जल शक्ति मंत्रालय
डीडीडब्ल्यूएस ने पहला बहुभाषी सुजल ग्राम संवाद आयोजित किया; ग्रामीणों ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत बदलाव की कहानियां साझा कीं
ग्राम पंचायत मुख्यालयों, गांवों, जिलों, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों और डीडीडब्ल्यूएस को क्षेत्रीय भाषा संवाद के जरिए जोड़ने वाला अपनी तरह का पहला मंच हैं
यहां देश भर के लोग अपनी भाषाओं में जमीन से जुड़ी आवाजें और अनुभव सुनते हैं
प्रविष्टि तिथि:
18 NOV 2025 7:13PM by PIB Delhi
आज जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) की ओर से आयोजित पहला सुजल ग्राम संवाद एक राष्ट्रीय मंच के तौर पर उभर कर सामने आया, जहां 12 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीणों ने अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के अंतर्गत अपने संघर्ष, दृढ़ संकल्प और परिवर्तन की कहानियां साझा कीं।
ग्राम प्रतिनिधियों ने बताया कि कैसे सुरक्षित नल के पानी की पहुंच ने स्वास्थ्य में सुधार किया, पानी से पैदा होने वाली बीमारियों को कम किया, लड़कियों को नियमित रूप से स्कूल जाने में सक्षम बनाया, महिलाओं को घंटों पानी इकट्ठा करने से मुक्ति दिलाई और आजीविका के अवसरों को मजबूत किया। समुदायों ने बताया कि कैसे वे मोटरों और पाइपलाइनों की मरम्मत, निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने, जल की गुणवत्ता का परीक्षण करने, जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने, उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह और शिकायत निवारण प्रणालियां स्थापित करने के लिए एक साथ आए।
उड़िया, तमिल, हिंदी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, मिजो, राजस्थानी, मणिपुरी, तेलुगू, माघी और बुंदेलखंडी भाषाओं में ईमानदारी और भावुकता के साथ साझा की गई इन कहानियों को देश भर में 1,500 से अधिक प्रतिभागियों ने सुना। 800 से अधिक लोग चर्चात्मक माध्यम से जुड़े, जबकि उतनी ही संख्या में लोग यूट्यूब के माध्यम से जुड़े, जिससे यह संवाद सचमुच सुनने का एक राष्ट्रीय मंच बना।

डीडीडब्ल्यूएस सचिव और बेलागाम गांव, जिला - गंजम, ओडिशा के प्रतिनिधियों के बीच उड़िया भाषा में लाइव संवाद
गांवों की कहानियां: बदलाव की आवाजें
ओडिशा - बेलागाम गांव, जिला - गंजम
संवाद की शुरुआत बेलागाम गांव से हुई, जहां ग्रामीणों ने बताया कि कैसे उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह, जल गुणवत्ता परीक्षण और सामुदायिक स्तर पर निगरानी ने दैनिक जल आपूर्ति को मजबूत किया है। डीडीडब्ल्यूएस सचिव ने उनके साथ उड़िया भाषा में बातचीत की और उनके सामुदायिक नेतृत्व और महिलाओं की भागीदारी की सराहना की।
मध्य प्रदेश – ब्योहारी गांव, जिला - सिवनी
बियोहारी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि कैसे वे मोटरों को चालू रखने, पाइपलाइनों की तुरंत मरम्मत करने, बिजली की समस्याओं का समाधान करने और पानी बचाने व रिसाव रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के लिए सामूहिक रूप से काम करते हैं। उन्होंने स्वस्थ बच्चों और महिलाओं के लिए कम श्रमसाध्य काम के बारे में बात की।
राजस्थान – निर्झरना गांव, जिला - दौसा
निर्झरना गांव के प्रतिनिधियों ने राजस्थानी में बताया कि कैसे जल जीवन मिशन ने उनके दैनिक जीवन को बदल दिया है - सम्मान, स्थायित्व और बेहतर स्वास्थ्य लाया है। एनजेजेएम की संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीणा नाइक ने स्थानीय भाषा में उनसे बातचीत की और उनकी पारंपरिक प्रथाओं, जल संरक्षण उपायों और जल आपूर्ति प्रणाली के समुदाय-नेतृत्व वाले प्रबंधन की सराहना की।
तमिलनाडु – अलिंजीवक्कम गांव, जिला – तिरुवल्लूर
अलिंजीवक्कम के ग्रामीणों ने बताया कि कैसे नियमित नल के पानी की आपूर्ति से परिवार के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और महिलाओं को लंबी दूरी तक पैदल चलने की जरूरत कम हुई है। यहां ग्राम जल सेवा केंद्र (वीडब्ल्यूएससी) आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) और आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर समुदायों को संगठित करने, सुरक्षित जल प्रथाओं को प्रोत्साहन देने और गांव की जल आपूर्ति प्रणाली में भागीदारी को मजबूत करने के लिए काम करता है।
महाराष्ट्र – सरोला गांव, जिला – पुणे
सरोला गांव के लोगों ने बताया कि कैसे नल कनेक्शनों ने स्वास्थ्य, स्वच्छता और घरेलू दिनचर्या में सुधार किया है। महिलाओं ने घर-घर पानी की उपलब्धता से समय की बचत और आय पैदा करना और स्वयं सहायता समूह गतिविधियों के लिए नए अवसर पैदा करने की बात कही। उन्होंने नियमित आधार पर जल गुणवत्ता निगरानी के बारे में भी बताया।
मिजोरम – खावरुहलियां गांव, जिला – आइजोल
मिजो में बातचीत करते हुए, खावरुहलियां के ग्रामीणों ने बताया कि कैसे उनके ग्राम पंचायत इलाके की चुनौतियों के बाद भी जल आपूर्ति योजनाओं का संचालन और रखरखाव सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने निर्बाध सेवा सुनिश्चित करने के लिए झरनों के संरक्षण, पाइपलाइन की मरम्मत और सामुदायिक निगरानी के अपने तरीकों पर प्रकाश डाला।
पंजाब – परचा गांव, जिला – गुरदासपुर
पंजाबी में बोलते हुए, परचा के ग्रामीणों ने बताया कि कैसे नियमित नल जल आपूर्ति ने दैनिक जीवन को आसान बना दिया है और महिलाओं पर तनाव कम किया है। उन्होंने नियमित जल गुणवत्ता जांच, जल स्रोतों के पास वृक्षारोपण अभियान और दैनिक कार्यों के प्रबंधन में महिला समूहों की सशक्त भूमिका के बारे में बताया।
गुजरात – तखतगढ़ गांव, जिला – साबरकांठा
ग्रामीणों ने बताया कि उनकी उपयोगकर्ता-शुल्क संग्रह प्रणाली सुदृढ़ रूप से स्थापित है। राज्य टीम ने बताया कि कैसे पीएसीएस (प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियां) गांव की जल आपूर्ति प्रणाली के प्रबंधन और सुदृढ़ीकरण में ग्राम पंचायत का सहयोग कर रही हैं।
मणिपुर – लैरेनजम गांव, जिला – इंफाल पश्चिम
लैरेनजम गाव के प्रतिनिधियों ने मणिपुरी भाषा में बोलते हुए बताया कि कैसे जल जीवन मिशन ने स्वास्थ्य में सुधार किया है, श्रमशीलता को कम किया है और महिलाओं को सम्मान दिलाया है। उन्होंने जल गुणवत्ता की निगरानी, पाइपलाइनों की मरम्मत और समुदाय के सदस्यों को संगठित करने में अपनी कार्यप्रणाली के बारे में बताया।
बिहार – कचरियाडीह गांव, जिला – नवादा
कचरियाडीह के प्रतिनिधियों ने बताया कि कैसे सुरक्षित नल के पानी की उपलब्धता ने जल जनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी लाई है और बच्चों व माताओं के जीवन को बेहतर बनाया है। उन्होंने बताया कि कैसे उनका समुदाय पंचायत के माध्यम से जल स्रोतों को बनाए रखने और जल गुणवत्ता जागरूकता को प्रोत्साहन देने के लिए काम करता है।
आंध्र प्रदेश – एनामडाला गांव, जिला – एलुरु
एनामाडाला गांव के प्रतिनिधियों ने बताया कि कैसे गांव नियमित रूप से जल गुणवत्ता की निगरानी करता है और अपनी सुसज्जित प्रयोगशाला के माध्यम से व्यवस्थित परीक्षण करता है। उन्होंने बताया कि जब भी रिसाव या आपूर्ति संबंधी समस्याएं आती हैं, तो तुरंत कार्रवाई की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि घरों को सुरक्षित और निर्बाध पेयजल मिले।
उत्तर प्रदेश – बांका पहाड़ी गांव, जिला – झांसी
ग्रामीणों ने पानी की कमी से लेकर विश्वसनीय नल कनेक्शन तक के अपने सफर को विस्तार से बताते हुए, जल सहेलियों के नेटवर्क के बारे में बताया, जिन्होंने समुदाय को संगठित करने, जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने और आपूर्ति प्रणालियों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सभी 12 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में, ग्रामीणों ने विस्तृत रूप से बताया कि वे कैसे जल गुणवत्ता की निगरानी करते हैं, स्थानीय संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं, जल संरक्षण करते हैं, पेड़ लगाते हैं, जल स्रोतों की सुरक्षा में सुधार करते हैं और शिकायत निवारण प्रणालियों को बनाए रखते हैं, जिससे जमीनी स्तर पर उनकी मजबूत भागीदारी का प्रदर्शन होता है।

डीडीडब्ल्यूएस टीम खावरुहलियान गांव, जिला - आइजोल, मिजोरम के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करते हुए

श्री केवीएस चौधरी, एमडी - मध्य प्रदेश जल निगम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुजल ग्राम संवाद सत्र में भाग लेते हुए
जिला प्रशासन और राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, गांवों और समुदायों को उनके प्रयासों को सुदृढ़ और विस्तारित करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। जल स्रोतों की स्थिरता और संचालन एवं रखरखाव योजना में गांवों का मार्गदर्शन करने से लेकर मनरेगा के साथ समन्वय स्थापित करने, जल गुणवत्ता परीक्षण को सुगम बनाने और समुदायों को अच्छी प्रथाओं को अपनाने में मदद करने तक, जिले और राज्य यह तय कर रहे हैं कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत हुई प्रगति लगातार बनी रहे और उसे नए स्तर तक ले जाया जाए।
ग्राम पंचायत मुख्यालय वाले गांवों की राज्यवार भागीदारी
निम्नलिखित गांवों ने 15 मिनट के संरचित क्षेत्रीय-भाषा खंडों के माध्यम से भाग लिया:
ओडिशा (उड़िया): बेलगाम, जिला - गंजम
मध्य प्रदेश (हिंदी): बेओहारी, जिला - सिवनी
मणिपुर (मेइतेई/ मणिपुरी): लैरेनजम, जिला - इंफाल पश्चिम
राजस्थान (राजस्थानी/ मारवाड़ी): निर्झरना, जिला-दौसा
तमिलनाडु (तमिल): अलिनजीवक्कम, जिला - तिरुवल्लूर
आंध्र प्रदेश (तेलुगू): एनामडाला, जिला - एलुरु
पंजाब (पंजाबी): परचा, जिला - गुरदासपुर
गुजरात (गुजराती): तखतगढ़, जिला - साबरकांठा
महाराष्ट्र (मराठी): सारोला, जिला - पुणे
मिजोरम (थाडौ/ मिजो): खावरुहलियान, जिला-आइज़वाल
बिहार (भोजपुरी/ मैथिली/ मगही): कचरियाडीह, जिला-नवादा
उत्तर प्रदेश (हिंदी/ बुंदेलखंडी): बांका पहाड़ी, जिला-झांसी
शासन स्तर पर साझा शिक्षण के लिए एक मंच
सुजल ग्राम संवाद का एक प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि गांवों की ओर से साझा की गई सीख और अच्छी प्रथाओं को जिला प्रशासन और राज्य मिशनों द्वारा आगे बढ़ाया जाए। डीसी/ डीएम और राज्य मिशन निदेशकों के साथ संवाद से यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि इन सफल स्थानीय प्रयासों को जिला और राज्य स्तर पर अपनाया, सुदृढ़ और विस्तृत किया जा सके।
अपने उद्घाटन भाषण में, डीडीडब्ल्यूएस सचिव ने कहा: "सुजल ग्राम संवाद की रूपरेखा ग्राम पंचायतों की बात सुनने, उनकी चुनौतियों को समझने, उनकी अच्छी प्रथाओं से सीखने और जमीनी स्तर पर उनके नेतृत्व को पहचानने के लिए तैयार की गई है।"
प्रत्येक गांव की प्रस्तुति के बाद, अपर सचिव एवं मिशन निदेशक (एएस एंड एमडी), एनजेजेएम ने ग्राम टीम, जिला कलेक्टर/ जिला मजिस्ट्रेट और राज्य एमडी के साथ बातचीत की। उन्होंने ग्रामीण जल आपूर्ति प्रणालियों के संचालन एवं रखरखाव; मनरेगा के साथ अभिसरण; जल स्रोतों की स्थिरता एवं जल संरक्षण; विनियमित एवं समतामूलक जल आपूर्ति; जल गुणवत्ता परीक्षण एवं निगरानी; शिकायत निवारण तंत्र; पंचायत डैशबोर्ड उपयोग; उपयोगकर्ता-शुल्क संग्रह; कमीशनिंग एवं हैंडओवर प्रोटोकॉल पर जोर दिया।
अपने समापन भाषण में, अपर सचिव एवं एमडी ने तीन महत्वपूर्ण कार्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला:
- पंचायत डैशबोर्ड का इस्तेमाल: ग्राम पंचायतों को नियमित रूप से लॉग इन करना होगा, सभी जल आपूर्ति विवरणों पर नजर रखनी होगी और प्रतिक्रिया या समस्याएं सामने रखनी होंगी।
- गांव के युवाओं, विशेषकर लड़कियों का प्रशिक्षण: ग्राम पंचायतों को ग्राम सभाओं के माध्यम से युवाओं की पहचान करनी चाहिए, जिससे उन्हें गांव की संपत्तियों का स्वतंत्र रूप से प्रबंधन करने हेतु तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा सके।
- सभी पेयजल स्रोतों का संरक्षण: उन्होंने दीर्घकालिक स्थिरता पर जोर दिया और संशोधित मनरेगा दिशानिर्देशों (राजपत्र अधिसूचना एस.ओ. 4288(ई), 23 सितंबर 2025) का हवाला दिया, जिसमें पुनर्भरण, संचयन और स्रोत संरक्षण के लिए जल-संबंधी व्यय को अनिवार्य किया गया है।
संवाद की अध्यक्षता डीडीडब्ल्यूएस सचिव, श्री अशोक के. के. मीणा ने की और इसमें एएस एवं एमडी, एनजेजेएम, श्री कमल किशोर सोन; जेएस-एनजेजेएम, श्रीमती स्वाति मीणा नायक; वरिष्ठ डीडीडब्ल्यूएस अधिकारी; और सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के जिला कलेक्टर/ जिला मजिस्ट्रेट, राज्य एमडी, एसडब्ल्यूएसएम और डीडब्ल्यूएसएम के सदस्यों के साथ-साथ सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के ग्राम प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
क्षेत्रीय-भाषा में संवाद से विश्वास बढ़ता है
सुजल ग्राम संवाद के बहुभाषी प्रारूप ने समुदायों को अपनी भाषाओं में खुलकर बातचीत करने का अवसर दिया, जिससे सहजता, विश्वास और प्रामाणिकता का निर्माण हुआ। इसने समुदायों और संस्थाओं के बीच संबंधों को गहरा किया और अधिकारियों को ज़मीनी हकीकत की सीधी जानकारी हासिल करने में मदद की।
आगे चलकर, सुजल ग्राम संवाद समय-समय पर आयोजित किए जाएंगे, जिससे गांवों, जिलों, राज्यों और जिला पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के बीच निरंतर, संरचित और समावेशी संवाद संभव होगा। ये प्रयास अन्य राज्यों के साथ भी जारी रहेंगे।
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पीके/केसी/एमएम
(रिलीज़ आईडी: 2191498)
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