इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
क्षेत्रीय मुक्त डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2025 के तीसरे दिन स्थायी वित्तपोषण, क्षेत्रीय सहयोग और एआई-सक्षम शासन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया
सदस्य देश दक्षिण-पूर्व एशिया डिजिटल स्वास्थ्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहयोगात्मक नेटवर्क (एसईए-डीएसी)के ढांचे पर विचार कर रहे हैं
Posted On:
22 NOV 2025 7:10PM by PIB Delhi
क्षेत्रीय मुक्त डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन (आरओडीएचएस) 2025 ने नई दिल्ली में प्रगतिशील चर्चाओं के अपने तीसरे और अंतिम दिन का समापन किया, जिसमें सरकारी विभागों के प्रमुखों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया, ताकि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में डिजिटल स्वास्थ्य और एआई सहयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा सके।
दिन के सत्र चार महत्वपूर्ण स्तंभों पर केंद्रित रहे: व्यक्ति-केंद्रित डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियाँ, स्थायी वित्तपोषण मॉडल, डिजिटल और एआई-सक्षम स्वास्थ्य के लिए शासन ढाँचा, और क्षेत्रीय सहयोग तंत्र। सत्रों में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि केवल तकनीक ही स्वास्थ्य सेवा में बदलाव नहीं ला सकती, जब तक कि उसके साथ मज़बूत शासन, अंतर-संचालन और समावेशी कार्यान्वयन रणनीतियाँ न हों।
यूनिसेफ ने व्यक्ति-केंद्रित डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियों पर एक सत्र की सुविधा प्रदान की, जिसमें भारत, श्रीलंका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के डिजिटल स्वास्थ्य विशेषज्ञ को एक साथ लाया गया ताकि व्यक्ति-केंद्रित, अंतर-संचालनीय और बुद्धिमान डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण के साझा दृष्टिकोण को स्पष्ट किया जा सके जो पहुंच, गुणवत्ता और दक्षता में सुधार करते हैं।
उत्तर प्रदेश एक दिलचस्प केस स्टडी के रूप में उभरा, जिसमें वक्ताओं ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के साथ एकीकरण, स्कैन एंड शेयर को अपनाने और डिजिटल नागरिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाने में राज्य की प्रगति पर प्रकाश डाला।
श्रीलंका में डिजिटल स्वास्थ्य विकास ने एक महत्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित किया है - सिर्फ डेटा एकत्र करने से आगे बढ़कर अब ऐसे व्यावहारिक, परिणाम-उन्मुख सिस्टम लागू किए जा रहे हैं जो वास्तविक प्रभाव सुनिश्चित करते हैं। यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने पूरे क्षेत्र में देखभाल और साक्ष्य-आधारित योजना की निर्बाध निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सामंजस्यपूर्ण ढाँचों के ज़िम्मेदाराना उपयोग के महत्व पर ज़ोर दिया।
डिजिटल स्वास्थ्य रूपांतरण के लिए सतत वित्तपोषण मॉडल भी एक महत्वपूर्ण पूर्व-आवश्यकता के रूप में उभरा है, विशेषकर ऐसे समय में जब वित्तीय संसाधन सीमित हो रहे हैं, स्वास्थ्य-क्षेत्र की लागत बढ़ रही है और वैश्विक सहायता में लगातार कमी आ रही है। भारत, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड और तिमोर-लेस्ते ने साझा चुनौतियों की पहचान की, जिनमें बिखरे हुए वित्तपोषण स्रोत, दाता-निर्भरता और दीर्घकालिक बजट की कमी शामिल हैं - ये सभी डिजिटल हेल्थ प्रगति को कमजोर करने का खतरा पैदा करते हैं।
एक प्रमुख विषय कानूनी और नियामक सुधारों की तत्काल आवश्यकता थी, जिसमें डेटा सुरक्षा कानून, डिजिटल स्वास्थ्य अधिनियम, खरीद आधुनिकीकरण और दीर्घकालिक डिजिटल स्वास्थ्य निवेशों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बेहतर शासन व्यवस्था शामिल थी। पैनलिस्टों ने सार्वजनिक निधियों, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, संयुक्त बजट और बीमा-संबंधी निवेशों सहित मिश्रित वित्तपोषण दृष्टिकोणों पर भी ज़ोर दिया।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव और इंडियाएआई मिशन के सीईओ, श्री अभिषेक सिंह ने डिजिटल एवं एआई-सक्षम स्वास्थ्य प्रणाली के लिए शासन की पुनर्कल्पना पर एक मुख्य प्रस्तुति दी। श्री सिंह ने सरकार, राज्यों, अस्पतालों, प्रौद्योगिकीविदों, शिक्षाविदों, विश्व स्वास्थ्य संगठन और वैश्विक दक्षिण के बीच सहयोग के माध्यम से एक सुरक्षित, समावेशी और विश्व स्तर पर प्रासंगिक एआई-सक्षम स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण का आह्वान किया।
जीआईडीएच के तहत एफएचआईआर मानकों और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाना पर सत्र दक्षिण-पूर्व एशिया डिजिटल स्वास्थ्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहयोगात्मक नेटवर्क (एसईए-डीएसी) के ऐतिहासिक प्रस्ताव पर केंद्रित था, जो डिजिटल स्वास्थ्य और एफएचआईआर मानकों पर संरचित, निरंतर क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक सदस्य राज्य के नेतृत्व वाला तंत्र है।
सभी सदस्य देशों ने ऐसे ढाँचे की तत्काल आवश्यकता और उससे मिलने वाले अवसरों को सर्वसम्मति से स्वीकार किया। हालाँकि क्षेत्र के देशों की डिजिटल परिपक्वता भले ही अलग-अलग चरणों में हो, लेकिन उनकी आकांक्षाएँ समान हैं - मज़बूत डिजिटल शासन, आपस में जुड़ी (इंटरऑपरेबल) स्वास्थ्य सूचना प्रणालियाँ, सुदृढ़ ज्ञान-विनिमय, और तेज़ सीखने के तंत्र, ताकि पिछली गलतियों की पुनरावृत्ति से बचा जा सके और सफलता की गति तेज़ हो सके।
शिखर सम्मेलन का समापन मुख्य भाषणों वाले समापन सत्र के साथ हुआ:
डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ के डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्रीय सलाहकार डॉ. कार्तिक अदापा ने एकीकरण और अंतर-संचालन के बीच अंतर पर ज़ोर दिया। उन्होंने एक मज़बूत डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली के आवश्यक घटकों पर प्रकाश डाला: बुनियादी ढाँचा, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाएँ, अनुप्रयोग, शासन और क्षमता निर्माण।
यूनिसेफ की एचएसएस की क्षेत्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ सुश्री मेरेडिथ डायसन ने दोहराया कि “सिर्फ प्रौद्योगिकी से परिवर्तन संभव नहीं होता। वास्तविक प्रभाव तब आता है जब वास्तविक ज़मीनी जरूरतों को संबोधित किया जाए, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाया जाए, अधिकारों की रक्षा की जाए और समानता सुनिश्चित की जाए।” "उन्होंने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना सिद्धांतों के अनुरूप डिज़ाइन और देश-विशिष्ट ब्लूप्रिंट द्वारा अंतर-संचालनीयता के महत्व पर ज़ोर दिया।
श्री विक्रम पगारिया, निदेशक, एबीडीएम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल हेल्थ को लागत नहीं, बल्कि निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए, और यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने डॉक्टरों की कमी जैसी गंभीर चुनौतियों से निपटने और वंचित ग्रामीण समुदायों तक पहुँचने में प्रौद्योगिकी की क्षमता पर ज़ोर दिया।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री नंद कुमारम ने प्रकृति और प्रणाली डिज़ाइन के बीच समानताएँ दर्शाते हुए एक विचारोत्तेजक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने अचानक बदलावों के बजाय क्रमिक विकास की वकालत की और स्थायी परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए धैर्य, स्पष्ट दिशा और विचारशील कार्यान्वयन पर ज़ोर दिया।
तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन ने सामूहिक रूप से एक एकीकृत संदेश दिया कि डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन केवल एक तकनीकी उन्नयन नहीं है; यह एक मौलिक यात्रा है जिसके लिए मानकों, शासन, अंतर-संचालन और गहन समावेशन की आवश्यकता होती है।
सत्रों में इस बात पर जोर दिया गया कि डिजिटल स्वास्थ्य का केंद्र मानव होना चाहिए - जिसमें नागरिकों की जरूरतों पर ध्यान, चिकित्सकों को सशक्त बनाना, और केवल तकनीक नहीं बल्कि बेहतर स्वास्थ्य परिणामों को प्राथमिकता देना शामिल है। स्थायी वित्तपोषण आवश्यक है, और देश डिजिटल स्वास्थ्य को एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक अवसंरचना के रूप में अपने राष्ट्रीय बजट में शामिल करें। सदस्य देशों के नेतृत्व में निरंतर क्षेत्रीय सहयोग से सहकर्मी सीखने और समन्वित प्रयासों को बढ़ावा मिलना चाहिए। स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने और असमानताओं को कम करने के लिए, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का नैतिक और सुरक्षित संचालन किया जाना चाहिए। समानता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि डिजिटल अंतर स्वास्थ्य असमानताओं में न बदल जाए, और सभी देशों को प्रगति के लिए आवश्यक संसाधन और समर्थन समान रूप से उपलब्ध हो सके।
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पीके/केसी/जीके/डीके
(Release ID: 2193008)
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