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सूचना और प्रसारण मंत्रालय

वेव्स 2025 में भारत के उभरते प्रसारण विनियामक परिदृश्य और भविष्य की चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया

 Posted On: 01 MAY 2025 8:14PM |   Location: PIB Delhi

वैश्विक शिखर सम्मेलन वेव्स 2025 की आज से मुंबई में शुरूआत हुई, जिसके विभिन्न सत्रों में मीडिया और मनोरंजन (एमएंडई) क्षेत्र के उभरते परिदृश्य और संतुलित नियामक ढांचे की ज़रुरत पर विस्तृत चर्चा हुई।

डिजिटल युग में प्रसारण को विनियमित करना - मुख्य रूपरेखाएँ और चुनौतियाँ विषय पर आयोजित ब्रेकआउट सत्र में अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय मीडिया विनियामक निकायों की प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। पैनलिस्टों में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार लाहोटी, एशिया-प्रशांत प्रसारण विकास संस्थान (एआईबीडी) की निदेशक सुश्री फिलोमेना ज्ञानप्रगसम, एशिया-प्रशांत प्रसारण संघ (एबीयू) के महासचिव श्री अहमद नदीम और मीडियासेट की अंतर्राष्ट्रीय मामलों की निदेशक सुश्री कैरोलिना लोरेंजो शामिल थी।

श्री लाहोटी ने केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 से लेकर केबल टीवी के डिजिटलीकरण तक, भारत के विनियामक विकास, उपभोक्ताओं की पसंद और सेवाओं की गुणवत्ता पर ट्राई के वर्तमान फोकस को रेखांकित किया। उन्होंने समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए ट्राई के प्रयासों पर जोर दिया और ऐसे मामलों में विनियमन को खत्म करने की वकालत की, जहां उपभोक्ताओं के हितों से समझौता नहीं किया जाता है।

पैनलिस्टों ने ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के तेजी से बढ़ते चलन और उनके चलते आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। 2024 में भारत के डिजिटल मीडिया बाजार के 9.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के साथ ही, संतुलित विनियमन की ज़रुरत बहुत बढ़ गई है। श्री लाहोटी ने डिजिटल रेडियो, आसान नेटवर्क आर्किटेक्चर और राष्ट्रीय प्रसारण नीति के लिए ट्राई के प्रस्तावों का ज़िक्र किया।

सुश्री ज्ञानप्रगसम ने विनियमन के साथ-साथ मीडिया साक्षरता के महत्व पर भी ज़ोर दिया। श्री नदीम ने जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए विनियमन के लिए चरणबद्ध दृष्टिकोण की वकालत की। मीडियासेट की अंतर्राष्ट्रीय मामलों की निदेशक सुश्री कैरोलिना लोरेंजो ने प्लेटफ़ॉर्म जवाबदेही को लेकर यूरोप के अनुभव का ज़िक्र किया और स्मार्ट टीवी जैसी तकनीकों में सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर में नेटवर्क प्रभावों की उभरती चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और विनियामक जटिलता को कम करते हुए समग्र विनियमन की ज़रुरत पर आम सहमति के साथ सत्र का समापन हुआ।

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एमजी/केसी/एनएस


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