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इफ्फी 2025 में शांति और अहिंसा को बढ़ावा देने वाली उत्कृष्ट फिल्म रचनात्मकता को आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक से सम्मानित किया जाएगा
Posted On:
09 NOV 2025 8:14PM by PIB Delhi
46वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में शुरू किया गया, आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक, आईसीएफटी पेरिस के सहयोग से यूनेस्को के तत्वावधान में प्रदान किया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। यह पुरस्कार शांति, संवाद और अहिंसा के गांधीवादी दृष्टिकोण को व्यक्त करने वाली उत्कृष्ट फिल्म को दिया जाता है।
इस वर्ष की 10 उल्लेखनीय फिल्मों का मूल्यांकन एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल द्वारा किया जाएगा, जिसमें डॉ. अहमद बेदजौई, फिल्म एवं टेलीविजन निर्देशक-निर्माता और अल्जीयर्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के कलात्मक निदेशक (निर्णायक मंडल के अध्यक्ष), ज़ुएयान हुन, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म, टेलीविजन एवं ऑडियो-विजुअल संचार परिषद (सीआईसीटी-आईसीएफटी) के उपाध्यक्ष और रचनात्मकता एवं नवाचार मंच (पीसीआई) के निदेशक, सर्ज मिशेल, यूनिका (यूनियन इंटरनेशनेल डू सिनेमा) के उपाध्यक्ष, टोबियास बियानकोन, अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आईटीआई) के पूर्व महानिदेशक और जॉर्जेस ड्यूपॉंट, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म, टेलीविजन एवं ऑडियो-विजुअल संचार परिषद (सीआईसीटी-आईसीएफटी) के महानिदेशक और यूनेस्को में पूर्व वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय सिविल सर्वेंट शामिल होंगे।
ब्राइड्स
प्लेराईट और फिल्म निर्माता नादिया फॉल्स की पहली ड्रामा फिल्म ब्राइड्स का प्रीमियर सनडांस फिल्म फेस्टिवल 2025 में हुआ, जहां इसे विश्व सिनेमा (ड्रामाटिक) श्रेणी में ग्रैंड जूरी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
यह फ़िल्म दो ब्रिटिश-मुस्लिम किशोर लड़कियों की यात्रा पर आधारित है जो अपने कष्टमय जीवन और घरों से भागकर अपना अस्तित्व तलाशती हैं। लेकिन जब तक उनका सामना अपने अतीत से नहीं होता, तब तक उन्हें अपनी नई यात्रा का कोई मतलब नहीं समझ आता।
यह फिल्म अतिशयोक्ति से बचते हुए, कट्टरपंथ के मुद्दे, युवाओं की पहचान, आस्था, संबद्धता और पसंद के संघर्ष को मानवीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है।
सेफ हाउस (मूल शीर्षक - फार मार्केट)
नॉर्वेजियन लेखक और फिल्म निर्देशक एरिक स्वेन्सन द्वारा निर्देशित "सेफ हाउस", नॉर्वेजियन फिल्म निर्माताओं की नई पीढ़ी की एक प्रभावशाली युद्ध-ड्रामा फिल्म है। इस फिल्म का विश्व प्रीमियर 48वें गोटेबोर्ग फिल्म महोत्सव 2025 में उद्घाटन फिल्म के रूप में हुआ, जहाँ इसे ऑडियंस ड्रैगन पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ नॉर्डिक फिल्म) मिला।
सच्ची घटनाओं पर आधारित यह फिल्म मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में 2013 के गृहयुद्ध के दौरान बांगुई के डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स अस्पताल में 15 घंटे तक चले तनावपूर्ण अनुभव पर आधारित है। सेफ़ हाउस एक रोमांचक और यथार्थवादी ड्रामा है, जो मानवता, साहस और देखभाल के नैतिक मूल्यों पर आधारित है।
हाना
पुरस्कार विजेता कोसोवो फिल्म निर्माता उजकन ह्यसाज की पहली फिल्म हाना का विश्व प्रीमियर 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2025 में होगा।
यह फिल्म एक ऐसी अभिनेत्री की कहानी है जो कोसोवो के एक महिला पुनर्वास केंद्र में कला चिकित्सा कार्यक्रम में भाग लेती है। वह युद्धग्रस्त महिलाओं को कला के माध्यम से अपना दुख व्यक्त करने में मदद करती है। लेकिन जब वह इन कहानियों को सुनती है, तो उसके अपने दबे हुए घाव और पहचान फिर से सामने आ जाते हैं।
हाना स्मृति, उपचार और कला की शक्ति के बारे में एक गहन भावनात्मक और विचारोत्तेजक फिल्म है, जो उन घावों को उजागर करती है जिन्हें इतिहास दफनाना चाहता है।
के पॉपर
ईरानी अभिनेता और पटकथा लेखक इब्राहिम अमिनी ने फिल्म के पॉपर से निर्देशन में पदार्पण किया। इस फिल्म का प्रीमियर टालिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल 2025 में हुआ।
फिल्म एक ईरानी किशोरी की कहानी है जो एक के-पॉप आइडल पर बेहद मोहित है। वह उसका शो देखने और एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए सियोल जाने का फैसला करती है। उसकी माँ का कड़ा विरोध उनके रिश्ते में सपनों, डर और पीढ़ीगत मूल्यों के टकराव को जन्म देता है।
गर्मजोशी और संयमित तरीके से कही गई, के पॉपर युवा आकांक्षाओं, एकतरफा रिश्तों, माता-पिता की चिंताओं और हम जो चाहते हैं और जो हमें अनुमति है, उसके बीच बढ़ते अंतर का गहन अध्ययन है।
द प्रेसिडेंट्स केक (मूल शीर्षक - ममलकेत अल-क़साब)
इराकी लेखक, फिल्म निर्माता और शिक्षक हसन हादी "द प्रेसिडेंट्स केक" के साथ निर्देशन में पदार्पण कर रहे हैं। इस फिल्म का विश्व प्रीमियर 2025 के कान फिल्म समारोह के डायरेक्टर्स फ़ोर्टनाइट सेक्शन में हुआ था, जहाँ इसने इस सेक्शन का ऑडियंस अवार्ड और कैमरा डी'ओर जीता था। इसे 98वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म के लिए इराकी प्रविष्टि के रूप में चुना गया था।
1990 के दशक के इराक पर आधारित यह फिल्म 9 साल की लामिया की कहानी है, जिसे राष्ट्रपति के जन्मदिन का केक बनाने का काम सौंपा गया है। राजनीतिक अशांति के दौर में, जब लोग संयुक्त राष्ट्र के खाद्य प्रतिबंधों के तहत रोजमर्रा की जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वह इस जरूरी काम के लिए सामग्री जुटाने में संघर्ष करती है और अगर वह नाकाम रहती है तो उसे सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।
भूख के बार-बार आने वाले भाव के जरिए, यह फिल्म युद्ध और राजनीतिक उथल-पुथल में फँसे बच्चों के असहाय होने और उनकी कमजोरी को उजागर करती है। आटे की तलाश से शुरू होने वाली इस फिल्म की कहानी, भोजन, सुरक्षा और बचपन के अधिकार से वंचित होने का एक भयावह रूपक बन जाती है।
द वेव (मूल शीर्षक – ला ओला)
चिली सिनेमा के अग्रणी फिल्म निर्माताओं में से एक, सेबेस्टियन लेलियो अपनी पहली संगीतमय ड्रामा फिल्म, "द वेव" लेकर आए हैं।
इस फिल्म का प्रीमियर कान फिल्म महोत्सव 2025 में होगा। 2018 के चिली नारीवादी विरोध और हड़तालों से प्रेरित, यह फिल्म एक विश्वविद्यालय की छात्रा जूलिया की कहानी है, जो एक उभरते आंदोलन के संदर्भ में हुए यौन उत्पीड़न की वास्तविकताओं से जूझती है।
लेलियो ने संगीतमय रूप और राजनीतिक तात्कालिकता का एक साहसिक मिश्रण प्रस्तुत किया है - जिसमें उन्होंने सामूहिक आक्रोश को एक करिशमाई सिनेमा में बदलने के लिए नृत्यकला, कोरस और शोधनात्मक प्रदर्शनों का उपयोग किया है।
याकुशिमास इल्यूजन (मूल शीर्षक - एल'इल्यूज़न डी याकुशिमा)
प्रशंसित जापानी लेखिका नाओमी कावासे ने इस अस्तित्ववादी नाटक के लिए लक्ज़मबर्ग-जर्मन अभिनेत्री विकी क्रिप्स के साथ मिलकर काम किया है, जिसका प्रीमियर लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल 2025 में हुआ था, जहां इसे गोल्डन लेपर्ड के लिए नामांकित किया गया था।
जापान में एक फ्रांसीसी प्रत्यारोपण समन्वयक अपने लापता साथी की तलाश करते हुए एक लड़के की जान बचाने का काम करती है, जो देश के हजारों वार्षिक 'जोहात्सु' में से एक बन जाता है जो ऐसे लोग होते हैं जो बिना किसी निशान के गायब हो जाते हैं।
कावासे की विशिष्ट शैली में, यह फिल्म मृत्यु, परित्याग और मानव जीवन को बांधने वाले अदृश्य धागों पर गहन चिंतन के रूप में दर्शकों के सामने आती है।
तन्वी द ग्रेट
सिनेमाघरों में सफल प्रदर्शन के बाद, अभिनेता और निर्देशक अनुपम खेर की प्रशंसित निर्देशित फिल्म तन्वी द ग्रेट का इफ्फी में प्रीमियर हो रहा है।
ऑटिज्म से पीड़ित तन्वी रैना, अपने दिवंगत भारतीय सैनिक पिता के सियाचिन ग्लेशियर पर ध्वज को सलामी देने के सपने को साकार करती है। सैन्य सेवा में ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों के सामने आने वाली बाधाओं के बावजूद, वह अपने मिशन को पूरा करने का संकल्प लेती है।
तन्वी के सफर के माध्यम से, फिल्म दिखाती है कि साहस, मजबूत दिल और दृढ़ संकल्प ही सच्चे नायकों की पहचान होते हैं।
व्हाइट स्नो
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता और पूर्व आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक विजेता प्रवीण मोरछले की नवीनतम फीचर फिल्म एक उर्दू भाषा के ड्रामा, "व्हाइट स्नो" से प्रेरित है। इस परियोजना को 21वें हांगकांग-एशिया फिल्म फाइनेंसिंग फोरम (एचएएफ) अनुदान के लिए भी चुना गया था।
एक युवा फिल्म निर्माता आमिर की फिल्म को एक पहाड़ी क्षेत्र के एक धार्मिक नेता ने पहली स्क्रीनिंग के बाद प्रतिबंधित कर दिया, सिर्फ़ इसलिए कि इसमें प्रसव के बाद रक्त स्राव दिखाया गया है - एक प्राकृतिक क्षण जिसे समाज के लिए विघटनकारी माना जाता है। कोई उम्मीद न देखकर, उनकी माँ फ़ातिमा, आमिर के कलात्मक सपने को पूरा करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर, एक याक पर एक छोटा सा टीवी और डीवीडी प्लेयर लेकर दूरदराज के गाँवों में जाती हैं।
यह फिल्म उत्पीड़न और पितृसत्तात्मक नियंत्रण की तीखी आलोचना करती है।
विमुक्त (अंग्रेजी शीर्षक – इन सर्च ऑफ द स्काई)
जितंक सिंह गुर्जर की संवेदनशील फीचर ड्रामा का प्रीमियर टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (टीआईएफएफ) में हुआ और इसने प्रतिष्ठित नेटपैक पुरस्कार जीता, जिससे एक समकालीन स्वतंत्र फिल्म निर्माता के रूप में उनकी सशक्त पहचान को और मजबूती मिली।
ब्रज भाषा की यह भारतीय फिल्म गरीबी से त्रस्त एक बुजुर्ग दंपति की कहानी है, जो अपने बौद्धिक रूप से दिव्यांग बेटे के इलाज की उम्मीद में महाकुंभ मेले की तीर्थयात्रा पर जाते हैं।
यह फिल्म आस्था, निराशा, मजबूती और दिव्यांगता से जुड़े सामाजिक भेदभाव जैसे विषयों को दर्शाती है।
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पीके/केसी/डीवी
(Release ID: 2188173)
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