उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
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उपभोक्ता कार्य विभाग ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 'उद्गम देश' फ़िल्टर अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया

प्रविष्टि तिथि: 10 NOV 2025 4:16PM by PIB Delhi

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य विभाग ने विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज़) (द्वितीय) संशोधन नियम, 2025 का मसौदा जारी किया है। इसमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के लिए ऑनलाइन बेची जाने वाली पैकेज्ड कमोडिटीज़ के लिए 'उद्गम देश' के आधार पर खोज योग्य और क्रमबद्ध फ़िल्टर प्रदान करना अनिवार्य करने का प्रस्ताव है। इससे ऑनलाइन शॉपिंग में उपभोक्ता सशक्तिकरण और पारदर्शिता बढ़ेगी।

इस संशोधन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को ऑनलाइन खरीदारी करते समय उत्पादों के उद्गम स्रोत की आसानी से पहचान करने की सुविधा देकर उन्हें खरीदारी संबंधी निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। यह प्रस्तावित सुविधा उपभोक्ताओं को उनके उद्गम स्रोत के अनुसार उत्पादों को खोजने और छांटने में सक्षम बनाएगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और विशाल उत्पाद सूची में ऐसी जानकारी ढूंढने में लगने वाला समय कम होगा।

विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड वस्तुएं) नियम, 2011 के नियम 6 के उपनियम (10) में निम्नलिखित को शामिल किया जाएगा, अर्थात् - "बशर्ते कि आयातित उत्पादों को बेचने वाली प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई अपने उत्पाद सूचीकरण के साथ उद्गम देश के लिए खोज योग्य और क्रमबद्ध फ़िल्टर प्रदान करेगी।"

संशोधन नियमों का मसौदा सार्वजनिक परामर्श के लिए विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया गया है और हितधारकों से 22 नवंबर, 2025 तक dirwm-ca[at]nic[dot]in, ashutosh.agarwal13[at]nic[dot]in, या mk.naik72[at]gov[dot]in पर टिप्पणियां आमंत्रित हैं। मसौदा अधिसूचना मंत्रालय की वेबसाइट पर यहाँ देखी जा सकती है।

यह संशोधन 'मेड इन इंडिया' उत्पादों को आसानी से खोज योग्य बनाकर 'आत्मनिर्भर भारत' और 'वोकल फॉर लोकल' पहल का प्रत्यक्ष समर्थन करता है। यह भारतीय निर्माताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है, घरेलू उत्पादों को आयातित वस्तुओं के बराबर दृश्यता प्रदान करने में मदद करता है और उपभोक्ताओं को स्थानीय रूप से निर्मित विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करता है। उद्गम देश फ़िल्टर की शुरुआत से अनुपालन की कुशलतापूर्वक निगरानी, ​​उत्पाद जानकारी की पुष्टि और उल्लंघनों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी, वो भी प्रत्येक सूची की बिना मैन्युअल समीक्षा की आवश्यकता के।

यह प्रस्तावित संशोधन एक पारदर्शी, उपभोक्ता-अनुकूल और प्रतिस्पर्धी ई-कॉमर्स प्रणाली के निर्माण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है और डिजिटल बाजारों में उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाता है।

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पीके/केसी/एके/केके


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