जनजातीय कार्य मंत्रालय
प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक-सह-जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया
“यह संग्रहालय देश के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान से भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा” —प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
Posted On:
01 NOV 2025 9:20PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक-सह-जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया। यह संग्रहालय देश के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों, खासकर ब्रिटिश दमन का विरोध करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान शहीद वीर नारायण सिंह के शौर्य, साहस और बलिदान को जीवंत श्रद्धांजलि है।
संग्रहालय का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी ने संग्रहालय की दीर्घाओं का अवलोकन किया, जो औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के वीरतापूर्ण संघर्षों को जीवंत रूप से दर्शाती हैं। प्रधानमंत्री ने इस संग्रहालय को उत्कृष्ट रूप से तैयार करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ के वीर योद्धाओं के राष्ट्र के प्रति योगदान का जीवंत दर्शन कराता है और उनकी वीरतापूर्ण विरासत भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि आदिवासी समुदायों के गौरवशाली इतिहास, साहस और बलिदान का प्रतीक यह स्मारक-सह-संग्रहालय छत्तीसगढ़ के लोगों को समर्पित है। यह संग्रहालय आने वाली पीढ़ियों के लिए उनके पूर्वजों की कहानियों को संरक्षित करेगा।
प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को संग्रहालय की प्रमुख विशेषताओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि स्मारक-सह-संग्रहालय का निर्माण 50 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है, जिसमें 14 दीर्घाओं में लगभग 650 मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं। आगंतुकों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आदिवासी विद्रोहों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए डिजिटल सुविधा भी विकसित की गई हैं।

इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया, "आदि शौर्य" नामक ई-पुस्तिका का विमोचन किया और शहीद वीर नारायण सिंह के वंशजों से बातचीत कर उनका हालचाल जाना। "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के अंतर्गत, प्रधानमंत्री ने इस संग्रहालय परिसर में एक पौधा भी लगाया।
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रमन डेका, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम, केन्द्रीय राज्य मंत्री (जनजातीय कार्य) श्री दुर्गादास उइके, केन्द्रीय जनजातीय कार्य सचिव श्रीमती रंजना चोपड़ा, प्रमुख सचिव (जनजातीय कल्याण) श्री सोनमणि बोरा, निदेशक (जनजातीय कार्य मंत्रालय) श्रीमती दीपाली मासिरकर, आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर, निदेशक टीआरटीआई श्रीमती हिना अनिमेष नेताम, शहीद वीर नारायण सिंह के वंशज और राज्य जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
संग्रहालय की मुख्य विशेषताएं
शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक-सह-जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय विषयगत दीर्घाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से छत्तीसगढ़ के जनजातीय प्रतिरोध की कहानी प्रस्तुत करता है:
- स्वागत क्षेत्र: छत्तीसगढ़ के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के साहस, बलिदान और विरासत से परिचय कराता है।
- प्रारंभिक दीर्घाएं: जनजातीय जीवन शैली और मराठा एवं ब्रिटिश शोषण के कारण उत्पन्न व्यवधान को दर्शाती हैं।
- स्वतंत्रता संग्राम: हल्बा क्रांति, सरगुजा क्रांति, भोपालपट्टनम क्रांति, परलकोट क्रांति, तारापुर क्रांति, मेरिया क्रांति, कोई क्रांति, लिंगागिरी क्रांति, मुरिया क्रांति और गुंडाधुर एवं लाल कालिन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली प्रतिष्ठित भूमकाल क्रांति जैसे प्रमुख विद्रोहों को शामिल किया गया है।
- महिला प्रतिरोध: रानी चो-रिस क्रांति (1878) पर प्रकाश डाला गया जो एक महिला के नेतृत्व में अग्रणी विरोध था।
- शहीद वीर नारायण सिंह और 1857 का विद्रोह: ब्रिटिश अत्याचार के विरुद्ध उनके विद्रोह और छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनकी शहादत का वृत्तांत शामिल।
- स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी: यह संग्रहालय झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह को प्रदर्शित करता है, जो महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों में आदिवासी भागीदारी को दर्शाता है।
- स्मारक क्षेत्र: यह शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि है, जो जनजातीय प्रतिरोध की पराकाष्ठा और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान का प्रतीक है।
यह संग्रहालय 650 मूर्तियों, डिजिटल तौर पर उपलब्ध कहानियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के माध्यम से शिक्षा और प्रेरणा के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र के रूप में कार्य करता है और देश की जनजातीय विरासत के गुमनाम नायकों को सम्मानित करता है।
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