वित्त मंत्रालय
वित्तीय सेवाएं विभाग और मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति, सर्वोच्च न्यायालय ने ऋण वसूली न्यायाधिकरणों के पीठासीन अधिकारियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया
इस कार्यक्रम के दौरान मध्यस्थता की अवधारणा, न्यायिक प्रक्रिया और विभिन्न वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) उपायों के तुलनात्मक विश्लेषण के साथ ही मध्यस्थता में संवाद एवं सौदेबाजी जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई
Posted On:
28 SEP 2025 5:57PM by PIB Delhi
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीएमपी), सर्वोच्च न्यायालय के सहयोग से ऋण वसूली न्यायाधिकरणों के पीठासीन अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए 40 घंटे का मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 24 से 28 सितम्बर, 2025 तक सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त भवन परिसर में किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्तमान समय में विवाद समाधान तंत्रों की बढ़ती प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए संचालित किया गया था। मध्यस्थता को आपसी सहमति से विवादों के निपटारे की एक प्रभावी पद्धति के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मध्यस्थता की अवधारणा, न्यायिक प्रक्रिया तथा विभिन्न वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रियाओं की तुलना, मध्यस्थों की प्रक्रिया, चरण एवं भूमिका, मध्यस्थता में संचार के तरीके, मध्यस्थता हेतु संवाद, वार्ता और सौदेबाजी जैसे विविध विषयों को सम्मिलित किया गया। इस आयोजन के दौरान मध्यस्थता से जुड़े विभिन्न हितधारकों अर्थात रेफरल न्यायाधीशों, वकीलों और पक्षकारों की भूमिका पर भी चर्चा की गई। विशेष रूप से, ऋण वसूली एवं दिवालियापन (आरडीबी) अधिनियम, 1993 और एसएआरएफएईएसआई अधिनियम, 2002 के अंतर्गत डीआरटी के पीठासीन अधिकारियों द्वारा विचारित व स्वीकार किए जाने वाले मामलों पर केंद्रित प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण के दौरान शामिल किए गए विषयों की व्यापक श्रृंखला पर संतोष व्यक्त किया और 40 घंटे के मध्यस्थता प्रशिक्षण के सफल आयोजन के लिए वित्तीय सेवा विभाग तथा मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीएमपी), सर्वोच्च न्यायालय के प्रति आभार प्रकट किया।
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