इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा साइबर सुरक्षा नवाचार चुनौती (सीएसआईसी) 1.0 का शुभारंभ


एमईआईटीवाई, भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (डीएससीआई) और उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डैक), हैदराबाद ने आईएसईए पहल के अंतर्गत विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए साइबर सुरक्षा नवाचार चुनौती 1.0 का अनावरण किया

यह पहल विद्यार्थियों को वास्तविक दुनिया की साइबर सुरक्षा चुनौतियों से अवगत कराती है, इस क्षेत्र को एक व्यवहार्य करियर पथ के रूप में स्थापित करती है और भारत की घरेलू साइबर सुरक्षा क्षमता को मज़बूत करती है

प्रविष्टि तिथि: 24 NOV 2025 6:45PM by PIB Delhi

भारत के साइबर सुरक्षा इकोसिस्टम को मज़बूत करने की एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव श्री एस कृष्णन ने एमईआईटीवाई की सूचना सुरक्षा शिक्षा एवं जागरूकता (आईएसईए) परियोजना के अंतर्गत साइबर सुरक्षा नवाचार चुनौती (सीएसआईसी) 1.0 का शुभारंभ किया। यह शुभारंभ समारोह 24.11.2025 को नई दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में सरकारी अधिकारियों, उद्योग विशेषज्ञों और शिक्षाविदों की उपस्थिति में आयोजित किया गया।

श्री एस कृष्णन ने कॉन्सेप्ट वीडियो, वेबसाइट और पंजीकरण पोर्टल (https://innovation.isea.app/cyber_security_innovation_challenge), और सीएसआईसी 1.0 की नियम पुस्तिका का अनावरण किया। दो-आयामी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता पर बल देते हुए, उभरते खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाते हुए और साथ ही तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीएसआईसी 1.0 दोनों अनिवार्यताओं को संबोधित करता है। यह पहल छात्रों को वास्तविक दुनिया की साइबर सुरक्षा चुनौतियों से अवगत कराती है। यह न केवल कुशल पेशेवरों का निर्माण करती है और साइबर सुरक्षा को एक व्यवहार्य करियर पथ के रूप में स्थापित करती है, बल्कि घरेलू, उत्पाद-उन्मुख समाधानों को भी उत्प्रेरित करती है जो भारत की साइबर सुगमता को मज़बूत करते हैं। श्री कृष्णन ने इस बात पर जोर दिया कि साइबर सुरक्षा एक 'संपूर्ण राष्ट्र' दृष्टिकोण की मांग करती है, जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'संपूर्ण सरकार' रणनीति के दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करता है। एमईआईटीवाई, सीईआरटी-आईएन, एनएससीएस, एआईसीटीई, सी- सी-डैक, डीएससीआई, तथा शिक्षा जगत और उद्योग जगत के नेताओं की सहयोगात्मक उपस्थिति को स्वीकार करते हुए, उन्होंने न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एमवीपी) चरण से आगे विजयी विचारों को पोषित करने के महत्व पर बल दिया, तथा स्टार्टअप्स और उद्योग भागीदारों के साथ सहयोग के माध्यम से उनके लिए स्केलेबल समाधानों में विकसित होने के मार्ग तैयार करने पर जोर दिया।

भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री विनायक गोडसे ने सीएसआईसी 1.0 की पाँच-चरणीय संरचना और व्यापक समस्या-विवरणों का एक आकर्षक परिचय दिया, जिसे डीएससीआई, सी-डैक और आईएसईए टीम के बीच महीनों के गहन विचार-विमर्श के बाद विकसित किया गया था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अपनी तरह की यह अनूठी पहल छात्रों और शोधकर्ताओं को शुरुआती दौर से ही नवाचार करने और उद्यमशीलता की मानसिकता विकसित करने में सक्षम बनाती है। डोमेन-विशिष्ट समस्या-विवरणों पर ध्यान केंद्रित करने से भारत के महत्वपूर्ण क्षेत्रों, जिनमें बीएफएसआई, दूरसंचार और स्वास्थ्य सेवा शामिल हैं—के लिए व्यावहारिक, लागू करने योग्य समाधान सुनिश्चित होते हैं, जबकि विविधता समर्थन पर ज़ोर का उद्देश्य छात्र समुदाय में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह चुनौती अनुसंधान से उत्पाद विकास तक की यात्रा को गति प्रदान करेगी और भारत के साइबर सुरक्षा परिदृश्य को मज़बूत करेगी।

भारतीय प्रौद्योगिई संस्थान (आईआईटी) मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने बताया कि आईएसईए परियोजना के अंतर्गत नवाचार चुनौती, मुख्य चुनौतियों की हमारी बेहतर समझ को उजागर करती है और हमें परिवर्तनकारी समाधान तैयार करने की स्थिति में लाती है। यह दस डोमेन-विशिष्ट समस्या विवरण उन क्षेत्रों को उजागर करते हैं जो राष्ट्र की साइबर सुरक्षा आवश्यकताओं से जुड़े हैं और जिनके लिए नई, नवीन सोच की आवश्यकता है।

भारतीय प्रौद्योगिई संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो. सुकुमार नंदी ने बताया कि सीएसआईसी 1.0 का शुभारंभ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सी-डैक, डीएससीआई और आईएसईए परियोजना के अंतर्गत भाग लेने वाले 50 संस्थानों की सामूहिक शक्ति का प्रतीक है, जिन्होंने छात्रों द्वारा तैयार किए जाने वाले नवीन समाधानों के लिए समस्या विवरणों की पहचान, विश्लेषण और संयोजन हेतु मिलकर काम किया।

एनएससीएस के संयुक्त सचिव श्री नरेंद्र नाथ ने बढ़ती तकनीकी निर्भरता के जोखिमों का उल्लेख करते हुए राष्ट्र की तकनीकी संप्रभुता को मजबूत करके आत्मनिर्भर भारत की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आईएसईए परियोजना के तहत उठाए गए कदमों की प्रशंसा की और घरेलू क्षमताओं और समाधानों को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार चुनौती की सराहना की।

सीईआरटी-इन के महानिदेशक डॉ. संजय बहल ने नवाचार को बढ़ावा देने में आईएसईए की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जो प्रतिक्रियात्मक रक्षा से सक्रिय सुरक्षा की ओर प्रतिमान को स्थानांतरित करता है। डॉ. बहल ने कहा कि इनोवेशन चैलेंज अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा जगत और उद्योग को एकजुट करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच तैयार करता है, जहाँ शैक्षणिक संस्थानों के समाधानों को बाज़ार में तैनाती योग्य उत्पादों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि साइबर सुरक्षा में 'आत्मनिर्भरता' का निर्माण पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है, क्योंकि देश का डिजिटल परिवर्तन हमारे अपने संस्थानों से अभूतपूर्व नवाचारों की मांग करता है।

सीएसआईसी 1.0 को रणनीतिक रूप से शैक्षणिक इकोसिस्टम से स्वदेशी, शोध-संचालित साइबर सुरक्षा समाधानों को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए खुला है। नवाचार चुनौती कंप्यूटर और नेटवर्क सुरक्षा सहित 10 डोमेन में समस्या विवरणों; मोबाइल डिवाइस सुरक्षा; सिस्टम और सॉफ्टवेयर सुरक्षा; हार्डवेयर सुरक्षा; भविष्य के अनुकूल प्रौद्योगिकियों में सुरक्षा; क्रिप्टोग्राफी; वितरित वायरलेस नेटवर्क में सुरक्षा; साइबर फोरेंसिक; शासन, संचालन और सेवाएँ; और फिनटेक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा। अपनी पांच-चरणीय संरचना के माध्यम से, यह अवधारणा से लेकर न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एमवीपी) तक आशाजनक विचारों का पोषण करेगा। चुनौती तकनीकी विषयों पर विशेषज्ञ के नेतृत्व वाले वेबिनार, पिचिंग के साथ-साथ उद्योग के नेताओं के व्यावहारिक सलाह सत्रों के माध्यम से शीर्ष 20 टीमों को समर्पित सलाह देकर मजबूत साइबर सुरक्षा नवाचार इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देगी। नवाचार चुनौती के बारे में पूरी जानकारी यहां पाई जा सकती है:  https://www.dsci.in/content/cyber-security-innovation-challenge-10

सूचना सुरक्षा शिक्षा एवं जागरूकता (आईएसईए) परियोजना के बारे में

सूचना सुरक्षा शिक्षा एवं जागरूकता (आईएसईए) परियोजना, भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) की एक पहल है जिसका उद्देश्य सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में मानव संसाधन तैयार करना और आम जनता में साइबर स्वच्छता/साइबर सुरक्षा के बारे में सामान्य जागरूकता पैदा करना है। इस परियोजना का उद्देश्य सुरक्षित, विश्वसनीय और संरक्षित साइबर स्पेस के लिए मानव संसाधन विकास करना है। यह परियोजना 50 प्रमुख शैक्षणिक एवं स्वायत्त संस्थानों (आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी, सी-डैक और एनआईईएलआईटी केंद्र) और तकनीकी विश्वविद्यालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है और नोडल एजेंसियों के रूप में सी- सी-डैक, हैदराबाद और डीएससीआई द्वारा समर्थित है। अधिक जानकारी के लिए  https://isea.gov.in/ पर जाएँ।

भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद के बारे में

भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (डीएससीआई) नैसकॉम® द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी, भारत में डेटा सुरक्षा पर आधारित उद्योग निकाय है, जो साइबर सुरक्षा और गोपनीयता में सर्वोत्तम प्रथाओं, मानकों और पहलों को स्थापित करके साइबरस्पेस को सुरक्षित, संरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। डीएससीआई सरकार और उनकी एजेंसियों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, आईटी-बीपीएम, बीएफएसआई, सीआईआई, दूरसंचार सहित उद्योग क्षेत्रों, उद्योग संघों, डेटा सुरक्षा प्राधिकरणों और थिंक टैंकों के साथ मिलकर जन समर्थन, विचार नेतृत्व, क्षमता निर्माण और आउटरीच पहलों के लिए काम करता है। अधिक जानकारी के लिए, https://www.dsci.in/  पर जाएँ।

सी-डैक के बारे में

उन्नत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन है जो सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास कार्य करता है। उच्च स्तरीय अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) संस्थान के रूप में, सी-डैक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्रांति में अग्रणी रहा है, जो उभरती/सक्षम प्रौद्योगिकियों में निरंतर क्षमता निर्माण करता रहा है और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिए आईटी उत्पादों और समाधानों को विकसित और लागू करने हेतु अपनी विशेषज्ञता, क्षमता और कौशल का नवाचार और लाभ उठाता रहा है। अधिक जानकारी के लिए,  https://www.cdac.in/ देखें।

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