इस्पात मंत्रालय
आइफा स्टीलेक्स 2025 - महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस्पात महाकुंभ का उद्घाटन किया
सतत और हरित इस्पात की ओर बदलाव केवल एक आर्थिक उद्देश्य नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी
प्रविष्टि तिथि:
19 SEP 2025 5:01PM by PIB Delhi
केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आइफा स्टीलेक्स-2025 के उद्घाटन सत्र और सतत इस्पात पर 37वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस सम्मेलन का आयोजन आइफा सतत इस्पात निर्माता संघ ने महाराष्ट्र इस्पात निर्माता संघ (एसएमएएम) के सहयोग से किया था तथा इसे भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) का सहयोग प्राप्त था।
मुंबई के बॉम्बे एग्जीबिशन सेंटर में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने भारत के सतत विकास और औद्योगिक परिवर्तन में हरित इस्पात के महत्व पर जोर दिया।
श्री जोशी ने कहा, ‘‘भारत का इस्पात क्षेत्र सतत औद्योगिक विकास की ओर हमारे परिवर्तन के केंद्र में है। हरित इस्पात की ओर बदलाव केवल एक आर्थिक उद्देश्य नहीं है बल्कि एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण और मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस के सक्रिय नेतृत्व के अनुरूप है।’’
उन्होंने भारत भर में कम कार्बन, भविष्य के लिए तैयार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को सक्षम बनाने में आइफा के योगदान की सराहना की। आइफा द्वितीयक इस्पात क्षेत्र में 1,800 से अधिक हितधारकों का प्रतिनिधित्व करता है।
सतत विकास में अग्रणी भूमिका के लिए महाराष्ट्र की प्रशंसा करते हुए, मंत्री महोदय ने राज्य की दूरदर्शी पहलों की सराहना की जिनमें ‘‘महाराष्ट्र मॉडल’’ के नाम से प्रसिद्ध पीएम-कुसुम योजना का सफल कार्यान्वयन भी शामिल है। उन्होंने राज्य की हरित हाइड्रोजन नीति के तहत 2030 तक 5 लाख टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन क्षमता प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य और पुणे हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर के शुभारंभ का उल्लेख किया। इससे महाराष्ट्र भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी स्थान पर आ गया है।
मंत्री महोदय ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र भारत के हरित इस्पात तंत्र में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभर रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं का इसका एकीकरण अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय मानदंड स्थापित करता है।’’
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) के तहत सरकार के जोर का उल्लेख करते हुए, श्री जोशी ने कहा कि 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय वाले इस मिशन का लक्ष्य 2030 तक सालाना 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना, 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ना, 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना, 6 लाख नौकरियां पैदा करना और प्रति वर्ष 50 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकना है।
उन्होंने बताया कि इस्पात क्षेत्र में 132 करोड़ रुपये की लागत वाली पांच प्रायोगिक परियोजनाएं पहले से ही चल रही हैं जबकि कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन को प्रमुख हरित हाइड्रोजन केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस तंत्र को सहयोग देने के लिए, सरकार ने हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना, हरित हाइड्रोजन सुरक्षा पैनल और हरित हाइड्रोजन एवं इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की पोर्टल शुरू किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हरित इस्पात अब व्यवहार्य और मापनीय है। नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रोलाइजर में सुधार और लागत में कमी इसे और अधिक प्रतिस्पर्धी बना रही है।’’
प्रधानमंत्री मोदी जी के ‘‘शून्य दोष, शून्य प्रभाव’’ और ‘‘दाम-कम, दम ज्यादा’’ के मंत्र का उल्लेख करते हुए, श्री जोशी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की हरित इस्पात औद्योगिक रणनीति किफायत, गुणवत्ता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी पर आधारित है।
उन्होंने आगे कहा कि सौर और हाइब्रिड विद्युत की कम लागत (थर्मल के लिए 6.5 रुपये प्रति यूनिट की तुलना में 4.5 रुपये प्रति यूनिट) और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों एवं इलेक्ट्रोलाइज़र पर जीएसटी में 5 प्रतिशत की कटौती के कारण 2030 तक हरित हाइड्रोजन की कीमतें 2 डॉलर प्रति किलोग्राम से नीचे आने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इन सुधारों से पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना और पीएम-कुसुम जैसी सौर परियोजनाओं नागरिकों और किसानों के लिए और अधिक किफायती हो गई हैं। उन्होंने आगे बताया कि जीएसटी में कटौती से किसानों के लिए सौर पंप की लागत 1,750 करोड़ रुपये और रूफटॉप सौर प्रणाली की लागत 9,000-10,500 रुपये प्रति यूनिट कम हो रही है, साथ ही भारत के नवीकरणीय उपकरणों को बढ़ावा मिल रहा है।
मंत्री महोदय ने घोषणा की कि इस अवसर पर 25,560 करोड़ रुपये मूल्य के सात रणनीतिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। इनसे 22,600 रोजगार सृजित होंगे और विदर्भ को भारत के इस्पात केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘अपने औद्योगिक और शैक्षणिक तंत्र के साथ, महाराष्ट्र पूर्ण पैमाने पर हरित हाइड्रोजन प्रायोगिक परियोजनाओं का नेतृत्व करने और हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला में वैश्विक योगदानकर्ता बनने के लिए अच्छी स्थिति में है।’’
श्री जोशी ने सभी हितधारकों से हरित हाइड्रोजन को अपनाने में तेजी लाने, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण को अधिकतम करने और अनुसंधान एवं विकास, नवाचार और कार्यबल कौशल में निवेश करने का आग्रह किया।
उन्होंने दोहराया कि भारत के इस्पात उद्योग को यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर एडजेस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) जैसे उभरते वैश्विक व्यापार उपायों के लिए तैयार रहना चाहिए और प्रवाहमान अर्थव्यवस्था मॉडल और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाकर अनुरूप बनाना चाहिए।
मंत्री महोदय ने आगे कहा, ‘‘बढ़ते मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) और घरेलू सुधारों के साथ, हम सालाना 5 करोड़ टन तक इस्पात निर्यात करने की कल्पना करते हैं लेकिन प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए हमें भविष्य के लिए तैयार रहना होगा।’’
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पहल के आयोजन के लिए एसोसिएशन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज हरित इस्पात के लिए एक नया बाजार उभरा है और भारत इस बाजार में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए रणनीतिक प्रगति कर रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इस लक्ष्य को प्राप्त करना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
इस कार्यक्रम में ग्रीन सर्टिफिकेट और आधिकारिक आइफा स्टीलेक्स-2025 स्मारिका का भी लोकार्पण किया गया।
ग्रीन सर्टिफिकेट उन इस्पात निर्माताओं को मान्यता देता है जो डीकार्बोनाइजेशन, ऊर्जा दक्षता और हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं।
इस स्मारिका में सतत इस्पात निर्माण में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि, नवाचार और विकास को दर्शाया गया है।
आइफा के बारे में
आइफा सस्टेनेबल स्टील मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन भारत के इस्पात निर्माण क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख उद्योग निकाय है। 1,800 से अधिक सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए—जिसमें इंडक्शन फर्नेस इकाइयां, रोलिंग मिलें, कास्टिंग इकाइयां, फैब्रिकेटर और निर्माता शामिल हैं—आइफा पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और आर्थिक रूप से व्यवहार्य प्रथाओं की वकालत करता है जो राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के अनुरूप हों।
यह एसोसिएशन उन्नत इस्पात निर्माण और प्रसंस्करण तकनीकों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिससे इसके सदस्य उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने और अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने में सक्षम होते हैं। अपने प्रमुख राष्ट्रीय सम्मेलनों एवं प्रदर्शनियों और वार्षिक उद्योग सम्मेलनों के माध्यम से, आइफा रणनीतिक संवाद को बढ़ावा देता है, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करता है, और 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात क्षमता प्राप्त करने के सरकार के लक्ष्य के साथ तालमेल को मजबूत करता है।
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पीके/केसी/पीपी/वीके
(रिलीज़ आईडी: 2169178)
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