शिक्षा मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने पीएम ईविद्या आईएसएल चैनल 31 के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर एक वीडियो संदेश साझा किया

Posted On: 23 SEP 2025 8:35PM by PIB Delhi

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2025 पर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने पीएम ईविद्या आईएसएल चैनल नंबर 31 के माध्यम से एक वीडियो संदेश साझा किया, जिसमें भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को समावेशन, पहचान और सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में मनाया गया।

उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत इस बात पर ज़ोर देते हुए की, कि इस अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर, हम दुनिया भर की सांकेतिक भाषाओं की समृद्धि का सम्मान करते हैं और भारतीय सांकेतिक भाषा को मज़बूत बनाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों का जश्न मनाते हैं। यह दिन सिर्फ़ एक स्मरणोत्सव नहीं है; यह समावेशन का उत्सव है। भारत ने हमेशा यह माना है कि "शिक्षा सबका अधिकार है" - शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। ध्यान के मौन से लेकर नमस्कार के लिए जुड़ी हुई हथेलियों तक, और हमारे नृत्यों तथा मंदिरों में आकर्षक मुद्राओं तक, हमारी सभ्यता ने हमेशा शब्दों से परे संवाद किया है। इसी गौरवशाली परंपरा में,  भारतीय सांकेतिक भाषा भी आज पूरे गर्व से शामिल है।

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विज़न का हवाला दिया, जो हमें याद दिलाता है कि एक बच्चा अपनी सर्वाधिक स्वाभाविक भाषा - अपनी मातृभाषा - में सबसे अच्छा सीखता है। उन्होंने आगे कहा कि जो बच्चे बधिर हैं या कम सुनते हैं, उनके लिए वह भाषा भारतीय सांकेतिक भाषा है। आईएसएल को मान्यता देने से यह सुनिश्चित होता है कि कक्षा में कोई भी बच्चा पीछे नहीं छूटेगा। यह हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विज़न को भी दर्शाता है, जिन्होंने कहा है कि समृद्ध भारत 2047  के लिए भारत के सफ़र में कोई भी पीछे न छूटे। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास भारतीय सांकेतिक भाषा को भारत की भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता मिलने से जीवंत हो उठता है। पिछले कुछ वर्षों में, यह सपना लगातार साकार हुआ है।

आईएसएल की प्रगति पर बोलते हुए, मंत्री महोदय ने दिसंबर 2024 में शुरू किए गए पीएम ई-विद्या आईएसएल चैनल 31 की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला। शुरुआत में इसके केवल कुछ सौ ही सब्‍स्‍क्राइबर थे, लेकिन अब इसके लगभग 10,000 सब्‍स्‍क्राइबर और 85,000 दर्शक हैं। छह घंटे के दैनिक प्रसारण के साथ, यह देश भर के बच्चों तक आईएसएल में एनसीईआरटी के पाठ पहुँचाता है। कक्षा 1 से 5 तक की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें, आसान पहुँच के लिए क्यूआर कोड के साथ, पहले से ही दीक्षा पर भारतीय सांकेतिक भाषा में वीडियो प्रारूप में उपलब्ध हैं, और कक्षा 1 से 12 [H1] तक के लिए इस पर काम चल रहा है।

इसके अलावा, भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश का विस्तार 10,000 से ज़्यादा शब्दों तक हो गया है। इस डिजिटल संग्रह में अब सैकड़ों शैक्षणिक वीडियो, फिंगर स्पेलिंग संसाधन और इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र जैसे विषयों को कवर करने वाले 2,200 से भी ज़्यादा शब्दावली वीडियो मौजूद हैं। भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश भी एक विषय के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें सीखने में सहायता के लिए 1,000  से भी ज़्यादा निर्देशात्मक वीडियो उपलब्ध हैं। ये सिर्फ़ संख्याएँ नहीं हैं - ये दर्शाते हैं, कि भारत भर के छात्रों को अपनी भाषा में पाठों तक पहुँच मिल रही है, शिक्षकों को हर शिक्षार्थी से जुड़ने का अवसर मिल रहा है और परिवारों को अपनी समझ में आने वाली भाषा में एक साथ सीखने का मौका मिल रहा है।

इन प्रयासों में एक और सहायक ऐप है प्रशस्‍त (पीआरएएसएचएएसटी), जो स्कूलों में विकलांगता की जाँच के माध्यम से शीघ्र निदान को सक्षम बनाता है, जिससे बच्चों को समय पर सहायता और व्यक्तिगत शिक्षण मार्ग मिल सके। अब तक, पीआरएएसएचएएसटी का उपयोग करके पहले स्तर पर 92 लाख छात्रों की जाँच की जा चुकी है।

आउटरीच और समय पर निदान के अलावा, आईएसएल के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने और क्षमता निर्माण के प्रयास भी किए जा रहे हैं। फरवरी में आयोजित बेसिक इंडियन साइन लैंग्वेज कोर्स में 21,000 से ज़्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया। जून में बधिर-दृष्टिहीनता कार्यक्रम और इस सितंबर में आयोजित पाँच दिवसीय इंडियन साइन लैंग्वेज सेलिब्रेशन जैसी विशेष पहलें शिक्षकों और छात्रों को आईएसएल के व्यावहारिक उपयोग के तरीके प्रदान करती हैं।

मंत्री महोदय ने इस बात पर भी जोर दिया कि ये प्रयास और सर्वोच्च न्यायालय में भारत की पहली बधिर अधिवक्ता सारा सनी तथा बधिर टेबल टेनिस में सात अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीतने वाले जी. सुरेश जैसे आदर्श व्यक्तियों से प्राप्‍त प्रेरणा, यह दर्शाते हैं कि जब व्यवस्था प्रतिभा का समर्थन करती है, तो उत्कृष्टता फलती-फूलती है।

अपने संदेश के समापन पर, मंत्री महोदय ने कहा कि भविष्य के लिए तैयार भारत को अपने मूल में समावेशी होना चाहिए। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है, भविष्य के लिए तैयार भारत को 2047 तक समावेशिता को अपनाना होगा। भारतीय सांकेतिक भाषा को हर स्कूल, हर विश्वविद्यालय और हर कार्यस्थल पर मौज़ूद होना चाहिए, एक सांस्कृतिक खज़ाने और समृद्ध भारत की हमारी यात्रा को सशक्त बनाने वाले साधन के रूप में। यह अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस केवल एक भाषा को मान्यता देने के बारे में नहीं है; यह हमारी ज़िम्मेदारी को पूरा करने के बारे में भी है,  जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा कक्षा से बाहर न छूटे, कोई भी युवा समाज से अलग-थलग न महसूस करे, और प्रत्येक शिक्षार्थी विकसित भारत 2047 की हमारी यात्रा में आत्मविश्वास से योगदान दे।

माननीय शिक्षा मंत्री का संबोधन पीएम ई-विद्या आईएसएल चैनल 31 के माध्यम से देखा जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर, शिक्षा मंत्रालय समाज को अधिक समावेशी बनाने की अपनी प्रतिबद्धता और अथक प्रयास दोहराता है। इस दिशा में एक कदम के रूप में, आईएसएल में नव-विकसित सामग्री - जिसमें 469 शैक्षणिक शब्द, भारत के 132 जिलों के सांकेतिक नाम, हिंदी, असमिया, गुजराती और मलयालम् में फिंगर स्‍पेलिंग्‍स, नेशनल बुक ट्रस्‍ट की 18 कहानियाँ और अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास तथा समाजशास्त्र से संबंधित 2,256 शब्दावलियाँ शामिल हैं -  पीएम ई-विद्या चैनल संख्या 31 (https://www.youtube.com/live/47kdEZYsMgc?si=NsqbB4TADdPgLYu_) पर उपलब्ध कराई जाएगी। इस प्रकार, यह चैनल सभी शिक्षार्थियों के लिए अधिक समग्र, आकर्षक और प्रासंगिक बन जाएगा।

*****

पीके/केसी/पीके


(Release ID: 2170442) Visitor Counter : 30
Read this release in: English