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व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा (ओएसएच) संहिता, 2020
Posted On:
22 NOV 2025 11:06AM by PIB Delhi
परिचय
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा (ओएसएच) संहिता, 2020 का उद्देश्य श्रम कानूनों के मौजूदा जटिल जाल को समेट कर सरल बनाना है। यह 13 केंद्रीय श्रम कानूनों को एक व्यापक संहिता में पिरोती है। इस तरह यह कानूनों की बहुलता को खत्म कर उद्योगों और राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों के बीच एकरूपता लाती है। इस संहिता को व्यापक श्रम कानून सुधारों के तहत पारदर्शिता, श्रमिक कल्याण और देश में व्यवसाय सुगमता बढ़ाने के लिए लागू किया गया है।
यह संहिता श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा और सुरक्षित कार्यदशा के निर्माण के साथ ही व्यवसाय के अनुकूल नियामक परिवेश तैयार करने के दोहरे उद्देश्यों के बीच संतुलन स्थापित करती है। इस तरह, यह आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के अलावा भारत के श्रम बाजार को ज्यादा कुशल, न्यायसंगत और भविष्य के लिए तैयार बनाती है।
ओएसएच संहिता, 2020 एकल पंजीकरण, अखिल भारतीय लाइसेंस, इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग और समयबद्ध मंजूरी जैसे उपायों के जरिए अनुपालन को व्यवस्थित करती है। इसके अतिरिक्त यह नियमों की संख्या और प्रक्रियात्मक बाधाओं को घटा कर निवेश को बढ़ावा देती है।
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विषय
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मौजूदा कानून
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ओएसएच संहिता 2020
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कानूनों की संख्या
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13
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1
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धाराएं
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620
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143
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नियम
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868
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175
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पंजीकरण
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6
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1
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लाइसेंस
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4
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1
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फॉर्म
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55
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20
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रिटर्न
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21
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1
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अपराध शमन
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प्रावधान नहीं
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प्रावधान नहीं
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सुधार का नोटिस
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प्रावधान नहीं
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प्रावधान नहीं
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श्रमिक कल्याण और कार्यदशा
नियुक्तिपत्र के जरिए औपचारीकरण
संहिता के अंतर्गत हर श्रमिक को एक निर्धारित प्रारूप में नियुक्तिपत्र दिया जाएगा जिसमें उसके निजी विवरण के साथ ही पद, श्रेणी और वेतन तथा सामाजिक सुरक्षा के प्रावधानों का जिक्र होगा।
श्रमिकों के हित में प्रावधान
- नियुक्ति की शर्तों, वेतन, पद और सामाजिक सुरक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
- वेतन, काम के घंटों और कार्य के दायरे से संबंधित विवादों को घटाती है।
रोजगार के हित में प्रावधान
- नियुक्तिपत्र से सुरक्षा और लाभों तक पहुंच के बारे में शर्तों में स्पष्टता आने के साथ ही शोषण घटता और नौकरी की सुरक्षा बढ़ती है।
वार्षिक अवकाश और वेतन
किसी संस्थान में कार्यरत श्रमिक कैलेंडर वर्ष में 180 या इससे ज्यादा दिन काम करने के बाद सवैतनिक अवकाश के हकदार बनेंगे। पहले कामगारों को सवैतनिक अवकाश के लिए कैलेंडर वर्ष में 240 दिन काम करना पड़ता था।
सवैतनिक अवकाश के लिए दिनों की संख्या 240 से घटा कर 180 किए जाने और कामकाज के घंटों में लचीलेपन से यह सुनिश्चित होता है कि कामगार को पर्याप्त आराम मिले तथा उसकी उत्पादकता और काम के प्रति संतोष में वृद्धि हों।
कामकाज के घंटे और ओवरटाइम
किसी भी श्रमिक से दिन में 8 घंटों और सप्ताह में 48 घंटों से ज्यादा काम नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा विराम काल और ओवरटाइम को निर्धारित करने का अधिकार संबंधित शासन को दिया गया है।
श्रमिक की सहमति से ओवरटाइम के घंटों का निर्धारणः श्रमिक 4 दिनों के सप्ताह में बिना ओवरटाइम के रोजाना 12 घंटे काम कर सकते हैं। उनसे 5 और 6 दिनों के सप्ताह में बिना ओवरटाइम रोजाना क्रमशः 9.5 घंटे और 8 घंटे काम लिया जा सकता है। संबंधित शासन ओवरटाइम के अधिकतम घंटे निर्धारित कर सकता है। पहले यह सीमा एक तिमाही में 75 घंटे थी। इस प्रावधान से श्रमिकों को दो लाभ मिलते हैं-ओवरटाइम कर ज्यादा कमाने का अवसर और सामान्य से दोगुनी दर पर भुगतान।
अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिक (आईएसएमडब्ल्यू)
आईएसएमडब्ल्यू की परिभाषा का दायरा बढ़ा कर इसमें सीधे और ठेकेदार के जरिए नियुक्त होने वाले, दोनों तरह के श्रमिकों को शामिल किया गया है। खुद एक से दूसरे राज्य में जाने वाले कामगारों को भी इस परिभाषा के दायरे में रखा गया है। आंकड़े जुटाने के मकसद से यह प्रावधान किया गया है कि किसी संस्थान को पंजीकरण या लाइसेंस के लिए अर्जी देते समय उसमें कार्यरत आईएसएमडब्ल्यू की संख्या की जानकारी अनिर्वाय रूप से देनी होगी।
श्रमिकों के हित में प्रावधान
- आईएसएमडब्ल्यू को 12 महीनों में एक बार अपने घर जाने और वहां से आने के लिए नियोक्ता की ओर से भत्ता दिया जाएगा।
- किसी प्रवासी निर्माण श्रमिक के एक से दूसरे राज्य में जाने की स्थिति में भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार उपकर निधि (बीओसीडब्ल्यू) के अंतर्गत लाभ और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन भी उसे नए प्रांत में मिलेगा।
- शिकायतों के निवारण के लिए मुफ्त हेल्पलाइन की सुविधा मुहैया कराई गई है।
राष्ट्रीय श्रमिक डेटाबेस
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने प्रवासियों समेत असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने के लिए कदम उठाए हैं। इससे प्रवासी श्रमिकों को काम पाने, अपने कौशलों को दर्ज कराने और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ पाने में मदद मिलेगी। इससे आईएसएमडब्ल्यू के बारे में डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित होगी तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए बेहतर नीतियां बनाने में सहायता मिलेगी।
पीड़ित मुआवजा
संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत अदालतें किसी श्रमिक को गंभीर शारीरिक क्षति पहुंचने की स्थिति में उसे और मौत की दशा में उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को जुर्माने की कम-से-कम 50 प्रतिशत की रकम मुआवजे के रूप में देने का आदेश अपने दायित्वों को नहीं निभाने के दोषी नियोक्ता को दे सकती हैं।
श्रमजीवी पत्रकार और श्रव्य-दृश्य कर्मी की परिभाषा में संशोधन
श्रव्य-दृश्य कर्मी की परिभाषा को भी संशोधित किया गया है। कानून का लाभ अब डिजिटल/श्रव्य-दृश्य कर्मियों तथा डबिंग और स्टंट कलाकारों को भी मिल सकेगा। ओएसएच संहिता, 2020 के अंतर्गत डबिंग कलाकारों और स्टंट करने वालों को औपचारिक मान्यता और कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है जिससे उनके लिए सुरक्षित और उचित कार्य स्थितियां सुनिश्चित की जा सकेंगी।
श्रमजीवी पत्रकार की परिभाषा का विस्तार कर इसमें इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को भी शामिल किया गया है। प्रिंट के अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी, रेडियो, ऑनलाइन इत्यादि) को भी शामिल कर लिए जाने से पत्रकार की परिभाषा अब ज्यादा सामयिक हो गई है। अब फैक्टरियों और कार्यालयों में काम करने वाले श्रमिकों की तरह ही पत्रकारों को भी कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के उपायों का लाभ मिल सकेगा।
स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण
सुरक्षा समितियां
500 या इससे अधिक श्रमिकों वाली हर फैक्टरी को सुरक्षा समिति का गठन करना होगा जिसमें नियोक्ता और कामगारों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। 250 या इससे ज्यादा बीओसीडब्ल्यू अथवा 100 या अधिक खदान मजदूर वाले नियोक्ताओं को भी इस तरह की समिति गठित करनी होगी।
श्रमिकों के हित में प्रावधान
- सुरक्षा समितियों के गठन का प्रावधान श्रमिकों की आवाज और कार्यस्थल पर सुरक्षा की निगरानी को मजबूत करता है।
- सुरक्षा के मामलों में प्रतिनिधित्व से श्रमिकों का सशक्तीकरण होगा। इस प्रावधान से सुरक्षित कार्यस्थल और साझा जवाबदेही का विकास होता है।
श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रतिष्ठानों का सार्वभौमिक कवरेज
यह संहिता सभी क्षेत्रों के श्रमिकों को स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण मुहैया कराती है। पहले यह लाभ सिर्फ 7 क्षेत्रों-फैक्टरी, खदान, बागान, बीड़ी-सिगार, गोदी, बीओसीडब्ल्यू और मोटर परिवहन को ही उपलब्ध था।
स्वास्थ्य और चिकित्सा कवरेज
हर कर्मी को मुफ्त सालाना स्वास्थ्य जांच की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा बागान कर्मी चिकित्सा सेवाओं के लिए ईएसआई की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
श्रमिकों के हित में प्रावधान
- रोगों की शीघ्र पहचान से चिकित्सा पर खर्च घटेगा और कार्यबल के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार आएगा।
- निवारक स्वास्थ्यसेवा को बढ़ावा मिलेगा और कामकाज का दीर्घकालिक जोखिम कम होगा।
- अनुपस्थिति में गिरावट और उत्पादकता बढ़ने से उद्योगों को लाभ होगा।
राष्ट्रीय मानक और राष्ट्रीय बोर्ड
अलग-अलग अधिनियमों के तहत, 6 बोर्ड की जगह अब एक ही राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड है। यह बोर्ड त्रिपक्षीय प्रकृति का है और इसमें श्रमिक संगठनों, नियोक्ता संघों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होते हैं। यह केंद्र सरकार को फैक्ट्री, खदान, डॉकवर्क, बीड़ी और सिगार, बिल्डिंग या अन्य निर्माण के काम के लिए मानक और विनियमों आदि पर सलाह देता है।
ये बोर्ड काम की सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने के हालात के लिए राष्ट्रीय मानक तय करता है, जिन्हें राज्यों के लिए मानना ज़रूरी होता है ताकि पूरे देश में सभी कर्मचारियों के लिए व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थितियों के लिए विशिष्ट मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो सके।
विकास समर्थक प्रावधान
एक जैसे सुरक्षात्मक और स्वास्थ्य मानक होने से उद्योग और राज्यों में श्रमिकों की सुरक्षा बेहतर होती है, जिससे निष्पक्षता और सामंजस्य बना रहता है।
सामाजिक सुरक्षा कोष
संहिता में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के हितों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष बनाने का प्रावधान है, जिसमें अपराध के शमन और साथ ही जुर्माने से प्राप्त राशि जमा की जाएगी।
श्रमिक समर्थक प्रावधान
- काम काज और निजी जीवन में संतुलन की रक्षा करता है और अतिरिक्त कार्य के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करता है।
- श्रमिकों की सहमति से पारदर्शी ओवरटाइम की वयवस्था को प्रोत्साहित करता है।
- ओवरटाइम करके अधिक कमाने और उच्च वेतन (सामान्य वेतन दर से दोगुना) पर भुगतान पाने के अवसर देता है।
उद्योग में सुविधायें और व्यवसाय करने में आसानी
विस्तारित प्रयोज्यता
एक ऐसा नियम बनाया गया है जिससे सरकार इस संहिता को किसी भी जगह पर लागू कर सकती है, भले ही उसमें एक ही कर्मचारी हो या जहाँ खतरनाक या जोखिम वाला काम होता है। इसमें सभी क्षेत्रों में काम करने वालों के स्वास्थय सुरक्षा और कल्याण के लिए एक सामान नियमों का प्रावधान है।
कारोबार करने में सुगमता (ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस)
एकल इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण, सिंगल रिटर्न, 5 साल के लिए पूरे भारत के लिए एक वैध लाइसेंस और स्वतः स्वीकृति से “कारोबार करने में सुगमता” को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, इससे प्रक्रिया में होने वाली देरी कम होती है, अनुपालन लागत कम होती है और स्टार्ट-अप/संचालन तेज़ होता है। आसान पंजीकरण, सिंगल रिटर्न, एक लाइसेंस और स्वतः स्वीकृति नौकरशाही को कम करते हैं, लागत को कम करते हैं और उद्यमशीलता और व्यवसाय को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे ज़्यादा रोजगार और निवेश को बढ़ावा मिलता है।
इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण
10 कर्मचारियों की एक समान सीमा; एक संस्थान के लिए 6 पंजीकरण की जगह एक पंजीकरण रखा गया है, इससे एक मानक डेटाबेस बनेगा और व्यवसाय करने में आसानी होगी।
विकास समर्थक प्रावधान
• प्रक्रिया में होने वाली देरी को कम करता है, अनुपालन लागत को कम करता है, और उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है।
• आसान पंजीकरण नए प्रतिष्ठानों को बढ़ावा देता है और ओपचारिक रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करता है।
संशोधित कारखाना सीमाएँ
कारखाना लाइसेंस प्राप्त करने की सीमा को बिजली के साथ 10 से बढ़ाकर 20 और बिजली के बिना 20 से बढ़ाकर 40 कर दिया गया है। इसके अलावा, कारखाना निर्माण या विस्तार की अनुमति देने के लिए 30 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गई है, जिसमें स्वीकृति लेने का प्रावधान भी शामिल है। खतरनाक या जोखिम भरे कार्यों से जुड़े कारखाने के आरंभिक स्थान या ऐसे कारखानों के विस्तार के लिए, साइट मूल्यांकन समिति द्वारा सिफारिशें देने के लिए 30 दिनों की समय सीमा तय की गई है।
विकास-समर्थक प्रावधान
- समय-बद्ध अनुमतियाँ प्रतिष्ठानों को अधिक कारखाने लगाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, देरी को कम करती हैं और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देती हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
- यह प्रावधान लघु उद्योग को लाभान्वित करेगा, जो रोज़गार देने वाला प्रमुख क्षेत्र है।
- छोटी इकाइयों के लिए मानदंडों में ढील देने से विस्तार को बढ़ावा मिलेगा और औपचारिक नौकरियों का सृजन होगा, जिसमें पूर्ण व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा जैसे कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफओ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के लाभ शामिल होंगे।
रोज़गार-समर्थक प्रावधान
- छोटे और मध्यम उद्यमों को बिना किसी अनुमोदन के विस्तार या पुनर्गठन करने का अवसर मिलता है, जिससे उनके द्वारा कर्मचारियों को काम पर रखने की संभावना अधिक हो जाती है।
- कारखाना लाइसेंस प्राप्त करने की सीमा में वृद्धि नियोक्ताओं को अधिक प्रतिष्ठान स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिसके परिणामस्वरूप अधिक रोज़गार मिलेगा और रोज़गार के औपचारिककरण को बढ़ावा मिलेगा।
निरीक्षक-सह-सुविधाप्रदाता
निरीक्षक के स्थान पर अब निरीक्षक-सह-सुविधाप्रदाता होंगे और एक यादृच्छिक वेब-आधारित निरीक्षण प्रणाली लागू की जाएगी। इसका उद्देश्य पारंपरिक "इंस्पेक्टर राज" को कम करना है, जहाँ निरीक्षणों को अक्सर अनावश्यक हस्तक्षेप और बोझिल माना जाता था। निरीक्षक अब केवल निगरानी करने के बजाय, सुविधाप्रदाता के रूप में अधिक कार्य करेंगे जिससे वे नियोक्ताओं को कानूनों, नियमों और विनियमों का पालन करने में सहायता करेंगे।
विकास-समर्थक प्रावधान
- यह निरीक्षणों को पारदर्शी बनाता है, और मार्गदर्शन के माध्यम से अनुपालन को प्रोत्साहित करता है।
- रैंडमाइज़्ड (यादृच्छिक) और वेब-आधारित निरीक्षण प्रणाली पक्षपात को रोकती है।
- यह कार्य स्थल पर एक सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने में मदद करता है, जिससे अनावश्यक संघर्ष के बिना अनुपालन सुनिश्चित करके कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को लाभ होता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि प्रवर्तन सुसंगत और जवाबदेह हो, जिससे श्रम संरक्षण तंत्रों को मजबूती मिलती है।
तृतीय पक्ष (थर्ड पार्टी) ऑडिट और प्रमाणन
स्टार्ट-अप प्रतिष्ठानों या प्रतिष्ठानों के वर्ग के लिए तृतीय पक्ष ऑडिट और प्रमाणन का प्रावधान किया गया है। यह प्रतिष्ठानों को निरीक्षक-सह-सुविधाप्रदाता के हस्तक्षेप के बिना स्वास्थ्य और सुरक्षा का मूल्यांकन और सुधार करने में मदद करेगा। इससे "इंस्पेक्टर राज" कम होगा और साथ ही प्रतिष्ठानों में स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार होगा। तृतीय पक्ष ऑडिट से औद्योगीकरण और रोजगार के विकास को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि ऑडिट तेज़ और समय पर होंगे।
रिकॉर्ड्स का डिजिटाइज़ेशन
इस कोड के तहत रजिस्टरों की संख्या 84 से घटकर 8 हो गई है।
संशोधित संविदा श्रम व्यवस्था
परिभाषित मुख्य और गैर-मुख्य गतिविधियाँ
श्रम संहिता में मुख्य और गैर-मुख्य गतिविधियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। नियोक्ताओं को मुख्य गतिविधियों में भी संविदा श्रम को नियोजित करने की सहूलियत दी गई है, यदि:
- प्रतिष्ठान का सामान्य कामकाज ऐसा है कि वह गतिविधि सामान्यतः ठेकेदार के माध्यम से ही की जाती है; या
- गतिविधियाँ ऐसी हैं कि उनके लिए दिन के कार्य घंटों के प्रमुख हिस्से के लिए या लंबे समय तक जैसा भी मामला हो, पूर्णकालिक श्रमिकों की आवश्यकता नहीं होती है; या
- मुख्य गतिविधि में काम की मात्रा में कोई अचानक वृद्धि हो जाती है, जिसे एक निर्धारित समय के भीतर पूरा करने की आवश्यकता होती है।
मुख्य और गैर-मुख्य गतिविधि के स्पष्ट अंतर के साथ, श्रमिकों को यह स्पष्टता होगी कि वे किस प्रकार के काम में लगे हुए हैं, और इस प्रकार, उनके पास काम चुनने की स्वतंत्रता होगी।
प्रयोज्यता की सीमा
संविदा श्रम से संबंधित प्रावधानों की प्रयोज्यता की सीमा को 20 श्रमिकों से बढ़ाकर 50 श्रमिक कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, 50 से कम संविदा श्रमिकों को नियोजित करने वाले ठेकेदारों को अब लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। सीमा को बढ़ाने से, छोटे ठेकेदारों को अत्यधिक विनियमन से मुक्ति मिलती है, जिससे छोटे व्यवसायों के विकास को प्रोत्साहन मिलता है, जबकि बड़े प्रतिष्ठान अभी भी श्रमिकों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
उच्च सीमाएँ छोटी फर्मों के लिए अनुपालन को आसान बनाती हैं, विकास को बढ़ावा देती हैं, जबकि बड़ी इकाइयों में श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।
संविदा श्रम कल्याण और मज़दूरी
संहिता में संविदा श्रमिकों को स्वास्थ्य और सुरक्षा उपायों जैसी कल्याणकारी सुविधाएँ प्रदान करने की ज़िम्मेदारी मूल नियोक्ता पर डाली गई है। यदि ठेकेदार मज़दूरी का भुगतान करने में विफल रहता है, तो मूल नियोक्ता को संविदा श्रमिकों को मज़दूरी का भुगतान करना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि श्रमिकों को उनकी मज़दूरी समय पर मिले।
अपराधों का शमन और गैर-आपराधिकरण
अपराधों का शमन
पहली बार के अपराध जो केवल जुर्माने से दंडनीय हैं, उनका शमन अधिकतम जुर्माने की 50% राशि का भुगतान करके किया जाएगा। वे अपराध जो जुर्माना या कारावास या दोनों से दंडनीय हैं, उनका शमन भी अधिकतम जुर्माने की 75% राशि का भुगतान करके किया जाएगा। इस प्रावधान से कानून कम दंडात्मक और अधिक अनुपालन-उन्मुख हो जाएगा।
विकास-समर्थक प्रावधान
- यह कानूनी बोझ को कम करता है, समाधान में तेज़ी लाता है और कारोबार करने में सुगमता को बढ़ावा देता है।
- यह नियोक्ताओं को निर्धारित जुर्माने का भुगतान करके मामलों को निपटाने की अनुमति देता है, जिससे तेजी से अनुपालन सुनिश्चित होता है।
- यह तेज़ न्यायनिर्णयन और अधिक नियामक कार्यकुशलता को बढ़ावा देता है।
- शमित की गई जुर्माने की राशि सामाजिक सुरक्षा कोष में जमा की जाती है, जो असंगठित श्रमिकों के कल्याण के लिए रखी जाती है।
अपराधों का गैर-आपराधिकरण और सुधार सूचना
कई अपराधों को गैर-अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिससे कानून कम दंडात्मक और अधिक अनुपालन-उन्मुख हो गया है। यह स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करता है और प्रक्रियात्मक चूकों के लिए कठोर दंड के डर को कम करता है।
कुछ अपराधों के लिए आपराधिक दंडों (जैसे कारावास) को सिविल दंडों (जैसे मौद्रिक जुर्माना) से बदल दिया गया है। कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से पहले नियोक्ता को अनुपालन के लिए अनिवार्य रूप से 30 दिन का नोटिस दिया जायेगा।
विकास-समर्थक प्रावधान
- यह कारावास के डर को कम करता है, स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करता है, मुकदमेबाजी को कम करता है, और कारोबार करने में सुगमता को बढ़ावा देता है।
- यह दंडात्मक कार्रवाई के बजाय निष्पक्ष, सुधारात्मक उपायों के माध्यम से स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करता है।
- शमन की गई राशि का उपयोग असंगठित श्रमिकों के कल्याण के लिए किया जाएगा।
महिला-केंद्रित प्रावधान
श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा
महिला श्रमिक सभी प्रतिष्ठानों में सभी प्रकार के कार्यों के लिए (सुरक्षा उपायों के साथ) काम करने की हकदार हैं। महिलाएं रात में भी काम कर सकती हैं, अर्थात् महिलाओं की सहमति से सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद भी। नियोक्ता को महिला श्रमिकों के लिए सुरक्षा, सुविधाएं और परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था करनी होगी।
यह रोज़गार-समर्थक प्रावधान, महिलाओं को सभी प्रतिष्ठानों में काम करने की अनुमति देता है, लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, रोज़गार के अवसर बढ़ाता है, और कार्यबल में महिला भागीदारी को बढ़ाता है।
क्रेच/शिशुगृह सुविधाएँ
50 से अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को अलग से या उपयुक्त स्थानों पर साझा क्रेच सुविधाएँ प्रदान करनी होंगी। इसका प्रावधान 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाली कामकाजी महिलाओं के लिए किया गया है।
पहले क्रेच सुविधा केवल महिला श्रमिकों के लिए थी। लेकिन अब यह लिंग-अनुकूल/सभी श्रमिकों के लिए समान कर दी गई है। यह कदम महिलाओं को काम और परिवार के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है।
निष्कर्ष
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य कार्यदशा संहिता, 2020 मानकों को एकीकृत करके, श्रमिकों को सशक्त बनाकर, और कारोबार करने में सुगमता को बढ़ाकर भारत की श्रमिक संरचना को मजबूत करती है। यह संहिता समावेशी और संवहनीय विकास के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप एक अधिक सुरक्षित, निष्पक्ष और अधिक उत्पादक कार्यबल की आधारशिला रखती है।
संदर्भ
कानून और न्याय मंत्रालय
https://dgfasli.gov.in/public/Admin/Cms/AllPdf/650059fbb8f1a9.98699174.pdf
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पीके/केसी/एसके
(Release ID: 2192803)
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