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भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ने संसद परिसर में भगवन बिरसा मुंडा को पुष्पांजलि अर्पित की

प्रविष्टि तिथि: 15 NOV 2025 4:11PM by PIB Delhi

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू; भारत के उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति श्री सी. पी. राधाकृष्णन; लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला; संसदीय कार्य मंत्री एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू; राज्य सभा के उप सभापति श्री हरिवंश; सांसदगण; पूर्व सांसद तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने आज संसद परिसर स्थित प्रेरणा स्थल पर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती—जनजातीय गौरव दिवस—के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

इसके पूर्व, श्री बिरला ने X पर एक संदेश में लिखा, “स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय सेनानी, आदिवासी अस्मिता और स्वाभिमान के अमर प्रतीक धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि और देशवासियों को जनजातीय गौरव दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सीमित संसाधनों में रहते हुए भी उन्होंने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए जो साहसिक संघर्ष छेड़ा, वह विदेशी शासन के विरुद्ध एक प्रज्वलित क्रांति बनकर उभरा और पूरे देश में स्वतंत्रता की चेतना का विस्तार हुआ। शोषितों, वंचितों और आदिवासी समाज की आवाज बने बिरसा मुंडा जी ने अपने संकल्प, त्याग और अद्भुत नेतृत्व से असंख्य युवाओं में राष्ट्रीयता, आत्मगौरव और न्याय की लौ प्रज्वलित की। उनका जीवन राष्ट्र की सामूहिक स्मृति में सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा, हमें कर्तव्यनिष्ठा, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक गरिमा की ओर सतत अग्रसर होने का मार्ग दिखाता रहेगा।”

भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने उलगुलान (क्रांति) के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया, प्रतिरोध और स्वतंत्रता की प्रतीक बन गए। उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने राष्ट्रीय जागरूकता को जागृत किया, और उनकी विरासत आज भी भारत के जनजातीय समुदायों द्वारा श्रद्धा और गर्व के साथ याद की जाती है।

2021 से, 15 नवम्बर को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है, ताकि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को सम्मानित किया जा सके। जनजातीय समुदायों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्होंने अनेक क्रांतिकारी आंदोलनों के माध्यम से अपना योगदान दिया। यह दिन उनके समृद्ध इतिहास, संस्कृति और धरोहर का उत्सव है, और इसके जरिए देश भर में उनके योगदान को एकजुटता, गर्व और सम्मान प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।

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