जल शक्ति मंत्रालय
गंगा उत्सव 2025 - भक्ति, आस्था और सामूहिक संकल्प का एक भव्य राष्ट्रव्यापी उत्सव
प्रविष्टि तिथि:
07 NOV 2025 5:07PM by PIB Delhi
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा साझेदारी पर केंद्रित गंगा उत्सव का 9वाँ संस्करण मनाया गया। नदी संरक्षण के उद्देश्य से ज्ञान, अनुसंधान और जनभागीदारी पर केंद्रित विभिन्न साझेदारों के सहयोग से कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें उभरते मुद्दों पर चर्चा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, युवाओं के साथ विचार-विमर्श के लिए एक रिवरथॉन और नदी के साथ लोगों के जुड़ाव को मज़बूत करने के लिए बुनियादी कार्यक्रम शामिल थे। मुख्य कार्यक्रम डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या में बड़े हर्ष, भक्ति और सामूहिक ज़िम्मेदारी के साथ मनाया गया, जहाँ गंगा संरक्षण के प्रयासों का उल्लेख करने के लिए अधिकारी, छात्र और हितधारक एक साथ आए।
जीवनदायिनी मां गंगा के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जल शक्ति मंत्रालय के सचिव श्री वीएल कांता राव , एनएमसीजी के वरिष्ठ अधिकारी, जिला गंगा समिति, अयोध्या के प्रतिनिधि, छात्र और आम जनता उपस्थित थी। इनकी उत्साहपूर्ण भागीदारी ने इस समारोह को यादगार बना दिया।


कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र जल कलश की आहुति के साथ हुई - जो मां गंगा के प्रति कृतज्ञता और सामूहिक प्रार्थना का प्रतीक है - इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम, युवाओं की भागीदारी और अयोध्या के कायाकल्प प्रयासों को प्रदर्शित करने वाली लघु फिल्में दिखाई गई। जिससे यह विश्वास मजबूत हुआ कि गंगा केवल एक नदी ही नहीं है, बल्कि राष्ट्र की जीवन रेखा और सांस्कृतिक आत्मा है।
श्री वीएल कांता राव ने अपने भाषण बताया कि मंत्रालय का एक-तिहाई काम पूरी तरह से गंगा नदी को समर्पित है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि गंगा बेसिन 11 राज्यों, लगभग 100 प्रमुख शहरों और 150 ज़िलों में फैला है जो भारत की लगभग आधी आबादी और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है। उन्होंने बताया कि 10,000 से ज़्यादा नदियाँ गंगा प्रणाली से जुड़ी हैं जो इसके अपार पारिस्थितिक महत्व को रेखांकित करता है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महत्व का भी उल्लेख किया जो भारत सरकार के प्रमुख प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है और जिसकी समीक्षा सीधे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा की जाती है। प्रभावी सीवेज और नाला प्रबंधन के लिए अयोध्या को एक आदर्श शहर बताते हुए श्री वीएल कांता राव ने गंगा प्रहरी जैसे समूहों के माध्यम से मज़बूत अंतर-विभागीय समन्वय और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया ताकि नदी में गिरने वाले सभी नालों का उपचार सुनिश्चित किया जा सके। इस कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों द्वारा नदी पुनरुद्धार पर केंद्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम, वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा गंगा प्रहरियों के साथ संवाद, मछली पालन और अयोध्या के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजना पर एक विस्तृत प्रस्तुति भी शामिल थी। इस कार्यक्रम में अयोध्या प्रशासन द्वारा छोटी नदियों के पुनरुद्धार के लिए किए गए कार्यों को भी प्रदर्शित किया गया।


इस कार्यक्रम में दो महत्वपूर्ण प्रकाशनों ‘ गंगा नदी बेसिन में जलपक्षियों की स्थिति’ और ‘ द्वीपीय घोंसले के शिकार की स्थिति रिपोर्ट’ का विमोचन किया गया जो क्षेत्र के पारिस्थितिक स्वास्थ्य के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।
एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा में गंगा उत्सव समारोह
एमिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के सहयोग से “नदी की आवाज़ें और लय: तकनीकी और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ” विषय पर गंगा उत्सव मनाया गया। इस कार्यक्रम में एनएमसीजी के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया और नदी पुनरुद्धार में वैज्ञानिक नियोजन, आँकड़ों पर आधारित निर्णय लेने और सहयोगात्मक साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने एनएमसीजी के एकीकृत दृष्टिकोण—लीडार और ड्रोन-आधारित आकलन से लेकर डैशबोर्ड, जल गुणवत्ता निगरानी और शहरी नदी प्रबंधन योजनाओं तक—पर ज़ोर दिया और रिवरथॉन में भाग लेने वाले युवा नवप्रवर्तकों को कार्यान्वयन योग्य समाधान प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस समारोह के एक भाग के रूप में, कई महत्वपूर्ण संसाधन जारी किए गए, जिनमें “ ठोस अपशिष्ट जल प्रवाह को जल में रोकना: विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका” , “गंगा के रंग – बच्चों की कला श्रद्धांजलि “, और रिवरथॉन 1.0 प्रतिभागियों के लिए एलआईडीएआर LiDAR डेटा रिलीज़ शामिल हैं। इस कार्यक्रम में “नदी की लय: सांस्कृतिक अभिव्यक्ति” नामक एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें गंगा के प्रति सामूहिक श्रद्धा का उत्सव मनाया गया

आई आई टी (बीएचयू) वाराणसी में आर एच ए आर 2025 सम्मेलन
आईआईटी बीएचयू, वाराणसी में आयोजित आरएचएआर 2025 सम्मेलन ने भारत में नदी स्वास्थ्य मूल्यांकन को आगे बढ़ाने और नदी पुनरुद्धार के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मज़बूत करने पर गहन चर्चाओं के साथ समारोह को और समृद्ध बनाया। विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं ने सतत नदी प्रबंधन और एकीकृत पुनरुद्धार प्रथाओं की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया।
कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) श्री अनूप कुमार श्रीवास्तव ने "छोटी नदियों के पुनरुद्धार हेतु भूजल प्रबंधन" विषय पर तकनीकी सत्र की अध्यक्षता की। इसमें आँकड़ों पर आधारित निर्णय लेने, एकीकृत भूजल-सतही जल ढाँचे और नवीन मूल्यांकन उपकरणों पर ज़ोर दिया गया। उन्होंने एसएलसीआर टीम द्वारा लिखित उभरते प्रदूषकों पर एक पुस्तक का भी लोकार्पण किया। कक्षा 9 से स्नातक स्तर तक के छात्रों द्वारा प्रस्तुत तस्वीरों, पोस्टरों, मॉडलों और प्रस्तुतियों की एक प्रदर्शनी ने रचनात्मक विचारों और नदी संरक्षण के प्रति युवाओं की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया गया।

विभिन्न स्थानों पर आयोजित समारोह हितधारकों के बीच सार्थक बातचीत के साथ संपन्न हुए जो पवित्र गंगा के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए समर्पित एक एकीकृत राष्ट्रव्यापी प्रयास का प्रतीक है।
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पीके/केसी/एनकेएस
(रिलीज़ आईडी: 2187728)
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