गृह मंत्रालय
पंजाब में एनसीबी कार्यालय
Posted On:
27 NOV 2024 4:47PM by PIB Delhi
पंजाब में मादक पदार्थों के संकट से निपटने हेतु सरकार ने कई कदम उठाए हैं। जिनमें से कुछ हैं:-
- महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय बरामदगी की जांच की निगरानी हेतु, भारत सरकार द्वारा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के महानिदेशक की अध्यक्षता में एक संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) की स्थापना की गई है।
- पंजाब में नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रोपिक पदार्थों (पीआईटीएनडीपीएस) की अवैध तस्करी की रोकथाम के मामलों से संबंधित सलाहकार बोर्ड का गठन किया गया है, जो न केवल पंजाब पुलिस को उनके मामलों में मदद करेगा बल्कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भी सलाहकार बोर्ड के समक्ष पीआईटीएनडीपीएस से जुड़े मामले की सिफारिश करेगा।
- मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) के तंत्र के तहत डार्कनेट और क्रिप्टो-करेंसी के संबंध में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसका फोकस मादक पदार्थों की तस्करी की सुविधा देने वाले सभी प्लेटफार्मों की निगरानी, विभिन्न एजेंसियों/एमएसी के सदस्यों के बीच मादक पदार्थों की तस्करी पर जानकारी (इनपुट) साझा करने, मादक पदार्थों के नेटवर्क को रोकने, नियमित डेटाबेस अपडेट तथा संबंधित नियमों व कानूनों की समीक्षा के साथ रुझानों, कार्यप्रणाली एवं नोड्स पर निरंतर गौर करने पर है।
- सीमा की रक्षा करने वाले बलों (सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स और सशस्त्र सीमा बल) को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मादक दवाओं की अवैध तस्करी की तलाशी, बरामदगी और गिरफ्तारी करने हेतु नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम 1985 के तहत अधिकार दिया गया है। इसके अलावा, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को भी रेलमार्गों पर मादक पदार्थों की तस्करी की रोकने के लिए एनडीपीएस अधिनियम के तहत सशक्त बनाया गया है।
- देश के भीतर और दूसरे देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करने एवं नियंत्रित वितरण (सीडी) की कवायद नियमित रूप से की जा रही हैं।
- पंजाब में एक समर्पित एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) का गठन किया गया है, जहां विशेष पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राज्य में एएनटीएफ प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे हैं।
सरकार ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक नए क्षेत्रीय कार्यालय को मंजूरी दे दी है और अमृतसर की सब-जोनल इकाई को जोनल इकाई में अपग्रेड कर दिया है। अमृतसर में क्षेत्रीय कार्यालय और क्षेत्रीय इकाई, दोनों वर्तमान में पूर्ण रूप से कार्यरत हैं।
मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने हेतु केन्द्रीय एजेंसियों और राज्य पुलिस के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए उठाए गए कुछ कदम इस प्रकार हैं:-
- (i) देश में मादक पदार्थों की तस्करी व दुरुपयोग को नियंत्रित करने के क्षेत्र में केन्द्रीय और राज्य की औषधि कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा अन्य हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने हेतु एक 4-स्तरीय नार्को-समन्वय केन्द्र (एनसीओआरडी) का तंत्र स्थापित किया गया है। औषधि कानून प्रवर्तन से संबंधित जानकारी हेतु एक समग्र एनसीओआरडी पोर्टल विकसित किया गया है।
- नार्को-आतंकवाद के मामलों सहित मादक पदार्थों के उल्लेखनीय एवं महत्वपूर्ण मामलों की जांच की निगरानी हेतु भारत सरकार द्वारा एक संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) की स्थापना की गई है और एनसीबी के महानिदेशक को इसका अध्यक्ष बनाया गया है।
- प्रत्येक राज्य/केन्द्र-शासित प्रदेश में अतिरिक्त महानिदेशक/महानिरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता में एक समर्पित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) की स्थापना की गई है, जो राज्य/केन्द्र-शासित प्रदेश के लिए एनसीओआरडी सचिवालय के रूप में कार्य करेगी और एनसीओआरडी की विभिन्न स्तरों की बैठकों में लिए गए निर्णयों के अनुपालन पर निगरानी रखेगी।
- नार्को-आतंकवाद के मामलों की जांच के लिए वर्ष 2020 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी को एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत अधिकार दिया गया है।
- भूमि एवं सीमाओं पर निगरानी रखने के लिए, सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल और असम राइफल्स को देश के दुर्गम व दूरदराज के क्षेत्रों में मादक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने हेतु नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम के तहत अधिकार दिया गया है।
- रेलवे नेटवर्क के माध्यम से देश भर में मादक पदार्थों की अंतरराज्यीय आवाजाही को देखते हुए, आरपीएफ को तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के लिए एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत भी अधिकार दिया गया है।
- एक उच्चस्तरीय समर्पित समूह अर्थात; समुद्री मार्गों, चुनौतियों और समाधानों के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी का विश्लेषण करने हेतु राष्ट्रीय सुरक्षा की परिषद सचिवालय (एनएससीएस) में मल्टी एजेंसी मेरीटाइम सिक्यूरिटी ग्रुप (एमएएमएसजी) बनाया गया है।
- एनसीबी ने इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) के साथ मिलकर नेशनल इंटीग्रेटेड डेटाबेस अबाउट अरेस्टेड एनडीपीएस ऑफेंडर्स (एनआईडीएएएन) नाम से एक पोर्टल बनाया है।
- मादक पदार्थों से संबंधित देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता निर्माण की दिशा में, एनसीबी लगातार मादक पदार्थों से संबंधित अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दे रहा है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेएंडई) ने देश में मादक पदार्थों के सेवन के पैमाने के बारे में जानने के उद्देश्य से नेशनल ड्रग डिपेंडेंस एंड ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सहयोग से 2019 में “भारत में मादक पदार्थों के सेवन की तीव्रता-2019” शीर्षक एक सर्वेक्षण किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में मादक पदार्थों के उपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या का विवरण इस प्रकार था:
बच्चे
(10-17 वर्ष)
|
भांग
|
अफीम
|
शामक औषधियां (सेडटिव्स)
|
कोकीन
|
एटीएस
|
भ्रांतिजनक औषधियां (हेलुसीनोजेन्स)
|
143000
|
343000
|
93000
|
18100
|
28800
|
<100
|
व्यस्क
(18-75 वर्ष)
|
3068000
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2136000
|
993000
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150000
|
13600
|
-
|
(स्रोत: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता से संबंधित स्थायी समिति की 51वीं रिपोर्ट 2022-23)
यह जानकारी गृह राज्यमंत्री श्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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