विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

पर्यवेक्षणीय खगोलविज्ञान से संबंधित राष्ट्रीय कार्यशाला में इस क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही वैज्ञानिक समस्याओं पर चर्चा होगी


इस कार्यशाला का आयोजन 5 अप्रैल से 9 अप्रैल, 2021 के दौरान किया जायेगा

Posted On: 31 MAR 2021 2:48PM by PIB Delhi

देश भर के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक एस्ट्रोफिजिकल जेट्स एंड ऑब्जर्वेशनल फैसिलिटीज: नेशनल पर्सपेक्टिव शीर्षक राष्ट्रीय कार्यशाला में पर्यवेक्षणीय खगोलविज्ञानके क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही विभिन्न वैज्ञानिक समस्याओं पर चर्चा करेंगे।

5 अप्रैल से लेकर 9 अप्रैल, 2021 के बीच आयोजित होने वाली इस कार्यशाला मेंदेश भर के30 से अधिक संस्थानों के200 से अधिक वैज्ञानिकों और युवा शोधकर्ताओं के सितारों से लेकर आकाशगंगाओं समेत विभिन्न श्रेणी की वस्तुओं से निकलने वालेफुहारों / फुहारों केप्रवाहके बारे में विचार-विमर्श करने के लिएएक साथ इकठ्ठा होने की उम्मीद है।

खगोलीय फुहारों को व्यापक रूप से आयनित पदार्थ के प्रवाह के रूप में जाना जाता है और वे गेलेक्टिक और एक्स्ट्रा-गैलेक्टिक दोनों प्रकार के स्रोतों के बीच उत्सर्जनकी एक विस्तारित किरण के रूप में देखे जाते हैं। इन गूढ़ स्रोतों के पीछे की भौतिकी बेहद कम समझ में आने वाले क्षेत्रों में से एक है और ऐसे दिलचस्प स्रोतों के बारे में वर्तमान जानकारी को उन्नतकरनेकी दिशा में और अधिक ध्यान देने की जरूरत है।आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एरीज), जोकिभारत सरकार केविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, द्वारा इस आयोजित कार्यशाला मेंइस बात पर मंथन किया जायेगा कि मौजूदा और आगामी भारतीय पर्यवेक्षणीय सुविधाओं का उपयोग करके हमारा समुदाय इन दीर्घकालिक वैज्ञानिक समस्याओं के समाधान में कैसे योगदान दे सकता है। इस संपूर्ण कार्यशाला का आयोजन ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से किया जायेगा।

भारत में, खगोलविज्ञानियों का एक बड़ा हिस्सा एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्ली (एजीएन), गामा-रे बर्स्टस (जीआरबी), सुपरनोवा, एक्स-रे बायनेरी जैसे खगोलीय भौतिक स्रोतों के बारे में अनुसंधानमें जुटा है और इसके लिए विविध तरंगदैर्ध्य से लैस पर्यवेक्षणीय सुविधाओं की एक श्रृंखला का उपयोग करता है। इसके अलावा,एरीज नेनिकट भविष्य मेंदेश के अन्य प्रमुख संस्थानों के साथ मिलकर स्वदेशी प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय सहयोगों के जरिए आने वाले दशकों के दौरान इस विषय से जुड़े विविध मोर्चों को साधने के लिए बड़ी पर्यवेक्षणीयसुविधाओं की एक नई पीढ़ी विकसित करने की योजना बनाई है।

इस प्रस्तावित राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य इस विषय - वस्तु पर व्यापक चर्चा करने और इस दिशा में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा करने तथा बड़े पैमाने पर भारतीय समुदाय को मजबूत बनाने के उद्देश्य से प्रस्तावित आगे की राह के बारे में विचार विमर्श करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाना है। यह कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (1971-2021) के स्वर्ण जयंती स्मृति वर्ष समारोह के एक अंग के रूप में आयोजित की जा रही है और साथ ही यह आज़ादी के 75 वर्षों के जश्न मनाने वाले पहले राष्ट्रीय कार्यक्रमों -'आजादी का अमृत महोत्सव' - में से एक है।

इस 5 – दिवसीय कार्यशाला का आयोजन एरीज द्वाराटाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), मुंबई;इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) बंगलुरू;भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) मुंबई;रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) बंगलुरू;नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे;साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स,कोलकाता;इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीए) पुणे;फिजिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) अहमदाबाद और इसरोमुख्यालय, बंगलुरू के साथ मिलकर किया जा रहा है।

 

चित्र :

 

माइक्रो-क्वासर्स, गामा-रे ब्रस्टस और दूर स्थित आकाशगंगाओं, जिसे ब्लेज़र्स कहा जाता है, जैसी वस्तुओं से फुहारों के उत्सर्जन को समझने का एक कलात्मक दृष्टिकोण, जिसे प्रोफेसर फेलिक्स मिराबेल और प्रोफेसरलुइस रोड्रिग्ज द्वारा वर्ष 2002 के दौरान "स्काई और टेलीस्कोप" में प्रकाशित किया गया था। नीचे के पैनल मेंमेस, एस्ट्रोसैट, 3.6.mडॉटऔर जीएमआरटी (बाएं से दाएं) सहित मौजूदा भारतीय वेधशाला कीमल्टी -बैंड सुविधाओं को खगोलविज्ञान की इस किस्म की मुख्य समस्याओं के समाधानकरने के महत्व और इससे जुड़ी देश की क्षमताओं को उजागर करने के लिए प्रदर्शित किया गया है।

विस्तृत विवरण के लिए, डॉ. शशि भूषण पाण्डेय, एरीज, कार्यशाला के सह अध्यक्ष, (shashi@aries.res.in, 09557470888) से संपर्क किया जा सकता है।

वेबसाइट: https://www.aries.res.in/jets_facilities/

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एमजी / एएम / आर



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