वस्‍त्र मंत्रालय
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विकास आयुक्त (हथकरघा) ने आईएफएफआई 2025 में फैशन शो ‘साड़ीज इन मोशन: 70एमएम ऑन रनवे’ प्रस्तुत किया


गोवा में आईएफएफआई रेड कार्पेट पर वस्‍त्र, सिनेमा और संस्कृति का शानदार प्रदर्शन

प्रविष्टि तिथि: 25 NOV 2025 5:02PM by PIB Delhi

वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत विकास आयुक्त (हथकरघा) ने यहां जारी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई), 2025 के प्रतिष्ठित रेड कार्पेट पर वस्त्र, संस्कृति और सिनेमा को साथ लाकर यहां उपस्थित प्रतिनिधियों को अपनी तरह का पहला अनुभव कराया। फैशन शो हैंडलूम साड़ीज इन मोशन: 70एमएम ऑन रनवे भारतीय हथकरघा को समर्पित एक सामाजिक उद्यम था।

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दो बार प्रदर्शित की गई इस 15 मिनट की प्रस्तुति ने दर्शकों को भारतीय सिनेमा के सफर से रूबरू कराया और एक-एक साड़ी के माध्यम से इसके इतिहास को दिखाया। हर दृश्य को अलग-अलग सिनेमाई दौर के संगीत पर तैयार किया गया था और रनवे पुराने समय की यादों, कला कौशल और साड़ी की कालातीत सुंदरता का एक चलता-फिरता उत्सव बन गया। इस कार्यक्रम में आईएफएफआई के प्रतिनिधियों और फिल्मी हस्तियों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें भारत के सबसे प्रतिष्ठित परिधान साड़ी के जरिए सिनेमा के विकास को फिर से दिखाया गया। 1940 के दशक की लहराती साड़ियों के अंदाज से लेकर 2020 के दशक के आधुनिक, प्रयोगधर्मी परिधान तक, साड़ियों के इन अलग अलग अंदाजों, उनसे जुड़े विचारों और यादों से रेड़ कार्पेट जीवंत हो उठा और ये दृश्य छह गज की हैंडलूम विरासत के माध्यम से रचे गए। हर लहराती साड़ी और उसकी प्लीट भारतीय सिनेमा के विकास को दिखाया, जो खूबसूरत नायिकाओं के दौर, 70 के दशक की विद्रोही नायिकाओं के दौर, 90 के दशक की रोमांटिक तथा आज के समय के ग्लैमर के दौर में वापस ले गई।

“देश के विभिन्न हिस्सों से संग्रहित 40 से अधिक हैंडलूम साड़ियों को इस फैशन शो में प्रदर्शित किया गया, जैसे छत्तीसगढ़ की टसर सिल्क, जम्मू-कश्मीर की इकट पश्मीना साड़ी, उत्तर प्रदेश की बनारसी बुटीदार साड़ी और मुबारकपुर लच्छा बुटा साड़ी, मध्य प्रदेश की चंदेरी, छत्तीसगढ़ की गीचा सिल्क, आंध्र प्रदेश की वेंकटागिरी साड़ी और केरल की कुथम्पुल्ली साड़ी। इन साड़ियों में से कुछ में पुरस्कार विजेता कलाकारों ने हाथ से रंग भरे थे, जिसमें विभिन्न कला रूपों जैसे राजस्थान की पिचवाई, ओडिशा की पट्टचित्र, महाराष्ट्र की वारली, आंध्र प्रदेश की पेन-कलमकारी, बिहार की मधुबनी, झारखंड और मध्य प्रदेश की गोंडा एवं भील कला और ऐसे ही दूसरे इलाकों की कला के अलग-अलग रूप दिखाए गए।

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राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड (एनएफडीसी) के प्रबंध निदेशक प्रकाश मगदुम ने इस फैशन शो के बारे में कहा, “आईएफएफआई हमेशा से एक ऐसा मंच रहा है जो हर तरह की रचनात्मकता का जश्न मनाता है। इस वर्ष, मुख्य रेड कार्पेट पर हैंडलूम-प्रधान फैशन शो आयोजित करना भारत की सांस्कृतिक गहराई और सिनेमा एवं शिल्प कौशल के शक्तिशाली सम्मिलन को उजागर करता है। ‘साड़ीज इन मोशन’ ने भारत के सार को खूबसूरती से दिखाया है, जो नवोन्मेषी, अपनी जड़ों से जोड़ने वाली और दुनिया भर में प्रसिद्ध है। हमें ऐसे प्रयासों का समर्थन करते हुए गर्व महसूस होता है, जो हमारी कलात्मक विरासत का सम्मान करते हैं और नयी कहानियों को प्रेरित करते हैं।”

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इस मौके पर विकास आयुक्त (हथकरघा) डॉ. एम बीना ने कहा, “परंपरा से जुड़ी, साड़ी एक फैशन स्टेटमेंट और एक दर्शन है – यह कला का दर्शन, ग्रामीण आजीविका का दर्शन है। सिनेमा को भव्य और आकर्षक अंदाज में दर्शाने वाले आईएफएफआई के जरिए हम अपने परिधान एवं अपने बुनकरों, कारीगरों के काम तथा रचनात्मक परंपराओं को दुनिया भर के दर्शकों के सामने पेश करना चाहते थे। ‘साड़ीज इन मोशन’ भारत की विरासत, इसकी कालातीत सुंदरता और ‘विकास भी, विरासत भी’ की भावना को हमारा श्रद्धांजलि है।’’

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पीके/केसी/एसएस/एसएस

 


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