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आयुष मंत्रालय के अधीन आने वाले पीसीआईएमएंडएच ने एएसयूएंडएच औषधि विनियमन और गुणवत्ता मानकों को मजबूत करने के लिए 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया

प्रविष्टि तिथि: 24 NOV 2025 11:37PM by PIB Delhi

भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी के लिए भेषज संहिता आयोग (पीसीआईएमएंडएच) ने आज आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयूएंडएच) औषधियों के नियामक, शैक्षणिक, गुणवत्ता नियंत्रण और विनिर्माण क्षेत्रों से जुड़े हितधारकों के लिए पांच दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। 24 नवंबर से 28 नवंबर, 2025 तक चलने वाला यह विशेष कार्यक्रम, एएसयूएंडएच औषधि विकास एवं गुणवत्ता आश्वासन के लिए समर्पित औषधि नियामकों, प्रवर्तन अधिकारियों, गुणवत्ता नियंत्रण कर्मियों, तकनीकी विशेषज्ञों, सरकारी विश्लेषकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के ज्ञान और कौशल को सुदृढ़ करने के लिए रखा गया है।

आयुष मंत्रालय की सलाहकार (होम्योपैथी) डॉ. प्रीता किझाक्कुटिल ने उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शा‍मिल हुईं। अपने संबोधन में, उन्होंने एएसयूएंडएच दवाओं के लिए गुणवत्ता मानक विकसित करने में, विशेष रूप से उन्नत उपकरणों और आधुनिक विश्लेषणात्मक तकनीकों को अपनाने के लिए पीसीआईएमएंडएच की सराहना की।

आयुष मंत्रालय के मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) काशीनाथ समगंडी ने पीसीआईएमएंडएच द्वारा विकसित औषधकोशों और फार्मूलरी की बढ़ती वैश्विक स्वीकृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एएसयूएंडएच प्रणालियों में बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय रुचि पारंपरिक चिकित्सा में भारत के नेतृत्व को दर्शाती है।

पीसीआईएमएंडएच के निदेशक डॉ. रमन मोहन सिंह ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए आयोग के अधिदेश, चल रही पहलों और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के मानक-निर्धारण एवं गुणवत्ता नियंत्रण में इसकी भूमिका का उल्‍लेख किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (सीडीटीएल), चेन्नई के पूर्व निदेशक डॉ. एन. मुरुगेसन भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

अगले पांच दिनों में, प्रतिभागियों को विशेषज्ञों के नेतृत्व में व्याख्यान, अनुभव दौरे और व्यावहारिक सत्र प्राप्त होंगे, जिनमें एनएबीएल प्रत्यायन और गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (क्यूएमएस), अच्छे विनिर्माण अभ्यास (जीएमपी), एएसयूएंडएच दवाओं का फार्माकोग्नॉस्टिक, भौतिक-रासायनिक, फाइटोकेमिकल, माइक्रोबायोलॉजिकल और औषधीय मूल्यांकन, हर्बल दवाओं का मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण, नियामक और फार्माकोपियल मानक और निजी जीवन  के अध्ययन सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होगी।

इस कार्यक्रम में पीसीआईएमएंडएच प्रयोगशालाओं में व्यावहारिक प्रशिक्षण और डॉ. विलमर श्वाबे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा और हमदर्द लैबोरेटरीज इंडिया, गाजियाबाद जैसी एएसयूएंडएच दवा निर्माण इकाइयों का क्षेत्रीय दौरा भी शामिल है। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को इस क्षेत्र की नवीनतम तकनीकों और सर्वोत्तम नियमों से परिचित कराकर उनकी तकनीकी दक्षता को बढ़ाना है।

देश भर से कुल 35 प्रतिभागी इस प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं। इनमें राज्य औषधि नियंत्रक, औषधि निरीक्षक, प्रोफेसर, संकाय सदस्य, अनुसंधान अधिकारी, आयुष-मान्यता प्राप्त औषधि परीक्षण प्रयोगशालाएं, राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान (चेन्नई), राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (जयपुर), सिद्ध केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (चेन्नई), त्वचा विकारों के लिए यूनानी चिकित्सा का राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (हैदराबाद), डॉ. डीपी रस्तोगी केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान (नोएडा), यूनानी चिकित्सा का क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान (श्रीनगर), और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, असम, कानपुर और अन्य क्षेत्रों के कई आयुष कॉलेज व अस्पताल शामिल हैं।

पीसीआईएमएंडएच द्वारा आयोजित यह क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत में एएसयूएंडएच दवाओं के नियामक तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पेशेवरों को उन्नत ज्ञान और व्यावहारिक कौशल से लैस करके, यह पहल उच्च गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने और वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आगे बढ़ाने की देश की प्रतिबद्धता का समर्थन करती है।

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