरुआत की है। इस अध्ययन ने डायग्नोस्टिक किट के विकास पर विचार करते हुए स्पाइक प्रोटीन का विशेष कार्यक्षेत्र लिया है।

      अनुसंधानकर्ता सार्स-को-वी2 संक्रमण का पता लगाने के लिए एक एप्टामर आधारित डायग्नोस्टिक किट का विकास कर रहे हैं। उनका अध्ययन पहले कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाना सुनिश्चित करेगा और उसके बाद किट कोविड-19 संक्रमण सहित कोरोना वायरस संक्रमण के विभिन्न प्रकारों (सार्स-को-वी1, एमईआरएस) में भी विभेद करेगा। सामान्य कोरोना वायरस संक्रमण का पता सभी तीनों कोरोना वायरस संक्रमण (सार्स-को-वी1, एमईआरएस एवं कोविड-19) में उपस्थित संरक्षित डोमेन के आधार पर लगाया जा सकता है जबकि विभेदकारी किट का विकास क्रमशः सार्स-को-वी1 वायरस, सार्स-कोवी2 एवं एमईआरएस वायरस में उपस्थित संरक्षित एवं गैर संरक्षित के संयोजन के आधार पर किया जाएगा।

      मोलेक्यूलर जीवविज्ञान एवं ड्रग डिलीवरी डोमेन में अत्याधुनिक विशेषज्ञता से लैस रांची स्थित मेसरा के बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी मेसरा) के असिस्टैंट प्रोफेसर डॉ. अभिमन्यु देव ने इसी संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वेंकटेसन जयप्रकाश के साथ इस अनुसंधान पर कार्य करने के लिए एक टीम बनाई है। डायग्नोस्टिक किट का विकास बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, मेसरा लैब में किया जाएगा जबकि किट की टेस्टिंग आईएलएस, भुवनेश्वर के वैज्ञानिक ई डॉ. राजीब कुमार स्वैन के पर्यवेक्षण के तहत इंस्टीच्यूट आफ लाईफ (आईएलएस) में संचालित की जाएगी।

      एप्टामर आधारित प्रौद्योगिकी अपेक्षाकृत एक नई तकनीक है। यह सटीक और दक्ष तरीके से कई प्रकार के संक्रमणों का पता लगा सकता है। इसके अतिरिक्त, यह कोविड-19 संक्रमण का पता लगाना किफायती बना देता है और उपकरणों को कम सख्त स्थितियों में भंडारित किया जा सकता है जिससे यह विशेष रूप से ग्रामीण एवं सुदूर स्थित आबादी के लिए पारंपरिक एंटीबॉडी आधारित डिटेक्शन तकनीकों की तुलना में अधिक प्रभावी साबित होता है। अन्य कोरोना वायरस संक्रमण (सार्स-को-वी1 एवं एमईआरएस) का पता लगाना भी हमारे अनुसंधान के लिए एक अतिरिक्त लाभ है।

      यह किट बहुत कम समय में कोविड वायरस संक्रमण का पता लगाने में भी सहायक है क्योंकि यह रंग में बदलाव पर आधारित डिटेक्टशन के लिए एक रैपिड डायग्नोस्टिक किट है। इसके अतिरिक्त, यह किट निम्न उत्पादन लागत एवं कम कठिन भंडारण सुविधा की आवश्यकता के कारण एंटीबाडी आधारित डिटेक्टशन तकनीक की तुलना में सस्ती है।

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चित्र में कोविड-19 संक्रमण का एप्टामर आधारित डिटेक्टशन सीमैटिक रिप्रजेंटेशन दर्शाया गया है

(अधिक विवरण के लिए कृपया संपर्क करें: डॉ. अभिमन्यु देव, रांची स्थित मेसरा का बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी मेसरा) ई मेल: abhimanyudev@bitmesra.ac.inमोबाइल: 9955165915

डॉ. वेंकटेसन जयप्रकाश, रांची स्थित मेसरा का बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआईटी मेसरा) ई मेल: venkatesanj@bitmesra.ac.inमोबाइल: 9470137264 )

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