अंतरिक्ष विभाग
azadi ka amrit mahotsav

'अंतरिक्ष' भारत के लिए एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में वैश्विक स्थान सुनिश्चित करेगा: डॉ. जितेंद्र सिंह


निजी क्षेत्र में उछाल से अंतरिक्ष क्षेत्र में भागीदारी और निवेश के लिए भारत एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य के रूप में उभरा है : डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन (आईआईएससी) 2025 का विषय भारत की नवाचार-संचालित अंतरिक्ष यात्रा को उजागर करेगा : डॉ. जितेंद्र सिंह

गति शक्ति से लेकर टेलीमेडिसिन तक अंतरिक्ष तकनीक अब शासन का केंद्र बिंदु है: मंत्री

Posted On: 18 NOV 2025 6:11PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि "अंतरिक्ष" दुनिया में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में भारत के लिए वैश्विक स्थान सुनिश्चित करेगा।

वैश्विक अंतरिक्ष व्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका की ओर इशारा करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में जुड़ाव और निवेश के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य के रूप में तेज़ी से उभर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हाल के महीनों में देश का दौरा करने वाले कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों की इस क्षेत्र में बढ़ती रुचि से यह परिलक्षित होता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र एक निर्णायक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है जो इस वर्ष के भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन (आईआईएससी) 2025 के विषय - "विस्तारित क्षितिज : नए अंतरिक्ष युग में नवाचार, समावेश और लचीलापन" को सीधे दर्शाता है। भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के नेताओं, वैश्विक एजेंसियों, राजनयिकों और स्टार्ट-अप्स को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किए गए सुधारों ने एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है जहाँ प्रतिभा, प्रौद्योगिकी और निवेश मिलकर भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार दे सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह विषय वस्तु "बहुत सोच-समझकर तैयार की गई" है क्योंकि यह भारत के तेज़ी से बढ़ते अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में दिखाई देने वाली नई ऊर्जा को दर्शाती है। श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में वैज्ञानिक क्षमता हमेशा से रही है, लेकिन निर्णायक मोड़ तब आया जब नीति निर्माताओं ने ऐसा माहौल बनाया जिसने नवाचार और व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित किया। 2019 से शुरू किए गए सुधारों, जिनमें इस क्षेत्र को निजी खिलाड़ियों के लिए खोलना, इन- स्पेस को एकल-खिड़की नियामक निकाय के रूप में स्थापित करना और 2023 में अंतरिक्ष नीति जारी करना शामिल है। इन कदमों ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष परिदृश्य में अपनी भूमिका का विस्तार करने में मदद की है।

विषय वस्तु के "समावेशी" पहलू पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने से स्टार्ट-अप, छात्र, उद्योग और नागरिक उस क्षेत्र में आ गए हैं जो कभी एक बंद क्षेत्र था। अब हज़ारों लोग रॉकेट प्रक्षेपण को प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं और कुछ ही वर्षों में 300 से ज़्यादा अंतरिक्ष स्टार्ट-अप उभरकर सामने आए हैं। उनमें से कई ने विदेशी निवेश हासिल किया है और तेज़ी से विकास किया है, जिससे उस उद्यमशील प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ है जिसका लंबे समय से दोहन नहीं हुआ था।

"नवाचार" के संदर्भ में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की उपलब्धियों का उल्लेख किया। जिनमें चंद्रयान के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने और चंद्रमा पर पानी की खोज से लेकर सफल मंगलयान मिशन और एक साथ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण करना शामिल है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत का सबसे महत्वपूर्ण योगदान शासन और नागरिक कल्याण के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के लगभग 70% अंतरिक्ष अनुप्रयोग अब जीवन को आसान बनाने में सहायक हैं। उन्होंने बुनियादी ढाँचे की योजना के लिए गति शक्ति, भूमि मानचित्रण के लिए स्वामित्व, उपग्रह-सक्षम आपदा प्रबंधन, दूरदराज के क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन और रेलवे सुरक्षा प्रणालियों का हवाला दिया, जो बाधाओं का पहले ही पता लगा सकती हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह दृष्टिकोण "लचीलेपन" को भी मज़बूत करता है, जो सम्मेलन की विषय वस्तु का एक अन्य मुख्य तत्व है, क्योंकि उपग्रह-आधारित सेवाएँ अब पूरे देश में आपदा प्रतिक्रिया, कृषि, मौसम पूर्वानुमान और कनेक्टिविटी का समर्थन करती हैं। भारत इन क्षमताओं का विस्तार पड़ोसी देशों तक भी कर रहा है, जहाँ उपग्रह भूटान, मालदीव, श्रीलंका, नेपाल और म्यांमार को सहायता प्रदान कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जापान, इटली और कई अन्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों द्वारा दिखाया गया विश्वास अंतरिक्ष साझेदारी के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति को और मज़बूत करता है। उन्होंने अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर करने और भारत के वैश्विक विस्तार के लिए आवश्यक नीतिगत वातावरण तैयार करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया।

आईआईएससी 2025 में मंत्रालयों, उद्योग, अंतरिक्ष एजेंसियों, निवेशकों, स्टार्ट-अप्स और शिक्षा जगत के लोगों को एक साथ लाने के अवसर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह विचार-विमर्श एक नवोन्मेषी, समावेशी और सुदृढ़ अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में भारत के प्रयासों को और मज़बूत करेगा। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के पाँच गुना बढ़ने के अनुमान के साथ, भारत इस वर्ष की विषय वस्तु में परिलक्षित दृष्टिकोण के अनुरूप, वैश्विक अंतरिक्ष व्यवस्था में एक मज़बूत स्थिति हासिल करने के लिए तैयार है।

***

पीके/केसी/जेएस/एसएस


(Release ID: 2191382) Visitor Counter : 55
Read this release in: English , Urdu