सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
डीओएसजेई और विश्व बैंक ने भिखारियों, बेघरों और निराश्रित आबादी को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए सेमिनार आयोजित किया
भीख मांगने की आदत से बाहर निकलने वाले लोगों से सीधे बात करने की जरूरत है, ताकि मूल कारणों और सहायता प्रणालियों के प्रभाव को समझा जा सके: सचिव डीईपीडब्ल्यूडी
इस तरह के आयोजनों से जमीनी स्तर पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि और क्षेत्र से प्रामाणिक डेटा प्राप्त होता है, जो कमजोर परिस्थितियों में व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक है: प्रमुख अर्थशास्त्री, विश्व बैंक
Posted On:
25 APR 2025 8:22PM by PIB Delhi
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (डीओएसजेई) ने विश्व बैंक के सहयोग से 25 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली में पहुंच से बाहर जनसंख्या - स्माइल (भिक्षावृत्ति) विषय पर एक सशक्त एवं विचारोत्तेजक सेमिनार का आयोजन किया।

सेमिनार का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ भिखारियों, बेघर और निराश्रित लोगों के पुनर्वास के संबंध में रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना और ज्ञान साझा करना था। यह कार्यक्रम एक सतत ज्ञान संगोष्ठी श्रृंखला का हिस्सा था जिसका उद्देश्य भारत में समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए संवाद और कार्रवाई को गहरा करना था।
मुख्य अतिथि के रूप में सेमिनार को संबोधित करते हुए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने समावेशी विकास और दिव्यांगता-अनुकूल आउटरीच पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने समर्थन प्रणालियों के मूल कारणों और प्रभाव को समझने के लिए वास्तविक हितधारकों - जो भीख मांगने की आदत से बाहर आ चुके हैं - से सीधे बात करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस मुद्दे की जटिलता को भी स्वीकार किया तथा इसके सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक आयामों पर भी प्रकाश डाला।

दूसरी ओर, विश्व बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री सुश्री बेनेडिक्ट लेरॉय डे ला ब्रिएरे के मुख्य भाषण ने भिक्षावृत्ति पुनर्वास पर चर्चा को वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया। उन्होंने विश्व बैंक और सामाजिक न्याय मंत्रालय के बीच साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि इस तरह के आयोजनों से जमीनी स्तर पर मूल्यवान जानकारी और क्षेत्र से प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध होते हैं। उन्होंने आधारभूत दस्तावेजीकरण के महत्व पर जोर दिया - जैसे कि पंजीकृत पता, बैंक खाता और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच - जो कमजोर स्थिति में व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक है। प्रतिनिधि ने आज की चर्चा को लक्षित हस्तक्षेपों और कार्यान्वयन योग्य समाधानों पर केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए समापन किया।

सेमिनार की मुख्य बातें:
आर्थिक सलाहकार (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय) श्री अजय श्रीवास्तव ने बताया कि स्माइल पहल के अंतर्गत लगभग 18,000 व्यक्तियों की पहचान की गई है, जिनमें से 1,612 का पुनर्वास किया जा चुका है। उन्होंने आश्वासन दिया कि शेष व्यक्तियों के पुनर्वास में तेजी लाने के प्रयास जारी हैं। संयुक्त सचिव एवं आर्थिक सलाहकार (डीओएसजेएंडई) सुश्री देबोलीना ठाकुर ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया तथा इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक स्तर पर अनेक सामाजिक चुनौतियां समान हैं। उन्होंने कहा कि कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इन मुद्दों को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, और भारत में भी कई संस्थान सराहनीय प्रयास कर रहे हैं।
वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ:
इथियोपिया के वरिष्ठ सामाजिक सुरक्षा सलाहकार श्री एलेमसेगेड डब्ल्यू योहानेस बेडाने ने शहरी निराश्रित सहायता कार्यक्रम की सफलता की कहानी साझा की, जिसके कारण हज़ारों बेघर व्यक्तियों का पुनर्वास हुआ है। ब्राज़ील से सुश्री बीट्रिज़ ओलियानी और सुश्री कैमिला कैब्राल ने साओ पाउलो शहर की प्रगतिशील नीतियों और शहरी सामाजिक कल्याण रणनीतियों को प्रस्तुत किया।
सम्पूर्ण भारत से पहल:
इस सेमिनार में नोडल अधिकारियों और जमीनी स्तर के संगठनों द्वारा आकर्षक प्रस्तुतियाँ दी गईं। सुश्री अनुराधा चगती (सचिव, समाज कल्याण, चंडीगढ़ प्रशासन), श्री स्नेहिल कुमार सिंह (जिला कलेक्टर, कोझीकोड) का उल्लेखनीय योगदान रहा। अत्चायम ट्रस्ट (तमिलनाडु), पीआरएडब्ल्यूईएस पुनर्वास केंद्र (मध्य प्रदेश), उम्मीद (उत्तर प्रदेश) और उदयम होम्स (केरल) सहित भागीदार संगठनों ने भी दुर्गम आबादी से जुड़ने में जमीनी हकीकत, चुनौतियों और सफलता की कहानियों को साझा किया। इसके अलावा, सामाजिक कार्य विभाग की प्रमुख सुश्री नीना पांडे और कोशिश ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. तारिक ने नीतिगत रूपरेखा, नैतिक पहलुओं और समुदाय-आधारित पुनर्वास मॉडल के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यावहारिक प्रस्तुतियाँ दीं।
यह कार्यक्रम हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया गया था, जिसमें देश भर के चिकित्सकों, नीति-निर्माताओं, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों, विश्व बैंक के अधिकारियों और सामाजिक विकास के छात्रों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की गई। जीवंत चर्चाओं, अनुभवों के आदान-प्रदान और कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि ने इस सेमिनार को भारत में अधिक समावेशी और उत्तरदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के निर्माण की दिशा में एक सार्थक कदम बना दिया। सामाजिक मुद्दों को व्यवस्थित रूप से संबोधित करने के लिए संरचित रूपरेखा बनाने पर विस्तृत चर्चा हुई।
सामाजिक न्याय विभाग ने भविष्य में भी ऐसे ज्ञान-साझाकरण मंचों को जारी रखने, नवाचार को बढ़ावा देने, सहयोग को बढ़ावा देने तथा एक न्यायपूर्ण एवं समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।
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