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सूचना और प्रसारण मंत्रालय

वेव्स 2025: स्पॉटिफ़ाई हाउस सेशन में लोकगीतों को जीवंत परंपरा बताया गया


पैनलिस्टों ने समकालीन सांस्कृतिक परिदृश्यों के अनुकूल लोकगीतों की आत्मा को संरक्षित करने की वकालत की

 Posted On: 03 MAY 2025 3:34PM |   Location: PIB Delhi

वेव्स समिट 2025 के तीसरे दिन जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर, मुंबई में स्पॉटिफाई हाउस: इवोल्यूशन ऑफ फोक म्यूजिक इन इंडिया शीर्षक से एक गहन सत्र आयोजित किया गया। 'वेव्स कल्चरल एंड कॉन्सर्ट्स' खंड के तहत आयोजित इस सत्र में भारत के लोक संगीत और सांस्कृतिक क्षेत्र की प्रमुख आवाज़ें लोकगीतों की जीवंत परंपरा पर चर्चा के लिए एक साथ आई।

चर्चा का संचालन मशहूर कथाकार और मेज़बान रोशन अब्बास ने किया। पैनल में मशहूर गीतकार और सीबीएफसी के अध्यक्ष प्रसून जोशी, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, संगीतकार नंदेश उमाप, गायक और संगीतकार पापोन और प्रशंसित कलाकार इला अरुण शामिल थे।

पैनलिस्टों ने चर्चा की कि कैसे भारतीय लोक संगीत एक जीवंत, सामूहिक परंपरा के रूप में फल-फूल रहा है। वे इस बात पर सहमत हुए कि लोक संगीत अतीत की स्‍मृति नहीं है बल्कि दैनिक जीवन में गहराई से समाया हुआ एक ऐसा संगीत है जो पीढ़ियों से चला आ रहा है। प्रसून जोशी ने लोक संगीत को "जीवन का स्पर्शनीय एहसास" और साझा मानवीय अनुभव की अभिव्यक्ति बताया।

चर्चा लोक संगीत को मुख्यधारा में लाने के प्रयासों के इर्द-गिर्द घूमती रही। पैनलिस्टों ने स्पॉटिफ़ाई जैसे प्लेटफ़ॉर्म और वेव्‍स जैसी पहलों की सराहना की जिन्होंने बड़े सांस्कृतिक आख्यानों में लोक संगीत को शामिल किया। नंदेश उमाप ने लोक संगीत को "एक खुला विश्वविद्यालय" कहा, और इसके समावेशी और लोकतांत्रिक स्वरूप पर ज़ोर दिया।

पापोन ने लोक संगीत के साथ अपने सफ़र को याद किया, जिसमें सर्बिया में एक यादगार पल भी शामिल था जब असमिया लोकगीतों को खड़े होकर तालियाँ मिली थीं। उन्होंने बताया कि कैसे प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत किए जाने पर भारतीय लोकगीत वैश्विक स्तर पर गूंजते हैं। इला अरुण और मालिनी अवस्थी ने भी दोहराया और इस बात पर ज़ोर दिया कि लोक संगीत की जड़ें समुदाय और भावना में निहित हैं।

प्रसून जोशी ने कहा, "जब आप खुद को खोजते हैं, तो आप कविता लिखते हैं। जब आप खुद को समाहित कर लेते हैं, तो आप लोकगीत लिखते हैं।" इस कथन ने चर्चा के सार को एक ऐसी विधा के रूप में व्यक्त किया जो सामूहिक पहचान में निहित है और इसे जीने वाले लोग लगातार नया रूप देते रहते हैं।

पैनल ने भारतीय लोक परंपराओं में मौजूद व्यापक विविधता के बारे में बताया जिसमें प्रत्येक राज्य एक अनूठी संगीत शैली प्रस्तुत करता है। उन्होंने इस विविधता को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्थित समर्थन का आह्वान किया और पारंपरिक कला रूपों को आगे लाने वाले वेव्स जैसे मंचों को सक्षम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व को श्रेय दिया।

चर्चा में नवाचार की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। पैनलिस्टों ने इस बात पर जोर दिया कि लोकगीतों के सार को संरक्षित किया जाना चाहिए लेकिन इसके स्वरूप को नई पीढ़ियों से संवाद करने के लिए विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने रचनात्मक पुनर्व्याख्या को प्रोत्साहित किया जो सांस्कृतिक जड़ों के प्रति सच्चे रहते हुए समकालीन दर्शकों को आकर्षित करे।

इस सत्र में स्वतःस्फूर्त संगीतमय क्षण शामिल थे। कई पैनलिस्टों ने स्‍वत: गाना शुरू कर दिया, जिससे लोकगीतों की भावना जीवंत हो उठी। दर्शकों ने एक प्रामाणिक और मनमोहक अनुभव का आनंद लिया।

सत्र का समापन श्रोताओं, संस्थाओं और रचनाकारों से भारत की लोक विरासत का समर्थन करने के एक एकीकृत आह्वान के साथ हुआ। पैनलिस्टों ने आग्रह किया कि लोकगीतों को न केवल संरक्षित किया जाना चाहिए बल्कि व्यापक रूप से मनाया और साझा भी किया जाना चाहिए।

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