Prime Minister's Office
Text of PM’s speech during meeting with National Awardee Teachers at 7, Lok Kalyan Marg, New Delhi
Posted On:
04 SEP 2025 9:58PM by PIB Delhi
हमारे यहाँ शिक्षक के प्रति एक स्वाभाविक सम्मान होता है और वो समाज की एक बहुत बड़ी शक्ति भी है। और शिक्षकों को आशीर्वचन के लिए खड़ा होना यह पाप है। तो मैं ऐसा पाप करना नहीं चाहता हूं। मैं आपसे संवाद जरूर करना चाहूंगा। मेरे लिए बहुत अच्छा यह एक्सपीरियंस था कि आप सबको, वैसे तो सबको मुझे, क्योंकि आपकी हर एक की स्टोरी होगी, हर एक के अपने जीवन में क्योंकि उसके बिना यहां तक पहुंचे नहीं होंगे। लेकिन उतना समय निकालना मुश्किल होता, लेकिन जितना मुझे आप सबसे कुछ जानने का अवसर मिला, वो बहुत ही प्रेरक है और मैं इसके लिए आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। तो यह राष्ट्रीय पुरस्कार पाना अपने आप में कोई अंत नहीं है। अब सबका आपके ऊपर ध्यान है, इस अवार्ड के बाद सबका ध्यान है। इसका मतलब कि आपकी reach बहुत बढ़ गई है। पहले जो आपका influence का area होगा या command area होगा, वो अब इस अवार्ड के बाद बहुत बढ़ सकता है। मैं मानता हूं कि शुरुआत यहां से होती है, मौका ले लेना चाहिए, आपके पास जो है, जितना ज्यादा परोस सकते हैं, परोसना चाहिए। और मैं मानता हूं, आपका satisfaction level बढ़ता ही जाएगा, तो उस दिशा में प्रयास करना चाहिए। इस पुरस्कार के लिए आपका चयन आपके परिश्रम, आपकी निरंतर साधना का एक प्रकार से प्रमाण है, तभी तो यह सब संभव होता है और एक शिक्षक सिर्फ वर्तमान नहीं होता है, बल्कि देश की भावी पीढ़ी को भी वो गढ़ता है, वो भविष्य को निखारता है और ये मैं समझता हूं कि ये भी देश सेवा की श्रेणी में किसी भी प्रकार से किसी की भी देश सेवा से कम नहीं है। आज करोड़ों शिक्षक आपकी तरह ही पूरी निष्ठा, तत्परता और समर्पण भाव से देश सेवा में जुटे हैं, सबको यहां आने तक का अवसर नहीं मिलता है। हो सकता है बहुत लोगों ने प्रयास भी नहीं किया होगा, कुछ लोगों ने नोटिस भी नहीं किया होगा और ऐसी ही क्षमता वाले बहुत लोग होंगे जी, बहुत लोग होंगे और इसलिए उन सबके सामूहिक प्रयासों का परिणाम है कि राष्ट्र निरंतर उन्नति करता है, नई-नई पीढ़ी तैयार होती हैं, जो राष्ट्र के लिए जीती हैं और उसमें सबका योगदान होता है।
साथियों,
हमारा देश हमेशा से गुरु-शिष्य परंपरा का उपासक रहा है। भारत में गुरु को केवल ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक माना गया है। मैं कभी-कभी कहता हूं, मां जन्म देती है, गुरु जीवन देता है। आज जब हम विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, तब यह गुरु-शिष्य परंपरा भी हमारी एक बहुत बड़ी ताकत है। आप जैसे शिक्षक इस श्रेष्ठ परंपरा के प्रतीक हैं, आप नई पीढ़ी को सिर्फ अक्षर ज्ञान ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए जीने की सीख भी दे रहे हैं, आपके मन में कहीं न कहीं एक भाव रहता है कि जिस बच्चे के लिए मैं समय खपा रहा हूं, हो सकता है वो इस देश के लिए कहीं काम आ जाए और यह सारे पुरुषार्थ के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं।
साथियों,
शिक्षक एक मजबूत देश, एक सशक्त समाज की बुनियाद होते हैं। शिक्षक, पाठ्यक्रम में, सिलेबस समय के अनुकूल बदलाव इन सारी बातों को समझते भी हैं, काल बाह्य चीजों से वो मुक्ति चाहते हैं और यही भावना, देश के लिए होने वाले रिफॉर्म्स में भी होती है। अभी धर्मेंद्र जी ने उसका उल्लेख किया, तो मैं भी उस बात को आगे बढ़ाता हूं, एक तो रिफॉर्म्स निरंतर होने चाहिए, यह समय के अनुकूल भी हों और दीर्घ दृष्टि भी हों, उसमें भविष्य को समझना, मानना, स्वीकारना, यह उसके स्वभाव में होना चाहिए और जहां तक इस सरकार का कमिटमेंट है, हम पूरी तरह इसके लिए committed है क्योंकि हम मानते हैं कि समयानुकूल परिवर्तन के बिना हम आज की वैश्विक परिस्थिति में हमारे देश को जो स्थान का उसका हक है, वो हक नहीं दिला सकते हैं।
और साथियों,
मैंने लाल किले से इस बार पंद्रह अगस्त को कहा था कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म करना बहुत जरूरी है। मैंने देशवासियों से भी यह वादा किया था कि इस दिवाली और छठ पूजा से पहले, खुशियों का डबल धमाका होगा। अब आप लोग तो यहां दो दिन से यह सब जगह आपका चरण रज लेते हैं का प्रयास होता होगा, तो आपको शायद अखबार देखने का मौका मिला होगा, न टीवी देखने का मौका मिला होगा या तो घर पर बात करते हुए, अरे वहां फोटो छपी है? खैर जिस भावना को लेकर के हम चल रहे हैं, उसी भावना पर चलते हुए कल भारत सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर के एक बहुत बड़ा निर्णय किया है और यह बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है। अब GST और भी ज्यादा सिंपल हो गया है, सरल हो गया है। GST के मुख्यतः दो ही रेट रह गए हैं, 5 परसेंट और 18 परसेंट, पांच परसेंट और अठारह परसेंट और 22 सितंबर, सोमवार, जब नवरात्रि का पहला दिन है और यह सारी चीजों का मातृशक्ति का संबंध तो बहुत ही रहता है और इसलिए नवरात्रि के इस प्रथम दिवस पर जीएसटी का जो एक रिफॉर्म वर्जन है, नेक्स्ट जनरेशन रिफाॅर्म किया हुआ, वो लागू हो जाएगा। यानि नवरात्रि से ही, देश के करोड़ों परिवारों की जो जरूरतें हैं, वो और अधिक सस्ती मिलनी शुरु हो जाएंगी। इस बार धनतेरस की रौनक भी और ज्यादा रहेगी, क्योंकि दर्जनों चीजों पर टैक्स अब बहुत ही कम हो गया है।
साथियों,
आठ वर्ष पहले जब GST लागू हुआ, तो कई दशकों का सपना साकार हुआ था, तो यह चर्चा कोई मोदी प्रधानमंत्री बना, उसके बाद नहीं हुई, उसके पहले भी हो रही थी। काम नहीं होता था, चर्चा होती थी। यह आजाद भारत के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक था। तब देश को अनेकों तरह के टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने का एक बहुत बड़ा काम हुआ था। अब 21वीं सदी में आगे बढ़ते भारत में GST में भी नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म की आवश्यकता थी और उसको किया गया है। मीडिया के कुछ साथी इसको GST 2.0 के रूप में कह रहे हैं, लेकिन असल में यह देश के लिए सपोर्ट और ग्रोथ की डबल डोज़ है। डबल डोज़ यानि एक तरफ देश के सामान्य परिवार की बचत और दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती, नए GST रिफॉर्म से देश के हर परिवार को बहुत बड़ा फायदा होगा। गरीब, निओ मिडिल क्लास, मिडिल क्लास, किसान, महिलाएं, स्टूडेंट्स, नौजवान, सभी को GST टैक्स कम करने से जबरदस्त फायदा होगा। पनीर से लेकर के शैंपु-साबुन तक, सब कुछ पहले से कहीं सस्ता होने वाला है और इससे आपको महीने का खर्च, रसोई का खर्च भी बहुत कम हो जाएगा। स्कूटर-कार पर भी टैक्स कम कर दिया गया है। इसका बहुत फायदा उन नौजवानों को होगा, जो अभी अपनी नौकरी शुरू कर रहे हैं। GST कम करने से घर का बजट बनाने और अपनी लाइफ स्टाइल अच्छी करने में भी आपको मदद मिलेगी।
साथियों,
कल जो निर्णय हुआ, यह कितना सुखद है, इसका असली प्रभाव तब और पता चलता है, जब आप GST से पहले की टैक्स दरों को याद करेंगे। कभी-कभी क्या होता है, पता ही नहीं रहता है कि अच्छा पहले ऐसा था और इसलिए कभी-कभी पहले की चीज याद करते हैं, तब पता चलता है कि अच्छा यहां से यहां चले गए। अब आपके यहां घर-परिवार में भी बच्चा 70 मार्क लाता है स्कूल में आपके यहां और 70 का 71-72-75 करेगा, तो ध्यान नहीं जाता है, लेकिन हम 99 कर लें, तो तुरंत जाता है कि यार कुछ कमल है इसमें, तो मेरा कहना यही है कि…
साथियों,
साल 2014 से पहले, करीब-करीब हर सामान पर उस समय की जो सरकार थी, मैं किसी सरकार की आलोचना करने के लिए नहीं यहां आया, लेकिन एक आप टीचर हैं, तो comparison आप बड़े आराम से कर सकते हो और बच्चों को भी बता भी सकते हो। उस समय कितनी बड़ी मात्रा में टैक्स लिया जाता था, पुरानी सरकार में, 2014 में मेरे आने से पहले, रसोई का सामान हो, या खेती-किसानी से जुड़ी चीजें हों या फिर दवाइयां और यहां तक जीवन बीमा भी, ऐसी अनेक चीजों पर कांग्रेस सरकार अलग-अलग टैक्स लेती थी। अगर वही दौर होता, अगर आज आप 2014 के हिसाब से होते, तो आपको 100 रुपए अगर चीज कोई खरीदते हैं, तो 20-25 रुपये टैक्स का देना पड़ता, अगर उस समय का हिसाब लगाएं तो, लेकिन अब आपने मुझे सेवा का मौका दिया है, भाजपा सरकार में, एनडीए सरकार में हमारा जोर इस बात पर है कि बचत कैसे ज्यादा से ज्यादा हो, परिवारों का खर्चा कम कैसे हो और इसलिए अब GST में इतनी ज्यादा कटौती कर दी गई है।
साथियों,
कांग्रेस की सरकार ने कैसे आपका मंथली बजट बढ़ाया हुआ था, यह कोई भूल नहीं सकता है। टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल, इन पर सत्ताईस परसेंट टैक्स, आज आपको याद नहीं होगा, लेकिन आप देते थे। खाने की प्लेट, कप-प्लेट, चम्मच, ऐसे सामान पर अठारह से लेकर के अट्ठाईस परसेंट टैक्स हुआ करता था। टूथ पाउडर सत्रह परसेंट टैक्स, यानि रोजमर्रा की ऐसी हर चीज पर उस कांग्रेस के जमाने में इतना सारा टैक्स लगता था। हालात यह थी कि कांग्रेस वाले बच्चों की टॉफी पर भी इक्कीस परसेंट टैक्स लेते थे, यह कभी उस समय अखबार में आपका ध्यान गया होगा या नहीं कि वो पता नहीं, लेकिन मोदी ने किया होता, तो बाल नोच लेते। साइकिल, जो देश के करोड़ों लोगों की रोज की जरूरत है, उस पर भी सत्रह परसेंट टैक्स हुआ करता था। सिलाई मशीन लाखों-लाख माताओं-बहनों के लिए स्वाभिमान और स्वरोजगार का एक जरिया है, यंत्र है, इस पर सोलह परसेंट टैक्स होता था। मिडिल क्लास के लिए घूमना-फिरना तक, कांग्रेस ने बहुत मुश्किल कर दिया था। कांग्रेस राज में होटल के कमरे की बुकिंग पर 14 परसेंट टैक्स और उसके ऊपर कई राज्यों में लग्जरी टैक्स लगता था, वो अलग। अब ऐसे हर सामान और सर्विस पर, सिर्फ और सिर्फ पांच परसेंट टैक्स लगा करेगा। अब आपको ध्यान में आता है कि पांच परसेंट मतलब क्या बंदा कोई तो लिखेगा और वो अभी भी मोदी पांच परसेंट लेता है। होटलों में साढ़े सात हजार रुपए के यानि कमरों में भी 5 परसेंट ही टैक्स लगने वाला है। ये काम किया है, आपने काम करने वाली सरकार चुनी, वैसे भाजपा एनडीए सरकार ने किया है।
साथियों,
पहले अक्सर यह शिकायत रहती थी कि भारत में इलाज बहुत महंगा था, छोटे-छोटे टेस्ट तक गरीब और मिडिल क्लास की पहुंच से बाहर होता था, कारण यह था कि कांग्रेस सरकार डायग्नोस्टिक किट्स पर जो होती है, उस पर सोलह परसेंट टैक्स लेती थी। हमारी सरकार ने ऐसे हर सामान पर, टैक्स को सिर्फ पांच परसेंट कर दिया है।
साथियों,
कांग्रेस के राज में घर बनाना बहुत ही महंगा काम था, क्यों? क्योंकि सीमेंट पर कांग्रेस सरकार उन्नतीस परसेंट टैक्स वसूलती थी, जैसे-तैसे घर बना भी लिया, तो AC और टीवी या पंखा, कुछ भी लाना है, वो भी महंगा हो जाता था। क्योंकि कांग्रेस सरकार ऐसे सामानों पर इकत्तीस परसेंट टैक्स वसूलती थी, Thirty One Percent, अब हमारी सरकार ने ऐसे हर सामान पर टैक्स को Eighteen Percent अठारह परसेंट कर दिया, करीब-करीब आधा कर दिया है।
साथियों,
कांग्रेस राज में किसान भी बहुत दुखी थे। 2014 से पहले किसान की खेती लागत अधिक थी और लाभ बहुत कम था। कारण यह था कि खेती-किसानी के सामान पर भी कांग्रेस सरकार बहुत अधिक टैक्स वसूलती थी। ट्रैक्टर हो या सिंचाई के उपकरण हों, हाथ के औज़ार हों, पंपिंग सेट्स हों, ऐसे उपकरणों पर 12 से 14 परसेंट तक टैक्स लिया जाता था। अब ऐसे अनेक सामानों पर GST ज़ीरो या पांच परसेंट कर दिया गया है।
साथियों,
विकसित भारत का एक और स्तंभ है, हमारी युवा शक्ति। हमारे नौजवानों को ज्यादा रोजगार मिले, जो छोटे-मोटे बिजनेस में हैं, उनको आसानी हो, ये भी सुनिश्चित किया गया है। हमारे जो ऐसे सेक्टर हैं, जिसमें सबसे ज्यादा लेबर लगती है, उनको GST की कम दरों से बहुत बड़ा सहारा मिलने वाला है। Textile हो, हैंडीक्राफ्ट हो, Leather हो, इसमें काम करने वाले साथी, इस बिजनेस से जुड़े साथियों को बड़ी मदद मिली है। इसके साथ-साथ कपड़ों और जूतों की कीमतों में भी बहुत कमी आने वाली है। हमारे स्टार्ट अप्स, MSMEs, छोटे व्यापारी-कारोबारियों के लिए टैक्स तो कम हुआ ही है, साथ ही, कुछ प्रक्रियाओं को भी सरल किया गया है। इससे उनकी सहूलियत और बढ़ेगी।
साथियों,
नौजवानों को एक और फायदा फिटनेस के सेक्टर में भी होने वाला है। gym, salon और yoga जैसी services पर टैक्स कम किया गया है। यानि हमारा नौजवान फिट भी होगा और हिट भी होगा और मैं आपको याद दिला दूं, सरकार आपकी फिटनेस के लिए इतना कुछ कर रही है, तो एक बात मैं बार-बार कहता हूं, आप तो ऐसे लोग हैं, डेली 200 लोगों से बात करते हैं आप लोग, आप लोगों को मेरी बात जरूर बताइए कि मोटापा हमारे देश के लिए बहुत चिंता का विषय है, इसलिए खाने का तेल 10 परसेंट कम करने से शुरुआत करें, मुहम्मद जी आप मेरे एंबेसडर बन जाइए। ओबेसिटी के खिलाफ लड़ाई कमजोर नहीं पड़नी चाहिए।
साथियों,
अगर GST में हुए इस रिफॉर्म्स का अगर मैं सार बताऊं, तो यही कह सकता हूं कि इससे भारत की शानदार अर्थव्यवस्था में पंचरत्न जुड़े हैं। पहला, टैक्स सिस्टम कहीं अधिक सिंपल हुआ। दूसरा, भारत के नागरिकों की क्वालिटी ऑफ लाइफ और बढ़ेगी। तीसरा, कंजम्शन और ग्रोथ दोनों को नया बूस्टर मिलेगा और चौथा, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से निवेश और नौकरी को बल मिलेगा और पाँचवां, विकसित भारत के लिए को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म यानि राज्यों और केंद्र की साझेदारी और मजबूत होगी।
साथियों,
नागरिक देवो भव:, यह हमारा मंत्र है। इस वर्ष सिर्फ GST में ही कमी नहीं की गई, इनकम टैक्स में भी बहुत कम किया गया है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर टैक्स को जीरो किया गया है। आजकल तो आप ITR फाइल कर रहे हैं, तब इस फैसले का सुखद अहसास और भी अधिक होता है कि नहीं यानि इनकम में भी बचत और खर्च में भी बचत, अब यह डबल धमाका नहीं है तो क्या है!
साथियों,
आजकल महंगाई की दर भी, बहुत निचले स्तर पर है, नियंत्रण में है और यही तो प्रो-पीपल गवर्नेंस है। जब जनहित और राष्ट्र हित में फैसले लिए जाते हैं, तब देश आगे बढ़ता है और इसलिए ही आज भारत की ग्रोथ करीब-करीब आठ परसेंट है। यानि दुनिया में हम सबसे तेज गति से ग्रो कर रहे हैं, यह 140 करोड़ भारतीयों का सामर्थ्य है, 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प है और मैं आज देशवासियों को फिर कहूंगा, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, रिफॉर्म्स का यह जो सिलसिला चलता रहेगा, वो रुकने वाला नहीं है।
साथियों,
भारत के लिए आत्मनिर्भरता, यह कोई नारा नहीं है। इस दिशा में ठोस प्रयास हो रहे हैं। मेरी आप सभी से, देश के सभी शिक्षकों से भी अपेक्षा है कि आत्मनिर्भर भारत के महत्व का बीजारोपण, इस विचार की सीडिंग निरंतर हर विद्यार्थी में करते रहें। आप ही हैं, जो बच्चों को बहुत सरलता से, उनकी अपनी भाषा और बोली में भारत के आत्मनिर्भर होने के महत्व को समझा सकते हैं और आपकी बात वो मानता भी है। आप उन्हें बता सकते हैं कि दूसरों पर निर्भर रहने से देश कभी उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ सकता, जितना उसका सामर्थ्य होता है।
साथियों,
भारत के आज के विद्यार्थियों और आने वाली पीढ़ियों में एक सवाल शुरू से ही प्रचारित और प्रसारित किए जाने की जरूरत है, यह हमारा कर्तव्य है जी, मैं चाहता हूं असेंबली में भी इसकी चर्चा हो, कभी-कभी तो एक प्रयोग करके देखिए आप, कभी हमें पता ही नहीं होता हमारे घर में विदेशी चीजें कैसे घुस गई हैं, पता ही नहीं है, इरादा नहीं है कि मुझे विदेशी चाहिए, लेकिन पता ही नहीं है। बच्चे परिवार में बैठकर के एक सूची बनाएं कि सुबह उठने से दूसरे दिन सुबह तक उपयोग में आने वाली कितनी चीजें विदेशी हैं, उसे पता ही नहीं है हेयर पिन भी विदेशी आ गई हैं, कंघा भी विदेशी आ गया है, पता ही नहीं है उसको, जागरूकता आएगी तो कहेगा अरे यार भई, मेरे देश को क्या मिलेगा? और इसलिए मैं मानता हूं कि आप पूरी नई पीढ़ी को आंदोलित कर सकते हैं। जो काम महात्मा गांधी जी ने किसी समय हमारे लिए छोड़ा है, अब पूरा करने का सौभाग्य हमें मिला है और मैं चाहता हूं कि हम लोगों को करना चाहिए और मैं बच्चों के सामने हमेशा एक बात उनको प्रेरित करते हुए कहता रहा रहूं मैं ऐसा क्या करूं जिससे मेरे देश की किसी न किसी आवश्यकता की पूर्ति हो, यह चीज है मेरे देश में नहीं है, नहीं मैं करूंगा, मैं कोशिश करूंगा, मैं मेरे देश में लाऊंगा।
अब आप कल्पना कीजिए हमारे देश में आज भी एक लाख करोड़ रुपए का खाने का तेल बाहर से लाना पड़ता है, खाने का तेल! हम कृषि प्रधान देश हैं, या तो हमारी लाइफस्टाइल या हमारी आवश्यकताएं या हमारी मजबूरियां, तो ऐसी बहुत सी चीजें हैं, देश को आत्मनिर्भर बनाना ही पड़ेगा, अभी एक लाख करोड़ रुपया बाहर जाता है, वो यहीं रहता, तो कितने स्कूल के बिल्डिंग बन जाती, कितने बच्चों की जिंदगी बन जाती और इसलिए आत्मनिर्भर भारत की बात को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना पड़ेगा और हमें नई पीढ़ी को उसके लिए प्रेरित करना पड़ेगा और देश की आवश्यकता के साथ खुद को जोड़ना चाहिए, यह बहुत जरूरी है। यह देश ही है, जो हमें कहां से कहां पहुंचाता है। यह देश ही है, जो हमें इतना कुछ देता है। इसलिए हम देश को क्या दे सकते हैं, देश की किस जरूरत को पूरा कर सकते हैं, यह हर विद्यार्थी के मन में, हमारी नई पीढ़ी के मन में जरूर रहना चाहिए।
साथियों,
आज भारत के स्टूडेंट्स में इनोवेशन के प्रति, साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति नया रुझान पैदा हुआ है। इसमें बहुत बड़ी भूमिका, चंद्रयान की सफलता ने निभाई है। चंद्रयान ने देश के बच्चे-बच्चे को साइंटिस्ट बनने के लिए, इनोवेटर बनने के लिए प्रेरित किया। अभी हमने हाल ही में देखा, स्पेस मिशन से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जब अपने स्कूल पहुँचे, तो कैसे पूरा वातावरण बदल चुका। शुभांशु की इस उपलब्धि में उनके शिक्षकों का योगदान जरूर रहता है, तभी तो होता है। यानि शिक्षक, नौजवानों को सिर्फ पढ़ाते ही नहीं है, उन्हें गढ़ते हैं, एक दिशा दिखाते हैं।
साथियों,
आपके इस प्रयास को अब अटल इनोवेशन मिशन और अटल टिंकरिंग लैब्स से भी मदद मिल रही है। अब तक देश में 10 हजार अटल टिंकरिंग लैब्स बन चुकी हैं। देश ने 50 हजार नई अटल टिंकरिंग लैब्स और बनाने का निर्णय लिया है। इस पर भी तेजी से काम चल रहा है। इन लैब्स में, भारत की नौजवान पीढ़ी को इनोवेशन का हर मौका मिले, यह आप सभी शिक्षकों के प्रयासों से ही होने वाला है।
साथियों,
एक तरफ, हमारी सरकार, इनोवेशन पर, युवाओं को डिजिटली एंपावर करने पर बल दे रही है, दूसरी तरफ, डिजिटल दुनिया के जो दुष्प्रभाव हैं, उनसे भी हमारी नई पीढ़ी को, हमारे स्कूल के बच्चों को, हमारे स्टूडेंट्स को, हमारे परिवार के बच्चों को, हमें उनको बचाना होगा, उनकी हेल्थ और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने पर भी बल देना, यह हम सबका सामूहिक कर्तव्य है। आपने अभी देखा होगा कि अभी Parliament का जब सत्र चल रहा था, तो हमने ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ा एक कानून बनाया है, अब यह सब शिक्षकों को पता होना चाहिए। गेमिंग एंड गैंबलिंग, दुर्भाग्य ऐसा है कि कहते तो गेमिंग है, हो जाता है जुआ और इसलिए सरकार ने और बहुत बड़ा निर्णय है, यह बड़ी-बड़ी ताकतें वो कभी नहीं चाहती थीं कि ऐसा कानून आए और देश में यह गैंबलिंग पर प्रतिबंध आ जाए। लेकिन आज एक ऐसी सरकार है, जिसमें Political Will है और जिसके दिल में देश के उज्ज्वल भविष्य की चिंता है, बच्चों के भविष्य की चिंता है और इसलिए हमने ऐसे किसी भी दबाव की परवाह किए बिना, किसको क्या लगेगा, किसको क्या नहीं लगेगा इसकी परवाह किए बिना गेमिंग के संबंध में, ऑनलाइन गेम्स के संबंध में एक कानून लाए हैं। ऐसे अनेक ऑनलाइन गेम्स थे, जिनसे हमारे स्टूडेंट्स प्रभावित हो रहे थे, पैसों के खेल चलते थे, ज्यादा कमाने के इरादे से लोग पैसे डालते थे, कुछ जगह से तो मुझे रिपोर्ट मिलती थी, परिवार में महिलाएं मोबाइल फोन तो सबके पास है और वो भी दिन में, सब लोग घर से चले गए भई क्या करें, तो वो भी खेल लेती थीं, आत्महत्या की घटनाएं मिलती थीं, कर्जदार बन जाते थे। यानि बहुत बड़ा, यानि परिवारों के परिवार तबाह हो गए, आर्थिक नुकसान हो रहा था और यह बीमारी ऐसी है कि नशे की तरह लत लग जाती है, यह गेम्स ऐसी चीजें होती हैं और पैसे लूटने वाले तो आपको ट्रैप कर ही लेते हैं, फंसा देते हैं। और ऐसा कंटेंट भी बढ़िया-बढ़िया लाते हैं कि कोई भी फंस जाता है उसमें और सब परिवारों के लिए यह चिंता का विषय बन गया था और इसलिए मैं कहता हूं कि यह जो कानून बना है, वो कानून अपनी जगह पर है लेकिन बच्चों को जागरूक करना, यह बहुत आवश्यक है। लेकिन माता-पिता शिकायत कर सकते हैं, परिस्थिति सुधार नहीं सकते क्योंकि तनाव का वातावरण बन जाता है, लेकिन टीचर उसमें बहुत बड़ा रोल कर सकता है। हमने कानून तो बना दिया है और पहली बार हमने तय भी किया है कि बच्चों को सामने इस तरह का हानिकारक कंटेंट नहीं आएगा। मैं आप सभी टीचर्स से भी आग्रह करूंगा कि इसको लेकर अपने विद्यार्थियों में जागरूकता जरूर पैदा करें। लेकिन इसमें दो विषय हैं, गेमिंग वो बुरा नहीं है, गैंबलिंग बुरा है। जिसमें पैसे नहीं है और आपको तो मालूम होगा, अब ओलंपिक में भी इस प्रकार के गेमिंग को एक खेल के रूप में स्वीकृति मिली है। तो वो टैलेंट का विकास होना, स्किल का विकास होना, उसमें जिस-जिस की महारत हो, उसकी ट्रेनिंग होना, वो अलग चीज है। लेकिन यह नशा हो जाए, लत लग जाए और बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो जाए, यह स्थिति देश के लिए बहुत चिंता का विषय है।
साथियों,
हमारी सरकार का प्रयास है कि हमारे नौजवान, गेमिंग के सेक्टर में ग्लोबली अपनी प्रेजेंस बढ़ाएं। भारत में भी जो क्रिएटिव वर्क करने वाले थे, जो अपने कथा वार्ता हैं, उसके आधार पर बहुत सारे गेम्स बन सकती हैं नई, हम गेमिंग के मार्केट पर दुनिया पर कब्जा कर सकते हैं जी। भारत में भी ऐसे अनेक प्राचीन खेल हैं, ऐसा कंटेंट है, जो ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में धूम मचा के रहते हैं, आज already कर रहे हैं, हम और ज्यादा कर सकते हैं। कई स्टार्टअप्स इस दिशा में शानदार काम कर भी रहे हैं। अपने स्कूलों और कॉलेजों में भी आप इसे लेकर स्टूडेंट्स को हर जानकारी देंगे, तो मैं समझता हूं कि उनको एक अच्छा करियर ऑप्शन भी मिलेगा।
साथियों,
मैंने लाल किले से अभी आपने मुझे एक सवाल पूछा था, मैं इसकी बहुत चर्चा कर लेता हूं, लाल किले से मैंने Vocal for Local स्वदेशी अपनाने का बड़ा आग्रह किया है, आह्वान किया है। स्वदेशी यानि जो कुछ भी हमारे देश में पैदा होता है, जो हमारे देश में बनता है, वो चीजें जिसमें मेरे देशवासियों के पसीने की महक है, वो चीजें जो मेरे देश की मिट्टी की सुगंध जिसमें है, वो मेरे लिए स्वदेशी है। और इसलिए और इसके प्रति हमारे गौरव होना चाहिए, हर घर पर बच्चों को कहना चाहिए भई घर पर एक बोर्ड लगाओ, जैसे हर घर तिरंगा है न, हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी और उसी प्रकार हर दुकानदार अपने यहां बोर्ड लगाए कि गर्व से कहो यह स्वदेशी है। हमें गर्व होना चाहिए कि भई यह मेरा देश का है, मेरे देश में बनता है, यह गर्व होना चाहिए, यह वातावरण बनाना चाहिए और लोकल के लिए वोकल होने के इस अभियान में टीचर्स की भी बहुत बड़ी भूमिका कर सकते हैं।
हमारे बच्चों को स्कूल, यह प्रोजेक्ट्स और गतिविधियों में “Make in India” वस्तुओं की पहचान करा सकते हैं, खेल-खेल में आप सिखा सकते हैं। एक असाइनमेंट हो सकती हैं जिसके घर में जितनी भी वस्तुएँ हैं, कितनी स्वदेशी हैं, मैंने जैसा कहा उसकी एक लिस्ट बनाएं जरा दूसरे दिन दिखाएं, लेकर के आएं और चलो भई इस महीने इतनी कम करेंगे, इस महीने इतनी कम करेंगे। धीरे-धीरे पूरा परिवार स्वदेशी हो जाएगा। मैं तो चाहूंगा स्कूल में से मान लीजिए दस क्लास हैं हमारे यहां, हर क्लास सुबह एक-आधा घंटा प्लेकार्ड लेकर के गांव में जुलूस निकाले, स्वदेशी अपनाओ। दूसरे दिन दूसरा क्लास, तीसरे दिन तीसरा क्लास। तो लगातार गांव में वातावरण बना रहेगा, स्वदेशी, स्वदेशी, स्वदेशी, मैं मानता हूं देश की आर्थिक ताकत बहुत बढ़ सकती है जी, हर व्यक्ति छोटा सा भी काम कर लें, हम जो सपना लेकर के चले हैं, 2047 में देश को विकसित भारत बनाने का और किसको नहीं लगेगा जी, देश विकसित न हो ऐसा कौन चाहेगा! कोई नहीं चाहेगा, लेकिन हमें कोशिश कहीं से करनी पड़ेगी, हमें शुरू करना पड़ेगा।
साथियों,
हम स्कूलों में अलग-अलग तरह के उत्सव भी मनाएं, उस उत्सव में भी स्वदेशी की बात ला सकते हैं। हमें देखना चाहिए कि इनमें हम क्या भारतीय उत्पादों से साज-सज्जा के लिए उपयोग में लाते हैं? आर्ट-क्राफ्ट क्लास में स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल, एक वातावरण बन जाना चाहिए, यह बच्चों में बचपन से स्वदेशी की भावना बढ़ाएगा।
साथियों,
स्कूलों में हम ऐसे कई डे मनाते हैं, “स्वदेशी डे” भी मनाएं, स्वदेशी वीक भी मनाएं, “लोकल प्रोडक्ट का डे” मनाएं, यानि हम एक कैंपेन के रूप में इस चीजों को अगर चलाएं, आप इसका नेतृत्व करें, आप समाज को नए रंग-रूप से सजने के लिए एक बहुत बड़ा contribution कर सकते हैं और जहां बच्चे अपने परिवार से कोई लोकल वस्तु लाएं और उसकी कहानी बताएं, ऐसा भी एक वातावरण बन सकता है। जो चीज़ें, कहाँ बनी, किसने बनाई और देश के लिए उसका महत्व क्या है, इस पर चर्चा होनी चाहिए। जो लोकल मैन्युफैक्चरर्स हैं, जो पीढ़ियों से कुछ न कुछ हस्तशिल्प बना रहे हैं, ऐसे परिवारों के साथ बच्चों का मेल-मिलाप हो या उनको स्कूलों में बुलाकर, उनकी बातें सुनने का एक कोई न कोई कार्यक्रम बनाया जाए। बच्चे बर्थडे मनाते हैं, तो उसके अंदर भी इस प्रकार की चीजों को जब गिफ्ट्स देते हैं, तो मैं समझता हूं मेड इन इंडिया का एक वातावरण बनें, कहें उसे, गर्व से कहें भई, यह देखिए मेड इन इंडिया है, मैं तुम्हारे लिए खास लाया हूं। कुल मिलाकर, मेड इन इंडिया को हमें अपने जीवन का आधार बनाना है, अपना दायित्व समझकर आगे बढ़ाना है और इससे युवाओं में, देशभक्ति, आत्मविश्वास और डिग्निटी ऑफ लेबर, यह जो वैल्यूज़ हैं, वो स्वाभाविक से समाज जीवन का हिस्सा बन सकते हैं। इससे हमारे नौजवान अपनी सफलता को राष्ट्र की प्रगति से जोड़ेंगे, यह विकसित भारत बनाने की सबसे बड़ी जड़ी बूटी है। मुझे विश्वास है कि आप सभी, एक शिक्षक के रूप में, राष्ट्र निर्माण के इस बड़े मिशन को कर्तव्य भाव से जुड़ेंगे और इस देश को सामर्थ्यवान बनाने के काम को आप भी अपने कंधे पर उठाएंगे, तो निश्चित ही हमें जो परिणाम चाहिए, वो परिणाम मिलेगा। आप सबको फिर से एक बार इस महत्वपूर्ण अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए, मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और जो काम आप लोग हमेशा करते हैं, वो काम आज मैं कर रहा हूं, आप लोग काम करते हैं होमवर्क देने का, तो आज होमवर्क मैंने दिया है, मुझे पूरा विश्वास है कि आप उसको पूरा करेंगे। बहुत-बहुत धन्यवाद!
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