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सूचना और प्रसारण मंत्रालय

‘‘भारत के स्वदेशी खेलों का वैश्विक मंच पर उदय’’ - वेव्स 2025 में भारत की खेल विरासत का जश्न मनाने और उसे वैश्विक बनाने का आह्वान


स्वदेशी खेल सिर्फ शारीरिक प्रतियोगिताएं नहीं हैं बल्कि हमारे समुदायों, परंपराओं और पहचान का अभिन्न अंग हैं: ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी

खेलो इंडिया पहल जमीनी स्तर की प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और भारतीय खेलों के भविष्य को आकार देने में एक परिवर्तनकारी शक्ति है: रक्षा निखिल खडसे

 Posted On: 04 MAY 2025 2:50PM |   Location: PIB Delhi

कल मुंबई के वेव्स में आयोजित एक उत्साहपूर्ण और व्यावहारिक पैनल चर्चा में स्वदेशी खेलों की समृद्ध विरासत और भारतीय हृदयभूमि से वैश्विक क्षेत्रों तक उनकी बढ़ती यात्रा पर चर्चा की गई। स्वदेशी खेल: भारत से वैश्विक मंच तक शीर्षक वाले सत्र में प्रभावशाली नीति निर्माताओं, प्रतिष्ठित एथलीटों, खेल उद्यमियों और विचारकों ने एक साझा दृष्टिकोण : भारत के स्‍थानीय खेलों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और सफलता दिलाना पर एकजुट होकर चर्चा की।

मुख्य भाषण देते हुए, ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी ने भारत में स्वदेशी खेलों की गहरी सांस्कृतिक जड़ों के बारे में उत्‍साहपूर्वक बताया। उन्होंने कहा, ‘‘ये खेल केवल शारीरिक प्रतियोगिताएं नहीं हैं; ये हमारे समुदायों, हमारी परंपराओं और हमारी पहचान का अभिन्न अंग हैं,’’ उन्होंने भारत को वैश्विक खेल महाशक्ति बनाने की दिशा में दूरदर्शी नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। श्री माझी ने आगे बताया कि जीवंत आदिवासी समुदायों के घर ओडिशा ने इन प्राचीन खेलों को संरक्षित किया है और ओडिशा एक खेल केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम ग्रामीण प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रत्‍येक प्रतिभाशाली एथलीट को चमकने का मंच मिले।’’

केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा निखिल खडसे ने इस महत्वपूर्ण आंदोलन के इर्द-गिर्द सार्थक संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और वेव्स मंच के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत पहले ही योग का वैश्विक राजदूत बनकर उभरा है। अब हम खो-खो और कबड्डी जैसे अपने पारंपरिक खेलों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गर्व के साथ प्रदर्शित कर रहे हैं। खेलो इंडिया पहल जमीनी स्तर की प्रतिभाओं को निखारने और भारतीय खेलों के भविष्य को आकार देने में एक परिवर्तनकारी शक्ति साबित हो रही है।’’ उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि खेल न केवल शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देते हैं बल्कि रिश्तों को भी मजबूत करते हैं और एकता को बढ़ावा देते हैं - जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सार है।

प्रो कबड्डी लीग के लीग कमिश्नर अनुपम गोस्वामी ने खेलों के बाजार के रूप में भारत की अपार संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्वदेशी खेलों जिनका भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व बहुत ज्‍यादा है उनको बढ़ावा देकर इस अवसर का फायदा उठाना चाहिए।’’

ईरान के प्रतिष्ठित पीकेएल एथलीट फज़ल अत्राचली ने बताया कि कबड्डी ने किस तरह से लोगों की जिंदगी बदल दी है। ‘‘पीकेएल की बदौलत, कबड्डी एक पेशेवर खेल बन गया है, जिससे खिलाड़ियों को प्रसिद्धि और वित्तीय सुरक्षा मिली है’’, उत्साहित फज़ल ने कहा।

इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड के विनियामक अध्यक्ष निक कॉवर्ड ने वैश्वीकरण और आधुनिक वितरण चैनलों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘पारंपरिक खेलों को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के लिए हमें ई-स्पोर्ट्स सहित डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाना होगा।’’

खो-खो महासंघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने बताया कि खो-खो अब 55 देशों में खेला जाता है और इस साल के अंत तक इसे 90 से ज्‍यादा देशों में पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हमारे स्वदेशी खेल अद्वितीय हैं - जिसके लिए अधिक रणनीति, सहनशक्ति और जोश की जरूरत होती है। वे वैश्विक स्तर पर काफी लोकप्रिय हैं। लेकिन उन्हें सरकारी समर्थन, ब्रांडिंग और कूटनीतिक समर्थन की जरूरत है।’’

फैनकोड के संस्थापक यानिक कोलाको ने तकनीक को गेम चेंजर बताया। उन्होंने कहा, ‘‘पहुंच और जुड़ाव महत्वपूर्ण हैं। सही तकनीक के साथ, हम प्रशंसकों के साथ गहरा जुड़ाव बना सकते हैं और भारतीय खेलों को वैश्विक बना सकते हैं।’’

इस सत्र का संचालन मंत्र मुग्ध ने किया, जिन्होंने विविध अंतर्दृष्टियों और दूरदर्शी रणनीतियों को एक साथ पिरोते हुए चर्चा को कुशलतापूर्वक संचालित किया।

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एमजी/केसी/पीपी/वीके


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