गृह मंत्रालय
राहत आयुक्तों और राज्य आपदा मोचन बलों का वार्षिक सम्मेलन नई दिल्ली में संपन्न
Posted On:
17 JUN 2025 6:04PM by PIB Delhi
केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के राहत आयुक्तों और राज्य आपदा मोचन बलों (SDRFs) का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन-2025 आज नई दिल्ली में सम्पन्न हो गया। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने समापन सत्र की अध्यक्षता की।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. पी. के. मिश्रा ने कहा कि यह वार्षिक सम्मेलन एक नियमित आयोजन से कहीं अधिक है। यह आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करने, उसका पुनरावलोकन करने और उसे सुदृढ़ करने का एक साझा अवसर है। उन्होंने कहा कि आपदाओं की प्रकृति बदल रही है और हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करना होगा कि खतरे आपस में जुड़े हुए हैं, प्रभाव कई गुना बढ़ रहे हैं और जोखिम हमारी अनुकूलन गति से कहीं तेजी से विकसित हो रहे हैं।
डॉ. पी. के. मिश्रा ने आगामी दिनों में निम्नलिखित कार्यों पर ध्यान देने पर जोर दिया, जो लंबे समय में हमारी स्थिति को मजबूत करेंगे:
- आपदा की अनिश्चितता को संभालने के लिए तैयारी और जागरूकता महत्वपूर्ण है। खतरे और कमजोरियों का परिदृश्य बदल रहा है, इसलिए राज्यों को अपनी तैयारी के स्तर को बढ़ाना चाहिए।
- राहत और प्रतिक्रिया दृष्टिकोण (relief and response approach) से तैयारी और शमन दृष्टिकोण (preparedness and mitigation approach) की ओर कदम बढ़ाने के लिए राज्यों को सीखे गए सबक को संस्थागत रूप देने की आवश्यकता है। यह आवश्यक है ताकि पिछली आपदाओं से मिली सीख भुलाई न जा सके।
- यद्यपि भारत के डीआरआर वित्तपोषण मॉडल (DRR Financing Model) को 4-6 जून, 2025 को जिनेवा में आयोजित ग्लोबल प्लेटफॉर्म ऑन डीआरआर में स्वीकार किया गया है, राज्यों को रिकवरी और शमन निधि (Recovery and Mitigation Funds) का उचित उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
- भारत के विशाल भौगोलिक आकार पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि एक मजबूत राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के अलावा, राज्यों को आपदा राहत कार्यों में शामिल एजेंसियों की क्षमता में बढ़ोतरी का आकलन और उनमें निवेश करना चाहिए।
- आपदा की तैयारी घंटों नहीं, बल्कि मिनटों का मामला है, क्योंकि राहत कार्य शुरू करने और लोगों को जुटाने में लगा हर मिनट महत्वपूर्ण है। इसलिए, प्रतिक्रिया की गति में सुधार किया जाना चाहिए। कुछ आपदाओं के लिए पहले से चेतावनी देने के मामले में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
- कुछ आपदाओं में नुकसान की क्षमता अनुमान से कहीं ज़्यादा पाई जाती है। उदाहरण के लिए, सूखे से जीवन और आजीविका पर गंभीर असर पड़ने की आशंका होती है। इन दिनों बिजली गिरना सबसे ज़्यादा जानलेवा आपदाओं में से एक के रूप में सामने आ रहा है। इसलिए, इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए हमारे शमन प्रयासों को फिर से संतुलित किया जाना चाहिए।
- राज्यों को आपदा जोखिम कम करने के लिए कम लागत लेकिन उच्च प्रभाव वाले हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। शहरी बाढ़ के समाधान में स्थानीय भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए।
- आपदा प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए आपदा मित्र के माध्यम से समुदाय की भागीदारी जैसे Volunteer mobilisation बहुत महत्वपूर्ण है। राज्यों को यह समझना चाहिए कि आपदाओं के बाद लोगों की जान बचाने में जन-भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्रधानमंत्री की ‘MY भारत’ पहल का उपयोग आपदा प्रतिक्रिया में युवाओं को शामिल करने के लिए किया जा सकता है।
- आपदा प्रबंधन में डेटा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आपदा प्रबंधन योजना बनाने में पीएम गति शक्ति के उपयोग का आग्रह किया।
- चरम घटनाओं और अनिश्चितताओं की उभरती चुनौतियों को देखते हुए, राज्यों को अपने संस्थानों, प्रक्रियाओं और प्रणालियों को पुनः समायोजित और सक्रिय करने की आवश्यकता है, ताकि वे जानमाल की हानि को रोककर ऐसी स्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार रख सकें।
दो दिवसीय सम्मेलन में राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों, केन्द्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संगठनों और राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में SDRF/सिविल डिफेंस/होम गार्ड्स/फायर सर्विसेज से 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्र आयोजित किए गए, जिसमें विशेषज्ञों ने प्रारंभिक चेतावनी, आपदा के बाद आवश्यकता मूल्यांकन, शहरी बाढ़ प्रबंधन, नई चुनौतियां और नई तकनीकों को अपनाने, आपदा प्रतिक्रिया बलों की भूमिका, मॉक ड्रिल, स्वयंसेवा आदि जैसे विषयों पर चर्चा की।
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RK/VV/RR/PR
(Release ID: 2136984)