रक्षा मंत्रालय
भारतीय सेना ने चाणक्य रक्षा संवाद 2025 की मेज़बानी की
बदलाव के लिए सुधार - सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत
प्रविष्टि तिथि:
27 NOV 2025 7:35PM by PIB Delhi
चाणक्य रक्षा संवाद 2025 की आज से मानेकशॉ सेंटर, नई दिल्ली में शुरूआत हुई, जिसमें सैन्य प्रमुख, वैश्विक रणनीतिक विशेषज्ञ, राजनयिक, उद्योग जगत के दिग्गज और युवा विद्वान शामिल एकत्रित हुए। भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई और थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कार्यक्रम में मुख्य भाषण दिया।
भारतीय सेना द्वारा भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र के सहयोग से आयोजित यह संवाद सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर केंद्रित है। यह संवाद तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की सुरक्षा चुनौतियों और तकनीकी सीमाओं की पड़ताल करता है।
अपने विशेष संबोधन में, भारत की माननीय राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लगातार मज़बूत करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास को रफ्तार देने में भारतीय सेना की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की निवारक स्थिति, नैतिक स्पष्टता और ज़िम्मेदार कार्रवाई पर आधारित है, जो देश के वसुधैव कुटुम्बकम के सभ्यतागत मूल्यों को दर्शाती है। राष्ट्रपति ने ज़ोर देते हुए कहा कि साइबर, अंतरिक्ष और ज्ञान संबंधी युद्ध जैसे नए क्षेत्रों में तकनीकी रूप से चुस्त और भविष्य के लिए तैयार बलों की ज़रुरत है। उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि भारतीय सेना अपने सिद्धांतों में सुधार कर रही है, संरचनाओं का आधुनिकीकरण कर रही है और युवाओं तथा महिलाओं के लिए विस्तारित सहभागिता और अवसरों सहित मानव पूंजी में गहन निवेश कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि ये सुधार 2047 तक विकसित भारत की ओर भारत की यात्रा को मज़बूत करेंगे।
अपने मुख्य भाषण में, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि चाणक्य रक्षा संवाद, 2023 में अपनी स्थापना के बाद से एक अहम मंच के रूप में विकसित हुआ है, जो एक बड़े बदलाव के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत, बढ़ते बहुक्षेत्रीय संघर्षों से भरी एक बहुध्रुवीय और अशांत दुनिया में काम कर रहा है, जिससे सेना के लिए निर्णायक और भविष्य के लिए तैयार रहना और ज़रुरी हो जाता है। प्रधानमंत्री के 5एस विज़न- सम्मान, संवाद, सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा से प्रेरित होकर, उन्होंने सेना के तीन चरणीय परिवर्तन मार्ग का ज़िक्र किया: त्वरित परिवर्तन के लिए एचओपी 2032, समेकन के लिए एसटीईपी 2037 और एकीकृत, अगली पीढ़ी के बल डिजाइन के लिए जेयूएमपी 2047। हाल के सुधारों की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने अगले कदमों के लिए चार प्रमुख प्रेरकों की पहचान की: स्वदेशीकरण के ज़रिए गहन आत्मनिर्भरता, महत्वपूर्ण तकनीकों में तेज़ी से नवाचार, रक्षा संरचनाओं का व्यवस्थित अनुकूलन और सैन्य-उद्योग-अकादमिक तालमेल का मज़बूत होना। उन्होंने विश्वास जताया कि सीडीडी 2025 इस यात्रा के लिए कार्यान्वयन योग्य अनुभव प्रदान करेगा।
रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने अपने संबोधन में, वर्ष 2025 को रक्षा मंत्रालय के "सुधारों का वर्ष" बताते हुए रक्षा आत्मनिर्भरता को विकसित भारत 2047 के विजन का केंद्रबिंदु बताया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूंजीगत खरीद बजट का 75% अब घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित है, जिसमें निजी क्षेत्र के लिए एक समर्पित हिस्सा शामिल है, जिससे स्वदेशीकरण, नवाचार और बढ़ते रक्षा औद्योगिक आधार को बढ़ावा मिल रहा है। घरेलू रक्षा खर्च के मज़बूत जीडीपी गुणक और घरेलू उत्पादन तथा निर्यात में हो रही तेज़ी से वृद्धि पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में तकनीकी और औद्योगिक मज़बूती अब तेज़ी से अशांत होते वैश्विक परिवेश में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।
नीति आयोग के सीईओ श्री बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने ज़ोर देते हुए कहा कि भारत का भविष्य जनसांख्यिकीय, आर्थिक, तकनीकी, जलवायु और सांस्कृतिक, इन विविध वैश्विक बदलावों के बीच आकार लेना चाहिए, जो वैश्विक व्यवस्था को मौलिक रूप से बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे कई उन्नत अर्थव्यवस्थाएँ सिमट रही हैं और उनकी आबादी घट रही है, एशिया, वैश्विक विकास और व्यापार को गति देगा, जबकि जलवायु परिवर्तन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीकों में तेज़ी से हो रही प्रगति उत्पादन, युद्ध और अनुभूति को ही बदल रही है। इस संदर्भ में, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत, जो पहले से ही दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, उसे अपनी जनसांख्यिकीय संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए, मज़बूत लोकतांत्रिक संस्थानों का निर्माण करना चाहिए और रक्षा आधुनिकीकरण, तकनीकी आत्मनिर्भरता और त्वरित साझेदारियों पर आधारित दीर्घकालिक राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक रणनीतियों को अपनाना चाहिए, ताकि भारत का उदय व्यापक विश्व के लिए सौम्य और लाभकारी बना रहे।
भारत सरकार के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के विजय राघवन ने तीन समानांतर निवेश विचारधाराओं के ज़रिए सामरिक श्रेष्ठता को बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर जोर दिया। अल्पावधि (0-3 वर्ष) में, उन्होंने स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और असममित युद्ध के लिए सेंसर और एआई के साथ विरासत प्लेटफार्मों को फिर से तैयार करने में तेज़ी लाने की वकालत की, जिसमें बाद में सही होने की तुलना में, 80% समाधानों को अभी प्राथमिकता दी जाए। मध्यावधि (3-10वर्ष) मूल्य श्रृंखलाओं को नियंत्रित करने, अप्रत्याशित प्रणालियों के लिए स्वदेशी सॉफ्टवेयर और निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास के लिए समान अवसर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए होनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि दीर्घावधि (10-30 वर्ष) निर्भरता से बचने के लिए बुनियादी विज्ञान जैसे सामग्री, जैव प्रौद्योगिकी और संज्ञानात्मक युद्ध में साहसिक निवेश की मांग करती है, साथ ही उन्होंने विकसित भारत@47 की दिशा में मिशन को चलाने के लिए एक रक्षा प्रौद्योगिकी परिषद की भी अपील की।
चाणक्य डिफेंस डायलॉग के उद्घाटन दिवस पर तीन अहम विषयगत सत्र भी आयोजित किए गए, जिनमें वरिष्ठ नीति निर्माताओं, रक्षा क्षेत्र के प्रमुख लोगों, रणनीतिक विशेषज्ञों और उद्योग जगत के दिग्गजों ने हिस्सा लिया। इन सत्रों में विविध मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें "ऑपरेशन सिंदूर: एक संप्रभु रणनीतिक विजय", "बदलती यथास्थिति: रक्षा सुधारों को सशक्त बनाना" और "सिविल-सैन्य एकीकरण: परिवर्तन के प्रेरक" शामिल थे। हर सत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा परिवर्तन और भारत की रणनीतिक स्थिति से जुड़ी समकालीन चुनौतियों और भविष्य के रास्तों पर चर्चा की गई।
अंत में, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 में एक प्रभावशाली मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने चाणक्य के ज्ञान और सिद्धांतों में गूंजती समय और युद्ध की अप्रत्याशित प्रकृति को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे तकनीक के चलते रणनीति बनाने में भूगोल की भूमिका कम हो रही है और एआई, हाइपरसोनिक्स, रोबोटिक्स, स्वायत्त प्रणालियों और सेंसर-चालित युद्धक्षेत्र पारदर्शिता के अभिसरण के ज़रिए सैन्य मामलों में क्रांति ला रही है। भू-राजनीतिक रूप से संप्रभुता का क्षरण, बढ़ती बल प्रवृत्ति और परमाणु प्रसार एक अस्थिर भविष्य का संकेत देते हैं, जिससे सशस्त्र बलों को बहु-क्षेत्रीय संचालन के लिए सिद्धांतों को तेज़ी से विकसित करने की ज़रुरत है। बौद्धिक ईमानदारी और अपने शत्रु के ज्ञान पर जोर देते हुए, जनरल चौहान ने कहा कि जीत हासिल करने वाले कमांडर, रणनीतियों को बिना किसी कमी के लागू करते हैं और ऐसे सैनिकों को तैयार करते हैं, जो रोज़ अभ्यास करने वालों के उलट, विनाशकारी संघर्षों के लिए प्रशिक्षित हों, ताकि विकसित भारत@2047 को सुरक्षित किया जा सके।
चाणक्य रक्षा संवाद का दूसरा दिन, माननीय रक्षा मंत्री की अगुवाई में एक उच्च-स्तरीय विशेष सत्र पर केंद्रित होगा, जिसमें वे प्रमुख पहलों का अनावरण करेंगे और एक सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत के लिए ज़रुरी रक्षा सुधारों पर एक प्रमुख भाषण देंगे। इसके बाद दिन विषयगत सत्रों में आगे बढ़ेगा।
दो दिनों तक चलने वाले चाणक्य रक्षा संवाद 2025 का मकसद, भारत के भविष्य के सुरक्षा ढांचे पर रणनीतिक विचार-विमर्श के लिए एक व्यापक मंच तैयार करना है। भारत की माननीय राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व, नीति निर्माताओं, वैश्विक विशेषज्ञों और विद्वानों के सशक्त मार्गदर्शन के साथ, रक्षा संवाद 2025 एक मजबूत, सुरक्षित और विकसित भारत के निर्माण के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को और मज़बूत करेगा। यह संवाद इस बात पर ज़ोर देता है कि भारत का रणनीतिक परिवर्तन नैतिक स्पष्टता, तकनीकी उत्कृष्टता, गहन आत्मनिर्भरता और समग्र राष्ट्र के दृष्टिकोण से प्रेरित होगा।
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पीके/केसी/एनएस
(रिलीज़ आईडी: 2195679)
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